Uttar Pradesh

StateCommission

A/102/2021

Punjab National bank - Complainant(s)

Versus

Mr. Niyaz Haider - Opp.Party(s)

Saket Kumar Srivastava

21 Dec 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/102/2021
( Date of Filing : 16 Feb 2021 )
(Arisen out of Order Dated 05/01/2021 in Case No. Complaint Case No. C/2011/42 of District Azamgarh)
 
1. Punjab National bank
Sadavarti Chawk Azamgarh
...........Appellant(s)
Versus
1. Mr. Niyaz Haider
S/o Late Ali Haider Vill. And Post Dewait Dist. Azamgarh
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 21 Dec 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

अपील संख्‍या-102/2021

पंजाब नेशनल बैंक

बनाम

नियाज हैदर पुत्र स्‍व0 अली हैदर

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री साकेत श्रीवास्‍तव,  

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री संजय कुमार श्रीवास्‍तव,  

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 21.12.2023

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता          आयोग, आजमगढ़ द्वारा परिवाद संख्‍या-42/2011 नियाज हैदर बनाम शाखा प्रबन्‍धक, पंजाब नेशनल बैंक में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05.01.2021 के विरूद्ध योजित की गयी है। प्रस्‍तुत अपील विगत लगभग 02 वर्ष से लम्बित है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता   श्री साकेत श्रीवास्‍तव एवं प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री संजय कुमार श्रीवास्‍तव को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी पंजाब नेशनल बैंक की शाखा से             4,00,000.00 रू0 का ऋण जनवरी, 2010 में प्राप्‍त कर आर0के0

 

-2-

एजेन्‍सी नरौली, आजमगढ से न्‍यू हालैण्‍ड ट्रैक्‍टर क्रय किया। ऋण स्‍वीकृत करते समय अपीलार्थी/बैंक के शाखा प्रबन्‍धक द्वारा उसे बताया गया कि बैंक की टर्म्‍स एण्‍ड कंडीशन के अनुसार ट्रैक्‍टर का पंजीयन और बीमा आवश्‍यक है क्‍योंकि ट्रैक्‍टर गायब होने या चोरी होने, लड़ने व जलने पर ट्रैक्‍टर का पूरा पैसा बीमा कम्‍पनी द्वारा दिया जायेगा और बैंक का ऋण भी सुरक्षित रहेगा। अपीलार्थी बैंक के शाखा प्रबन्‍धक द्वारा किये गये कथन से प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने सहमति व रजामंदी व्‍यक्‍त की, परन्‍तु अपीलार्थी बैंक के शाखा प्रबन्‍धक ने ट्रैक्‍टर का बीमा कराकर अपने पास रख लिया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने शाखा प्रबन्‍धक के निर्देश पर अपने लोन एकाउण्‍ट में दिनांक 02.3.2010 को 49,000.00 रू0 और दिनांक 04.02.2010 को 2,500.00 रू0 जमा किया और उसने बैंक द्वारा दिये गये निर्देश का पालन अक्षरश: किया।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसके उपरोक्‍त ट्रैक्‍टर का पंजीयन नं0-यू0पी0 50/यू-3505 था। ट्रैक्‍टर दिनांक 18.02.2010 को समय करीब 8.00 बजे रात्रि बवाली मोड़, रोडवेज आजमगढ़ के पास खड़ा करके दुकान पर चाय पीने गया और जब चाय पीकर लौटा तो ट्रैक्‍टर वहॉ नहीं था।             अगल-बगल उसने तलाश किया परन्‍तु ट्रैक्‍टर नहीं मिला। तब वह घटना की सूचना थाना कोतवाली आजमगढ़ उसी रात देने गया तो उससे कहा गया कि सुबह आना तब रिपोर्ट दर्ज की जायेगी। तब वह सुबह गया तो घटना की रिपोर्ट थाना कोतवाली में  दिया  और

 

-3-

उसकी कापी प्राप्‍त किया। उसी दिन उसने ट्रैक्‍टर गायब होने की सूचना अपीलार्थी बैंक की शाखा में दिया तो उससे कहा गया कि वह रजिस्‍टर्ड डाक से आर0सी0, डी0एल0 और एफ0आई0आर0 के साथ सूचना भेजे। तदोपरांत दिनांक 06.03.2010 को उसने रजिस्‍टर्ड डाक से अपीलार्थी बैक के शाखा प्रबन्‍धक को सूचना आर0सी0, डी0एल0 और एफ0आई0आर0 की कापी के साथ भेजा तो उसे गुमराह किया जाता रहा और उससे कहा गया कि उसके ट्रैक्‍टर का बीमा ओरियण्‍टल इं0कं0लि0 पाण्‍डेय बाजार, आजमगढ़ से है, वही से सम्‍पर्क करे। तब वह बीमा कम्‍पनी के यहॉ कागजात लेकर गया तो उसे बताया गया कि उसके ट्रैक्‍टर का बीमा केवल थर्ड पाटी का है, यदि ट्रैक्‍टर का कम्‍प्रेहेंसिव बीमा होता तो बीमा कम्‍पनी क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु उत्‍तरदायी होती। बीमा कम्‍पनी से यह सुनकर वह अवाक रह गया और उसी दिन वह अपीलार्थी विपक्षी बैंक के शाखा प्रबन्‍धक से मिला और बताया कि बीमा कम्‍पनी ने क्‍लेम देने से इंकार कर दिया है और कह रहे है कि बैंक जिम्‍मेदार है। उसने जानना चाहा कि बैंक ने किन परिस्थितियों में नये ट्रैक्‍टर का थर्ड पार्टी बीमा कराया है। उसके बाद उसने पुन: दिनांक 28.04.2010 को क्‍लेम निस्‍तारण की बावत रजिस्‍टर्ड डाक से अपीलार्थी बैंक के शाखा प्रबंधक को लिखा, परन्‍तु उन्‍होंने क्‍लेम का भुगतान नहीं किया। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षी बैंक के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

 

-4-

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी बैंक की ओर से जवाबदावा प्रस्‍तुत किया गया तथा मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उसके बैंक से जनवरी 2010 में 4,00,000.00 रू0 का ऋण लेकर कथित ट्रैक्‍टर आर0के0 एजेंसी से खरीदा था। बैंक द्वारा किसी वाहन या ट्रैक्‍टर का ऋण स्‍वीकृत करते समय बीमा के संदर्भ में वाहन स्‍वामी से स्‍वीकृत प्राप्‍त की जाती है तत्‍पश्‍चात स्‍वीकृत के अनुसार ही बैंक द्वारा बीमा कराया जाता है। यदि वाहन स्‍वामी बीमा कम्‍पनी से स्‍वयं बीमा कराने का इच्‍छुक होता है तो बैंक उसमें कोई हस्‍तक्षेप नहीं करता है।

विपक्षी बैंक का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को बताया गया कि ट्रैक्‍टर का फुल कम्‍प्रेहेंसिव बीमा कराकर उसकी प्रति बैंक को उपलब्‍ध कराये तो उसने कहा कि ट्रैक्‍टर का पंजीकरण जरूरी है। फुल बीमा हेतु धनराशि की व्‍यवस्‍था नहीं हो पा रही है। अत: थर्ड पार्टी बीमा कराकर ट्रैक्‍टर का पंजीकरण हो जाये। उसके पश्‍चात धनराशि की व्‍यवस्‍था होने पर ट्रैक्‍टर का फुल बीमा कराकर बैंक को उसकी प्रति वह उपलब्‍ध करा देगा। इस पर बैंक तैयार हो गया। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने 1020.00 रू0 प्रीमियम का भुगतान कर ओरियण्‍टल इं0कं0लि0 से थर्ड पार्टी बीमा कराया और बैंक को आश्‍वासन दिया कि शीघ्र ही धनराशि की व्‍यवस्‍था करके ट्रैक्‍टर का फुल बीमा कराकर बैंक को सूचित किया जायेगा।

विपक्षी बैंक का कथन है कि ट्रैक्‍टर का फुल बीमा कराने हेतु कोई   धनराशि  बैंक  ने  वसूल  नहीं  किया  है  और  न   ही

 

-5-

प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने ट्रैक्‍टर का फुल बीमा कराने हेतु कोई धनराशि उसे अदा किया है। बैंक के ऋण की सुरक्षा व वसूली हेतु जमानत के रूप में जमानतदारों की जमीन बंधक रखी जाती है, जिससे बैंक अपने ऋण की वूसली कर सकता है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने समस्‍त ऋण का भुगतान अब कर दिया है।

विपक्षी बैंक का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का ट्रैक्‍टर किन परिस्थितियों में किसने चोरी कराया या करवाया है यह विवेचना का विषय है, परन्‍तु ऐसा प्रतीत होता है कि परिवादी ने अनुचित लाभ लेने हेतु मनगढन्‍त तौर पर परिवाद दाखिल किया है क्‍योंकि परिवादी द्वारा थाने में केवल सूचना मात्र देना कहा गया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने ऋण धनराशि की किश्‍तों का भुगतान नहीं किया तब उसके विरूद्ध वसूली नोटिस दिनांक 23.04.2011 को भेजी गयी जिसके प्रतिशोध स्‍वरूप उसने यह परिवाद प्रस्‍तुत किया है। विपक्षी बैंक की सेवा में कोई कमी नहीं है।

उल्‍लेखनीय है कि प्रस्‍तुत प्रकरण से सम्‍बन्धित पूर्व में इस न्‍यायालय के सम्‍मुख अपीलार्थी पंजाब नेशनल बैंक द्वारा अपील संख्‍या-1169/2019 प्रस्‍तुत की गयी थी, जिसे इस न्‍यायालय द्वारा निर्णीत करते करते हुए निम्‍न आदेश दिनांकित 21.01.2020 पारित किया गया था:-

''उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त करते हुए पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित

 

-6-

की जाती है कि जिला फोरम उभय पक्ष को निम्‍न बिन्‍दुओं पर साक्ष्‍य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: निर्णय और आदेश विधि के अनुसार पारित करे:-

1- प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा पुलिस को दी गई रिपोर्ट पर क्‍या अपराध पंजीकृत किया गया है यदि हॉ तो उसका पूरा विवरण ?

2- क्‍या पुलिस ने विवेचना की है ?

3- क्‍या पुलिस ने दौरान विवेचना प्रत्‍यर्थी/परिवादी का ट्रैक्‍टर बरामद किया है ?

4- क्‍या पुलिस ने बाद विवेचना आरोप पत्र न्‍यायालय प्रेषित किया है ?

5- क्‍या पुलिस ने बाद विवेचना अंतिम रिपोर्ट न्‍यायालय प्रेषित किया है, जो समक्ष मजिस्‍ट्रेट द्वारा अंतिम रूप से स्‍वीकृत की जा चुकी है?

उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 25.02.2020 को उपस्थित होगें।

जिला फोरम उभय पक्ष को उपरोक्‍त बिन्‍दुओं पर साक्ष्‍य व सुनवाई का अवसर देकर स्थिति स्‍पष्‍ट करने के बाद पुन: विधि के अनुसार हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से दो माह के अन्‍दर निर्णय और आदेश पारित करेगा।

अपील में उभय पक्ष अपना अपना वाद व्‍यय स्‍वयं बहन करेगें।

 

 

-7-

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनिमय, 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी बैंक को वापस की जायेगी।''

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा उपरोक्‍त अपील संख्‍या-1169/2019 में इस न्‍यायालय द्वारा पारित निर्णय में विवेचित निम्‍न तथ्‍यों की ओर पीठ का ध्‍यान आकर्षित किया गया:-

''अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने बहस के समय प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते के विवरण की फोटोप्रति प्रस्‍तुत की है जिसके अनुसार दिनांक 29.01.2011 को उसके खाते से 800.00 रू0 पी0एन0बी0 फार्मर्स वेलफेयर फण्‍ड स्‍कीम में योगदान धनराशि बैंक द्वारा काटी गई है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी के ट्रैक्‍टरी का थर्ड पाटी बीमा कराकर बैंक को उसी समय इस पी0एन0बी0 फार्मर्स वेलफेयर फण्‍ड स्‍कीम में उसके खाते से 800.00 रू0 की धनराशि जमा करनी चाहिए थी। जनवारी, 2011 में अपीलार्थी बैंक ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते से स्‍कीम की धनराशि 800.00 रू0 की कटौती की है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने इस स्‍कीम के तहत अपनी सहमति व्‍यक्‍त की है अत: अपीलार्थी बैंक द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के ट्रैक्‍टर का थर्ड पार्टी बीमा कराये जाने के बाद उसके खाते से पी0एन0बी0 फार्मर्स वेलफेयर फण्‍ड स्‍कीम में 800.00 रू0 योगदान धनराशि जमा न किया जाना बैंक की सेवा में कमी दिखती है। यदि अपीलार्थी विपक्षी बैंक के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क स्‍वीकार किया जाये

 

-8-

कि पी0एन0बी0 फार्मर्स वेलफेयर फण्‍ड स्‍कीम के अन्‍तर्गत अपीलार्थी बैंक का दायित्‍व मात्र थर्ड पार्टी बीमा कराने का था तो भी अपीलार्थी बैंक की सेवा में कमी मानने हेतु उचित आधार है।''

 विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा इस न्‍यायालय द्वारा उपरोक्‍त अपील संख्‍या-1169/2019 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 21.01.2020 के अनुक्रम में उल्लिखित बिन्‍दुओं को दृष्टिगत रखते हुए तथा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त यह पाया गया कि परिवादी द्वारा ट्रैक्‍टर चोरी की सूचना पुलिस को दी गयी थी, जो कि उचित धाराओं में पंजीकृत किया गया था। चोरी की सूचना के पश्‍चात् पुलिस द्वारा विवेचना की गयी थी, परन्‍तु विवेचना के दौरान ट्रैक्‍टर बरामद नहीं हुआ तथा जांच अधिकारी द्वारा अन्तिम रिपोर्ट न्‍यायालय प्रेषित की गयी तथा यह कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता  आयोग द्वारा यह पाया गया‍ कि विपक्षी बैंक द्वारा ट्रैक्‍टर का फुल बीमा नहीं कराया गया, जो विपक्षी बैंक की सेवा में कमी है। तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद निर्णीत करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

''परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को 4,00,000/- (चार लाख रूपया) रूपये मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अन्‍दर तीस दिन अदा करे। बैंक परिवादी को मानसिक व शारीरिक कष्‍ट हेतु 20,000/- (बीस हजार रूपया) रूपये अलग से

 

-9-

अदा करे।''

उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुनने तथा समस्‍त           तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्‍ता            आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण   करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता                आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया, जिसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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