राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-08/2007
(जिला उपभोक्ता आयोग (प्रथम), आगरा द्वारा परिवाद सं0-192/2003 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 08-11-2006 के विरूद्ध)
मै0 इण्टरनेशनल ट्रैक्टर लिमिटेड
बनाम
मोहकम सिंह व दो अन्य
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।
दिनांक :- 18-06-2024.
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्तर्गत, जिला उपभोक्ता आयोग (प्रथम), आगरा द्वारा परिवाद सं0-192/2003 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 08-11-2006 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील के सम्बन्ध में हमारे द्वारा केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा पत्रावली का सम्यक् रूप से परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को निर्देशित किया कि परिवादी द्वारा क्रय किए गए ट्रैक्टर की कीमत अंकन 2,55,000/- रू0 दिनांक 01-12-2001 से 12 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करे और खराब ट्रैक्टर को वापस प्राप्त किया जाए। मानसिक प्रताड़ना के मद में अंकन 10,000/- रू0 एवं परिवाद व्यय के रूप में अंकन 1,000/- रू0 अदा करने के लिए भी आदेशित किया गया।
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परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा एस0बी0आई0 बाह, आगरा से अंकन 2,55,000/- रू0 का ऋण स्वीकृत कराने के पश्चात् विपक्षी सं0-1 से ट्रैक्टर क्रय किया था, जो विपक्षी सं0-2 का अधिकृत डीलर है। इस ट्रैक्टर का पंजीयन कराया गया, जिसका पंजीयन सं0-यू0पी0 80 डब्लू 9277 है। केवल 450 घण्टे ही चलने के बाद वारण्टी अवधि में यह ट्रैक्टर खराब होना शुरू हो गया। इस ट्रैक्टर का साइलेंसर टूटकर गिर गया, जिसके कारण डीजल की खपत ज्यादा होने लगी, इंजन आयल की खपत ज्यादा होने लगी, रेडिएटर टूट गया तथा इंजन ने ठीक से काम करना बन्द कर दिया। विपक्षी से इसकी मौखिक व लिखित शिकायत की गई, परन्तु कोई ध्यान नहीं दिया गया और न ही ट्रैक्टर ठीक किया गया। सलीम खॉं ट्रैक्टर वर्कशॉप ऐत्मादपुर आगरा में दिनांक 10-12-2001 को तथा दिनांक 16-12-2001 को मैसर्स पप्पू ट्रैक्टर वर्कशाप फतेहाबाद आगरा में ट्रैक्टर को दिखाया। दिनांक 04-06-2002 को विपक्षी सं0-1 ने ट्रैक्टर खराब होने की सूचना विपक्षी सं0-2 को लिखित में भेजी, लेकिन ट्रैक्टर ठीक नहीं कराया गया।
विपक्षी सं0-1 ने लिखित कथन में उल्लेख किया कि उन्हें लिखित या मौखिक शिकायत ट्रैक्टर की खराबी के सम्बन्ध में प्राप्त नहीं हुई। ट्रैक्टर खराब होने पर अधिकृत सर्विस सेण्टर पर दिखाना चाहिए था, न कि प्राइवेट वर्कशॉप पर। यह भी कथन किया गया कि वह केवल 03 माह के लिए डीलर रहा। प्रश्नगत ट्रैक्टर विक्रय के बाद डीलरशिप समाप्त हो गई।
विपक्षी सं0-2 का कन है कि वारण्टी अवधि के एक वर्ष बाद परिवाद प्रस्तुत किया गया है, जो समय सीमा से बाधित है। विद्वान जिला आयोग को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है, क्योंकि विपक्षी सं0-2 का कार्यालय दिल्ली में है तथा ट्रैक्टर में खराबी को कोई सीधा सम्बन्ध विपक्षी सं0-2 का नहीं है।
पक्षकारों के साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि वारण्टी अवधि के दौरान् यह ट्रैक्टर खराब हुआ। तदनुसार उपरोक्त वर्णित क्षतिपूर्ति हेतु आदेश विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित किया गया।
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अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि ट्रैक्टर में कोई उत्पाद सम्बन्धी त्रुटि नहीं है। विक्रय करने से पूर्व ट्रैक्टर की गुणवत्ता का परीक्षण किया गया था। जो दो साक्षीयों के शपथ पत्र प्रस्तुत किए गए हैं, वे विशेषज्ञ साक्ष्य नहीं हैं। उनसे जिरह का अवसर नहीं दिया गया। इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा ट्रैक्टर की कीमत वापस अदा करने का दिया गया आदेश अनुचित है।
इस अपील के विनिश्चय के लिए एक मात्र विनिश्चयात्मक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या ट्रैक्टर में निर्माण सम्बन्धी त्रुटि परिवादी द्वारा साबित की गई ?
परिवादी द्वारा ट्रैक्टर की मरम्मत करने के सम्बन्ध में दो साक्षीयों सलीम खॉंन एवं पप्पू के शपथ पत्र प्रस्तुत किए गए हैं, जिन्होंने ट्रैक्टर में निर्माण सम्बन्धी दोष होना बताया है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि ये दोनों ही साक्ष्य विशेषज्ञ साक्ष्य नहीं माने जा सकते हैं। विशेषज्ञ साक्ष्य मानने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि किसी व्यक्ति को उस विषय में शैक्षणिक डिग्री प्राप्त हो। ट्रैक्टर मरम्मत करने वाले मिस्त्री ट्रैक्टर के सम्बन्ध में साक्ष्य देने के लिए पूर्णत: सक्षम हैं, क्योंकि कोई व्यक्ति अपने क्षेत्र में अनुभव एवं दक्षता के आधार पर विशेषज्ञ बनता है, न कि शेक्षणिक योग्यता के आधार पर। इसलिए अपीलार्थी के इस तर्क में कोई बल नहीं है कि सलीम खॉंन तथा पप्पू द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्य शपथ पत्र साक्ष्य में ग्राह्य नहीं है।
विद्वान जिला आयोग ने ट्रैक्टर की त्रुटियों के सम्बन्ध में साक्ष्य की व्याख्या करते हुए अपना निर्णय दिया है, जिसमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने का कोई उचित आधार प्रतीत नहीं होता है।
तदनुसार वर्तमान अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील निरस्त की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग (प्रथम), आगरा द्वारा परिवाद सं0-192/2003 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 08-11-2006 की पुष्टि की जाती है।
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अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
अपीलार्थी द्वारा यदि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत कोई धनराशि जमा की गई हो तो वह सम्पूर्ण धनराशि मय अर्जित ब्याज के सम्बन्धित जिला आयोग को विधि अनुसार शीघ्रातिशीघ्र प्रेषित कर दी जाए ताकि विद्वान जिला आयोग द्वारा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश के सन्दर्भ में उक्त धनराशि का विधि अनुसार निस्तारण किया जा सके।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
दिनांक :- 18-06-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-2.