जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री राजेष बुन्देल पुत्र श्री बाबूलाल, उम्र-30 वर्ष, निवासी- गली नं. 10, तानाजीनगर, भजनगंज,अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
मृदंग सिनेमा जरिए इसके प्रबन्धक, श्रीनगर रोड़, अजमेर (राजस्थान)
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 02/2016
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री राजेष बुन्देल, अधिवक्ता प्रार्थी स्वयं
2.श्री सुनील गौड़, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 01.02.2017
1. संक्षिप्त तथ्यानुसार प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी के सिनेमा हाल में दिनंाक 28.12.2014 को अपने 2-3 दोस्तों के साथ ’’पी.के’’ फिल्म देखने जाने हेतु डी.सी क्लास की 4 टिकिटें सीट संख्या ई-1 से ई-5 तक की सांय 3 से 6 बजे के षो की रू. 300/- में क्रय किए जाने के बावजूद निर्धारित सीटों पर पहले से ही किसी अन्य व्यक्तियों के बैठने की वजह से उन्हें साईड में टूटी प्लास्टिक की सीटों पर बैठने के लिए मजबूर करना अप्रार्थी की सेवा में कमी को दर्षाता है । अप्रार्थी के उक्त कृत्य के कारण उसे व उसके दोस्तों को हुई मानसिक व षारीरिक परेषानी हेतु परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना करते हुए परिवाद के समर्थन में प्रार्थी स्वयं ने तथा श्री निंरजन कुमार ने अपना षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी की ओर से दिनांक 4.5.2016 को श्री सुनील गौड.,अधिवक्ता की ओर से वकालातनामा पेष कर जवाब हेतु समय चाहा गया । तत्पष्चात् नियत तारीख पेषियों पर अप्रार्थी की ओर से जवाब प्रस्तुत नहीं किए जाने /राजीनामा के आधार पर परिवाद का निस्तारण किए जाने की इस्तदुआ किए जाने के उपरान्त आदेष दिनंाक 19.10.2016 को अप्रार्थी की ओर से जवाब पेष नहीं किए जाने पर अप्रार्थी का जवाब बन्द किया गया है।
3. प्रार्थी पक्ष का तर्क रहा है कि उसके द्वारा अप्रार्थी सिनेमा हाल में दिनंाक 28.12.2014 को होने वाले षो की 4 टिकटे खरीदी जाकर जब वे हाल में गए व अपनी सीटांे पर बैठने लगे तो उक्त सीटों पर पहले से ही अन्य व्यक्ति बैठे हुए थे । सिनेमा हाल के कर्मचारियेां को इस बाबत् उलाहना दिए जाने पर उनके द्वारा गाली गलौज व अभद्र व्यवहार किया गया । उन्हें निर्धारित सीटो पर बैठानें की बजाय साईड में टूटी हुई प्लास्टिक की कुर्सियों पर बैठने के लिए मजूबर किया गया । इस प्रकार अप्रार्थी का उक्त कृत्य अनुचित व्यापार व्यवहार व सेवा में कमी की श्रेणी में आता है । परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए । अपने पक्ष कथन के समर्थन में उन्होने स्वयं के षपथपत्र के साथ किन्ही श्री निरजंन कुमार के द्वारा प्रस्तुत षपथपत्र पर अवलम्ब लिया है ।
4. अप्रार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है । बहस हेतु बावजूद कई मौके दिए जाने के उनकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ । प्रार्थी पक्ष की बहस सुनी । पत्रावली का अवलोकन किया ।
5. पत्रावली में उपलब्ध अप्रार्थी सिनेमा हाल की दिनांक 28.12.2014 को दोपहर 3.00 बजे से 6.00 बजे की डी.सी. क्लास की सीट संख्या ई- 1 से ई-5 तक की 5 व्यक्तियों की सीटांे के रिजर्वेषन होने व इस हेतु रू. 300/- षुल्क के भुगतान का उल्लेख किए जाने से यह सिद्व रूप से प्रकट हुआ है कि उक्त दिनांक को प्रार्थी पक्ष द्वारा उपरोक्त अनुसार सिनेमा देखने हेतु सीटंे बुक करवाई गई थी। यहां यह उल्लेखनीय है कि जो षपथपत्र परिवाद के समर्थन में प्रार्थी पक्ष द्वारा प्रस्तुत किया गया है , जिनमें स्वयं प्रार्थी राजेष बुन्देल प्रार्थी का भी षपथपत्र है । किन्तु यह षपथपत्र उन्होंने किसी निरंजन कुमार बनाम राम प्रताप बनवारी लाल एण्ड सन्स से संबंधित परिवाद में प्रस्तुत किया है, से संबंधित है । जबकि इसी परिवाद के तथ्यों की पुष्टि हेतु किन्ही निरंजन कुमार ने जो अपना षपथपत्र प्रस्तुत किया है ,वह भी उसने अपने उक्त किन्हीं परिवाद निरंजन कुमार बनाम रामप्रताप बनवारी लाल एण्ड सन्स के समर्थन में प्रस्तुत किया। मंच की राय में ष्षपथगृहिता श्री निरंजन कुमार का यह ष्षपथपत्र हस्तगत परिवाद में स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है क्योंकि उसके द्वारा उक्त षपथपत्र निरंजन कुमार बनाम रामप्रताप बनवारी लाल एण्ड सन्स से संबंधित परिवाद में प्रस्तुत किया गया है । यही स्थिति अन्य षपथगृहिता प्रार्थी राजेष बुन्देल की है ।
6. चूंकि हस्तगत प्रकरण स्वयं राजेष बुन्देल द्वारा प्रस्तुत किया गया है । अतः उसके द्वारा जिस प्रकार केजुअल तरीके से षपथपत्र प्रस्तुत किया गया है, की अनदेखी करते हुए परिवाद में दर्षाए गए तथ्यों के खण्डन नहीं होने की अवस्था में उन्हें अविष्वसनीय नहीं मानने का कोई कारण सामने नहीं आया है । यह सिद्व रूप से प्रकट हुआ है कि प्रार्थी पक्ष ने दिनंाक 28.12.2014 को जो
3.00 बजे से 6.00 बजे सांय की षो के 4 टिकिट खरीद कर फिल्म देखने हेतु अन्दर जाने पर निर्धारित सीटों पर उन्हें जगह नहीं दी जाकर साईड में जिस प्रकार की अव्यवस्था करते हुए अप्रार्थी ने प्रार्थी को मानसिक व ष्षारीरिक क्षति पहुंचाई है तथा सेवा में कमी का परिचय दिया है, को ध्यान में रखते हुए परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
7. अप्रार्थी को यह आदेष दिया जाता है कि वह प्रार्थी को हुई मानसिक क्षतिपूर्ति पेटे रू. 5000/- व परिवाद व्यय पेटे रू. 5000/- का चैक/डिमाण्ड ड्राफ्ट राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष, जयपुर को देय, इस निर्णय की दिनांक से दो माह के अन्दर इस मंच में जमा करावें ।
आदेष दिनांक 01.02.2017 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष