(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-3004/2003
सेंट्रल बैंक आफ इंडिया, द्वारा सीनियर मैनेजर, मुम्बई मेन आफिस, महात्मा गांधी रोड, फोर्ट मुम्बई 400023 ।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2
बनाम्
1. मोती लाल पुत्र श्री नरोत्तम, निवासी मौजा पठेना, परगना व तहसील मढि़याहूं, जिला जौनपुर।
2. गोमती ग्रामीण बैंक, द्वारा ब्रांच मैनेजर, भानपुर, जौनपुर।
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-1
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री शरद शुक्ला, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 14.02.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-384/1997, मोती लाल बनाम शाखा प्रबंधक गोमती ग्रामीण बैंक तथा एक अन्य में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, जौनपुर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 18.10.2000 के विरूद्ध यह अपील विपक्षी संख्या-2 द्वारा प्रस्तुत की गई है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए अंकन 13,900/-रू0 दिनांक 08.11.1993 से भुगतान की तिथि तक 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस लौटाए जाने हेतु आदेश पारित किया है।
2. इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री शरद शुक्ला उपस्थित आए। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अत: केवल अपीलार्थी के विद्वान
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अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
3. पत्रावली के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी को न्यू इंडिया इं0कं0लि0 द्वारा दुर्घटना के कारण क्षति की पूर्ति के लिए एक चेक दिया गया था, जो परिवादी द्वारा अपने संयुक्त खाते में विपक्षी सं0-1 के बैंक में जमा किया गया, परन्तु इस चेक की राशि कभी भी प्राप्त नहीं हो सकी।
4. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी द्वारा अपना चेक प्रत्यर्थी संख्या-2 के बैंक में जमा किया गया, उन्हें कभी भी यह चेक प्राप्त नहीं हुआ और उनके स्तर से कोई त्रुटि कारित नहीं हुई है। विपक्षीगण द्वारा जिला फोरम के समक्ष कोई लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया, इसलिए उनका कोई कथन सामने नहीं आया, परन्तु यह तथ्य स्थापित है कि परिवादी द्वारा गोमती ग्रामीण बैंक में अंकन 13,900/-रू0 का चेक जमा किया गया, जिसका भुगतान उसे कभी भी प्राप्त नहीं हुआ। चूंकि गोमती ग्रामीण बैंक का लिखित कथन पत्रावली पर मौजूद नहीं है, इसलिए उनका क्या कहना है, यह तथ्य विचार में नहीं लिया जा सकता। अत: अपीलार्थी के इस तर्क को स्वीकार करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है कि उन्हें कभी भी चेक क्लीयरेन्स के लिए प्राप्त नहीं हुआ, इसलिए उनके स्तर से कोई त्रुटि कारित नहीं हुई है। अत: चेक की राशि अदा करने का उत्तरदायित्व केवल गोमती ग्रामीण बैंक पर है। यह अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभेक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 18.10.2000 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि केवल गोमती ग्रामीण बैंक द्वारा ही चेक की राशि अंकन 13,900/-रू0 देय होगी। शेष निर्णय पुष्ट किया जाता है।
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उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3
(मौखिक)
अपील संख्या-2556/2001
शाखा प्रबंधक, गोमती ग्रामीण बैंक बनाम मौती लाल व अन्य
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
15.02.2023
अपील पेश हुई। अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्ता श्री शरद शुक्ला उपस्थित आए।
अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0-1 की अनुपस्थिति के कारण प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
पत्रावली दाखिल दफ्तर की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3