राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-3374/1999
1-रिजनल प्रोविडेन्ट फन्ड कमीश्नर, निधि भवन, सर्वोदय नगर, कानपुर।
2-असिस्टेन्ट प्रोविडेन्ट फन्ड कमीश्नर, 35-बी/3, रामपुर, बाग बरेली। अपीलार्थीगण
बनाम
1-मो0 युनुस सिद्दीकी, पुत्र श्री मो0 युनुफ सिद्दीकी मो0 कूचा काजो सिटी एण्ड जिला-रामपुर।
2-उपभोक्ता संरक्षण जिला फोरम, रामपुर। प्रत्यर्थीगण
समक्ष:-
1 मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा पीठासीन सदस्य।
2-मा0 श्री राम चरन चौधरी सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित। विद्वान अधिवक्ता श्री एस0 पी0 पाण्डेय।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित। कोई नहीं।
दिनांक-09-12-2014
मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा पीठासीन, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-200/1997 युनुस सिद्दीकी बनाम 1-असिस्टेन्ट प्रोविडेन्ट फन्ड कमीश्नर 35-बी/3, रामपुर बाग बरेली। 2-दी रिजनल प्रोविडेन्ट फन्ड कमीश्नर निधि भवन सर्वोदय नगर कानुपर। 3- दी स्टेट आफ यू0 पी0 द्वारा कलेक्टर रामपुर। 4-दी सचिव रामपुर केन डिवीजन एण्ड कार्पोरेशन यूनियन लिमिटेड रामपुर। 5-दी डिस्ट्रीक केन आफिसर सिविल लाइन्स रामपुर, जिला मंच रामपुर द्वारा दिनांक 30-07-1999 को निर्णय पारित करते हुए निम्न लिखित आदेश पारित किया है।
" परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है और प्रतिवादीगण 1,2,4 और 5 को यह आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को उसके प्रोविडेन्ट फन्ड की धनराशि व उस पर जनवरी 91 से जुलाई 97 तक का ब्याज 5,000/-रू0 तथा 2,000/-रू0 क्षतिपूर्ति के रूप में तथा जुलाई 97 तक प्रोविडेन्ट की धनराशि रूपये 4938.78/-रू0 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से तथा उस पर भुगतान की तिथि तक ब्याज इस आदेश के एक माह के अन्दर करें। "
उक्त वर्णित आदेश से क्षुब्ध होकर विपक्षीगण 1 व 2 रिजनल प्रोविडेन्ट फन्ड कमीश्नर कानपुर एवं असिस्टेन्ट प्रोविडेन्ट फन्ड कमीश्नर बरेली द्वारा वर्तमान अपील योजित किया गया।
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अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एस0 पी0 पाण्डेय एडवोकेट उपस्थित हुए एवं प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं जब कि प्रत्यर्थी श्री हरि प्रसाद श्रीवास्तव एडवोकेट के माध्यम से उपस्थित हो चुका है परन्तु बहस के समय प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ यह अपील सन् 1999 से लम्बित है अत: अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री एस0 पी0 पाण्डेय एडवोकेट को सुना गया एवं प्रश्नगत निर्णय व उपलब्ध अभिलेखों का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
प्रकरण संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्यर्थी रामपुर केन डेबलपमेन्ट एण्ड कार्पोरेशन एण्ड यूनियन लिमिटेड में लिपिक के पद से सेवानिवृत्त हुआ था और उसे प्रोविडेन्ट फन्ड का 10 प्रतिशत का भुगतान नहीं किया गया था उसी के संदर्भ में ब्याज सहित भुगतान हेतु परिवाद प्रस्तुत किया गया था। जिला मंच के समक्ष विपक्षीगण/अपीलार्थीगण उपस्थित हुए और स्पष्ट रूप से यह अभिवचित किये कि प्रतिवादी गण 1 व 2 अपीलार्थीगण 1 व 2 के संदर्भ में प्रश्नगत परिवाद पोषणीय नहीं है एवं परिवादी विपक्षीगण 4 व 5 से भुगतान प्राप्त कर सकता है। जिला मंच द्वारा विपक्षीगण 4 और 5 के अतिरिक्त विपक्षीगण 1 व 2 के संदर्भ में भी प्रश्नगत आदेश पारित किया गया है जिससे क्षुब्ध होकर विपक्षीगण 1 व 2/अपीलार्थीगण 1 व 2 की ओर से अपील योजित किया गया है। यहां इस बात का उल्लेख करना उचित प्रतीत होता है कि विपक्षी 4 और 5 की ओर से कोई अपील योजित नहीं है।
आधार अपील में स्पष्ट रूप से यह अभिवचित किया गया कि रामपुर गन्ना एवं विकास सहकारी समिति लिमिटेड भविष्य निधि अधिनियम के अन्तर्गत एक आवृत्त (कवर्ड) प्रतिष्ठान था उक्त संस्थान मा0 उच्च न्यायालय के आदेश जो सन् 1973 में पारित किया गया, प्रदेश की सहकारी समितियां भविष्य निधि अधिनियम से मुक्त हो गया और सन् 1973 के बाद से अपीलार्थीगण का कोई दायित्व फण्ड के रख-रखाव और भुगतान का शेष नहीं रहा एवं परिवादी को वस्तुत: अपने सेवा योजक से भविष्य निधि प्राप्त करना चाहिए था जो वर्तमान प्रकरण में विपक्षीगण 4 और 5 के रूप में अभिवचित हैं और जिनके संदर्भ में जिला मंच द्वारा आदेश भी पारित किया गया है।
प्रश्नगत धनराशि की अदायगी की जिम्मेदारी विपक्षीगण 1, 2 अपीलार्थीगण 1 और 2 पर होना नहीं पाया जाता और इस संदर्भ में आधार अपील में बल पाया जाता है अत: प्रश्नगत अपील अंशत: स्वीकार करते हुए अपीलार्थीगण के संदर्भ में जिला मंच का आदेश अपास्त किये जाने योग्य है।
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आदेश
अपील अंशत: स्वीकार करते हुए परिवाद संख्या-200/1997 युनुस सिद्दीकी बनाम 1-असिस्टेन्ट प्रोविडेन्ट फन्ड कमीश्नर 35-बी/3, रामपुर बाग बरेली। 2-दी रिजनल प्रोविडेन्ट फन्ड कमीश्नर निधि भवन सर्वोदय नगर कानुपर के संदर्भ में जिला मंच रामपुर द्वारा पारित आदेश दिनांक 30-07-1999 अपास्त किया जाता है।
वाद व्यय पक्षकार अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(जितेन्द्र नाथ सिन्हा) (राम चरन चौधरी)
पीठासीन सदस्य सदस्य
मनीराम आशु0-2
कोर्ट- 4