(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-835/2008
Oriental Insurance Company Limited
Versus
Mohd. Ismail Son of Sri Sami Ullah
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आशीष कुमार श्रीवास्तव, विद्धान
अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री सुशील कुमार शर्मा, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :19.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद सं0-203/2002 मो0 इस्माईल बनाम दि ओरियण्टल इं0कं0लि0 व अन्य में विद्धान जिला आयोग, फैजाबाद द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 26.02.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। पत्रावली एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए बीमित वाहन के दुर्घटना के कारण क्षति की पूर्ति के लिए अंकन 76,000/-रू0 12 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
- परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी वाहन सं0 यू0पी0 42बी/3420 का मालिक है, जिसका बीमा दिनांक 30.12.2000 की अवधि तक प्रभावी था। दिनांक 23.08.2000 को प्रात: लगभग 10 बजे फैजाबाद कार्यालय से फिटनेश प्राप्त करके अकबरपुर के लिए रवाना हुआ था तब ट्रक सं0 यू0पी0 078/9555 से टकराकर बस अनियंत्रित होकर उलट गयी। सवारियों को चोट आयी और एक सवारी की मृत्यु हो गयी। दुर्घटना के समय सुलेमान ड्राइवर वाहन चला रहा था। बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया। वाहन का सर्वेक्षण किया गया। मरम्मत का आंकलन 76,000/-रू0 अधिकृत डीलर अमित आटो सेल्स द्वारा बताया गया। सर्वेयर को इस आंकलन की राशि से अवगत कराया गया, परंतु क्लेम इस आधार पर निरस्त कर दिया कि दुर्घटना के समय संबंधित कागजात का होना प्रतीत नही होता। दुर्घटना फैजाबाद से 15 किमी दूर घटित हुई है, जबकि वाहन आर0टी0ओ0 कार्यालय में समर्पित था और वहां से परमिट बनवाने के बाद दुर्घटना स्थल तक नहीं पहुंच सकता था ऐसा दुर्घटना होने के बाद किया गया है, परंतु जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा साक्ष्य की व्याख्या करने के पश्चात उपरोक्त वर्णित क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया गया है।
- अपील के ज्ञापन तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि प्रश्नगत वाहन की दुर्घटना पहले हो चुकी थी, इसके बाद आर0टी0ओ0 कार्यालय से प्रमाण पत्र प्राप्त किये गये, परंतु इस बिन्दु पर कोई निष्कर्ष नही दिया जा सकता था कि आर0टी0ओ0 कार्यालय द्वारा अवैध रूप से दुर्घटना के पश्चात प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया गया है क्योंकि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के अनुसार इस तथ्य की उपधारणा की जायेगी कि सभी राजकीय कार्य नियमानुसार सम्पादित हुए, जब तक कि इस तथ्य का कोई खण्डन न किया जाए।
- अब इस बिन्दु पर विचार किया जाता है कि क्षतिपूर्ति की राशि कितनी निर्धारित होनी चाहिए? प्रत्यर्थी/परिवादी के कथन के अनुसार 76,000/-रू0 की राशि का केवल इस्टीमेट बनवाया गया है, परंतु यथार्थ में कितनी राशि अदा की गयी, इसका कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है। इस्टीमेट के साथ-साथ रसीदें भी प्रस्तुत की गयी हैं, जिन पर जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा विचार किया गया है। अत: जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारितनिर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार प्रतीत नही होता, सिवाय इसके कि ब्याज दर 12 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत की जाए तथा क्षतिपूर्ति की राशि अंकन 5,000/-रू0 का आदेश अपास्त किया जाये।
-
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में क्षतिपूर्ति अंकन 5,000/-रू0 के संबंध में पारित आदेश अपास्त किया जाता है एवं ब्याज की देयता परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 12 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत की दर से देय होगी। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2