राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या– 37/2021
मेसर्स गोल्डरस सेल्स एंड सर्विस
बनाम
मो0 रफी व अन्य
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक 13.05.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्धारा उदघोषित
निर्णय
पुकार हुई। प्रस्तुत अपील विगत तीन वर्षो से लम्बित है। पूर्व में अपील मीमो में इंगित त्रुटियों के निवारण हेतु अपीलार्थी के अधिवक्ता को पॉच अवसर प्रदान किये गये तदोपरान्त त्रुटियों का निवारण सुनिश्चित हुआ। त्रुटि निवारण के पश्चात लगभग 10 तिथियों पर मुख्य रूप से अपीलार्थी के अधिवक्ता के स्थगन प्रार्थना पत्र पर अथवा अनुपस्थिति के कारण अपील स्थगित की जाती रही है। पुन: आज अपीलार्थी के अधिवक्ता अनुपस्थित है।
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, बहराइच द्धारा परिवाद संख्या– 84/2006 मो0 रफी बनाम टाटा मोटर्स व अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 20.10.2011 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में परिवाद के तथ्य यह है कि परिवादी ने दिनांक 29/30.07.2005 को विपक्षी संख्या-01 के यहां से टाटा सूमो विक्टा जी0 एस0 टी0 सी 75, पी0 एस0 टी0 सी0 75 एयर कंडीशन जिसका इंजन नं0 483 डी एल टी सी 55 एफ यू जेड 717881 चेचिस नं0 70446330 एफ यू जेड 929736 रू0 6,12,,011.39 (छै लाख बारह हजार ग्यारह उन्तालीस पैसा) में क्रय किया। विपक्षीगण द्धारा बताया गया कि उक्त वाहन का एयर कंडीशन न चलाने पर एवरेज 15 कि0 मी0 प्रति लीटर तथा एयर कन्डीशन चलाने पर 13 कि0 मी0 प्रति लीटर है। उपरोक्त वाहन को ए. सी. सहित चलाने पर 05 किलोमीटर तथा ए. सी. न चलाने पर 07 किलोमीटर का एवरेज आता है तथा वाहन के सारे दरवाजे ठीक से बन्द नहीं होते और न ही लाक होते है। वाहन में खट-खट की आवाज आती है। बाहर की सारी धूल गाड़ी के अंदर आती है। दरवाजे के शीशे जो पावर से खुलते व बन्द होते हैकार्य नहीं करते है उसकी सेटिंग खराब है। परिवादी ने सर्विस मेनुअल में दिये गये दूरभाष पर सम्पूर्ण कमियों से विपक्षी को अवगत कराया तो विपक्षीगण द्धारा आश्वासन दिया गया कि प्रथम सर्विसिंग पर कमियों को दूर करा दिया जावेगा। परिवादी द्धारा प्रथम सर्विस दिनांक 12.11.2005 को कराया गया। उपर उल्लिखित कमियों के बारे में बताया गया परन्तु कमियां दूर नहीं की गई और सर्विसिंग का पैसा ले लिया गया। विपक्षी संख्या-03 ने परिवादी को बताया कि कमियों के संबंध में विपक्षी संख्या-01 व 02 को पत्र लिखा गया है। वाहन की जल्द ही कमियां दूर कर दी जायेगी। परिवादी ने पंजीकृत नोटिस देकर विपक्षीगण से अनुरोध किया कि उक्त वाहन खराब है 15000 किलोमीटर चला है, उसे वापस लेकर दूसरा वाहन प्रदान करा दिया जावे परन्तु विपक्षीगण द्धारा कोई कार्यवाही नहीं की गई जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी ने यह परिवाद प्रस्तुत किया है।
विपक्षी संख्या-01 व 02 ने जवाबदावा में कहा है कि परिवाद पोषणीय नहीं है। परिवादी तथा विपक्षीगण के मध्य उपभोक्ता का संबंध नहीं है। परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-2(1) डी के अंतर्गत उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। प्रश्नगत वाहन वाणिज्यिक उद्देश्य हेतु क्रय किया गया था। प्रश्नगत वाहन का मीटर देखने से साबित होता है कि परिवादी द्धारा उसे वाणिज्यिक प्रयोग में लाया गया है। वाहन को लगभग 2500 किलोमीटर प्रतिमाह के हिसाब से चलाया गया है। बैंक आफ इंडिया वाहन के फाइनेन्सर है तथा उन्हें परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया गया है। वाहन टाटा सूमो विक्टा काफी अच्छा वाहन है जो विधिक रूप से मिनिस्ट्री आफ इंडस्ट्रीज से प्रमाणित है। परिवादी द्धारा वाहन की सर्विस मेनुअल के अनुसार नहीं करायी गई। परिवादी ने वाहन को वाणिज्यिक उद्देश्य से क्रय किया था इस आधार पर भी परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
विपक्षी संख्या-03 द्धारा कोई भी जवाबदावा जिला आयोग में दाखिल नहीं किया गया अत: उनके विरूद्ध परिवाद एकपक्षीय रूप से अग्रसर हुआ।
विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा ऊपर उल्लिखित तथ्यों की समीक्षा व परीक्षण करने के उपरान्त निम्न आदेश पारित किया गया है:-
‘’ प्रस्तुत परिवाद पत्र विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वे वाद ग्रस्त वाहन जिसका विवरण परिवाद पत्र की धारा’-03 में दिया गया है, के त्रुटियों जिसका उल्लेख वाद पत्र की धारा-09 में किया गया है, को दूर करें। यदि परिवाद पत्र की धार-09 में इंगित प्रश्नगत वाहन की त्रुटियां दूर नहीं होते तो उस वाहन को बदल करके उसी कीमत का सही दूसरा वाहन परिवादी को उपलब्ध करायें। परिवादी को मानसिक व शारीरिक व वाद व्यय स्वरूप कुल रू0 10,000.00 अलग से विपक्षीगण अदा करें। निर्णय की प्रति जरिये पंजीकृत डाक द्धारा परिवादी अपने व्यय पर विपक्षीगण को उपलब्ध करायें जिसकी प्राप्ति के दो माह के अंदर मंच द्धारा दिये गये उपरोक्त आदेशों का अनुपालन विपक्षीगण द्धारा किया जाना सुनिश्चित किया जाये। परिवादी प्रश्नगत वाहन को विपक्षीगण द्धारा आदेश की प्राप्ति के पश्चात 02 माह के अन्दर विपक्षी संख्या-03 के पास उसे उपलब्ध करावें। मानसिक, शारीरिक क्षति व वाद व्यय स्वरूप परिवादी को दिये जाने वाले रू0 10,000.00 को यदि विपक्षीगण द्धारा उपरोक्त समय के अन्दर अदा नहीं किया जाता तो परिवाद दाखिल करने की तिथि से उसके अंतिम भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज भी देय होगा। ’’
मेरे विचार से विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद स्वीकृत करके विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग ने न तो कोई त्रुटि की है और न ही मेरे द्धारा उल्लिखित पाई गई। तदनुसार विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश को स्वीकृत करते हुये निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
अत: प्रस्तुत अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। जिला आयोग द्धारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
प्रस्तुत अपील योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्धारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
रंजीत, पी.ए.
कोर्ट न0- 1