Uttar Pradesh

StateCommission

A/476/2015

Tata Motors Ltd - Complainant(s)

Versus

Mohd sakil - Opp.Party(s)

Rajesh Chadha

01 Mar 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/476/2015
( Date of Filing : 13 Mar 2015 )
(Arisen out of Order Dated 24/12/2014 in Case No. C/204/2007 of District Faizabad)
 
1. Tata Motors Ltd
24 HOMY mODY sTREET fORT mUMBAI & bRANCH oFFICE AT dEVA ROAD cHINHAT Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Mohd sakil
r/o mAHARANIGANJ pOST dADUA bAZAAR tEHSIL gONDA sADAR dISTRICT Gonda
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/145/2015
( Date of Filing : 23 Jan 2015 )
(Arisen out of Order Dated 24/12/2014 in Case No. C/204/2007 of District Faizabad)
 
1. MG. Prayag Udyog Ltd.
Faizabad
Faizabad
UP
...........Appellant(s)
Versus
1. Mod. Shakeel & other
Gonda
Gonda
UP
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 01 Mar 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-476/2015

टाटा मोटर्स लि0।                   ...........अपीलार्थी@विपक्षीगण

बनाम

मो0 शकील पुत्र मो0 सैईद निवासी महारानीगंज, पोस्‍ट ददुआ

बाजार, तहसील गोण्‍डा, सदर जिला गोण्‍डा व अन्‍य।

                                   .......प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी

अपील संख्‍या-145/2015

मैनेजर प्रयाग उद्योग लि0 अपोजिट गवर्नमेन्‍ट पालीटेक्निक

लखनऊ रोड, बनवीरपुर, जिला फैजाबार।  ..........अपीलार्थी@विपक्षीगण

बनाम

मो0 शकील पुत्र मो0 सैईद निवासी महारानीगंज, पोस्‍ट ददुआ

बाजार, तहसील गोण्‍डा, सदर जिला गोण्‍डा व अन्‍य।

                                   .......प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चडढा, विद्वान  अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री विजेन्‍द्र प्रकाश त्रिपाठी, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक 13.04.2023

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   परिवाद संख्‍या 204/07 मो0 शकील बनाम प्रबंधक प्रयाग उद्योग लि0 व दो अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.12.2014 के विरूद्ध अपील संख्‍या 476/2015 टाटा मोटर्स लि0 द्वारा प्रस्‍तुत की गई है, जबकि अपील संख्‍या 145/2015 प्रयाग उद्योग लि0 द्वारा प्रस्‍तुत की गई है। जिला उपभोक्‍ता मंच ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए परिवादी द्वारा जमा की गई राशि अंकन रू. 164262/- का भुगतान 11.11.2003 से 09 प्रतिशत ब्‍याज के

-2-

साथ अदा करने का आदेश पारित किया है। क्षतिपूर्ति के मद में रू. 2000/- तथा परिवाद व्‍यय के रूप में रू. 3000/- के लिए भी आदेशित किया गया है।

2.   परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी द्वारा दि. 10.11.13 को वाहन संख्‍या यू0पी0 42टी 1809 विपक्षी संख्‍या 1 से ऋण लेकर प्राप्‍त किया गया। ऋण लेने से पूर्व रू. 164260/- 09.06.13 से 30.07.2003 तक जमा किए थे। वारंटी अवधि में ही वाहन की चेसिस दोनों तरफ से टूट गई। वाहन के टायर फटने लगे, बार-बार पंचर होने लगे, एवरेज कम था, रिम उलझा हुआ था। इन सब की शिकायत विपक्षी संख्‍या 1 से की गई, परन्‍तु कोई ध्‍यान नहीं दिया गया। दि. 10.11.03 को वाहन विपक्षी संख्‍या 1 के संस्‍थान में खड़ा कर दिया गया। परिवादी के वाहन को विपक्षीगण द्वारा विक्रय कर दिया गया। प्रारंभ में परिवादी ने गोण्‍डा जनपद में परिवाद प्रस्‍तुत किया, जो क्षेत्राधिकार न होने के कारण निरस्‍त कर दिया गया, पुन: फैजाबाद जिला उपभोक्‍ता मंच के समक्ष परिवाद प्रस्‍तुत किया गया। परिवादी द्वारा नया चेसिस वाले वाहन दिलाने का अनुरोध किया गया तथा अंकन रू. 950000/- क्षतिपूर्ति की मांग भी की गई।

3.   विपक्षी संख्‍या 1 द्वारा वाहन में त्रुटि से इंकार किया गया। परिवादी के वाहन में सीएट कंपनी का टायर लगा था। कंपनी द्वारा टायर बदलने से इंकार कर दिया गया, जिसकी सूचना परिवादी को दे दी गई थी। परिवादी द्वारा वाहन में जो कमी बताई गई, उन्‍हें दूर कर दिया गया, इसलिए विपक्षी संख्‍या 1 उत्‍तरदायी नहीं है।

 

-3-

4.   विपक्षी संख्‍या 2 एवं 3 का कथन है कि परिवादी द्वारा लगाए गए आरोप गलत हैं।

5.   सभी पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवादी किश्‍तों के रूप में जमा राशि वापस प्राप्‍त करने का अधिकारी नहीं है, परन्‍तु  परिवादी द्वारा जो मार्जिन मनी अंकन रू. 164262/- जमा कराई गई है, परिवादी इस राशि को वापस प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है।

6.   टाटा मोटर्स लि0 द्वारा प्रस्‍तुत की गई अपील में यह उल्‍लेख किया गया है कि जिला उपभोक्‍ता मंच ने तथ्‍य एवं विधि के विपरीत निर्णय पारित किया है। परिवादी ने अधिक माल भरने के उद्देश्‍य से ट्रक की बाडी को ऊंचा बना दिया, इसलिए ओवर लोडिंग के कारण त्रुटियां उत्‍पन्‍न हुई हैं, वाहन में निर्माण संबंधी कोई दोष नहीं है, इसलिए अपीलार्थी किसी भी क्षतिपूर्ति के लिए उत्‍तरदायी नहीं है। परिवाद 24(ए) के अंतर्गत बाधित था, क्‍योंकि वाहन 2003 में क्रय किया गया था, जबकि परिवाद 2007 में प्रस्‍तुत किया गया। जिला उपभोक्‍ता मंच ने समयावधि से बाधित होने के बिन्‍दु पर कोई निष्‍कर्ष नहीं दिया गया। वाहन का व्‍यापारिक प्रयोग हो रहा था, इस बिन्‍दु पर भी कोई विचार नहीं किया।

7.   प्रयाग उद्योग लि0 का कथन है कि मार्जिन मनी अदा करने के पश्‍चात विपक्षी संख्‍या 3 से ऋण प्राप्‍त किया गया। अपीलार्थी कामर्शियल व्‍हीकिल में डील करता है। अपीलार्थी के स्‍तर से सेवा में कोई कमी नहीं की गई है, अपीलार्थी केवल प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 का एक

 

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एजेन्‍ट मात्र है, इसलिए उनके विरूद्ध क्षतिपूर्ति का कोई मामला नहीं बनता।

8.   केवल अपील संख्‍या 476/2015 के अपीलार्थी तथा प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया। प्रयाग उद्योग लि0 की ओर से कोई बहस नहीं की गई।

9.   पक्षकारों को सुनने तथा पत्रावली के अवलोकन के पश्‍चात यह तथ्‍य जाहिर होता है कि परिवादी द्वारा अंकन रू. 164260/- ऋण प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से अपने भाग की राशि के रूप में जिसे मार्जिन मनी कहा जाता है, जमा किए गए हैं। परिवादी द्वारा ट्रक 2003 में क्रय किया गया है। परिवादी ने स्‍वयं परिवाद पत्र में उल्‍लेख किया है कि ट्रक खराब होने पर एजेन्‍सी में छोड़ दिया गया। परिवादी कभी भी ट्रक को वापस लेने के लिए नहीं गया। दि. 24.11.2003 को वर्कशाप द्वारा लिखित रूप से सूचना दी गई कि वह अपने वाहन को प्राप्‍त कर ले, परन्‍तु परिवादी द्वारा वाहन प्राप्‍त नहीं किया गया। परिवादी द्वारा किश्‍तों का भुगतान भी नहीं किया गया। चूंकि परिवादी स्‍वयं डिफाल्‍टर रहा है, इसलिए मार्जिन मनी वापस प्राप्‍त करने का अधिकार परिवादी को प्राप्‍त नहीं है। निर्माण संबंधी कोई त्रुटि ट्रक में मौजूद है, ऐसी कोई साक्ष्‍य पत्रावली पर मौजूद नहीं है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा मार्जिन मनी को अवैध रूप से वापस करने का आदेश पारित किया है, यदि परिवादी द्वारा किश्‍तों का नियमित रूप से भुगतान किया जाता तब परिवादी का वाहन अवैध रूप से कब्‍जे में लिए जाने पर क्षतिपूर्ति दिलायी जा सकती थी, परन्‍तु प्रस्‍तुत केस में स्‍वयं परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी अपना वाहन को छोड़कर

-5-

आया है और इसके बाद परिवादी ने वाहन के संबंध में किसी प्रकार की कोई जानकारी प्राप्‍त नहीं की न ही वाहन को वापस लेने का प्रयास किया, परिवादी ने नियमित रूप से किश्‍तों की अदायगी का भी कोई सबूत जिला उपभोक्‍ता मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया, इसलिए परिवादी स्‍वयं अपने दोष के कारण मार्जिन मनी वापस प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत नहीं है। अत: उपरोक्‍त दोनों अपीलें स्‍वीकार होने योग्‍य हैं।

आदेश

10.  अपील संख्‍या 476/2015 तथा अपील संख्‍या 145/2015 स्‍वीकार की जाती हैं। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्‍त किया जाता है।

     इस निर्णय की एक प्रति अपील संख्‍या 145/2015 में भी रखी जाए।

     प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

           

       (सुशील कुमार)                        (राजेन्‍द्र सिंह)                                                                                                                                                  सदस्‍य                              सदस्‍य

     निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर

 

-6-

उद्घोषित किया गया।

 

        (सुशील कुमार)                        (राजेन्‍द्र सिंह)                                                                                                                                                   सदस्‍य                              सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

कोर्ट-2

 

   

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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