राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-455/2022
(जिला उपभोक्ता आयोग, वाराणसी द्धारा परिवाद सं0-131/2016 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05.3.2022 के विरूद्ध)
फ्यूचर जनरली इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, आफिस 6वॉ तल, टावर-3, इण्डिया बुल्स फाइनेंस सेंट सेनापति बपत रोड, एलफिनस्टोन रोड, मुम्बई-400013
फ्यूचर जनरली इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, ब्रांच आफिस थर्ड फ्लोर, टी0वी0एस0 बिल्डिंग, डी-58/12-यू-1, सिगरा, वाराणसी-211010
........... अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
मोहम्मद जाहिद पुत्र अनवर हुसैन, निवासी एस-6/6, अर्दली बाजार, जिला-वाराणसी-221002
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री प्रसून श्रीवास्तव
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री सुशील कुमार शर्मा के सहयोगी श्री नन्द
कुमार
दिनांक :- 08-7-2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी फ्यूचर जनरली इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, वाराणसी द्वारा परिवाद सं0-131/2016 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05.3.2022 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने एक हुण्डई कार दिनांक 13.3.2015 को अपने व्यक्तिगत उपयोग हेतु क्रय की थी, जिसका बीमा अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से दिनांक 13.3.2015 से 12.3.2016 तक की
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अविध के लिए (प्राइवेट कार पैकेज पालिसी) मु0-23,938.00 रू0 बीमा प्रीमियम का भुगतान कर प्राप्त किया गया जिसका नवीनीकरण दिनांक 13.3.2016 से 12.3.2017 तक की अवधि हेतु मु0 22,000.00 रू0 का प्रीमियम अदा कर कराया गया था।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी दिनांक 15/16.4.2016 को अपनी उपरोक्त कार से वाराणसी से बलिया जा रहा था कि रसड़ा के पास अचानक साइकिल सवार को बचाने के कारण उसकी कार खाई में गिर गई एवं कार का निचला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया तथा कार के चैम्बर से मोबिल इत्यादि बह गया तथा कार को टोचन कर अधिकृत सर्विस सेंटर हुण्डई कार्स, शिवा हुण्डई सर्विस, राजधानी रोड निकट कृष्णा टाकीज बाहरी, बलिया लाया गया जिसकी सूचना अपीलार्थी/विपक्षी को दी गई तथा सूचना के आधार पर सर्विस सेंटर ने कार के सभी पार्ट्स को चेक कर उसमें इंजन आयल, मोबिल इत्यादि भरा तथा कार में आई अन्य खराबियों को ठीक किया, जिसके संदर्भ में सर्विस सेंटर द्वारा मु0 25,999.00 रू0 का बिल बनाया।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि कार के ठीक होने पर जब उक्त सर्विस सेंटर के सर्विस इंजीनियर ने कार को स्टार्ट कर टेस्ट ड्राइव लेना चाहा तो कार के टर्बों से आवाज आने लगी तथा चेक करने पर पता चला कि टर्बो चार्जर क्षतिग्रस्त हो गया है, जिसकी पुष्टि शिवा हुण्डई सर्विस सेंटर द्वारा अपने पत्र दिनांकित 18.6.2016 के माध्यम से की गई। विपक्षी हुण्डई सर्विस सेंटर द्वारा मु0 61,143.00 रू0 का टर्बो चार्जेज को ठीक व मरम्मत करने का बिल बनाया गया जिसके सम्बन्ध में नकद रू0 10,000.00 अग्रिम के रूप में प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा सर्विस सेंटर को अदा की गई तथा उक्त के संबंध में अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी के सर्वेयर को अवगत भी कराया गया।
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परिवाद पत्र के अनुसार सर्वेयर द्वारा पुन: निरीक्षण करने पर वाहन के क्षतिग्रस्त होने की पुष्टि की गई एवं शिवा हुण्डई सर्विस सेंटर ने उसकी मरम्मत कर 87,585.00 रू0 का बिल बनाया। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा यह भी का कथन किया गया कि चूंकि पालिसी कैशलेस थी, इसलिए कुल बिल में से वाहन की मरम्मत हेतु केवल 1,000.00 रू0 ही प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा दिया जाना था तथा शेष धनराशि का भुगतान बीमा कम्पनी द्वारा किया जाना था। प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा बिना प्रत्यर्थी/परिवादी की अनुमति के एकपक्षीय रूप से रू0 21,200.00 दिनांक 23.6.2016 को पार्ट पेमेंट के रूप में उसके खाते में अंतरित कर दिया है।
यह भी कथन किया गया कि सर्वेयर द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी से अवैध रूप से धन की मॉग की गई एवं इंकार करने पर प्रत्यर्थी/परिवादी का दावा निरस्त कर दिया गया, अत्एव प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध सेवा में कमी व अनुचित व्यापार व व्यवहार के कारण जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद रू0 65,480.00 मय ब्याज तथा क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से अपना लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद पत्र का विरोध किया गया तथा यह कथन किया कि परिवाद असत्य कथनों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है। यह भी कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा बीमित अवधि में वाहन सं0-यू0पी065 बी.एक्स.8005 दिनांक 16.4.2016 को सायंकाल 9.30 बजे रसड़ा बलिया जिला के पास एक साइकिल सवार को बचाने में वाहन असंतुलित होकर रोड के किनारे गड्ढे में रखे पत्थर/बोल्डर पर जाकर चढ जाने से क्षतिग्रस्त होने पर उसे मैसर्स शिवा आटोमोबाईल प्रा0लि0 बलिया के गैराज में लाकर विपक्षी को सूचना दी गई एवं सूचना के आधार पर अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा विशेषज्ञ श्री
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एस0के0 तिवारी को क्षतिग्रस्त वाहन का सर्वे करने हेतु नियुक्त किया गया, जिनके द्वारा दिनांक 22.4.2016 को मैसर्स शिवा आटोमोबाईल प्रा0लि0 बलिया के गैराज/प्रतिष्ठान में जाकर क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण किया गया तथा क्षतिग्रस्त वाहन का आयल पेन एवं सामने के कैरियर के क्षतिग्रस्त होने की सूचना अपनी रिपोर्ट में उल्लिखित की गई।
अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा अपने लिखित कथन में यह भी उल्लिखित किया गया है कि सर्वेयर द्वारा क्षतिग्रस्त पार्ट्स के स्थान पर नये पार्ट्स लगाने का खर्च एवं क्षतिग्रस्त वाहन को दुर्घटनास्थल से ले जाने का खर्च प्रदर्शित करने हुए वाहन में कुल अनुमानित खर्च रू0 19,782.00 में से एक्सिस क्लाज के अनुसार रू0 1,000.00 की कटौती एवं क्षतिग्रस्त पार्ट्स की कीमत रू0 840.00 समायोजित करते हुए मु0 17,942.00 रू0 हेतु अपनी आख्या अनुमोदन की। यह भी कथन किया गया कि सर्वेयर द्वारा टर्बोचार्जर ऐसेसरीज के क्षतिग्रस्त होने की आख्या नहीं दी गई है, इसलिस टर्बोचार्जर की क्षति स्वीकार योग्य नहीं है।
अपीलार्थी की ओर से यह भी कथन किया गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा क्षतिग्रस्त वाहन के स्थल निरीक्षण का अवसर बीमा कम्पनी को नहीं दिया गया एवं प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा सर्वेयर को मरम्मत खर्च की रसीद उपलब्ध नहीं करायी गई। यह भी कथन किया गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा क्षति दावे में भुगतान से पूर्व सहमति पत्र पर स्वेच्छा से सम्पूर्ण संतुष्टि में अपना हस्ताक्षर किया है एवं भुगतान प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते में दिनांक 23.6.2016 को ही हो गया है तथा एक बार सम्पूर्ण संतुष्टि में भुगतान हो जाने के उपरांत बीमाधारक एवं सेवा प्रदानकर्ता के बीच का संबंध समाप्त हो जाता है, इसलिए परिवाद पोषणीय नहीं है। प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रतिकर प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है
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एवं अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में कमी अथवा अनुचित व्यापार व्यवहार नहीं किया गया है, इसलिए परिवाद निरस्त होने योग्य है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
"परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह इस आदेश की तिथि से 30 (तीस दिन) के अन्दर मु0-65,480.00 (पैसठ हजार चार सौ अस्सी रूपये) का भुगतान परिवादी को करें। साथ ही साथ परिवादी विपक्षी बीमा कम्पनी से वाद व्यय के रूप में मु0-3,000.00 (तीन हजार रूपये) भी पाने का अधिकारी होगा।
जिला उपभोक्ता आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा मात्र प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से प्रस्तुत अभिकथनों के आधार पर निर्णय पारित किया गया है, जो कि पूर्णत: विधि सम्मत नहीं है एवं जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय तथ्य और विधि के विरूद्ध है और निरस्त किए जाने योग्य है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा मैसर्स शिवा हुण्डई सर्विस सेन्टर को परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया गया है, जिसके कारण सम्पूर्ण साक्ष्य जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख नहीं आ सका है। यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा सर्वेयर द्वारा आंकलित धनराशि पर विचार न करते हुए जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है वह विधि सम्मत नहीं है। यह भी कथन किया गया कि
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अपीलार्थी/बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है, अत्एव अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि सम्मत है तथा उसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है तथा अपील निरस्त किये जाने की प्रार्थना की गई।
हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्व्य को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
निर्विवादित रूप से वर्तमान प्रकरण में यह पाया जाता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से प्राइवेट कार पैकेज के अन्तर्गत ''कैशलेस बीमा पालिसी'' प्राप्त की गई है तथा दिनांक 16.4.2016 को सायंकाल 9.30 बजे रसड़ा बलिया-जिला के पास एक साइकिल सवार को बचाने में प्रश्नगत वाहन असंतुलित होकर क्षतिग्रस्त हो गया, प्रश्नगत वाहन को मैसर्स शिवा आटोमोबाईल प्रा0लि0 बलिया के गैराज में लाकर अपीलार्थी/विपक्षी को सूचित भी किया गया। वर्तमान प्रकरण में यह भी पाया गया कि अपीलार्थी/बीमा कम्पनी द्वारा क्षतिग्रस्त वाहन के सम्बन्ध में सर्विस सेंटर द्वारा प्रश्नगत कार की मरम्मत में हुए व्यय की धनराशि के भुगतान से बचने हेतु प्रस्तुत अपील योजित की गई है, जो कि अपीलार्थी की दूषित मंशा को प्रकट करती है।
हमारे द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि अनुकूल है तथा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जो अनुतोष अपने प्रश्नगत निर्णय/आदेश में प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रदान किया गया है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता
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द्वारा अपील स्तर पर इंगित नहीं की जा सकी है, अत्एव प्रस्तुत अपील बलहीन होने के कारण निरस्त की जाती है।
अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्त निर्णय/आदेश का अनुपालन 30 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेगें।
अपील में धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को विधिनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट नं0-1