Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/22

Mahindra and Mahindra Ltd - Complainant(s)

Versus

Mohd Faisal - Opp.Party(s)

Alok Sinha & Adeel Ahmad

10 Aug 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/22
( Date of Filing : 04 Jan 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Mahindra and Mahindra Ltd
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Mohd Faisal
a
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2011/2479
( Date of Filing : 16 Dec 2011 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Deep Automobiles
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Mohd Faisal
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 10 Aug 2023
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या: 2479/2011

दीप आटो मोबाइल्‍स बनाम मो0 फैसल

    समक्ष  :

    माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

    माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य

   उपस्थिति :

   अपीलार्थी की ओर से उपस्थित – विद्वान अधिवक्‍ता श्री अनिल मिश्रा।

   प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित – कोई नहीं।

 

एंव

                                                                                  अपील संख्‍या:22/2012

महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा बनाम मो0 फैसल व अन्‍य

   समक्ष  :

    माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

    माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य

   उपस्थिति :

   अपीलार्थी की ओर से उपस्थित – विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक सिन्‍हा।

   प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।

   प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से उपस्थित- विद्वान अधिवक्‍ता श्री अनिल मिश्रा।

   प्रत्‍यर्थी संख्‍या-3  की ओर से उपस्थित- विद्वान अधिवक्‍ता श्री अदील अहमद।

 

 

(2)

 

    दिनांक : 10.08.2023

माननीय सदस्‍य श्री विकास सक्‍सेना द्वारा उदघोषित

  •  

        प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी विद्वान जिला आयोग मऊ द्वारा परिवाद संख्‍या 148/2001 मुहम्‍मद फैसल बनाम दीप आटो मोबाइल्‍स व अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 04.11.2011 के विरूद्ध परिवाद के विपक्षी संख्‍या-1 दीप आटोमोबाइल्‍स द्वारा अपील संख्‍या 2479/2011 व विपक्षी संख्‍या-2 व 3 महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा द्वारा अपील संख्‍या 22/2012 योजित की गयी है।

     वाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी संख्‍या-1 से एक मिनी बस 3,32,325/-रू0 में दिनांक 30.11.99 को खरीदी और विपक्षी संख्‍या-2 ने इस पर 2,00,000/-रू0 का फाइनेंस किया। परिवादी ने 1,32,325/-रू0 तथा 19,332/-रू0 ऋण फाइनेंस की दो किश्‍त एडवांस 8,000/-रू0 फाइल चार्ज और 8,341/-रू0 बीमा खर्च व 7,000/-रू0 रजिस्‍ट्रेशन फीस कुल 1,75,598/-रू0 अदा किये ये रूपये उसने मऊ शहर स्थित अपने आवा मुहल्‍ला कादीपुरा में अदा किये तथा परिवादी व विपक्षीगण के बीच लेन-देन की शर्ते भी मुहल्‍ला कादीपुरा मऊ शहर में तय हुयी। शेष रूपया परिवादी ने जमा कर दिया और रजिस्‍ट्रेशन शुल्‍क आदि भी जमा कर दिया। परिवादी को 9,966/-रू0 प्रति किश्‍त की दर से 23 किश्‍तों में विपक्षी संख्‍या-2 को अदा करना था जिसमें से 19 किश्‍तों का भुगतान व कर चुका था और किश्‍तों का भुगतान 27.03.2002 को किया जा चुका है। परिवादी की गाड़ी अल्‍फारूक चिल्‍ड्रेन स्‍कूल मऊ से अनुबंधित होकर चलने लगी। विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा बस के इंजन की 1 साल की गारंटी दी गयी थी, किन्‍तु बस का इंजन गारंटी अवधि में खराब हो गया जिसके लिए परिवादी ने विपक्षी संख्‍या-1 से बदलने के लिए बार बार अनुरोध किया जिस पर उसने टालमटोल की ओर कहा कि कंपनी को लिख दिया गया है। इस पर परिवादी ने अन्‍य स्‍थान पर इंजन की मरम्‍मत करायी उसमें 6,461/-रू0 खर्च हुआ तथा एक सप्‍ताह गाड़ी खड़ी रही पुन: 22.02.2001 को परिवादी ने 11,249/-रू0 में इंजन ठीक कराया। परिवादी ने इसकी शिकायत की किन्‍तु विपक्षी ने गारंटी अवधि में न तो ठीक कराया और न ही मरम्‍मत जिसके कारण किश्‍तों में भी व्‍यवधान उत्‍पन्‍न हुआ। परिवादी को कुल 82,710/-रू0 की क्षति हुयी तथा वैकल्पिक

(3)

 

व्‍यवस्‍था करने से उसका 50,000/-रू0 का नुकसान हुआ तथा 2,00,000/-रू0 का मानसिक क्‍लेश हुआ अत: उपरोक्‍त धनराशि परिवादी को दिलायी जाये।

 विपक्षी संख्‍या-1 की तरफ से अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर कथन करते हुए परिवाद की धारा-1 पूर्णतया व 2 को आंशिक रूप से स्‍वीकार किया गया ओर शेष धाराओं को अस्‍वीकार करते हुए कहा गया कि परिवाद पत्र गलत तथ्‍यों पर आधारित है। विधिक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया है तथा फोरम के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है। परिवादी जब भी गाड़ी को विपक्षी संख्‍या-1 के अधिकृत कार्यालय में ले गया तो उसकी त्रुटियों को वाहन स्‍वामी की संतुष्टि में ठीक किया गया। परिवादी ने इसी विवाद के संबंध में सिविल जज सीनियर डिवीजन मऊ में वाद संख्‍या 119 सन 2002 दाखिल कर रखा है। विपक्षी की तरफ से अतिरिक्‍त जवाब दावा 68ग भी दाखिल किया गया जिसमें कहा कि परिवादी द्वारा कोई लेन-देन परिवादी के आवास कादीपुरा शहर मऊ में नहीं हुआ, बल्कि जो भी लेन-देन हुआ वह विपक्षी की एजेंसी आजमगढ़ में हुआ।

विपक्षी संख्‍या-2 की तरफ से अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर कथन करते हुए कहा गया कि परिवादी स्‍वच्‍छ हाथों से नहीं आया है। वाहन का वास्‍तविक स्‍वामी विपक्षी संख्‍या-2 है चूंकि वाहन को परिवादी द्वारा हायर परचेज्‍ड एग्रीमेंट के अन्‍तर्गत लिया गया विपक्षी संख्‍या-2 ने वास्‍तव में ह्वीकल फाइनेंस किया था। वाहन में किसी त्रुटि के लिए वह जिम्‍मेदार है। परिवादी वाहन को मुनाफे के लिए संचालित कर रहा था। इसलिए वह उपभोक्‍ता की परिभाषा में नही आता है। उसने किश्‍ते न जमा करेन के उद्देश्‍य से उसको पक्षकार बनाया है और परिवाद खारिज किये जाने योग्‍य है।

 विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभयपक्ष को सुनने के उपरांत निम्‍न  निर्णय व आदेश पारित किया:- परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्‍या-1 व 3 को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को 1,00,000/-रू0 क्षतिपूर्ति के रूप में 1 माह में अदा करे। ऐसा न करने पर प्रार्थना पत्र की तिथि से 9 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी देय होगा।

जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वार पारित उक्‍त निर्णय व आदेश से व्‍यथित होकर परिवाद के विपक्षीगण वाहन निर्माता तथा विक्रेता डीलर के द्वारा ये अपीलें दाखिल की गयीं।

(4)

 

हमने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध सभी अभिलेखों का अवलोकन किया गया। 

अपील में मुख्‍य रूप से यह आधार लिया गया है कि परिवादी द्वारा यह परिवाद मिनीबस में निर्माण संबंधी दोष होने के आधार पर योजित किया गया है। स्‍वंय परिवादी ने परिवाद पत्र में यह स्‍वीकार किया है कि उक्‍त गाड़ी अल्‍फारूक चिल्‍ड्रेन स्‍कूल मऊ से अनुबंधित होकर चलने लगी थी। परिवादी ने अपने परिवादपत्र में इसे व्‍यवसायिक उद्देश्‍य को अपने जीवन-यापन या रोजगार संबंधी होना अभिकथित नहीं किया है। अत: स्‍वयं परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी द्वारा प्रश्‍नगत मिनीबस व्‍यवसायिक उद्देश्‍य से क्रय किया जाना उल्लिखित है। जो धारा-2 1 (डी) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्रावधान के अनुसार पोषणीय परिवाद नहीं है।

परिवाद पत्र के अवलोकन से यह भी स्‍पष्‍ट होता है कि परिवादी द्वारा स्‍थान जनपद आजमगढ़ में बस का क्रय किये जाने का उल्‍लेख किया है, किन्‍तु यह परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग मऊ द्वारा निस्‍तारित किया गया है। अत: धारा-11 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार वाद के श्रवण व निस्‍तारण करने का क्षेत्राधिकार निस्‍तारित करने वाले जिला उपभोक्‍ता आयोग मऊ को नहीं है। अत: यह निर्णय इस आधार पर भी अपास्‍त किये जाने योग्‍य है।

इस संबंध में मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा सोनिक सर्जिकल बनाम नेशनल इंश्‍योरेंस कं0 लि0 प्रकाशित iv (2009) CPJ page 40 SC  में निर्णित किया गया है कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत परिवाद उस स्‍थान पर योजित एवं निस्‍तारित हो सकता है जहां परिवाद का कारण उत्‍पन्‍न होता है। धारा-11 में दिया गया है कि विपक्षी के कार्य स्‍थल का स्‍थान अथवा लाभ कमाने वाले स्‍थान से तात्‍पर्य उस स्‍थान से है जहां पर विपक्षी का वह शाखा कार्यालय स्थित हो जहां पर वाद का कारण उत्‍पन्‍न होता हो। प्रस्‍तुत मामले में बीमें की संविदा आजमगढ़ में हुयी है तथा बीमे का क्‍लेम को स्‍वीकार/अस्‍वीकार भी स्‍थान आजमगढ़ में किया जा रहा है। जिससे वाद का कारण भी आजमगढ़ में ही उत्‍पन्‍न होना परिलक्षित होता है। अत: धारा-11 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार वाद स्‍थान जनपद मऊ में पोषणीय नहीं है। उपरोक्‍त विवेचन से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी द्वारा प्रश्‍नगत वाहन व्‍यवसायिक उद्देश्‍य से प्रयोग किया जा रहा था, जिसका अपवाद जो अधिनियम के अंतर्गत प्रदान किया गया है उसके अनुसार भी यह वाहन परिवादी ने जीवन यापन के

(5)

 

उद्देश्‍य से रोजी-रोटी हेतु प्रयोग किया यह भी परिवाद के अभिलखों से स्‍पष्‍ट नहीं है। इसके अतिरिक्‍त जिला उपभोक्‍ता आयोग मऊ जिसके द्वारा परिवाद का निस्‍तारण किया गया है उसे परिवाद श्रवण का क्षेत्राधिकार भी नहीं है। इन आधारों पर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग मऊ द्वारा पोषणीय नहीं है, पोषणीय न होने के बावजूद परिवाद निस्‍तारण किया गया। अपील संख्‍या-2479/2011 वाहन के डीलर विक्रेता द्वारा प्रस्‍तुत की गयी है व अपील संख्‍या 22/2012 वाहन के निर्माता महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा द्वारा प्रस्‍तुत की गयी है। दोनों अपीलों में प्रश्‍नगत निर्णय अपास्‍त किये जाने की प्रार्थना की गयी है।

अत: प्रश्‍नगत निर्णय अपास्‍त किये जाने व दोनों अपीलें स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।    

आदेश

      प्रस्‍तुत दोनों अपीलें स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग का  निर्णय व आदेश अपास्‍त किया जाता है। 

प्रस्‍तुत अपीलों में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाये।

इस आदेश की मूल प्रति अपील संख्‍या 22/2012 में तथा प्रमाणित प्रति संबंधित अपील संख्‍या-2479/2011 में रखी जाये। 

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।                         

            

          (विकास सक्‍सेना)                           (सुधा उपाध्‍याय)

               सदस्‍य                                    सदस्‍य

 

शोभना त्रिपाठी- आशु0 कोर्ट नं0 3

 

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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