राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(सुरक्षित)
अपील संख्या-2591/2016
(जिला उपभोक्ता फोरम, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद संख्या 156/2014 में पारित आदेश दिनांक 20.09.2016 के विरूद्ध)
ATMARAM AUTO ENTERPRISES, DEALER MAHINDRA AND MAHINDRA LTD., ARTONI, MATHURA ROAD, AGRA, THROUGH MANAGING DIRECTOR. ....................अपीलार्थी/विपक्षी सं01
बनाम
1. MOHD. NAVED, S/O LATE SRI SHAFIQ, R/O 83, MOHALLA KATRA PATHANAN, P.S. DAKSHIN TEHSIL, DISTRICT FIROZABAD.
2. MAHINDRA AND MAHINDRA LTD., MAXIMO MINI VAN, THROUGH CHAIRMAN, GATEWAY BUILDING, APOLLO BUNDER, MUMBAI-400001.
................प्रत्यर्थीगण/परिवादी व विपक्षी सं02
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री नवीन कुमार तिवारी,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं02 की ओर से उपस्थित : श्री प्रखर मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
एवं
अपील संख्या-2740/2016
(जिला उपभोक्ता फोरम, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद संख्या 156/2014 में पारित आदेश दिनांक 20.09.2016 के विरूद्ध)
Mahindra & Mahindra Limited.
....................अपीलार्थी/विपक्षी सं02
बनाम
1. Md. Naved, S/o Late Shafeeq
R/o. 83, Katra Pathanan, P.S.
South, Tehsil and District Firozabad.
-2-
2. Atmaram Auto Enterprises,
Dealer Mahindra and Mahindra Ltd.
Through its owner,
Atrauni Mathura Road, Agra.
................प्रत्यर्थीगण/परिवादी व विपक्षी सं01
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री प्रखर मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री नवीन कुमार तिवारी,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं02 की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 05.01.2018
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-156/2014 मोहम्मद नवेद बनाम आत्माराम आटो इन्टरप्राईजेज डीलर महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा लि0 व तीन अन्य में जिला फोरम, फिरोजाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 20.09.2016 के विरूद्ध उपरोक्त अपील संख्या-2591/2016 परिवाद के विपक्षी संख्या-1 आत्माराम आटो इन्टरप्राईजेज ने और उपरोक्त अपील संख्या-2740/2016 परिवाद के विपक्षी संख्या-2 महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0 ने धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की है।
जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
-3-
''परिवादी का परिवाद विपक्षी सं0 1 व 2 के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी सं0 1 व 2 को आदेश दिया जाता है कि वे परिवादी को प्रश्नगत वाहन की कीमत मु0 4,36,500/-रू0 का भुगतान करें। मानसिक व शारीरिक क्षति के रूप में 5,000/-रू0 तथा वाद व्यय के रूप में 5,000/-रू0 का भुगतान करे। परिवादी को यह आदेश दिया जाता है कि वह प्रश्नगत वाहन व उससे सम्बन्धित सभी प्रपत्र विपक्षी सं0 1 व 2 को प्राप्त करावे। उपरोक्त आदेश का पालन विपक्षी सं0 1 व 2 व परिवादी एक माह के अन्दर करें। उपरोक्त भुगतान के लिये विपक्षी सं0 1 व 2 संयुक्त रूप से तथा पृथक-पृथक रूप से जिम्मेदार होंगे। उपरोक्त धनराशि की वसूलयावी होने पर विपक्षी सं0 3 अपने ऋण की धनराशि मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा। विपक्षी सं0 3 व 4 के विरूद्ध परिवाद खारिज किया जाता है।''
उपरोक्त अपील संख्या-2591/2016 में अपीलार्थी/विपक्षी सं01 आत्माराम आटो इन्टरप्राईजेज की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा, प्रत्यर्थी सं01/परिवादी मो0 नवेद की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री नवीन कुमार तिवारी और प्रत्यर्थी सं02/विपक्षी सं02 महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री प्रखर मिश्रा उपस्थित आए हैं।
उपरोक्त अपील संख्या-2740/2016 में अपीलार्थी/विपक्षी सं02 महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री प्रखर मिश्रा, प्रत्यर्थी सं01/परिवादी मो0 नवेद की ओर से विद्वान
-4-
अधिवक्ता श्री नवीन कुमार तिवारी और प्रत्यर्थी सं02/विपक्षी सं01 आत्माराम आटो इन्टरप्राईजेज की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा उपस्थित आए हैं।
उपरोक्त दोनों अपीलें एक ही आक्षेपित निर्णय और आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी हैं। अत: दोनों अपीलों का निस्तारण एक साथ संयुक्त निर्णय के द्वारा किया जा रहा है।
मैंने उपरोक्त दोनों अपीलों में उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
दोनों अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी मो0 नवेद ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने अपने परिवार के जीविकोपार्जन के उद्देश्य से विपक्षी संख्या-3 महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा फाइनेन्सियल सर्विसेज लि0 से ऋण सुविधा प्राप्त कर विपक्षी संख्या-2 मेक्सिमो मिनीवैन द्वारा चेयरमैन गेटवे बिल्डिंग अपोलो वण्डर मुम्बई 400039 महाराष्ट्र द्वारा निर्मित मिनी वैन उसके अधिकृत डीलर विपक्षी संख्या-1 आत्माराम आटो इन्टरप्राईजेज से क्रय किया। वाहन क्रय किए जाने के पश्चात् उसने 100 कि0मी0 उसे चलाया तभी इंजन में खराबी आनी शुरू हो गयी। इसकी शिकायत उसने विपक्षी संख्या-1 से की तो उसने गाड़ी चेक करने हेतु अपने वर्कशाप मंगाया और स्वीकार किया कि इसका इंजन खराब हालत में है, इसलिए यह इंजन बदला जाएगा। इस समय
-5-
गाड़ी थोड़ा बहुत सही करके दिलवा देते हैं जैसे नया इंजन आएगा तुरन्त बदल दिया जाएगा।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसके द्वारा क्रय किए गए मिनी वैन की इंजन की खराबी के कारण करीब 1,00,000/-रू0 उसका खर्च हुआ। उसके बाद विपक्षी संख्या-1 ने करीब तीन माह बाद इंजन बदलवा दिया और इंजन बदलने के साथ पूरी गाड़ी की ओवरहालिंग करके उसे दी, परन्तु इस अवधि में विपक्षी संख्या-3 फाइनेंस कम्पनी द्वारा समय-समय पर उससे रूपया वसूला जाता रहा, जिससे उसकी हालत खराब हो गयी।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि इंजन बदले जाने के बाद कम्पनी द्वारा एक साल की गारण्टी दी गयी थी, लेकिन जब उसने गाड़ी सड़क पर चलाना शुरू किया तो गाड़ी का टायर खराब होने लगा और गाड़ी का एलाइनमेंट खराब हो गया। उसने गाड़ी को फिरोजाबाद स्थित इंजीनियर को दिखाया तो उन्होंने बताया कि गाड़ी उसे जुगाड़ करके दे दी गयी है इसमें कोई हिस्सा चलने लायक नहीं है। इंजन जो लगाया गया है उसमें काफी खराबी है और यह इंजन सुधर नहीं सकता है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि तीन माह के अन्दर ही पहले से ही इंजन खराब होने के कारण गाड़ी की हालत काफी खराब हो गयी। उसका ससपेन्शन, स्टीयरिंग, वायरिंग, क्लच प्लेट, बैटरी, टायर सभी कुछ खराब होने के कारण गाड़ी
-6-
कण्डम हो गयी। किसी तरह से वह रिपेयरिंग कराकर गाड़ी चलाता रहा। गाड़ी का टायर भी बदलवाया, बैटरी भी बदली, परन्तु इंजन खराब होने के कारण वाहन ठीक से नहीं चला। तब वह उक्त वाहन को विपक्षी संख्या-1 के शोरूम के वर्कशाप में ले गया, परन्तु विपक्षीगण संख्या-1 व 2 की मिली भगत से वाहन की कमियॉं दूर नहीं की गयी और न प्रत्यर्थी/परिवादी को नई गाड़ी प्रदान की गयी।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि विपक्षी संख्या-3, विपक्षी संख्या-2 की सिस्टर कनसर्न है और जानबूझकर विपक्षी संख्या-3 प्रत्यर्थी/परिवादी को डराते रहते हैं। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद उपरोक्त विपक्षीगण के विरूद्ध प्रस्तुत किया है और बाद में संशोधन के द्वारा परिवाद में विपक्षी संख्या-4 चोलामण्डलम मेसर्स जनरल इंश्योरेंस कम्पनी को बनाया है।
जिला फोरम के समक्ष विपक्षी संख्या-1 ने लिखित कथन प्रस्तुत किया है और कहा है कि परिवादी द्वारा परिवाद मनगढ़न्त तथ्यों के आधार पर उसके विरूद्ध प्रस्तुत किया गया है। लिखित कथन में उसने कहा है कि विपक्षी संख्या-1 मै0 आत्माराम आटो इन्टरप्राईजेज उत्तर भारत का विश्वसनीय पूर्णत: ग्राहकों को सन्तुष्ट करने वाला प्रतिष्ठान रहा है। उसने सेवा में कोई कमी नहीं की है। उसके विरूद्ध परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है।
जिला फोरम के समक्ष विपक्षी संख्या-3 की तरफ से भी लिखित कथन प्रस्तुत करते हुए परिवाद निरस्त करने का निवेदन
-7-
किया गया है।
जिला फोरम के समक्ष विपक्षी संख्या-4 चोलामण्डलम मेसर्स जनरल इंश्योरेंस कम्पनी ने भी लिखित कथन प्रस्तुत किया है और कहा है कि उसके विरूद्ध कोई अनुतोष नहीं मांगी गयी है। उसे अनावश्यक पक्षकार बनाया गया है।
जिला फोरम के समक्ष विपक्षी संख्या-2 की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त यह निष्कर्ष निकाला है कि विपक्षी संख्या-1 वाहन का विक्रेता है और वह वाहन निर्माता का सबडीलर है। जिला फोरम ने यह भी निष्कर्ष निकाला है कि विपक्षी संख्या-2 के विरूद्ध परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है क्योंकि प्रश्नगत वाहन में मैन्यूफैक्चरिंग डिफैक्ट साबित होता है और उक्त वाहन विपक्षी संख्या-1 के शोरूम के वर्कशाप में खड़ा है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी उल्लेख किया है कि परिवादी द्वारा उपरोक्त वाहन ऋण सुविधा लेकर खरीदा गया है और परिवादी पर ऋण का ब्याज भी चल रहा है। अत: जिला फोरम ने यह निष्कर्ष निकाला है कि विपक्षीगण संख्या-1 व 2 ने सेवा में कमी की है। अत: जिला फोरम ने उपरोक्त प्रकार से परिवाद के विपक्षीगण संख्या-1 व 2 के विरूद्ध आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है।
दोनों अपील के अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान
-8-
अधिवक्तागण का तर्क है कि परिवाद अस्पष्ट और भ्रामक कथन के साथ प्रस्तुत किया गया है। परिवाद पत्र में वाहन का नम्बर, चेचिस नम्बर आदि उल्लिखित नहीं है और न यही उल्लिखित है कि वाहन कब खरीदा गया है और उसमें नया इंजन कब लगाया गया।
दोनों अपील के अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्तागण का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के वाहन में तकनीकी व निर्माण सम्बन्धी त्रुटि होने का कोर्इ साक्ष्य या प्रमाण नहीं है और न ही वाहन का तकनीकी परीक्षण कराया गया है। अत: जिला फोरम ने प्रश्नगत वाहन में जो तकनीकी और निर्माण सम्बन्धी त्रुटि माना है, वह आधार रहित और विधि विरूद्ध है।
अपील संख्या-2740/2016 के अपीलार्थी महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0 के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवाद पत्र में अपीलार्थी को गलत नाम व पते से विपक्षी संख्या-2 बनाया गया है। अत: विपक्षी संख्या-2 निर्माता कम्पनी महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0 को जिला फोरम का नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है और वह जिला फोरम के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं कर सकी है।
दोनों अपील में प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के अनुकूल है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने विपक्षी संख्या-2 द्वारा निर्मित मिनी वैन विपक्षी संख्या-1, जो विपक्षी संख्या-2 का
-9-
अधिकृत विक्रेता है, से विपक्षी संख्या-3 फाइनेंस कम्पनी से आर्थिक सहायता प्राप्त कर क्रय किया है, परन्तु वाहन क्रय किए जाने के बाद 100 कि0मी0 भी नहीं चला कि उसके इंजन में तकनीकी खराबी आने लगी और इंजन बार-बार खराब होने लगा। उसने विपक्षी संख्या-1 के वर्कशाप में दिखाया तो वाहन का इंजन खराब होना स्वीकार किया गया और उसके तीन माह बाद इंजन बदला गया। फिर भी इंजन की खराबी दूर नहीं हुई और इंजन खराब होने के कारण मिनी वैन में अन्य बहुत सी कमियॉं उत्पन्न हो गयी, जिसका निवारण विपक्षी संख्या-1 अथवा निर्माता विपक्षी संख्या-2 द्वारा नहीं किया गया। दिखाने पर इंजीनियर द्वारा बताया गया कि बदला गया इंजन भी त्रुटिपूर्ण है और वाहन में अन्य जो त्रुटियॉं आयी हैं इसी कारण आयी हैं। अत: जिला फोरम ने जो वाहन में तकनीकी और निर्माण सम्बन्धी त्रुटि माना है, वह उचित और युक्तसंगत है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विपक्षीगण को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजी गयी है फिर भी निर्माता विपक्षी उपस्थित नहीं हुए हैं। अत: जिला फोरम ने उन पर नोटिस का तामीला पर्याप्त मानते हुए जो एकपक्षीय कार्यवाही की है और आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है, वह उचित है। उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
परिवाद पत्र में प्रत्यर्थी/परिवादी ने विपक्षी संख्या-2 मेक्सिमो
-10-
मिनीवैन द्वारा चैयरमैन गेटवे बिल्डिंग अपोलो वण्डर मुम्बई 400039 महाराष्ट्र को बनाया है, जबकि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा क्रय किए गए वाहन की निर्माता कम्पनी महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0 है। अत: यह स्पष्ट है कि परिवाद में निर्माता कम्पनी विपक्षी संख्या-2 का गलत विवरण दिया गया है और गलत नाम से उसे पक्षकार बनाया गया है। अत: ऐसी स्थिति में परिवाद के विपक्षी संख्या-2 अर्थात् अपील संख्या-2740/2016 के अपीलार्थी महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0 पर जिला फोरम द्वारा जारी नोटिस का तामीला न मानने हेतु उचित और युक्तसंगत आधार दिखता है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि विपक्षी संख्या-2 महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0 को परिवाद में उचित रूप से पक्षकार न बनाए जाने के कारण उसे जिला फोरम के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर नहीं मिला है। इसके साथ ही जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय और आदेश से यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के वाहन में तकनीकी अथवा निर्माण सम्बन्धी त्रुटि के निर्धारण हेतु वाहन की किसी अधिकृत और सक्षम विशेषज्ञ से जांच नहीं करायी गयी है और वाहन की कोई तकनीकी परीक्षण आख्या पत्रावली पर नहीं है, जबकि धारा-13 (4) (IV) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत वाहन की तकनीकी परीक्षण आख्या प्राप्त किया जाना विवाद के निर्णय हेतु आवश्यक और सुसंगत है।
उपरोक्त विवेचना से यह स्पष्ट है कि परिवाद में निर्माता कम्पनी को सही नाम से पक्षकार नहीं बनाया गया है, जिससे उस
-11-
पर नोटिस का तामीला मानने हेतु उचित आधार नहीं है और गलत पता अंकित होने के कारण वह जिला फोरम के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने से वंचित रहा है। ऐसी स्थिति में उचित प्रतीत होता है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश को अपास्त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाए कि वह निर्माता विपक्षी संख्या-2 का विवरण परिवाद पत्र में ठीक ढंग से अंकित कराये और विपक्षी संख्या-2 को अपना लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर दे। उसके बाद उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर प्रदान करके पुन: निर्णय विधि के अनुसार पारित करे। इस स्तर पर यह उल्लेख करना भी आवश्यक है कि जिला फोरम अन्तिम निर्णय पारित करने के पहले धारा-13 (4) (IV) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत सक्षम अधिकृत विशेषज्ञ या संस्था से वाहन की तकनीकी अथवा निर्माण सम्बन्धी त्रुटि के सन्दर्भ में वाहन का निरीक्षण कराकर आख्या प्राप्त करेगा।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर उपरोक्त दोनों अपीलें स्वीकार की जाती हैं और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय व आदेश अपास्त किया जाता है तथा पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम उपरोक्त अपील संख्या-2740/2016 के अपीलार्थी महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0, जो परिवाद में विपक्षी संख्या-2 है, का विवरण परिवाद पत्र में ठीक कराकर उसे लिखित कथन इस निर्णय में
-12-
हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से 30 दिन के अन्दर प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करे और उसके उपरान्त प्रश्नगत वाहन का धारा-13 (4) (IV) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत सक्षम अधिकृत विशेषज्ञ या संस्था से निरीक्षण कराकर जांच आख्या प्राप्त करे। तदोपरान्त उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर प्रदान करके पुन: निर्णय विधि के अनुसार यथाशीघ्र पारित करे।
उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 15.02.2018 को उपस्थित हों।
दोनों अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
दोनों अपील में धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित अपीलार्थीगण को नियमानुसार वापस की जाएगी।
इस निर्णय की एक प्रति अपील संख्या-2740/2016 में भी रखी जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1