(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1417/2009
चौ0के0पी0 सिंह/एम0डी0 इनलैण्ड हाउसिंग डवलपमेंट लि0
बनाम
मोहकम सिंह पुत्र श्री जसवन्त सिंह
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री ओ0पी0 दुवेल, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री एस0के0 शुक्ला, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :16.07.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-156/2002, मोहकम सिंह बनाम चौ.के.पी. सिंह चैयरमैन में विद्वान जिला आयोग, अलीगढ़ द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 14.07.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए परिवादी द्वारा जमा की गयी राशि 12,240/-रू0 12 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी संस्था में 06 वर्ष की अवधि के लिए दिनांक 25.11.1995 को एक खाता खोला था। अंकन 500/-रू0 प्रति माह की दर से 12,000/-रू0 जमा कराये थे। परिपवक्ता अवधि 25.11.2000 थी। इसके बाद ज्ञात हुआ है कि विपक्षी कम्पनी बन्द हो चुकी है और जमा करने के लिए कोई व्यक्ति कार्यालय में उपलब्ध नहीं है, इसलिए खाता बन्द करना पड़ा। जिला उपभोक्ता आयोग ने इसी राशि को वापस करने का आदेश पारित किया है।
4. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी द्वारा जो रसीद दाखिल की गयी है, उसमें से केवल 4,930/-रू0 की रसीद स्वीकार होने योग्य है। बाकि रसीदों पर कम्पनी के प्रबंधक के हस्ताक्षर नहीं है, इसलिए हस्तलेख विशेषज्ञ से रिपोर्ट प्राप्त की जानी चाहिए थी।
5. जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष प्रस्तुत किये गये लिखित कथन में जैसा कि निर्णय में उल्लेख है कि पैरा सं0 1 को स्वीकार किया गया है। इस स्वीकृति का तात्पर्य यह है कि अपीलार्थी ने स्वीकार किया है कि वह कम्पनी के चैयरमैन तथा एम0डी0 हैं, इसलिए किसी भी कम्पनी के चैयरमैन एवं एम0डी0 के विरूद्ध उपभोक्ता परिवाद योजित किया जा सकता है। हस्तलेख विशेषज्ञ को प्रस्तुत करने का उत्तरदायित्व अपीलार्थी पर था न कि परिवादी पर क्योंकि रसीदों पर विपक्षी कम्पनी के किसी कर्मचारी के हस्ताक्षर न होने के कथन का उल्लेख विपक्षी द्वारा किया गया है न कि परिवादी द्वारा। इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश मे हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2