मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-124/2016
(जिला उपभोक्ता फोरम, आगरा प्रथम द्वारा परिवाद संख्या-44/2015 में पारित आदेश दिनांक 18.11.2015 के विरूद्ध)
Syndicate Bank, a body corporate constituted under Banking Companies (Acquisition and Transfer of Undertakings) Act. No. V of 1970 having its Head Office at Manipal in Udupi District Karnataka State, Regional office, Civil Lines Moradabad and amongst others a Branch office at Amroha District-Amroha through its Senior Manager, Sri Barister Giri.
........अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1
बनाम।
1- Mohammad Saleem S/o Shri Mahboob Ali R/o Mohalla-Katragulam Ali Amroha P.S. Amroha Nagar District Amroha.
2- State Bank of India through its Manager, City Branch Amroha, District-Amroha.
समक्ष:- ............ प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सर्वेश्वर मेहरोत्रा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री महेन्द्र नाथ मिश्रा, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 24.05.2017
मा0 श्री न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या 44/2015 मो0 सलीम बनाम सिंडिकेट बैंक द्वारा शाखा प्रबन्धक शाखा आजाद नगर रोड अमरोहा एवं भारतीय स्टेट बैंक द्वारा शाखा प्रबन्धक सिटी शाखा अमरोहा में जिला फोरम अमरोहा द्वारा पारित निर्णय व आदेश दिनांक 18.11.2015 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्त परिवाद के विपक्षी सिंडिकेट बैंक की ओर से धारा 15 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
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जिला फोरम अमरोहा ने आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुये निम्न आदेश पारित किया है-
"परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से 4000/- रूपये (रूपये चार हजार मात्र) परिवाद व्यय सहित विपक्षी संख्या-1 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है।
विपक्षी संख्या-1 सिंडिकेट बैंक को आदेशित किया जाता है कि वह दिनांक 05-02-2015 को गलत रूप से परिवादी के खाते से कम किये गये 5000/- रूपये (रूपये पांच हजार मात्र) उसके खाते में वापस करें एवं मानसिक उत्पीड़न व क्षतिपूर्ति के रूप में 1000/-रूपये (रूपये एक हजार मात्र) का भुगतान परिवादी को करें।
आदेश का अनुपालन एक माह के अन्दर किया जाए।"
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एम०एल० वर्मा उपस्थित आए जबकि प्रत्यर्थी/परिवादी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित आए और प्रत्यर्थी संख्या 2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया।
मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता एवं प्रत्यर्थी को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का सावधानीपूर्वक अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि उपरोक्त परिवाद प्रत्यर्थी/परिवादी ने जिला फोरम अमरोहा के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि वह मुख्य शाखा सिंडिकेट बैंक आजाद नगर रोड, अमरोहा का खाताधारक है और उसे ए०टी०एम० सुविधा प्राप्त है। दिनांक 05-02-2015 को 10.10. बजे दिन में उसने प्रतिवादी संख्या 2 के ए०टी०एम० से 5000/- रूपये निकालने हेतु ए०टी०एम० मशीन का प्रयोग किया परन्तु कोई पैसा नहीं निकला। तब उसने समझा कि 5000/- रूपये एक साथ नहीं निकलेगें। अत: उसने 4000/-रूपये निकालने हेतु मशीन का प्रयोग किया परन्तु यह रूपया भी नहीं निकला।
परिवादी पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उपरोक्त प्रकार से दो बार दिनांक 05-02-2015 को 10.10 बजे दिन में उसने प्रत्यर्थी संख्या 2 भारतीय
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स्टेट बैंक के ए०टी०एम० का प्रयोग किया परन्तु पैसा नहीं निकला। फिर भी उसके खाते से 5000/- रूपया कम हो गया। इसकी शिकायत उसने विपक्षीगण से की परन्तु विपक्षी संख्या 1 के मैनेजर उसे आश्वासन देते रहे और कोई कार्यवाही नहीं किया तथा विपक्षी संख्या 2 के प्रबन्धक ने सी०सी०टी०वी० फुटेज दिखाने से इन्कार कर दिया। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी ने दोनों विपक्षीगण को नोटिस भेजा और परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया।
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी संख्या 1 एवं विपक्षी संख्या 2 भारतीय स्टेट बैंक की ओर से अलग-अलग लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है।
अपीलार्थी/विपक्षी ने अपने लिखित कथन में कहा है कि दिनांक 12-02-2015 को प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी संख्या 1 के बैंक में शिकायत दर्ज करायी थी जिसका प्री आरवीट्रेशन रिजल्ट दिनांक 07-03-2015 को उसे यह कहकर मिल चुका है कि उसके द्वारा दिनांक 05-02-2015 का आपरेशन सक्सेसफुल रहा है और यदि वह आगे कोई कार्यवाही करना चाहता है तो उसे आरबीट्रेशन के लिए 500/- रूपये जमा करना चाहिये और 62/- रूपये सर्विस टैक्स जमा करना चाहिए परन्तु उसने आरवीट्रेशन की कार्यवाही हेतु औपचारिकताएं पूरी नहीं की। अत: यह परिवाद ग्राह्य नहीं है।
अपीलार्थी/विपक्षी ने अपने लिखित कथन में यह भी कहा है कि उसकी ओर से सेवा में कोई लापरवाही नहीं की गयी है।
परिवाद के विपक्षी संख्या 2 भारतीय स्टेट बैंक ने अपने लिखित कथन में कहा है कि दिनांक 05-02-2015 को 10.10 बजे दिन में प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कथित समय पर या उसके आसपास विपक्षी संख्या 2 के ए०टी०एम० के रिकार्ड सी०सी०टी०वी० फुटेज के अनुसार कोई 5000/- रूपये का लेनदेन नहीं हुआ है। इसके अतिरिक्त 10.07 से 10.23 बजे तक कोई 5000/- रूपया नहीं निकाला गया है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त यह निष्कर्ष निकाला है कि विपक्षी संख्या 1 सिंडिकेट बैंक यह साबित नहीं
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कर सका है कि विपक्षी संख्या 2 भारतीय स्टेट बैंक आफ इण्डिया द्वारा 5000/- रूपये की निकासी सक्सेसफुल होने के सम्बन्ध में उसे अवगत कराया गया था। इसलिए विपक्षी संख्या 1 ने परिवादी के खाते से 5000/- रूपये कम करके सेवा में कमी व त्रुटि की है।
उपरोक्त निष्कर्षों के आधार पर जिला फोरम ने यह निष्कर्ष निकाला है कि प्रत्यर्थी/परिवादी 5000/- रूपये की प्रश्नगत धनराशि अपीलार्थी/विपक्षी संख्या 1 से पाने का अधिकारी है और उसे 1000/- रूपये मानसिक उत्पीड़न हेतु क्षतिपूर्ति के रूप में दिया जाना उचित है। अत: जिला फोरम ने उपरोक्त प्रकार से निर्णय और आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि दिनांक 05-02-2015 को प्रत्यर्थी/परिवादी ने 9.38 मिनट पर 5000/- रूपये विपक्षी संख्या 2 के ए०टी०एम० के माध्यम से निकाला है जिसके सम्बन्ध में संबंधित ए०टी०एम० का स्टेटमेंट मेमो आफ अपील के साथ प्रस्तुत किया गया है जिससे प्रमाणित है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते से 5000/- रूपये की निकासी की गयी है। यह विवरण अपीलार्थी/विपक्षी ने जिला फोरम
के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया है और जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने यह नहीं कहा है कि यह 5000/- रूपये प्रत्यर्थी/परिवादी ने 9.38 बजे विपक्षी संख्या 2 के ए०टी०एम० के माध्यम से निकाला है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद पत्र की धारा 6 में दिनांक 05-02-2015 को विपक्षी संख्या 2 के बैंक के ए०टी०एम० का प्रयोग 10.10 बजे 5000/- रूपये की निकासी के लिए करना बताया है और धारा 6 में कहा है कि जब ए०टी०एम० से कोई रूपया नहीं निकला तब उसने 4000/- रूपये निकालने का प्रयास किया। फिर भी कोई रूपया नहीं मिला। विपक्षी संख्या 2 भारतीय स्टेट बैंक ने यह कथन किया है कि दिनांक 05-02-2015 को 10.07 से 10.23 बजे तक कोई पैसा प्रश्नगत ए०टी०एम से नहीं निकाला गया है। अत: यह मानने हेतु उचित और युक्तिसंगत आधार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने दिनांक
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05-02-2015 को 10.10 बजे व उसके बाद जो विपक्षी संख्या 2 के ए०टी०एम० का प्रयोग विपक्षी संख्या 1 के बैंक के खाते से रूपया निकालने हेतु किया था उसका कोई विथड्राल ए०टी०एम० के रिकार्ड में नहीं है और प्रत्यर्थी/परिवादी की शिकायत इसी विथड्राल से संबंधित है। अपीलार्थी बैंक ने जिला फोरम के समक्ष यह कथन नहीं किया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने 9.38 बजे यह धनराशि ए०टी०एम से निकाली है और उसने इस सन्दर्भ में कोई अभिलेख जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में उल्लेख किया है कि विपक्षी संख्या 2 ने कागज संख्या 24ग/1 ता 24 ग/।। प्रस्तुत किया है जिससे स्पष्ट है कि ए०टी०एम० दिनांक 05-02-2015 को 6.05 बजे सुबह से रात 11.30 बजे तक प्रयोग किया गया है परन्तु इसमें परिवादी के किसी ट्रांजैक्शन का उल्लेख नहीं है। अत: अपीलार्थी द्वारा अपील स्तर पर प्रस्तुत स्टेटमेंट पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। ए०टी०एम० का जो विवरण विपक्षी संख्या 2 ने जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है कि वह दिनांक 05-02-2015 के सुबह 6.05.53 बजे से रात 23.30.04 तक का पूर्ण विवरण है और उसमें परिवादी के खाते के सम्व्यवहार की कोई प्रवृष्टि नहीं है। अपील मेमों के साथ अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत स्टेटमेंट विपक्षी संख्या 2 के उपरोक्त स्टेटमेंट से भिन्न है। अत: इसकी विश्वसनीयता संदिग्ध है।
उपरोक्त विवेचना के आधार पर सम्पूर्ण तथ्यों और साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त मैं इस मत का हॅूं कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के विरूद्ध नहीं कहा जा सकता है और उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। तदनुसार अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वये वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01