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राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-972/2010
(जिला मंच हमीरपुर द्वारा परिवाद सं0-४३/२००५ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १३/०५/२०१० के विरूद्ध)
मै0 सतपाल बैट्री सर्विस द्वारा रिशि पुत्र श्री सतपाल मेडिसत्ता निवासी १२३/१७७ सी-गार्डेन पुरवा कानपुर।
.............. अपीलार्थी।
बनाम्
मो0 नासिर खां पुत्र मो0 साबिर खां निवासी मो0 हैदरगंज कपसा रोड मादहा परगना व तहसील मादहा पोस्ट आफिस रागौल जिला हमीरपुर उ0प्र0।
............... प्रत्यर्थी।
समक्ष:-
१. मा0 श्री संजय कुमार, पीठासीन सदस्य।
२. मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री ए0के0 मिश्रा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं ।
दिनांक : 06/02/2018
मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य द्वारा उदघोषित
आदेश
प्रस्तुत अपील, जिला मंच हमीरपुर द्वारा परिवाद सं0-४३/२००५ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १३/०५/२०१० के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में विवाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी इलेक्ट्रिक रिपेयर एवं बैट्री रिपेयरिंग का कार्य करता है। उसने अपीलकर्ता से भिन्न–भिन्न तिथियों पर बैट्रियां और इन्वर्टर लिए। अपीलकर्ता के अनुसार उन बैट्रियों पर एक वर्ष की गारण्टी दी गयी थी और कहा गया था कि यदि एक वर्ष की अवधि में बैट्री खराब हो जाएगी तो बैट्री वापस कर ली जाएगी अथवा अन्य बैट्री दे दी जाएगी अथवा पैसा वापस कर दिया जाएगा। प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलकर्ता पर विश्वास करके ०३ वर्ष तक बैट्रियां खरीदी और भुगतान करता रहा । प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार कतिपय बैट्रियां खराब पायी गयी और जब उन्हें प्रत्यर्थी/परिवादी अपीलकर्ता को वापस करने गया तो उसको न तो पैसा वापसकियाऔर न ही खराब बैट्रियां बदली गयी। इसी से क्षुब्ध होकर परिवाद जिला मंच के समक्ष दायर किया गया।
उक्त परिवाद में अपीलकर्ता/विपक्षी को जिला मंच द्वारा नोटिस भेजा गया। अपीलकर्ता/विपक्षीजिला मंच के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ। अत: जिला मंच द्वारा एकपक्षीय रूप से कार्यवाही की गयी। प्रत्यर्थी/परिवादी के द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों का परिशीलन करने तथा उसको सुनने के बाद विद्वान जिला मंच ने निम्नलिखित प्रश्नगत आदेश पारित किया-
‘’ वादी का यह वाद विपक्षी के विरूद्ध मु0 रू0 १७०९२/- (सत्तरा हजार बाननबे रूपये मात्र) धनराशि तथा इसी धनराशि पर प्रस्तुत किये जाने की तिथि से भुगतान की तिथि तक ०८ प्रतिशत वार्षिक ब्याज देय है। वाद व्यय मु0 रू0 १०००/- वादी विपक्षी से पाने का अधिकारी है। ‘’
इस आदेश की जानकारी जब अपीलकर्ता को हुई तो उसने उक्त एकपक्षीय आदेश को निरस्त करने के लिए परिवाद के पुनर्स्थापन हेतु प्रार्थना पत्र दिया । विद्वान जिला मंच ने पुनर्स्थापन प्रार्थना पत्र सं0-०२/२००९ अपने आदेशदिनांक १३/०५/२०१० द्वारा इस आधार पर निरस्त कर दिया कि जिला मंच को अपने आदेश को निरस्त करने का अधिकार प्राप्त नहीं है।
इसी आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
अपील में आधार लिया गया है कि प्रश्नगत आदेश एकपक्षीय है और निरस्त किए जाने योग्य है। विद्वान जिला मंच के आदेश की उसे जानकारी दिनांक २८/१२/२००८ को उस समय हुई जब तहसील का अमीन वसूली प्रमाण पत्र लेकर उसके यहां आया। अत: उसने तत्काल जिला मंच से उपरोक्त उल्लिखित आदेशों की प्रतिलिपि प्राप्त की और अपील तैयार कराकर अपील दायर की।
अपीलकर्ता ने विलंब का दोष क्षमा करने के लिए एक प्रार्थना पत्र मय शपथ पत्र दिया है। विलंबका दोष क्षमा करने के प्रार्थना पत्र में कथित कारण पर्याप्त है तथा विलंब का प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाता है। तदनसुार विलंब क्षमा किया जाता है।
अपील सुनवाई हेतु पीठ के समक्ष प्रस्तुत हुई। अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री ए0के0 मिश्रा उपस्थित हैं। प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित नहीं हैं। बहस सुनी गयी। पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि यह प्रकरण एक व्यवसायिक प्रकृति का है। प्रत्यर्थी/परिवादी पुरानी बैट्रियों को खरीदकर बैट्री बेचने का कार्य करता है। प्रश्नगत बैट्री उसने अपने उपभोग के लिए नहीं ली थी बल्कि व्यापार के लिए खरीदी थी। प्रत्यर्थी/परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ की धारा २(१)(डी) के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं है। अत: यह प्रकरण जिला उपभोक्ता फोरम के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है। अत: यह प्रकरण जिला उपभोक्ता फोरम में चलने योग्य नहीं था। विद्वान जिला फोरम ने इस परिवाद का संज्ञान लेकर त्रुटिकी है। अपीलकर्ता की अपील में बल है। तदनुसार अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच हमीरपुर द्वारा परिवाद सं0-४३/२००५ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १३/०५/२०१० निरस्त किया जाता है। परिवाद भी निरस्त किया जाता है।
उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभयपक्ष को इस आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार निर्गत की जाए।
(संजय कुमार) (महेश चन्द)
पीठासीन सदस्य सदस्य
सत्येन्द्र, कोर्ट-४