राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-809/2007
(जिला उपभोक्ता फोरम, शाहजहांपुर द्वारा परिवाद संख्या 378/2003 में पारित निर्णय दिनांक 16.03.07 के विरूद्ध)
मै0 कृष्णा कोल्ड स्टोरेज, अटसलिया जिला शाहजहांपुर द्वारा
प्रोपराइटर, राकेश चंद्र सेठ। .......अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
1.मो0 जाहिर पुत्र मोहम्मद नबी
2.मो0 साहिल पुत्र मो0 जाहिर
दोनों निवासी मोहल्ला तारीन गाड़ीपुरा जिला शाहजहांपुर।
........प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण
समक्ष:-
1. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री वी0एस0 बिसारिया, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :श्री आर0के0 गुप्ता, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 06.12.2018
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम शाहजहांपुर द्वारा परिवाद संख्या 378/2003 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 16.03.2007 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है। जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया है:-
‘’ परिवादी का परिवाद स्वीकृत करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह तीन माह के अंदर रू. 167077/- परिवादी को अदा करेंगे। परिवादी रू. 500/- परिवाद व्यय प्राप्त करने का अधिकारी होगा।‘’
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी संख्या 1 ने विपक्षी कोल्ड स्टोरेज में मार्च 2003 में 686 बोरा आलू रखा। एक बोरे आलू का वजन 80 किलो था। इसी प्रकार परिवादी संख्या 1 ने परिवादी संख्या 2 के नाम 63 बोरा आलू रखा। इस प्रकार कुल 749 बोरा विपक्षी कोल्ड स्टोरेज में रखे। विपक्षी ने
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जुबानी तौर पर प्रति बोरा कुल किराया 70 रूपये बतलाया था, जबकि नियमानुसार 52 रूपये प्रति बोरा ही लिया जा सकता था। विपक्षी ने बिना अनुमति के 510 बोरा आलू 168 रूपये प्रति बोरे की दर से एवं 60 बोरा आलू 250 रूपये प्रति बोरा की दर से बेच दिया, जिसकी कुल कीमत रू. 96341/- थी। विपक्षी ने दि. 21.10.03 को रू. 24000/- परिवादी संख्या 1 से बतौर अग्रिम किराया अपने पास जमा कराया। 179 बारा आलू अभी भी विपक्षी के पास भंडारित है, जो विपक्षी के मांगने के बावजूद भी वापस नहीं किया। दि. 05.11.03 को परिवादी ने विपक्षी से अपना आलू व किराया वापस मांगा तो कर्मचारियों द्वारा जो आलू उपलब्ध कराना चाहा वह खराब गुणवत्ता का था। कोल्ड स्टोरेज में ही परिवादी के अच्छे आलू, कटपीस के आलू से बदल दिए गए। विपक्षी ने 179 बोरा आलू देने से मना कर दिया और जो आलू बिना रजामंदी के विपक्षी ने बेचा था उसका रूपया भी अदा करने से मना कर दिया। विपक्षी ने आलू की कीमत रू. 96341/- तथा रू. 24000/- व 179 बोरे आलू वापस करने से मना कर दिया। परिवादी का भंडारित आलू तौहीद को देने का अधिकार प्रतिपक्षी को नहीं था और न ही परिवादी ने प्रतिपक्षी से तौहीद से कोई आलू देने की हिदायत की थी। यदि उसने आलू तौहीद को दिया गया है इसकी जिम्मेदारी परिवादी की नहीं है।
जिला मंच के समक्ष विपक्षी ने अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया और यह अभिकथन किया कि परिवादी ने माह मार्च 2003 में 656 बोरा आलू और अपने अवयस्क पुत्र के नाम से 82 बोरा आलू विपक्षी कोल्ड स्टोरेज में भंडारित किया। इस प्रकार कुल 738 बोरा आलू भंडारित किया जो कि विपक्षी के स्टाक रजिस्टर में नियमानुसार यथा स्थान अंकित है। सभी काश्तकारों से एक ही दर से किराया लिया जाता है। परिवादीगण से भी भंडारित 738 बोरा आलू किराया
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52 रूपये प्रति बोरा पूरे सत्र हेतु लिया जाता जो कुल रू. 38376/- होता है। विपक्षी आलू भंडारित करता है और भंडारण करने वाले व्यक्ति से किराया प्राप्त करता है। उसके द्वारा भंडारित आलू का क्रय विक्रय नहीं किया जाता है। परिवादी संख्या 1 ने 510 बोरा आलू की निकासी की है। परिवादीगणों का यह कथन कि उनके द्वारा 510 बोरा का विक्रय कर दिया है पूर्णतया गलत है। परिवादी संख्या 1 ने दि. 11.10.03 को दूरभाष के माध्यम से विपक्षी को अवगत कराया कि वह अपने सगे भाई मोहम्मद तौहीद को भंडारित आलू बोरा उठाने हेतु भेज रहे हैं, अत: आलू बोरा उठवा दिया जाए। विपक्षी मो0 तौहीद को आलू बोरा उठाने की अनुमति दे दी। मो0 तौहीद ने दि. 11.10.03 को 16 बोरा तथा दि. 13.10.03 को 15 बोरा आलू तथा दि. 29.10.03 को 30 बोरा आलू कुल 61 बोरा आलू का उठान किया। विपक्षी ने यह भी अभिकथन किया कि परिवादी संख्या 1 के सहयोगी भाई मो0 तौहीद से इस कारण रसीद नहीं प्राप्त की जा सकी, क्योंकि मो0 तौहीद ने रसीदों को परिवादी संख्या 1 यानी अपने भाई के पास होना बताया और यह कहा कि उक्त रसीदें मो0 जाहिर/परिवादी जब पूरा किराया अदा करेने आएंगे तब विपक्षी को सौंप देंगे। उक्त सभी गेटपास पर मो0 तौहीद ने निकासी की स्वीकारोक्तिस्वरूप अपने हस्ताक्षर किए हैं। विपक्षी ने यह भी अभिकथन किया कि कुल भंडारित आलू विपक्षी के पास भंडारित है, गलत है। दि. 19.10.03 को एक बार 19 बोरा आलू व दूसरी बार 22 बोरा आलू स्वयं उठान किया। इस प्रकार परिवादीगण ने कुल 611 बोरा आलू का बिना किराया अदा किए ही उठान किया था वह 127 बोरा आलू विपक्षी के पास शेष रहे। परिवादी संख्या 1 ने कथित हिसाब किताब की पर्ची में रू. 24000/- नगद दि. 21.10.03 फर्जी प्रविष्टि है। उक्त पर्ची
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परिवादीगण से संबंधित नहीं है, बल्कि राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता से संबंधित है। परिवादी द्वारा दिया गया हिसाब किताब फर्जी है।
पीठ ने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस सुनी एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं साक्ष्यों का भलीभांति परिशीलन किया गया।
अपीलार्थी ने अपने अपील आधार में यह अभिकथन किया है कि जिला मंच का आदेश विधिक नहीं है। अपीलार्थी ने अपने लिखित कथन में यह अंकित किया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने भंडारण के चार्जेस अदा नहीं किए हैं। 127 बोरे आलू अभी भी उनके पास हैं, जिसे प्रत्यर्थी स्टोरेज चार्जेस के रू. 38676/- की धनराशि देकर ले जा सकता है।
यह तथ्य निर्विवाद है कि परिवादी ने विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में आलू का भंडारण किया। परिवादी का कथन है कि उसने 749 बोरा आलू अपने और अपने पुत्र का रखा, जबकि प्रत्यर्थी का कथन है कि उसके द्वारा 738 बोरा आलू रखा गया। इस प्रकार 11 बोरा भंडारण का अंतर आता है। अपीलार्थी द्वारा जो स्टाक रजिस्टर मो0 जाहिर परिवादी संख्या 1 ने प्रतिलिपि दाखिल की है उस पर कोई पेशानी नहीं है जिससे तथ्यों को सत्यापित किया जा सके। अपीलार्थी ने अपने अपील मेमों के साथ जो संलग्नक 1 (स्टाक रजिस्टर की प्रति) दाखिल किया है वह जिला मंच के समक्ष दाखिल नहीं किया था। जिला मंच ने अपने निर्णय में पारित तथ्यों में अंकित नहीं किया है कि दोनों पक्षों द्वारा अपने कथन के समर्थन में कौन- कौन से साक्ष्य प्रस्तुत किए है, जबकि अपीलार्थी ने अपने अपील मेमों के साथ रसीदों की प्रतियां भी लगाई हैं। इस प्रकरण में मुख्य विवादित बिन्दु निम्न प्रकार उभरकर आते हैं:-
1.परिवादी ने विपक्षी कोल्ड स्टोरेज में कितने बोरे आलू भंडारण के लिए दिया।
2.परिवादी ने स्वयं कितने बोरे आलू की निकासी की।
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3.कितने बोरे कोल्ड स्टोरेज में अवशेष रहे।
4.परिवादी किस अनुतोष को प्राप्त करने का अधिकार है।
जिला मंच ने साक्ष्यों को अभिलिखित नहीं किया है और न ही जो साक्ष्य प्रस्तुत किए गए थे उनकी कोई विवेचना की है। अपीलार्थी ने अपने अपील मेमों के साथ स्टाक रजिस्टर की प्रति लगाई हैं वह एक महत्वपूर्ण अभिलेख है, अत: पीठ इस मत की है कि प्रस्तुत प्रकरण जिला मंच को प्रतिप्रेषित किए जाने योग्य है। तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है तथा जिला मंच का निर्णय/आदेश दि. 16.03.2007 निरस्त किया जाता है। प्रकरण जिला मंच को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि उभय पक्षों को साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करते हुए गुणदोष के आधार पर परिवाद का प्राथमिकता से निस्तारण करना सुनिश्चित करें।
निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध कराई जाए।
(राज कमल गुप्ता) (महेश चन्द )
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-3