Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/1791

Mangala Motors - Complainant(s)

Versus

Mohd Rizwan Siddiqui - Opp.Party(s)

Vikas Agarwal

02 Jul 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/1791
( Date of Filing : 19 Oct 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Mangala Motors
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Mohd Rizwan Siddiqui
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 02 Jul 2024
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-1872/2010

मो0 रिजवान सिद्दीकी पुत्र श्री जब्‍बार हुसैन सिद्दीकी, निवासी मकान नं0-512/697, प्रथम लेन, बालदा रोड, निशातगंज, लखनऊ।

अपीलार्थी/परिवादी

बनाम्  

मैसर्स मंगला मोटर्स (प्रा0) लि0, 43, विधान सभा मार्ग, लखनऊ द्वारा डायरेक्‍टर श्री नवीन अग्रवाल।

                            प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

एवं

अपील संख्‍या-1791/2010

मैसर्स मंगला मोटर्स (प्रा0) लि0, 43, विधान सभा मार्ग, लखनऊ द्वारा डायरेक्‍टर श्री नवीन अग्रवाल।

अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्  

1. मो0 रिजवान सिद्दीकी पुत्र श्री जब्‍बार हुसैन सिद्दीकी, निवासी-512/697, प्रथम लेन, बालदा रोड, लखनऊ।

2. बजाज आटो लि0, अकुर्दी, पूणे 411035, द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर।

                            प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी

समक्ष:-                            

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित      : श्री टी.एच. नकवी।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से उपस्थित               : श्री विकास अग्रवाल।

                            

दिनांक:  02.07.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-880/2004, मो0 रिजवान सिद्दीकी बनाम मैसर्स मंगला मोटर्स (प्रा0) लि0 में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय लखनऊ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30.8.2010 के विरूद्ध अपील संख्‍या-1872/2010, परिवादी की ओर से अनुतोष में वृद्धि हेतु प्रस्‍तुत की गई है, जबकि अपील संख्‍या-1791/2010, विपक्षी की ओर से प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश को अपास्‍त कराने के लिए प्रस्‍तुत की गई है।

2.         अत: उपरोक्‍त दोनों अपीलें एक ही निर्णय/आदेश से प्रभावित हैं, इसलिए उपरोक्‍त दोनों अपीलों का निस्‍तारण एक साथ एक ही निर्णय द्वारा एक साथ किया जा रहा है, इस हेतु अपील संख्‍या-1872/2010 अग्रणी अपील होगी

3.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ने दिनांक 13.10.2004 को संभागीय परिवहन अधिकारी लखनऊ के समक्ष विक्रम टैक्‍सी परमिट हेतु आवेदन दिया था, जिसे स्‍वीकार करते हुए एलपीजी चलित आटो रिक्‍शा की डिलीवरी हेतु सूची प्रेषित की गई थी। विपक्षी द्वारा अंकन 1,02,500/-रू0 नकद या चेक से देने के लिए कहा गया, इसके बाद बैंक में धनराशि जमा करने के लिए अंकन 1,02,500/-रू0 का अकाउण्‍ट पेयी चेक दिनांक 24.11.2004 को जमा करा दिया गया। विपक्षी ने दिनांक 27.11.2004 तक वाहन देने का वायदा किया था, परन्‍तु वाहन उपलब्‍ध नहीं कराया गया। खर्च घटाने के पश्‍चात अंकन 350/-रू0 प्रतिदिन की हानि हो रही है तथा जो ऋण लिया था, उस पर ब्‍याज अदा करना पड़ रहा है। ऐसा विपक्षी के आचरण के कारण हो रहा है।

4.         विपक्षी का कथन है कि विक्रम टैक्‍सी क्रय करने के लिए धन जमा किया गया था, परन्‍तु परिवादी स्‍वंय वाहन लेने नहीं आया, इसलिए विपक्षी का कोई उत्‍तरदायित्‍व नहीं है। परिवादी को वाहन देने के लिए कभी भी इंकार नहीं किया गया।

5.         पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि दो माह के अंदर परिवादी को एलपीजी चलित नया आटो रिक्‍शा उपलब्‍ध कराया जाए तथा बैंक से अंकन 80,000/-रू0 की राशि का जो ऋण परिवादी ने प्राप्‍त किया है, उस ऋण पर बैंक दर से ब्‍याज अदा करने का दायित्‍व भी विपक्षी का होगा तथा वाहन बुक कराने की तिथि से अदायगी की तिथि तक अंकन 2,00/-रू0 प्रति‍दिन के हिसाब से हुई हानि की क्षतिपूर्ति एवं वाद व्‍यय अंकन 500/-रू0 की अदायगी का दायित्‍व भी विपक्षी का होगा।

6.         मो0 रिजवान सिद्दीकी द्वारा प्रस्‍तुत की गई अपील में यह मांग की गई है कि अंकन 25000/-रू0 के स्‍थान पर अंकन 1,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति दिलाई जाए तथा अंकन 32,500/-रू0 जो परिवादी ने नकद जमा किए हैं, उस पर 18 प्रतिशत ब्‍याज एलपीजी आटो रिक्‍शा मिलने तक दिलाया जाए तथा अंकन 350/-रू0 प्रतिदिन की हानि की क्षतिपूर्ति दिलाई जाए।

7.         मैसर्स मंगला मोटर्स प्रा0लि0 द्वारा अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई है कि अंकन 1,12,500/-रू0 बजाज आटो लि0 के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया था, जिसके द्वारा वाहन का निर्माण किया गया है, इसलिए इस राशि को अदा करने का उत्‍तरदायित्‍व बजाज आटो लिमिटेड का है। विद्वान जिला आयोग के समक्ष इन तथ्‍यों से अवगत कराया गया था, परन्‍तु कोई विचार नहीं किया गया। आर.टी.ओ. लखनऊ के आदेश के अनुसार थ्री व्‍हीलर आटो का परमिट जारी हुए बिना डिलीवरी संभव नहीं थी, इसलिए डिलीवरी रोक दी गई, इसके बाद बजाज आटो लिमिटेड द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी की डीलरशिप टर्मीनेट कर दी गई और जिस स्‍थल पर व्‍यापार होता था, वह यूनियन बैंक आफ इण्डिया के समक्ष बंधक था। सर्फेसी एक्‍ट के अंतर्गत इसे सील कर दिया गया और व्‍यापार बंद हो गया। परिवादी की जमा राशि वापस करने का प्रस्‍ताव दिया गया था, परन्‍तु स्‍वंय परिवादी राशि वापस लेने नहीं आया।

8.         उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावलियों का अवलोकन किया गया।

9.         मंगला मोटर्स प्रा0लि0 द्वारा प्रस्‍तुत की गई अपील के ज्ञापन के तथ्‍यों से ही साबित होता है कि परिवादी द्वारा वांछित धनराशि जमा कर दी गई थी, परन्‍तु इस धनराशि के जमा करने के बावजूद परिवादी को वाहन उपलब्‍ध नहीं कराया गया, इसलिए इस तर्क में कोई बल नहीं है कि परिवादी द्वारा जो राशि जमा की गई थी, वह बजाज आटो लि0 के खाते में ट्रांसफर कर दी गई। विपक्षी बजाज आटो लि0 का डीलर है। डीलर रहते ही उनके द्वारा परिवादी का वाहन विक्रय किया गया है। परिवादी ने आर.टी.ओ. से अनुमति प्राप्‍त करने के पश्‍चात ही वांछित धनराशि जमा की थी, इसलिए मंगला मोटर्स प्रा0लि0 द्वारा प्रस्‍तुत की गई अपील संख्‍या-1791/2010 निराधार है, जो खारिज होने योग्‍य है।

10.        अब इस बिन्‍दु पर विचार किया जाता है कि क्‍या क्षतिपूर्ति की राशि में बढ़ोत्‍तरी किया जाना चाहिए ?

11.        प्रस्‍तुत केस के तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए क्षतिपूर्ति की राशि में बढ़ोत्‍तरी किया जाना केवल इस सीमा तक उचित है कि परिवादी द्वारा जो राशि अंकन 32,500/-रू0 जमा की गई है, उस पर ब्‍याज अदा करने का कोई आदेश विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित नहीं किया गया है। इस राशि पर भी वाहन उपलब्‍ध कराने तक ब्‍याज अदा करने का आदेश पारित किया जाना चाहिए था। तदनुसार परिवादी की ओर से प्रस्‍तुत की गई अपील संख्‍या-1872/2010 आंशिक रूप से स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

12.        अपील संख्‍या-1872/2010 आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30.08.2010 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी द्वारा जो राशि अंकन 32,500/-रू0 जमा की गई है, इस राशि पर जमा की तिथि से वाहन उपलब्‍ध कराने की तिथि तक 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्‍याज भी देय होगा। शेष निर्णय/आदेश यथावत् हरेगा।

           प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

           अपील संख्‍या-1791/2010 निरस्‍त की जाती है।

           प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

           इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्‍या-1872/2010 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्‍य प्रति संबंधित अपील में भी रखी जाए।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

 

(सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

दिनांक  02.07.2024

  लक्ष्‍मन, आशु0,

      कोर्ट-2

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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