(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील सं0 :-2632/2014
(जिला उपभोक्ता आयोग, (प्रथम) आगरा द्वारा परिवाद सं0-556/2012 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21/10/2014 के विरूद्ध)
- HDFC ERGO General Insurance Co. Ltd. Second Floor, Ajanta Plaza, Next to Ajanta Theatre, M.G. Road, Agra through its manager-claims Sri Pankaj Kumar, posted at its office at 5th floor, tower-1, stellar I.T. Park, C-25 Sector 62, Noida
- Mr. Baljinder Singh (Motor Claims Department) HDFC ERGO General Insurance Co. Ltd 205-A Ratan Square, Vidhan Sabha Marg Lucknow.
- Mr. Naveen Tandon (Regional Claims manager, North), HDFC ERGO General Insurance co. Ltd 208, 2nd Floor Sewa corporate Suits, M.G. Road, Gurgaon.
- Appellants
Vs
Mohd. Qayyum S/o Moharram Ali r/o Mohalla Hadi Nagar, Near Sewa Corporate Suits, M.G. Road, Gurgaon.
………… Respondent
समक्ष
- मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य
- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
उपस्थिति:
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:-श्री टी0जे0एस0 मक्कड़
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:-श्री एस0पी0 पाण्डेय
दिनांक:-04.09.2023
माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- जिला उपभोक्ता आयोग, (प्रथम) आगरा द्वारा परिवाद सं0 556/2012 मो0 कयूम बनाम श्री बलजिन्द सिंह व अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 21.10.2014 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
- संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि प्रश्नगत निर्णय व आदेश विधि विरूद्ध है। विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने साक्ष्य का अवलोकन नहीं किया। सेवा में कोई कमी नहीं है। विद्धान जिला फोरम ने यह नहीं देखा कि पॉलिसी छल कपट द्वारा प्राप्त की गयी है, जबकि जांच के उपरान्त यह ज्ञात हुआ कि कथित पॉलिसी 12.06.2011 को समाप्त हो चुकी थी, जबकि परिवादी ने 06.10.2011 को पॉलिसी ली, जिसमें उसने पुरानी पॉलिसी की तिथि गलत बतायी। विद्धान जिला फोरम ने यह नहीं देखा कि घटना 08.10.2011 को हुई है और इसकी सूचना बीमा कम्पनी को 40 दिन बाद दी गयी। अपीलार्थी को स्थल निरीक्षण करने का मौका भी नहीं मिला। अनुवेषक ने इस मामले में 2,40,247/- रूपये का मूल्यांकन किया है। अत: माननीय आयोग से अनुरोध है कि वर्तमान अपील स्वीकार करते हुए प्रश्नगत निर्णय/आदेश अपास्त किया जाये।
- अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री टी0जे0एस0 मक्कड़ एवं प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एस0पी0 पाण्डेय को सुना गया। पत्रावली का सम्यक परिशीलन किया गया।
- परिवाद के कथन के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी जायलो कार सं0 यू0पी081एवी/3786 का स्वामी है, जो उन्होंने दिनांक 25.05.2009 को खरीदी थी, जिसका बीमा विपक्षीगण के यहॉ से हुआ था। वाद में यह बीमा अवधि दिनांक 13.06.2010 से 12.06.2010 तक और दिनांक 06.10.2011 से 24.08.2012 तक बढ़ायी गयी थी। बीमा की अवधि दिनांक 12.06.2011 को समाप्त हो गयी थी। इसको जारी रखने के लिए मु0 22438 अतिरिक्त प्रीमियम विपक्षीगण को दिया गया था। इस प्रकार यह पालिसी दिनांक 06.10.2011 से मु0 5.10.2012 तक के लिए हुई थी। दिनांक 08.10.2011 को जौनपुर रोड पर थाना सराय ख्वाजा के क्षेत्र में अपरान्ह 1 बजे कार दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। तीन व्यक्ति की मृत्यु हो गयी। इस बावत प्रथम सूचना रिपोर्ट भी दर्ज करायी गयी। कार चालक दुर्घटना स्थल से भाग गया और जब प्रत्यर्थी/परिवादी को पता चला तब 12.10.2012 को बीमा कम्पनी को सूचना दी गयी तथा श्री सेयद गुलाम जिलानी एडवोकेट के माध्यम से एक नोटिस पंजीकृत डाक से बीमा कम्पनी को भेजा गया, बाद में ड्राइवर ने संबंधित न्यायालय से अपनी जमानत करायी और प्रत्यर्थी/परिवादी ने वाहन को न्यायालय के आदेश से मुक्त कराया। कम्पनी के सर्वेयर आर0के0 गुप्ता ने निरीक्षण किया। फोटोग्राफस लिया फिर पप्पू विश्वकर्मा मोटर गैरेज सुल्तानपुर में मरम्मत करायी गयी तथा आटो मूवर्स प्रा0लि0 चिनहट फैजाबाद रोड से हिस्से पुचे खरीदें गये जो मु0293747 के थें तथा गैरेज का खर्चा मु0 105200 आया, कम्पनी से कलेम मांगा गया। कम्पनी ने क्लेम खारिज कर दिया इसलिए यह परिवाद प्रस्तुत किया गया।
- अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से यह कहा कि सूचना 40 दिन बाद दी गयी, जो पॉलिसी की शर्त का उल्लंघन है, पहला बीमा समाप्त हो चुका था और 4 महीने बाद गलत नियत से बीमा कराया गया था। विद्धान जिला आयोग ने कहा कि प्रत्यर्थी/परिवादी मौके पर नहीं था और जब उसे जानकारी हुई तब उसने बीमा कम्पनी को सूचना भेज दी, जिस पर कम्पनी ने सर्वेयर भी नियुक्त किया। विद्धान जिला आयोग ने समस्त तथ्यों पर विचार करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया:-
‘’परिवादी का परिवाद विपक्षीगण मु0 405947 की वसूली हेतु स्वीकार किया जाता है। इस धनराशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 30.10.2012 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत साधारण ब्याज की दर से ब्याज भी परिवादी विपक्षीगण से प्राप्त करेगा।
विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्त धनराशि का भुगतान परिवादी का निर्णय के एक माह के अन्दर करे।‘’
- जब बीमा कम्पनी ने पिछले दिनांक से बीमा किया और प्रत्यर्थी/परिवादी ने कोई लिखित उदघोषणा नहीं की कि उसका पूर्व बीमा कब समाप्त हुआ, तब बिना पूर्व बीमा प्रपत्रों का अवलोकन किये बीमा कम्पनी द्वारा बीमा करना उसकी लापरवाही का प्रतीक है। कवर नोट में यह बीमा 06.10.2011 से 05.10.2012 का है और यही माना जायेगा। पहले का बीमा की अवधि समाप्त हो गयी थी। इस बारे में अपीलार्थी ने कोई जानकारी प्राप्त नहीं की। घटना की एफ0आई0आर0 त्वरित रूप से लिखा दी गयी थी। अत: ऐसी स्थिति में विलम्ब से सूचना देने का कोई विपरीत प्रभाव दावे पर नहीं पड़ता है।
- इस प्रकार वर्तमान मामले में हम यह समझते हैं कि प्रश्नगत निर्णय व आदेश विधिसम्मत है, इसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है। अत: अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
अपील निरस्त की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपीलीय वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार)(राजेन्द्र सिंह)
निर्णय/आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उदघोषित किया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह) सदस्य सदस्य
04.09.2023
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2