Uttar Pradesh

StateCommission

A/1599/2015

Uppcl - Complainant(s)

Versus

Mohd Naseem - Opp.Party(s)

Isarhussain

31 Oct 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1599/2015
(Arisen out of Order Dated 06/07/2015 in Case No. c/17/2008 of District Allahabad)
 
1. Uppcl
Allahabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Mohd Naseem
Allahabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 31 Oct 2017
Final Order / Judgement

सुरक्षि‍त

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 

                                                                                           अपील संख्‍या- 1599/2015

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-17/2008 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 06-07-2015 के विरूद्ध)

 

दि एग्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर, इलेक्‍ट्रीसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन ।।, 57 जार्ज टाउन, इलाहाबाद।

अपीलार्थी/विपक्षी

 

बनाम

मोहम्‍मद नसीम पुत्र स्‍व0 नन्‍हे मियां निवासी ग्राम हबीबपुर, पोस्‍ट मलांव खुर्द, तहसील फूलपुर, जनपद इलाहाबाद।

                                                                                                                                                                      प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :   विद्वान अधिवक्‍ता, श्री इशार हुसैन

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित :    विद्वान अधिवक्‍ता, श्री राकेश कुमार गुप्‍ता

 

दिनांक: 13-12-2017

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

                                                                                                      निर्णय

 

परिवाद संख्‍या 17 सन् 2008 मो0 नसीम बनाम अधिशाषी अभियन्‍ता, विद्युत वितरण खण्‍ड द्धितीय, 57 जार्जटाउन,  इलाहाबाद  में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, इलाहाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक     06-07-2015 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

 

 

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आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुये निम्‍न आदेश पारित किया है:- ‍  

     "परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत यह परिवाद-पत्र अंशत: आज्ञप्‍त किया जाता है। विपक्षी द्वारा परिवादी को प्रेषित समस्‍त विद्युत बिल निरस्‍त किये जाते हैं। विपक्षी को यह निर्देश दिया जाता है कि‍ वह इस आदेश के 02 माह के अन्‍दर परिवादी को 1,000/- रू० क्षतिपूर्ति तथा 1,000/- रू० वाद व्‍यय भी अदा करें।"

जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी अधिशाषी अभियन्‍ता, विद्युत वितरण खण्‍ड द्धितीय, 57 जार्जटाउन,  इलाहाबाद ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री इशार हुसैन और प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता राकेश कुमार गुप्‍ता उपस्थित आए।

     मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

     अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त और सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उपरोक्‍त परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसके पिता स्‍व0 नन्‍हे मियां की मृत्‍यु दिनांक          07-12-1997 को हो चुकी है। उसके पिता ने एक विद्युत कनेक्‍शन हेतु अपीलार्थी/विपक्षी के यहॉं प्रार्थना पत्र दिया था जिसमें उन्‍हें कनेक्‍शन संख्‍या 025867 दिया गया लेकिन मौके पर कोई विद्युत कनेक्‍शन नहीं दिया गया। फिर भी विद्युत बिल बराबर भेजा जा रहा है, जो अनुचित और गलत है।

    

 

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परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि‍ विद्युत कनेक्‍शन न होने के कारण उसके पिता ने विद्युत का कोई उपयोग नहीं किया है और न किसी बिल को अदा करने की जिम्‍मेदारी प्रत्‍यर्थी/परिवादी की है।

     अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत कर कहा गया है कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दिनांक 10-03-1990 घरेलू विद्युत कनेक्‍शन प्राप्‍त करने हेतु आवेदन किया और निर्धारित शुल्‍क जमा किया। तब उन्‍हें कनेक्‍शन संख्‍या 932/ 1965/ 025867  आवंटित किया गया था और केबिल द्वारा विद्युत लाइन चालू कर दी गयी। वह विद्युत का उपयोग और उपभोग करते रहे हैं और उनके बाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी कर रहा है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया है कि‍ परिवाद में धारा- 24 क उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार मियाद बाधक है।

     लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया है कि‍ परिवादी को हर दो माह के अन्‍तराल पर बिल प्रेषित किया गया है लेकिन उसने भुगतान नहीं किया है जिससे बिल बढ़ते-बढ़ते  19,925/- रू० हो गया है, जिससे बचने के लिए उसने गलत कथन के आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

     जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन पर विचार करने के उपरान्‍त अधिवक्‍ता आयुक्‍त निरीक्षण मौका हेतु नियुक्‍त किया जिन्‍होंने निरीक्षण मौका के उपरान्‍त आख्‍या प्रस्‍तुत की जिसमें परिवादी के मकान में किसी प्रकार का कोई विद्युत कनेक्‍शन नहीं पाया गया है और न ही कोई विद्युत वायरिंग पायी गयी है।

     जिला फोरम ने उपलब्‍ध साक्ष्‍यों और अधिवक्‍ता आयुक्‍त की आख्‍या के आधार पर निष्‍कर्ष यह निकाला है कि‍ अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के

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पिता अथवा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कथित विद्युत कनेक्‍शन मौके पर नहीं दिया है। जिला फोरम ने यह भी निष्‍कर्ष निकाला है कि‍ प्रश्‍नगत परिवाद में धारा-24 ए उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की मियाद बाधक नहीं है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए उपरोक्‍त प्रकार से निर्णय और आदेश पारित किया है।

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि‍  जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश त्रुटिपूर्ण है। जिला फोरम ने साक्ष्‍यों पर सही ढंग से विचार नहीं किया है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि‍ जिला फोरम ने एस0डी0ओ0 की रिपोर्ट दिनांक 30-01-2014 पर विश्‍वास न कर गलती की है।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि‍ जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है। इसमें हस्‍तक्षेप हेतु कोई उचित आधार नहीं है।

     मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

     जिला फोरम ने उभय पक्ष द्वारा प्रस्‍तुत साक्ष्‍यों पर विस्‍तृत रूप से विचार कर विधिक विवेचना की है और पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों से यह स्‍पष्‍ट है कि‍ अपीलार्थी/विपक्षी यह प्रमाणित करने में असफल रहा है है कि‍ वास्‍तव में मौके पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पिता को कनेक्‍शन दिया गया था और उसने विद्युत उपभोग किया है।  जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी  द्वारा वर्ष 2007 और 2010 में प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथित विद्युत कनेक्‍शन के सम्‍बन्‍ध में जारी बिल के आधार पर परिवाद को जो समय सीमा के अन्‍दर माना है वह भी उचित है।

    

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उभय पक्ष के अभिकथन एवं सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश को त्रुटिपूर्ण मानने हेतु उचित और तर्कसंगत आधार नहीं दिखता है। अत: जिला फोरम के निर्णय में हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। अत: अपील सव्‍यय निरस्‍त की जाती है। अपीलार्थी/विपक्षी, प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 1000/- रू० अपील व्‍यय के रूप में  अदा करेंगे।

     अपीलार्थी द्वारा धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत जमा धनराशि से प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 1000/- रू० अपील व्‍यय के रूप में प्रदान किया जाए।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

अध्‍यक्ष

            

कृष्‍णा, आशु0

कोर्ट 01

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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