राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-362/2020
1- बजाज एलियांज लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लि0 द्वारा ब्रांच मैनेजर प्रमोद बाजार, स्टेशन रोड घोसियाना, प्रीति बिहार कालोनी, सिविल लाइन बाराबंकी उ0प्र0 225001
2- मैनेजिंग डायरेक्टर, बजाज एलियांज लाइफ इंश्योरेंस कं0लि0, जी0ई0 प्लाजा, 5वीं मंजिल, बी-विंग एयरपोर्ट रोड, यर्वदा, पुणे (महाराष्ट्र) 411006
..............अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम
मोहम्मद फारूख बालिग पुत्र शाकिर अली, निवासी म0नं0-552 ग्राम औरंगाबाद पोस्ट सोमैयानगर तहसील नवाबगंज, जिला बाराबंकी।
.............प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थीगण के अधिवक्ता : श्री प्रसून श्रीवास्तव
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री विनीत कुमार
दिनांक :- 12.9.2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से इस आयोग के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी द्वारा परिवाद सं0-178/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23.12.2019 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी की पत्नी परवीन जहाँ द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण के यहाँ से एक पालिसी संख्या-0335726134 बीमित धनराशि रू0 4,00,000.00 दिनांक 28.6.2017 को प्राप्त की गई थी। प्रत्यर्थी/परिवादी की पत्नी परवीन जहाँ का स्वर्गवास अचानक दिनांक 29.7.2017 को हो गया, तदोपरांत प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा बीमा क्लेम से सम्बन्धित समस्त
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औपचारिकतायें पूर्ण की गई एवं प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 को क्लेम फार्म कूरियर के माध्यम से भेज दिया, जो उसके अभिलेखों में दिनांक 05.3.2018 को दर्ज हुआ। अपीलार्थी/विपक्षीगण का एक पत्र दिनांकित 09.4.2018 को काफी विलम्ब से प्रत्यर्थी/परिवादी को प्राप्त हुआ। उक्त क्लेम फार्म में यह उल्लेख था कि प्रत्यर्थी/परिवादी की पत्नी "प्री प्रस्ताव मौत/नकली मौत प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया। धोखा-धड़ी के लिए लगाये गये पूर्व मृत जीवन धोखेबाज अधिनियम पर प्राप्त नीति" और इस आधार पर प्रत्यर्थी/परिवादी का क्लेम नो क्लेम कर दिया गया। जब प्रत्यर्थी/परिवादी अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 के यहाँ क्लेम फार्म लेकर गया तो उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी महिला के गलत तथ्य अंकित करा देने के कारण नो क्लेम कर दिया गया। वाद का कारण अपीलार्थी/विपक्षी का पत्र दिनांकित 09.4.2018 प्राप्त होने के उपरान्त उत्पन्न हुआ है। उपरोक्त समस्त कारणों से परिवादी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है अत्एव क्षुब्ध होकर परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ न ही कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया अत्एव जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से अग्रसारित की गई।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादी के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को एकपक्षीय रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया:-
"तद्नुसार परिवाद, परिवादी को रू0 4,00,000.00 (रूपये चार लाख मात्र) बीमा क्लेम की धनराशि के लिये स्वीकार किया जाता है।
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इस धनराशि को विपक्षीगण परिवादी को पैतालिस दिन के अंदर नियमानुसार अदा करेगें अन्यथा इस धनराशि पर दावे की तिथि 16.11.2018 से वसूली की तिथि तक छः प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज देय होगा। इस संबंध में परिवादी को विपक्षीगण रू0 2,000.00 (रूपये दो हजार मात्र) वाद व्यय भी पैंतालिस दिन में अदा करेगें।''
जिला उपभोक्ता आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/विपक्षीगण/बीमा कम्पनी की ओर से प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
मेरे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्व्य के कथनों को विस्तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्व्य के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश विधि सम्मत है, परन्तु जहॉ तक विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने प्रश्नगत आदेश में अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध बीमित धनराशि को पैंतालिस दिन की अवधि में अदा न किये जाने पर, दावे की तिथि दिनांक 16.11.2018 से वसूली की तिथि तक 06 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की देयता निर्धारित की गई है, वह अनुचित प्रतीत हो रही है, अत्एव वाद के सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों तथा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्व्य की सहमति से उसे समाप्त किया जाना उचित प्रतीत हो रहा है, तद्नुसार ब्याज की देयता को समाप्त किया जाता है। प्रस्तुत अपील
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आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। निर्णय/आदेश का शेष भाग यथावत कायम रहेगा।
अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें। अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1