Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/584

Punjab National Bank - Complainant(s)

Versus

Mohd Siddiqui - Opp.Party(s)

Surendra Kumar

20 Jan 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/584
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Punjab National Bank
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Mohd Siddiqui
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
  Mr. Mohd. Rais Siddaqui REGISTRAR
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

         सुरक्षित

अपील सं0-584/2011   

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, बिजनौर द्वारा परिवाद संख्‍या-१७५/२०१० में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-०३/०३/२०११ के विरूद्ध)

Punjab National Bank Through Branch Manager Punjab National Bank, Najibabad, Kotdwar Road Najibabad P.O. Najibabad Distt, Bijnor U.P.                    

                                       .............Appellant.                                      

Versus

Mohd. Saddique S/o Late Sri Nanhey R/o Moh. Saniyan, P.O. Sahanpur Teh. Najibabad Distt. Bijnor U.P.   

                                    .......Respondent.

समक्ष:-

  1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठा0सदस्‍य
  2. माननीय श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य ।

अपीलकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री नितिन गुप्‍ता विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री बी0के0 उपाध्‍याय विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक:.11/02/2016

माननीय श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम बिजनौर द्वारा परिवाद    सं0-१७५/२०१० में पारित निर्णय दिनांक ०३/०३/२०११ के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है।

     संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने पंजाब नेशनल बैंक की कोटद्वार रोड नजीबाबाद शाखा से दिनांक २०/११/२००६ को ५००००/-रू0 का कृषि ऋण लिया था और उक्‍त ऋण की वह समय पर अदायगी नहीं कर सका और उक्‍त ऋण पर बैंक का अतिदेय हो गया। इसी बीच कृषकों को राहत देने की दृष्टि से भारत सरकार की कृषि ऋण माफी एवं ऋण राहत योजना २००८ दिनांक २८/०५/२००८ को निर्गत हुई, जिसके अनुसार उन कृषकों को जो उक्‍त परिपत्र में उल्लिखित शर्तों से आच्‍छादित है, उन्‍हें कृषि ऋण को माफ कर राहत दी जा सकेगी। उक्‍त परिपत्र में कृषकों को राहत देने की मुख्‍य शर्तें निम्‍न प्रकार है:-

  1. ऋण दिनांक ३१/०३/१९९७ से ३१/०३/२००७ की अवधि में वितरित हुआ हो।
  2. ऋण दिनांक ३१/१२/२००७ को अतिदेय हो।
  3. ऋण की वह राशि जो दिनांक २९/०२/२००८ तक भुगतान न की गयी हो।

 

 

 

 

 

-२-

प्रश्‍नगत मामले में परिवादी/प्रत्‍यर्थी को दिनांक २०/११/२००६ को ५००००/-रू0 का ऋण दिया गया और निर्धारित तिथि ३१/१२/२००७ तक ब्‍याज सहित ५१४६१/-रू0 बकाया थी और दिनांक २९/०२/२००८ तक भी वह उस धनराशि का भुगतान नहीं कर सका अर्थात दिनांक २९/०२/२००८ को भी परिवादी/प्रत्‍यर्थी पर ब्‍याज सहित ५१४६१/-रू0 बकाया था। यह बकाया ऋण की धनराशि का विवरण पत्रावली पर उपलब्‍ध बैंक स्‍टेटमेंट से स्‍पष्‍ट है। परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने बैंक अधिकारियों से संपर्क किया कि उसे उक्‍त कृषि ऋण माफी एवं ऋण राहत योजना २००८ का लाभ दिया जाए किन्‍तु बैंक अधिकारियों ने उसकी एक नहीं सुनी और उसे उक्‍त लाभ से वंचित रखा। परिवादी/प्रत्‍यर्थी तथा अपीलकर्ता/विपक्षी को साक्ष्‍यों एवं सुनवाई का अवसर देने के बाद गुण-दोष के आधार पर जिला मंच ने परिवाद का निस्‍तारण दिनांक ०३/०३/२०११ को किया और निर्णय के अनुसार परिवादी का परिवाद स्‍वीकार करते हुए आदेश दिया कि कानून के अनुसार परिवादी से बकाया धनराशि रूपये ५९९७२/- तथा ब्‍याज की वसूली न की जाए। 

     इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा यह अपील योजित की गयी है।

     हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री नितिन गुप्‍ता एवं प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री बी0के0 उपाध्‍याय के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

     अपील में भी अपीलकर्ता द्वारा वही सब आधार लिए गए हैं जो उन्‍होंने जिला मंच के समक्ष लिए थे।

     अपीलकर्ता के अनुसार परिवादी उ0प्र0 एग्रीकल्‍चर क्रेडिट एक्‍ट १९७३ की धारा-२ के अन्‍तर्गत कृषक है, किन्‍तु वह उपभोक्‍ता संक्षरण अधिनियम १९८६ के अनुसार उपभोक्‍ता नहीं है क्‍योंकि विपक्षी/अपीलकर्ता द्वारा निर्गत वसूली प्रमाण पत्र को चुनौती दी गयी है।

अपीलकर्ता ने यह भी कहा है कि परिवादी को कृषि ऋण माफी योजना २००८ के अन्‍तर्गत लाभ नहीं दिया गया है क्‍योंकि यह स्‍कीम दिनांक २९/०२/२००८ तक ही प्रभावी थी और योजना के अन्‍तर्गत दावेदारों की अंतिम सूची दिनांक ३०/०६/२००८ को प्रकाशित हुई थी।  परिवादी ने सक्षम अधिकारियों के समक्ष कोई प्रत्‍यावेदन कभी दाखिल नहीं किया है और यह स्‍कीम दिनांक ३०/०६/२००८ को समाप्‍त हो गयी। परिवादी द्वारा दिनांक २४/०६/२०१० को दायर परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम १९८६ की धारा २४ए के अन्‍तर्गत काल बाधित है क्‍योंकि दिनांक ३०/०६/२००८ तक परिवादी ने कोई प्रत्‍यावेदन बैंक के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया ।

 

 

-३-

  अपीलकर्ता ने कहा कि कृषि ऋण माफी एवं ऋण राहत योजना २००८ के अन्‍तर्गत भारत सरकार ने निर्धारित शर्तों के अनुसार योजना को लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए कोई फीस अथवा शुल्‍क भारत सरकार द्वारा नहीं लिया गया और न ही परिवादी द्वारा कोई सेवा शुल्‍क इस मद में दिया  गया है। इसलिए यह मामला उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम १९८६ की धारा २(१)(O) के अन्‍तर्गत सेवा की श्रेणी में नहीं आता है । जिला मंच ने अतिदेय का अर्थ समझने में त्रुटि की है और परिवादी किसी प्रकार अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है।

  परिवादी/प्रत्‍यर्थी की ओर से अपने तर्कों में कहा गया है कि परिवादी ने दिनांक २०/११/२००६ को ५००००/-रू0 का ऋण लिया था और कृषि ऋण माफी योजना २००८ के अन्‍तर्गत वे सभी कृषक आच्‍छादित है, जिन्‍होंने दिनांक ३१/०३/१९९७ से ३१/०३/२००७ तक की अवधि में कृषि ऋण बैंक से लिया है और उन पर निर्धारित तिथि ३१/१२/२००७ तक ऋण बकाया था। मानक के अनुसार परिवादी/प्रत्‍यर्थी ०५ एकड़ से कम भूमि का काश्‍तकार है और ऋण माफी योजना की पात्रता श्रेणी में है। ऋण माफी के लिए पात्र है।

  अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने अपने तर्कों में कहा कि बैंक द्वारा जिला फोरम के समक्ष यह भी आधार लिया गया कि जो खाते बैंक द्वारा जून २००६ से पूर्व एन0पी0ए0 घोषित कर दिए गए थे, उन्‍हें ही कृषि ऋण माफी योजना २००८ में राहत भारत सरकार द्वारा प्रदान की गई है। पहले परिवादी द्वारा एक ऋण खाता जून २००६ से पूर्व २२/११/२००५ को खोला गया था। परिवादी का उक्‍त खाता एन0पी0ए0 घोषित नहीं किया गया, बल्कि परिवादी द्वारा दिनांक १६/११/२००६ को संपूर्ण राशि जमा कर दी गई थी। चूंकि परिवादी पर कोई ऋण वाजिब नहीं रहा, इसलिए वह उक्‍त योजना के अन्‍तर्गत ऋण माफी का अधिकारी नहीं रहा। परिवादी द्वारा पुन: एक ऋण दिनांक २०/११/२००६  को लिया गया जिसका उसके द्वारा दिनांक ३१/१२/२००७ तक कोई भुगतान नहीं किया गया, किन्‍तु उक्‍त ऋण दिनांक ३१/१२/२००७ तक बकाया तो था किन्‍तु अतिदेय नहीं था । कृषि ऋण माफी एवं ऋण राहत योजना २००८ में दी गई समय अवधि ३१ मार्च २००७ के पूर्व भले ही ऋण लिया गया था और ३१/१२/२००७ तक ऋण की राशि बकाया रही हो, किन्‍तु ३१/१२/२००७ तक यह खाता अतिदेय की श्रेणी में नहीं था। उक्‍त योजना के अन्‍तर्गत केवल वही ऋणदाता जिन पर ३१/१२/२००७ तक अतिदेय है, उन्‍हें ही इस योजना का लाभ मिलेगा।

  उयभ पक्षों के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्कों एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों के परिशीलन से यह स्‍पष्‍ट है कि जिला फोरम ने उक्‍त योजना की इस मुख्‍य शर्त कि ऋण खाता दिनांक ३१/१२/२००७ को अतिदेय होना चाहिए, को

 

 

 

-४-

नजरअंदाज करके त्रुटि की है। ऋण लेने की तिथि के १८ माह की अवधि तक ऋण का वापस न किया जाना अतिदेय होगा। इस प्रकरण में दिनांक २०/११/२००६ को ऋण लिया गया, किन्‍तु ३१/१२/२००७ तक १८ माह की अवधि पूर्ण न होने से उक्‍त तिथि तक यह खाता अतिदेय नहीं हुआ। जिला फोरम ने अतिदेयता की परिभाषा को ठीक से नहीं समझा और बकाया राशि को ही अतिदेय (Overdue) मान लिया। उक्‍त खाता उक्‍त तिथि को अतिदेय नहीं था। अत: परिवादी/उत्‍तरदाता कृषि ऋण माफी एवं ऋण राहत योजना २००८ के अन्‍तर्गत राहत पाने का पात्र नहीं है। अत: अपीलकर्ता की अपील में बल है। तदनुसार अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।   

आदेश

     अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता फोरम, बिजनौर द्वारा परिवाद संख्‍या-१७५/२०१० में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-०३/०३/२०११ निरस्‍त किया जाता है तथा उक्‍त परिवाद भी निरस्‍त किया जाता है।

उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

उभयपक्षों को निर्णय की सत्‍यापित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध कराई जाए।  

 

 

(उदय शंकर अवस्‍थी)                         ( महेश चन्‍द )

   पीठा0सदस्‍य                                      सदस्‍य

सत्‍येन्‍द्र, आशु0 कोर्ट नं0-5

 

 

 
 
[ Mr. Mohd. Rais Siddaqui]
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