Uttar Pradesh

StateCommission

A/453/2016

Shriram General Insurance Co. Ltd. - Complainant(s)

Versus

Mohd Haneef - Opp.Party(s)

Dinesh Kumar

08 Jan 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/453/2016
(Arisen out of Order Dated 19/01/2016 in Case No. C/65/2013 of District Rae Bareli)
 
1. Shriram General Insurance Co. Ltd.
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Mohd Haneef
Rae Bareli
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 08 Jan 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील सं0- 453/2016

                                   (सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, रायबरेली द्वारा परिवाद सं0- 65/2013 में पारित आदेश दि0 19.01.2016 के विरूद्ध)

Shriram general insurance company limited, E-8, EPIP, RIICO Industrial area, Sitapura, Jaipur (Rajasthan) – 302022 Branch office 16, Chintal house, station road, Lucknow through its Manager. 

                                                                       ……….Appellant

Versus

Mohd. Haneef S/o Shri Abdul shami R/o- Jalalpur Ghai, Kotwali- Gadaganj, District- Raibareilly.   

                                                                  ………..Respondent

समक्ष:-                       

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष। 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित   : श्री दिनेश कुमार,

                             विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : श्री संजय कुमार वर्मा,

                             विद्वान अधिवक्‍ता।            

दिनांक:- 23.02.2018

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित                                                 

 

निर्णय

  परिवाद सं0- 65/2013 मो0 हनीफ बनाम श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 में जिला फोरम, रायबरेली द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 19.01.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

  आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

  परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। परिवादी को विपक्षी बीमा कम्‍पनी से दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन के मरम्‍मत में व्‍यय धनराशि रू0 4,90,313/- (रू0 चार लाख नब्‍बे हजार तीन सौ तेरह मात्र) तथा इस धनराशि पर वाहन दुर्घटना की तिथि 13.12.2011 से अदायगी की तिथि तक आठ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी पाने का अधिकारी होगा। विपक्षी यह धनराशि परिवादी को दो माह में अदा करें। विपक्षी परिवादी को वाद व्‍यय के रूप में 1,000/-रू0 (रू0 एक हजार मात्र) भी परिवादी को दो माह में अदा करेंगे। दो माह की अवधि समाप्‍त होने पर परिवादी इस धनराशि पर भी परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि 20.05.2013 से अदायगी की तिथि तक आठ प्रतिशत ब्‍याज प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा।‘’                 

  जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंस कं0लि0 ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।     

  अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री दिनेश कुमार और प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री संजय कुमार वर्मा उपस्थित आये हैं।

  मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

  अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उपरोक्‍त परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने अपना वाहन ट्रक सं0- यू0पी0 33टी/3143 टाटा 2515 का बीमा विपक्षी श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंस कं0लि0 से दि0 15.02.2011 से 14.02.2012 की अवधि के लिए कराया था और उसका यह वाहन बीमा अवधि में ही दि0 14.11.2012 को सवईया तिराहा कोतवाली ऊंचाहार, जिला रायबरेली के अंतर्गत दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया जिसमें परिवादी के चालक की मृत्‍यु हो गई और वाहन क्षतिग्रस्‍त हो गया। दुर्घटना की सूचना कोतवाली ऊंचाहार, जिला रायबरेली को दी गई और बीमा कम्‍पनी को भी सूचित किया गया।

  परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसके चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस था और वर्तमान दुर्घटना में उसकी ट्रक में कुल 4,90,313/-रू0 की क्षति हुई है, परन्‍तु विपक्षी/बीमा कम्‍पनी ने न तो प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कोई क्षतिपूर्ति दिया और न ही इस संदर्भ में कोई सूचना प्रेषित किया। अत: दि0 29.01.2013 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजा, फिर भी विपक्षी ने कोई कार्यवाही नहीं की तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया और ट्रक की मरम्‍मत में हुए व्‍यय की धनराशि 4,90,313/-रू0 ब्‍याज सहित दिलाये जाने की मांग की।

  जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी ने लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है जिसमें कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का वाहन दि0 15.02.2011 से 14.02.2012 तक की अवधि के लिए उसकी बीमा कम्‍पनी से बीमाकृत था। लिखित कथन में विपक्षी/बीमा कम्‍पनी की ओर से कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने यह परिवाद प्रस्‍तुत नहीं किया है। परिवाद पावर ऑफ अटार्नी होल्‍डर द्वारा प्रस्‍तुत किया गया है। अत: परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के प्राविधान के अंतर्गत नहीं है। लिखित कथन में विपक्षी/बीमा कम्‍पनी की ओर से कहा गया है कि दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन का प्रयोग व्‍यावसायिक कार्य हेतु प्रयोग किया जा रहा था। अत: परिवाद की सुनवाई का अधिकार जिला फोरम को नहीं है। लिखित कथन में विपक्षी/बीमा कम्‍पनी की ओर से यह भी कहा गया है कि परिवादी के प्रश्‍नगत वाहन की दुर्घटना दि0 13.12.2011 को घटित हुई है जब कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दि0 29.12.2011 को दर्ज करायी गई है। लिखित कथन में विपक्षी/बीमा कम्‍पनी की ओर से यह भी कहा गया है कि परिवादी ने दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन की क्षतिपूर्ति 4,90,313/-रू0 बतायी है जब कि सर्वेयर के अनुसार वाहन में 3,53,292/-रू0 की क्षति होना बताया गया है। लिखित कथन में विपक्षी बीमा कम्‍पनी की ओर से कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद गलत कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है।

  जिला फोरम ने उभयपक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत यह निष्‍कर्ष निकाला है कि परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत ग्राह्य है। जिला फोरम ने अपने आक्षेपित निर्णय में की गई विवेचना के आधार पर यह निष्‍कर्ष निकाला है कि सर्वेयर द्वारा आकलित धनराशि 3,53,292/-रू0 उचित नहीं है और प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने प्रस्‍तुत अभिलेखों से वाहन की मरम्‍मत में 4,90,313/-रू0 व्‍यय होना साबित किया है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए आक्षेपित निर्णय और आदेश उपरोक्‍त प्रकार से पारित किया है।

  अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य एवं विधि के विरुद्ध है।

  अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी ने आई0आर0डी0ए0 के अंतर्गत अप्रूव्‍ड सर्वेयर से वाहन की क्षति का आकलन कराया है जिसने वाहन में हुए क्षति का आकलन करते हुए क्षति की धनराशि 3,53,392/-रू0 निर्धारित किया है। जिला फोरम ने सर्वेयर आख्‍या को स्‍वीकार न कर गलती की है।

  अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि वाहन और बीमा पालिसी मो0 हनीफ के नाम है। परन्‍तु परिवाद मुहम्‍मद जलील ने प्रस्‍तुत किया है, जिन्‍हें परिवाद प्रस्‍तुत करने का अधिकार नहीं है।

  अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश त्रुटि पूर्ण है अत: निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

  प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य एवं विधि के अनुकूल है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत ग्राह्य है और परिवादी बीमाधारक मो0 हनीफ है उसने अपने स्‍पेशल पावर ऑफ अटार्नी मो0 जलील के द्वारा परिवाद प्रस्‍तुत किया है जो विधि के अनुसार ग्राह्य है।

  प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम ने सर्वेयर आख्‍या पर विश्‍वास न करने और प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत मरम्‍मत के खर्च के बिल और रसीद पर विश्‍वास करने का कारण अपने निर्णय में लिखा है जो उचित और युक्‍तसंगत है।

  प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश में हस्‍तक्षेप हेतु कोई उचित आधार नहीं है।                                                       

  मैंने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है।

  परिवाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी मो0 हनीफ की ओर से उसके पावर ऑफ अटार्नी होल्‍डर जलील ने प्रस्‍तुत किया है। विपक्षी बीमा कम्‍पनी की ओर से यह नहीं कहा गया है कि जलील प्रत्‍यर्थी/परिवादी का पावर ऑफ अटार्नी होल्‍डर नहीं है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा पावर ऑफ अटार्नी होल्‍डर के माध्‍यम से परिवाद प्रस्‍तुत किया जाना विधि अनुकूल है और इस आधार पर परिवाद को दोष पूर्ण नहीं कहा जा सकता है।

  अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी के लिखित कथन से स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी ने सर्वेयर नियुक्‍त किया है और सर्वेयर ने क्षतिग्रस्‍त वाहन का निरीक्षण कर वाहन की क्षति का आकलन किया है तथा क्षति की धनराशि 3,53,292/-रू0 निर्धारित किया है। अत: सर्वेयर आख्‍या से भी परिवादी द्वारा कथित दुर्घटना होना प्रमाणित है। अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी ने सर्वेयर नियुक्‍त कर दुर्घटना की जांच व दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन की क्षति का आकलन कराया है। ऐसी स्थिति में मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा सिविल अपील नं0- 15611/2017 ओम प्रकाश बनाम रिलायंस जनरल इंश्‍योरेंस व अन्‍य के वाद में दिये गये निर्णय दि0 04.10.2017 में प्रतिपादित सिद्धांत को दृष्टिगत रखते हुए अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी प्रत्‍यर्थी/परिवादी का बीमा क्‍लेम विलम्‍ब से सूचना देने के आधार पर निरस्‍त नहीं कर सकता है, क्‍योंकि उसने विलम्‍ब से सूचना को वेव करते हुए सर्वेयर नियुक्‍त कर वाहन की क्षति का आकलन कराया है।

  जिला फोरम ने अपने निर्णय और आदेश में परिवादी द्वारा वाहन की मरम्‍मत में हुए व्‍यय की जो रसीद प्रस्‍तुत की गई है उसकी विस्‍तृत विवेचना की है और अपने निर्णय में उल्‍लेख किया है कि सर्वेयरकर्ता श्री सुशील कुमार श्रीवास्‍तव ने अपनी सर्वेयर आख्‍या में 50 प्रतिशत पार्ट-ए तथा 10 प्रतिशत पार्ट- बी के सामान में कटौती की है तथा परिवादी द्वारा उल्लिखित रसीदों में अंकित कई सामानों की धनराशि का उल्‍लेख नहीं किया है। संदर्भित कटौती किस नियम के अंतर्गत विपक्षी द्वारा की गई है उल्‍लेख नहीं किया गया है। विपक्षी द्वारा यह भी नहीं बताया गया है कि दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन में लगे सामानों का उल्‍लेख किस आधार पर सर्वे रिपोर्ट में नहीं किया गया है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी उल्‍लेख किया है कि सर्वेयर द्वारा अपने कथन के समर्थन में कोई शपथ पत्र नहीं प्रस्‍तुत किया गया है।

  उपरोक्‍त उल्‍लेख एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा वाहन की मरम्‍मत में हुए व्‍यय की प्रस्‍तुत रसीदों की विस्‍तृत विवेचना के उपरांत जिला फोरम ने सर्वेयर आख्‍या को स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं माना है और प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत वाहन की मरम्‍मत में हुए व्‍यय की रसीदों को मान्‍यता प्रदान की है। सर्वेयर की आख्‍या में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत एस्‍टीमेट का जो विवरण अंकित किया गया है उसके अनुसार कुल क्षति का आकलन 8,00,900/-रू0 किया गया है, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन की मरम्‍मत में हुए वास्‍तविक व्‍यय की जो रसीद प्रस्‍तुत की है उसके अनुसार वाहन मरम्‍मत में कुल 4,90,313/-रू0 खर्च होना बताया गया है।

  निर्विवाद रूप से वाहन का बीमित मूल्‍य 13,75,000/-रू0 है। अत: सर्वेयर द्वारा आकलित क्षति एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा वाहन की मरम्‍मत में हुए वास्‍तविक व्‍यय की प्रस्‍तुत रसीद पर तुलनात्‍मक विचार करने के उपरांत जिला फोरम ने जो प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत वाहन की मरम्‍मत में व्‍यय की रसीदों को मान्‍यता प्रदान की है वह अनुचित और अवैधानिक नहीं कहा जा सकता है। सर्वेयर ने क्षति का मात्र आकलन किया है और प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत रसीदें वाहन की मरम्‍मत में हुए वास्‍तविक व्‍यय दर्शाती हैं। अत: जिला फोरम ने वाहन की मरम्‍मत में हुआ व्‍यय 4,90,313/-रू0 जो प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान किया है वह उचित है उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

  जिला फोरम ने दुर्घटना की तिथि से अदायगी की तिथि तक जो 08 प्रतिशत की दर से ब्‍याज दिया है वह अधिक प्रतीत होता है। अत: ब्‍याज दर 08 प्रतिशत से कम कर 06 प्रतिशत किया जाना और परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्‍याज दिलाया जाना उचित है। अत: जिला फोरम का निर्णय और आदेश तदनुसार संशोधित किये जाने योग्‍य है।

  जिला फोरम ने जो 1,000/-रू0 वाद व्‍यय प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिया है वह उचित है, परन्‍तु जिला फोरम ने जो वाद व्‍यय की धनराशि पर ब्‍याज दिया है वह उचित नहीं है।

  उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 4,90,313/-रू0 वाहन की क्षतिपूर्ति हेतु परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज के साथ अदा करे। इसके साथ ही अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी जिला फोरम द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान की गई 1,000/-रू0 वाद व्‍यय की धनराशि भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा करेगी।                                    

  अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

  धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपील में जमा धनराशि जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जायेगी।    

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                                          

                                       अध्‍यक्ष                         

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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