(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1187/2009
Anantram Radheyalal Goods Transport Co.
Versus
Mohd. Danish S/O Shri Mukhtar Ahmad
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री राजेश चड्ढा, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :28.10.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-465/2007, मौ0 दानिश बनाम अनन्त राम राधेलाल ट्रांसपोर्ट द्वारा प्रबंधक में विद्वान जिला आयोग, मेरठ द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 31.07.2008 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए अंकन 15,000/-रू0 12 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद क तथ्यों के अनुसार परिवादी ने दिनांक 10.09.2007 को मेरठ कचहरी रोड़ आफिस से 15,000/-रू0 की कीमत के नव वर्ष की डायरिया तथा किताबें दिल्ली आफिस से बुक करायी थी, जिसकी रसीद विपक्षी ने परिवादी को दी थी, लेकिन डायरियों के बंडल परिवादी को नहीं मिले। परिवादी ने विपक्षी से सम्पर्क किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं की गयी न ही डायरियों की डिलीवरी परिवादी को दी गयी। तदनुसार दिनांक 05.10.2007 नोटिस प्रेषित किया गया, परंतु सामान देने से इंकार कर दिया गया, इसलिए परिवादी को आर्थिक, मानसिक हानि कारित हुई है।
4. तामीला के बावजूद विपक्षी उपस्थित नहीं हुआ और परिवाद में वर्णित तथ्यों का कोई खण्डन नहीं किया गया। तदनुसार एकपक्षीय साक्ष्य पर विचार करते हुए उपरोक्त निर्णय पारित किया गया।
5. अपील के ज्ञापन तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने एकतरफा निर्णय पारित किया है। परिवादी पर कभी भी समय पर तामीला नहीं हुई है। दिनांक 05.05.2009 को निर्णय/आदेश के पुनर्स्थापन का आवेदन प्रस्तुत किया गया, परंतु यह आवेदन खारिज कर दिया गया, इसलिए अपील प्रस्तुत करने में कोई देरी नहीं की गयी है। परिवादी उपभोक्ता नहीं है। सामान की बुकिंग धर्मसान लॉ पब्लिसर्स द्वारा करायी गयी थी तथा प्राप्तकर्ता स्टैण्डर्ड स्टेशनरी इम्पोरियम है। परिवादी के साथ कोई संविदा नहीं हुआ, इसलिए परिवाद प्रस्तुत करने का अधिकार नहीं है, जो बिल प्रस्तुत किया गया है, वह 15,000/-रू0 की नववर्ष की डायरिया से संबंधित नहीं है। प्राप्तकर्ता को सामान की डिलीवरी दे दी गयी है। परिवादी द्वारा असत्य कथन पर परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
6. केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
7. एनेक्जर सं0 1 प्राप्तकर्ता के नाम का उल्लेख है, जिसमें स्टैण्डर्ड स्टेशनरी इम्पोरियम प्राप्तकर्ता है। इन्हीं के नाम सामान बुक किया गया है। दस्तावेज सं0 14 के विवरण के अनुसार भी Consignee स्टैण्डर्ड स्टेशनरी इम्पोरियम है न कि परिवादी। इसी प्रकार जो सामान बुक हुआ, दस्तावेज सं0 15 के अनुसार वह लॉ रेफरेंसर है न कि नववर्ष की डायरिया। अत: यह तथ्य स्थापित है कि परिवादी एवं अपीलार्थी का कोई भी संबंध स्थापित नहीं हुआ। प्रत्यर्थी/परिवादी, अपीलार्थी का सेवा ग्राह्यता नहीं है, इसलिए उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं था। तदनुसार अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2