जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी..........................सदस्या
उपभोक्ता वाद संख्या-80/2002
1. देवेन्द्र कुमार गुप्ता पुत्र स्व0 हरप्रसाद गुप्ता, निवासी-2/9, पी.डब्लू.डी. कालोनी मेकरावार्टगंज, कानपुर नगर-208001
2. विद्या गुप्ता पत्नी देवेन्द्र कुमार गुप्ता, निवासी2/9, पी.डब्लू.डी. कालोनी मेकरावार्टगंज, कानपुर नगर-208001
................परिवादीगणी
बनाम
1. मेसर्स एस.पी.एफ.एल. सिक्योरिटी लि0-15/63 सिविल लाइन्स, कानपुर
2. मेसर्स सुनील गुप्ता एण्ड कंपनी निवासी 58/65 नीलवाली गली- बिरहाना रोड, कानपुर नगर-208001 द्वारा सुनील गुप्ता।
3. मेसर्स कर्वी कन्सलटेन्टस लि0 मयोर मिल के सामने सिविल लाइन्स, कानपुर नगर-208001
...........विपक्षीगण
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. प्रस्तुत परिवाद परिवादीगण की ओर से इस आषय से योजित किया गया है कि षेयर जो कि विभिन्न तिथियों पर व विभिन्न धनराषि के लिए बिक्री/स्थानान्तरित किये गये है के मद में रू0 2,61,737.00 विपक्षी सं0-1 से मय 18 प्रतिषत ब्याज के, दिलाया जाये। विपक्षीगण की सेवाओं में कमी व लापरवाही के लिए रू0 35,000.00 की क्षतिपूर्ति परिवादीगण को विपक्षी सं0-1 से दिलाने, अवसर के लाभ से वंचित होने के मद में रू0 5000.00, परिवाद व्यय तथा टेलीफोन आदि के मद में खर्च अधिवक्ता की फीस आदि रू0 10,000.00 परिवादीगण को विपक्षी सं0-1 व 2 से दिलाया जाये। अन्य कोई उपषम यदि फोरम उचित समझे तो परिवादीगण को दिलाया जाये।
2. परिवादीगण की ओर से परिवाद पत्र प्रस्तुत करके संक्षेप में यह कहा गया है कि विपक्षी सं0- 1 स्टाक व षेयर ब्रोकर कंपनी है तथा इस कार्य के लिए वह सेबी से पंजीकृत है। विपक्षी सं0-2, विपक्षी सं0-1 का प्रतिनिधि है तथा विपक्षी सं0-2, विपक्षी सं0-1 द्वारा अधिकृत अभिकर्ता है।
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विपक्षी सं0-3 षेयर डिपोजिट करने की संस्था है तथा इसी के माध्यम से षेयर डीमेट व अन्य के खातों में स्थानान्तरित होते हैं। दिनांक 01.02.2000 को विपक्षी सं0-2 ने परिवादीगण से संपर्क किया तथा अपना परिचय विपक्षी सं0-1 के प्रतिनिधि के रूप में दिया तथा यह कहा कि हमारे द्वारा षेयर की खरीद-फरोख्त करने पर बहुत कम सेवा षुल्क लिया जायेगा। विपक्षी सं0-2 द्वारा अच्छी सेवा का आष्वासन देने पर उनसे षेयर खरीदने बेचने का मन बनाया। विपक्षी सं0-3 के यहां परिवादीगण के डीमेट एकाउन्टस नम्बर इस प्रकार हैं-10058702, 10129822 व 10130550। उक्त खाते परिवादीगण के संयुक्त व व्यक्तिगत नाम से हैं। परिवादीगण ने दिनांक 21.04.2000 से 17.10.2000 तक विपक्षी सं0-1 के प्रतिनिधि, विपक्षी सं0-2 के माध्यम से षेयर्स बेंचे, जिनका विवरण इस प्रकार हैः-
(अ) दिनांक 23.02.2000 को आई.एफ.सी.आई. के 1500 षेयर विपक्षी सं0-1 के डीमेट खाता सं0-10000158 में स्थानान्तरण किये गये जिसकी कुल कीमत रू0 15,375.00 थी तथा इसका ट्रान्जेक्षन सं0-1318767 व 5319139 था।
(ब) दिनांक 21.04.2000 को रिलायंस पेट्रो लि0 के 500 षेयर विपक्षी सं0-1 के खाते में ट्रांजेक्षन सं0-5641500 के माध्यम से विपक्षी सं0-1 के डीमेट खाता सं0-10000199 के खाते में स्थानान्तरित किये गये, जिसकी कीमत रू0 30000.00 थी।
(स) दिनांक 08.05.2000 को रिलायंस पेट्रो लि0 के 500 षेयर, स्टेट बैंक के 50 षेयर, मोरगन स्टेनली के 500 यूनिट विपक्षी सं0-1 के खाते में ट्रांजेक्षन सं0-5501311, 5501309, 5501308 के माध्यम से विपक्षी सं0-1 के खाते मतें स्थानान्तरित किये गये, जिसकी कीमत रू0 44,062.00 थी।
(द) दिनांक 17.05.2000 को एच.डी.एफ.सी. बैंक के 400 षेयर ट्रांजेक्षन सं0-5524561 व 5524561 के माध्यम से विपक्षी सं0-1 के खाते में क्लीयरिंग के लिए स्थानान्तरित किये गये, जिसकी कीमत रू0 1,04,400.00 थी।
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(ह) दिनांक 17.10.2000 को रिलायंस पेट्रो के 100 षेयर ट्रांजेक्षन सं0- 5117552 लगायत् 54 के माध्यम से विपक्षी सं0-1 के डीमेट खाता में स्थानान्तरित किये गये जिसकी कीमत रू0 6,79,000.00 थी।
उपरोक्त बिक्री किये गये षेयर की कुल कीमत ट्रांसफर के समय में रू0 2,61,737.00 थी। परिवादीगण को उक्त विक्रीत षेयर्स ट्रांसफर किये गये षेयर्स की धनराषि प्राप्त नहीं हुई तो परिवादीगणों ने विपक्षी सं0-2 से संपर्क किया। विपक्षी सं0-2 ने यह आष्वासन दिया कि षेयर बाजार में आयी मंदी के कारण विपक्षी सं0-1 ने भुगतान नहीं किया है, लेकिन अतिषीघ्र भुगतान कर दिया जायेगा। परिवादीगण द्वारा दबाव बनाने पर विपक्षी सं0-2 ने बताया कि उसकी विपक्षी सं0-1 से बात हो गयी है तथा भुगतान में देरी का ब्याज भी बाजार की प्रथा के अनुसार दिया जायेगा तथा यह भी आष्वासन दिया कि विपक्षी सं0-1 फण्ड का इंतजाम कर रहा है तथा अतिषीघ्र ही भुगतान कर दिया जायेगा। परिवादीगण द्वारा लगातार तकादा करने पर जब परिवादीगणों को उसकी धनराषि प्राप्त नहीं हुई तो परिवादीगण ने विपक्षी सं0-2 को बताया कि वह अतिषीघ्र भुगतान के लिए कानून का सहारा लेंगे तो विपक्षी सं0-2 ने पुनः यह आष्वासन दिया कि भुगतान दिनांक 31.08.2001 तक मय ब्याज के कर दिया जायेगा। अतः विपक्षी सं0-2 को परिवादीगण द्वारा आष्वस्त किया गया कि वह म्याद अवधि तक कोई कानूनी कार्यवाही नहीं करेंगे। किन्तु परिवादीगण को विक्रीत स्थानान्तरित षेयर्स का भुगतान नहीं किया गया तथा विपक्षी सं0-1 के प्रतिनिधि विपक्षी सं0-2 ने हर बार नया बहाना बनाया। परिवादीगण को विपक्षी सं0-1 व 2 के इस कार्य से मानसिक आघात पहुॅचा। अतः परिवादीगण विक्रीत/स्थानान्तरित षेयर को खुर्द-बुर्द न करे। इसके लिए विवष होकर परिवादीगण को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षी सं0-2 द्वारा आपत्ति/उत्तर के रूप में जवाब दावा प्रस्तुत करके संक्षेप में यह कहा गया है कि विपक्षी उत्तरदारा पार्टी और मेसर्स एस.पी.एफ.एल. सिक्योरिटीज लि0 के मध्य किसी प्रकार का कोई
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सम्बन्ध नहीं है। विपक्षी सं0-2, विपक्षी सं0-1 का कभी भी अधिकृत एजेंट नहीं रहा है। वास्तव में विपक्षी सं0-2 उत्तरदाता डी0के0 गुप्ता एवं विद्या गुप्ता के सब-एजेन्ट हैं। डी0के0 गुप्ता और विद्या गुप्ता षेयर के सब- ब्रोकर हैं, जो अपनी एजेंसी अप्रैल, 1995 से चला रहे हैं। परिवादी द्वारा षेयरों के क्रय-विक्रय का व्यापार उत्तरदाता विपक्षी के साथ दिनांक 25.08.99 से किया जा रहा है। उत्तरदाता विपक्षी सं0-2 के द्वारा दिनांक 01.02.2000 को परिवादीगण या उनके प्रतिनिधियों से कभी भी संपर्क नहीं किया गया और न ही यह व्यक्त किया गया कि वह विपक्षी सं0-1 के प्रतिनिधि हैं। उत्तरदाता विपक्षी सं0-2 के द्वारा न्यूनतम सेवा चार्जेज प्राप्त करने के लिए कभी प्रस्तुत नहीं किया गया। परिवादीगण के द्वारा लगाये गये सभी आरोप मिथ्या एवं स्वनिर्मित हैं। परिवादीगण द्वारा नागार्जुन फर्टीलाइजर्स के षेयर विपक्षी सं0-2/उत्तरादाता को 1999 में विक्रय हेतु दिये गये। इस प्रकार परिवादीगण का यह कथन कि दिनांक 01.02.2000 को विपक्षी सं0-2 द्वारा उनसे षेयर क्रय करने एवं विक्रय करने के लिए संपर्क किया गया-झूठा है। परिवादीगण द्वारा समय-समय पर विक्रय करने हेतु सभी षेयर विपक्षी/उत्तरदाता को दिये गये हैं। विपक्षी/उत्तरदाता दिनांक 17.02.2000 को परिवादीगण द्वारा टेलीफोन पर रू0 1500.00 षेयर आई.सी.आई.सी.आई. लि0 के विक्रय करने हेतु निर्देष दिया गया, जिसका परिवादीगण को देय कुल धनराषि रू0 15,225.00 थी, जो कि परिवादीगण के खाते में जमा कर दी गयी थी। इसी प्रकार विपक्षी सं0-2 को परिवादीगण द्वारा दिनांक 02.02.01 को रिलायंस पेट्रो के 600 षेयर विक्रय करने का निर्देष दिया गया, जो कि परिवादी द्वारा उत्तरदाता विपक्षी सं0-2 के पास मार्जिन मनी सिक्योरिटी के रूप में जमा किये गये। स्पेक्यूलेटिव फारवर्ड ट्रेडिंग ;ैचमबनसंजपअमध्वितूंतक जतंकपदहद्ध से दिनांक 20.04.2000 एवं 17.05.2000 को 500 व 100 षेयर क्रमषः दिये गये, जिसकी कुल धनराषि रू0 38,070.00 परिवादीगण को देय थी, जो कि परिवादीगण के खाते में समय से जमा कर दी गयी। आर.पी.एल. इक्यूटी के 500 षेयर,
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एस.बी.आई. के 50 षेयर, मोर्गन स्टेनली के 1000 षेयर तथा डी.सी.एम. के 3000 षेयर दिनांक 05.05.2000 को विक्रय करने हेतु जमा किये गये, जिनकी कीमत क्रमषः रू0 26,675, 9925.00, 12,750.00 एवं 28,050.00 थी, जो कि नियत समय में परिवादीगण के खाते में जमा कर दिये गये। उसके बाद पुनः एच.डी.एफ.सी. बैंक के 400 षेयर दिनांक 19.05.2000 को रू0 1,02,340.00 के थे, जिन्हें बेचा गया। जिनकी धनराषि परिवादी के खाते में समय से जमा करा दी गयी थी। उसके बाद आर0आई0एल0 इण्डस्ट्रीज के 28 षेयर और डी0एस0क्यू0 साफ्टवेयर के 200 षेयर जो कि परिवादी द्वारा उत्तरदाता विपक्षी के पास मार्जिन मनी के लिए जमानत के रूप में स्पेक्यूलेटिव फारवर्ड ट्रेडिंग के लिए जमा किये गये थे, वे दिनांक 09.07.01 को क्रमषः रू0 9065.00 व 10,710.00 के लिए बेंचे गये। इनकी धनराषि समय से परिवादी के खाते में जमा की गयी और आर.सी.एफ.टी. के 100 षेयर की कीमत रू0 4955.00 थी, वह भी दिनांक 09.07.01 को बेंचे गये। इस प्रकार परिवादी द्वारा बहुत सारे षेयर इस दौरान क्रय किये गये, जिनका पार्ट पेमेंट उसके द्वारा किया गया और परिवादी द्वारा उक्त षेयरों को प्राप्त किया गया। इस प्रकार उत्तरदाता विपक्षी सं0-2 द्वारा परिवादी का खाता दिनांक 25.08.99 से उसके लेजर में तैयार किया जा रहा है और जिसकी सभी प्रविश्टियां उक्त खाते में नियमानुसार अंकित की गयी हैं। परिवादीगण स्वच्छ हाथों से फोरम के समक्ष नहीं आये हैं। परिवादीगण द्वारा वास्तविक तथ्यों को छिपाया गया है। यह उल्लेखनीय है कि विक्रय की तिथि पर आई.एफ.सी.आई. लि0 के 1500 षेयर के सम्बन्ध में परिवादी का खाता यह दिखा रहा था कि उससे रू0 48,736.50 घटाये गये है और उक्त धनराषि काटकर रू0 33,511.50 बनाये गये हैं। इसी प्रकार रिलायंस पेट्रो लि0 के 600 षेयर के बिक्री तिथि पर 61,158.00 घटाये गये है और उक्त विक्रय धनराषि के समायोजन पर परिवादी के 600 षेयर घटाये गये है और धनराषि रू0 23088.00 डेबिट बैलेन्स सीट में आयी। अंतिम बार परिवादीगण द्वारा दिनांक 16.07.01 को अपने अवषेश षेयर को कम करते हुए षेयर बेचें गये और इस प्रकार रू0 20,693.00
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परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-2 द्वारा उत्तरदाता को दिया जाना बकाया है। इस प्रकार उपरोक्त सभी षेयरों की विक्रय धनराषि उसके निर्देषानुसार उसके एकाउन्ट में समायोजित किये गये हैं। अब परिवादी द्वारा बेइमानीपूर्वक मिथ्या आरोप लगाये गये हैं। विपक्षी सं0-2 के द्वारा जब कभी भी परिवादीगण से अपनी बकाया धनराषि मांगी गयी तब परिवादीगण द्वारा झूठे आरोप लगाये गये। परिवादीगण कोई भी उपषम प्राप्त करने के अधिकारी नहीं हैं। विपक्षी सं0-1 व 2 के मध्य कभी भी प्रिंसिपल और एजेंट का सम्बन्ध नहीं रहा है। विपक्षी सं0-2 उत्तरदाता के द्वारा परिवादी को देय कोई धनराषि बकाया नहीं है। यह स्वीकार्य है कि परिवादीगण का डीमेट खाता कानपुर नगर में है और विपक्षी सं0-2 के द्वारा उक्त खाते में षेयर जमा किये गये थे। परिवादी, विपक्षी सं0-2 के द्वारा दिनांक 25.08.99 से स्पेक्यूलेटिव फारवर्ड ट्रेडिंग कर रहा था। प्रस्तुत परिवाद फोरम के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है। विपक्षी सं0-2 के द्वारा अन्य सभी तथ्यों का खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि परिवाद उपरोक्त कारणों से खारिज किया जाये।
4. परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षी सं0-1 व 3 को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी, लेकिन पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद भी विपक्षी सं0-1 व 3 फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आये। अतः विपक्षी सं0-1 व 3 पर पर्याप्त तामीला मानते हुए दिनांक 13.07.06 को विपक्षी सं0-1 व 3 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही किये जाने का आदेष पारित किया गया।
परिवादीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादीगण ने अपने कथन के समर्थन में देवेन्द्र कुमार गुप्ता काषपथपत्र दिनांकित 06.01.07 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में ट्रांजेक्षन स्टेटमेंट की 9 प्रतियां, नेषलन सिक्योरिटी डिपोजिटरी लि0 के ट्रांजेक्षन स्टेटमेंट की 12 प्रतियां दाखिल किया है।
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6. विपक्षी सं0-2 ने अपने कथन के समर्थन में सुनील कुमार गुप्ता का षपथपत्र दिनांकित 13.12.12 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-1 लिस्ट आफ षेयर आफ एन.एफ.सी.एल., कागज सं0-2 लगायत् 11 लेजर खाता श्री डी.के. गुप्ता, कागज सं0-12 लगायत् 23 सेल बिल की प्रतियां, कागज सं0-24 लगायत् 35 मोर्गन के विरूद्ध प्राप्ति रसीदों की प्रतियां तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
7. फोरम द्वारा परिवादीगण तथा विपक्षी सं0-2 के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं विपक्षी सं0-2 द्वारा दाखिल लिखित बहस का गंभीरतापूर्वक परिषीलन किया गया।
8. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को तथा विपक्षी सं0-2 के विद्वान अधिवक्ता को सुनने तथा विपक्षी स0-2 की ओर से प्रस्तुत लिखित बहस के परिषीलनोपरान्त तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त साक्ष्यों के परिषीलनोपरान्त विदित होता है कि परिवादीगण के द्वारा परिवाद पत्र के प्रस्तर-6 के उप प्रस्तर अ, ब, स, द, ह में उल्लिखित षेयर, जिनका उल्लेख प्रस्तुत निर्णय में ऊपर किया जा चुका है की कुल कीमत ट्रांसफर के समय रू0 2,61,737.00 बतायी गयी है और यह कहा गया है कि उक्त विक्रीत षेयर की धनराषि, बावजूद तलब-तकाजा विपक्षी सं0-2 द्वारा वापस नहीं की गयी। अतः उसके द्वारा प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया। अतः प्रस्तुत मामले में यह देखना है कि क्या परिवादीगण विपक्षीगण से उपरोक्त धनराषि प्राप्त करने के अधिकारी है, और क्या विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई कमी की गयी है। परिवादीगण द्वारा विपक्षी सं0-2 को विपक्षी सं0-1 का एजेंट बताया गया है और विपक्षी सं0-3 को षेयर डिपोजिट करने की संस्था बताया गया है और यह कहा गया है कि विपक्षी सं0-3 के माध्यम से षेयर डीमेट व अन्य के खातों में स्थानान्तरित होते हैं। विपक्षीगण द्वारा, उसके विक्रीत षेयरों की धनराषि रू0 2,61,737.00
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नहीं दी गयी है। यह कार्य सेवा की कमी की कोटि में आता है। परिवादीगण की ओर से किये गये उपरोक्त कथन के खण्डन में विपक्षी सं0-2 के द्वारा यह कहा गया है कि विपक्षी सं0-2 का विपक्षी सं0-1 से किसी प्रकार का कोई सम्बन्ध नहीं है। वास्तव में विपक्षी ंस0-2 परिवादी डी0के0 गुप्ता एवं विद्या गुप्ता के सब एजेंट हैं। डी0के0 गुप्ता और विद्या गुप्ता षेयर के सब-ब्रोकर हैं, जो अपनी एजेंसी अप्रैल 1995 से चला रहे हैं। परिवादीगण द्वारा षेयरों के क्रय-विक्रय का व्यापार विपक्षी सं0-2 के साथ दिनांक 25.08.99 से किया जा रहा है। विपक्षी सं0-2 के द्वारा न्यूनत्म सेवा चार्जेज प्राप्त करने के लिए कभी परिवादीगण के समक्ष कोई प्रपत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। परिवादीगण के द्वारा लगाये गये सभी आरोप मिथ्या एवं स्वनिर्मित हैं। परिवादीगण द्वारा नागार्जुन फर्टीलाइजर के षेयर, विपक्षी सं0-2 को 1999 में विक्रय हेतु दिये गये। इस प्रकार परिवादीगण का यह कथन कि दिनांक 01.01.2000 को विपक्षी सं0-2 द्वारा उनके षेयर क्रय करने एवं विक्रय करने के लिए संपर्क किया गया-झूठा है। विपक्षी सं0-2 की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किये गये कि परिवादी के सभी षेयर जो विपक्षी सं0-2 के द्वारा बेंचे गये की धनराषि उनके खाते में समय-समय पर जमा की चुकी है। परिवादीगण स्वच्छ हाथों से फोरम के समक्ष नहीं आये हैं। परिवादीगण द्वारा वास्तविक तथ्यों को छिपाया गया है। रू0 20,693.00 परिवादीगण पर विपक्षी सं0-2 को दिया जाना बकाया है।
विपक्षी सं0-2 द्वारा अपने कथन के समर्थन में परिवादीगण से सम्बन्धित खाते का विवरण प्रस्तुत किया गया है। जिसका उल्लेख ऊपर किया जा चुका है। उक्त प्रलेखीय साक्ष्य से यह सिद्ध होता है कि परिवादीगण अपने षेयरों के खरीद व बिक्री का कार्य विपक्षी सं0-2 के साथ वर्श 1999 से कर रहे हैं तथा परिवादीगण का जमा धनराषि व घटाई गयी धनराषि का बराबर बैलेंस विपक्षी सं0-2 द्वारा बनाया जाता रहा है। विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रस्तुत उपरोक्त साक्ष्यों के खण्डन में परिवादीगण की ओर से कोई प्रलेखीय साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया गया है।
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जिससे यह सिद्ध होता है कि परिवादीगण स्वच्छ हाथों से फोरम के समक्ष नहीं आये हैं। परिवादीगण के द्वारा कतिपय वास्तविक तथ्यों को फोरम के समक्ष छिपाया गया है। परिवादीगण के द्वारा यह सिद्ध नहीं किया जा सका कि अभिकथित उपरोक्त षेयरों की खरीद व बिक्री, उनके द्वारा मात्र अपने जीवकोपार्जन के लिए किया गया है। बल्कि समस्त तथ्यों से यह सिद्ध होता है कि परिवादीगण के द्वारा विपक्षी सं0-2 के माध्यम से अभिकथित ष्ेायरों की खरीद व विक्रय वाणिज्यिक (कामर्षियल) उद्देष्य से की गयी है। परिवादीगण के द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध किसी प्रकार से सेवा की कमी किया जाना साबित नहीं किया जा सका है और वाणिज्यिक उद्देष्य से षेयरों की खरीद-फरोख्त किया जाना परिवादीगण उपभोक्ता की श्रेणी में भी नहीं आते हैं।
विपक्षी सं0-2 की ओर से इसी फोरम के द्वारा पूर्व में किये गये दो निर्णयों की छायाप्रतियां, उपभोक्ता वाद सं0-122/2002, देवेन्द्र कुमार गुप्ता मे0 मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटी लि0 एवं अन्य व उपभोक्ता वाद सं0- 81/2002 देवेन्द्र कुमार गुप्ता एवं अन्य बनाम मे0 एम0एल0 के0 सिक्योरिटी लि0 दोनों वाद निर्णीत दिनांकित 07.02.13 प्रस्तुत की गयी है, जो कि समान तथ्यों पर आधारित हैं। उक्त परिवाद भी प्रस्तुत मामले के परिवादीगण के द्वारा योजित किये गये हैं। उक्त परिवादों में पारित निर्णयों के आधार पर भी प्रस्तुत परिवाद निरस्त किये जाने के तर्क प्रस्तुत किये गये हैं। उक्त परिवाद मेरे तत्कालीन पूर्व अध्यक्ष व सदस्यों के द्वारा खारिज किये गये हैं। विपक्षी सं0-2 की ओर से अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में विधि निर्णय फिदा हुसैन एवं अन्य बनाम मुरादाबाद डेवलपमेंट अथार्टी एवं अन्य (2011) 12 सुप्रीम कोर्ट केसेस 615 की ओर फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है। मा0 उच्चतम न्यायालय का संपूर्ण सम्मान रखते हुए स्पश्ट करना है कि उपरोक्त विधि निर्णय में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत से प्रस्तुत मामले में मार्गदर्षन प्राप्त होता है, जिसका लाभ विपक्षी सं0-2 को प्राप्त होता है। विपक्षी ंस0-2 की ओर से ही विधि निर्णय मे0
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स्टील सिटी सिक्योरिटीज लि0 बनाम श्री जी0पी0 रमेष एवं अन्य, 2014 (1) सी.पी.आर. 494 (एन.सी.) की ओर फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है, जिसमें मा0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा यह विधिक सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि जहां पर पक्षकार षेयर व्यापार में नियमित रूप से ट्रेडिंग कर रहे हों, वहां उक्त पक्षकार का उक्त कार्य वाणिज्यिक गतिविधि की कोटि में आता है और ऐसी दषा में उक्त पक्षकार उपभोक्ता की कोटि में नहीं आता है।
विपक्षी सं0-2 की ओर से ही विधि निर्णय हीरा कांस्ट्रक्षन एवं अन्य बनाम श्री अषोक बाल कृश्ण जैतपाल 2007 (1) सी.पी.आर. 344 मा0 राज्य आयोग महाराश्ट्र की ओर फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है। मा0 राज्य आयोग महाराश्ट्र का संपूर्ण सम्मान रखते हुए स्पश्ट करना है कि तथ्यों की भिन्नता के कारण उपरोक्त विधि निर्णय में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत का लाभ प्रस्तुत मामले में विपक्षी सं0-2 को प्राप्त नहीं होता है।
उपरोक्तानुसार उपरोक्त प्रस्तरों में दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादीगण का प्रस्तुत परिवाद सही तथ्यों पर प्रस्तुत नहीं किया गया है। परिवादीगण उपभोक्ता की कोटि में नहीं आते हैं। परिवादीगण के द्वारा फोरम के समक्ष वास्तविक तथ्यों को छिपाया गया है। अतः प्रस्तुत परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
ःःःआदेषःःः
9. परिवादीगण का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज किया जाता है। मामले के तथ्यों, परिस्थितियों को दृश्टिगत रखते हुए, यह भी आदेषित किया जाता है कि प्रस्तुत मामले के पक्षकार अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी) (डा0 आर0एन0 सिंह )
सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर। फोरम कानपुर नगर।
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आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी) (डा0 आर0एन0 सिंह )
सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर। फोरम कानपुर नगर।
दिनाँकः 19.05.2015