(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2861/2018
मैसर्स श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्स कं0लि0, द्वारा अधिकृत रिप्रिजेन्टेटिव, रिजनल आफिस ई-ब्लाक, सूरजदीप काम्पलेक्स, जॉपलिंग रोड, लखनऊ।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
1. मो0 नईम पुत्र इलियास, निवासी ग्राम नंदरौली, पोस्ट व तहसील बीकापुर, थाना कोतवाली बीकापुर, फैजाबाद।
2. हरिबक्श वर्मा पुत्र सूर्यबली वर्मा, निवासी ग्राम व पोस्ट शेरपुर पारा, थाना कोतवाली बीकापुर, फैजाबाद।
प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री समन्वय धर द्विवेदी।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 18.10.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-227/2016, मो0 नईम तथा एक अन्य बनाम जनरल मैनेजर, श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्स कं0लि0 तथा दो अन्य में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, फैजाबाद द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 19.11.2018 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद अंशत: स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया है कि चूंकि परिवादी द्वारा लिए गए ऋणी की समस्त धनराशि जमा कर दी गई है, इसलिए उनके पक्ष में अदेयता प्रमाण पत्र जारी किया जाए और यदि एक माह के अन्दर यह प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाता है तब अंकन 20 हजार रूपये परिवादी संख्या-1 को अदा किए जाए। यह भी आदेशित किया गया कि सम्भागीय परिवहन अधिकारी
-2-
फैजाबाद के यहां से गिरवी का इंद्राज कटवा दें। विपक्षीगण द्वारा जारी मांग पत्र दिनांक 30.07.2016 भी निरस्त किया गया और अंकन 05 हजार रूपये परिवाद व्यय अदा करने का आदेश दिया गया।
2. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री समन्वय धर द्विवेदी उपस्थित आए। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्यर्थीगण को पंजीकृत नोटिस दिनांक 22.07.2022 को निर्गत की गई थी, जो अदम तामील वापस प्राप्त नहीं हुई है। अत: प्रत्यर्थीगण पर नोटिस की तामीली की उपधारणा की जाती है। केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी द्वारा स्वंय किश्तों का भुगतान नहीं किया गया, इसलिए देरी का ब्याज बकाया है। बीमा कराने के लिए परिवादी को वाहन क्रय करने के लिए दिए गए ऋण के अतिरिक्त अंकन 21,930/- रूपये अदा किए गए थे, इस राशि को वापस प्राप्त करने के लिए भी अंकन 2,891/- रूपये की किश्त नियत की गई थी, इस धनराशि के संबंध में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने कोई निष्कर्ष नहीं दिया है। निर्णय एवं आदेश के अवलोकन से ज्ञात होता है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादी द्वारा उठाए गए समस्त बिन्दुओं पर विस्तृत निष्कर्ष दिया है। अत: विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई अवसर नहीं है सिवाय इसके कि आदेश में वर्णित अदेयता प्रमाण पत्र देरी से जारी करने पर अंकन 20 हजार रूपये के अर्थदण्ड की राशि को समाप्त किया जाए। इसी प्रकार परिवाद व्यय के रूप में अंकन 5,000/- रूपये की राशि को भी समाप्त किया जाए।
4. प्रस्तुत केस की परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए पक्षकारों को अपना-अपना व्ययभार स्वंय वहन करने का आदेश दिया जाना चाहिए। अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
-3-
आदेश
5. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 19.11.2018 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि विपक्षीगण इस आयोग द्वारा पारित आदेश की तिथि से एक माह के अन्दर परिवादी को अदेयता प्रमाण पत्र जारी करें। यदि इस अवधि के अन्दर अदेयता प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाता है तब परिवादी विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष निष्पादन कार्यवाही कर सकता है। अंकन 20 हजार रूपये की अदायगी तथा अंकन 5,000/- रूपये की अदायगी से संबंधित आदेश अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगें।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2