(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1867/2017
Branch Manager, Union of India, Main Branch Motibagh Faizabad
Versus
Mohd. Azam Khan S/O Shri Sazir Khan & other
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित: श्री राजेश चड्ढा, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी सं0 1 की ओर से उपस्थित: श्री नंद कुमार, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :14.08.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-211/2011, मो0 आजम खां बनाम शाखा प्रबन्धक यूनियन बैंक आफ इंडिया व अन्य में विद्वान जिला आयोग, फैजाबाद द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 23.08.2017 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए परिवादी द्वारा विपक्षी सं0 1 के बैंक में जमा एक चेक का अनादर होने के बाद बैंक के विरूद्ध 55,518/-रू0 की राशि 12 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने करने का आदेश दिया है।
3. निर्णय के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी द्वारा विपक्षी सं0 2 यानि शाखा प्रबंधक सहारा इंडिया द्वारा जारी एक चेक अपीलार्थी बैंक में स्थित परिवादी के खाते में जमा किया गया है, जो अपीलार्थी द्वारा कलेक्शन के लिए भेजा गया, परंतु रास्ते में यह चेक कहीं पर डाक में खो गया। इसी आधार पर समस्त राशि अदा करने का आदेश दिया गया है, जबकि चेक में जिस राशि का उल्लेख था, वह राशि अभी भी चेक जारी करने वाले व्यक्ति के पास मौजूद है। अत: इस स्थिति में चेक की राशि के भुगतान का आदेश नहीं दिया जा सकता था। अधिकतम चेक डाक विभाग में खो जाने के कारण बैंक को उत्तरदायी माना जा सकता था यदि बैंक द्वारा समय पर सूचना नहीं दी होती, परंतु प्रस्तुत केस में बैंक द्वारा दूसरा चेक जारी करने की सूचना दी गयी है और प्रथम चेक गुम होने की सूचना भी दी गयी है। अत: इस स्थिति में उचित आदेश यह होता कि विपक्षी सं0 2 को निर्देशित किया जाता कि वह 55,518/-रू0 का चेक उन्हें जारी करे। यही अनुतोष मांगा भी गया था। तदनुसार अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस निर्देश के साथ परिवर्तित किया जाता है कि:-
- सर्वप्रथम बैंक द्वारा परिवादी को इस आशय का एक प्रमाण पत्र 15 दिन के अंदर दिया जायेगा कि चेक सं0- 773618 अंकन 55,518/-रू0 का भुगतान परिवादी के खाते मे जमा नहीं किया गया है।
- इस प्रमाण पत्र को प्राप्त करने के पश्चात परिवादी विपक्षी सं0 2 के समक्ष दूसरा चेक जारी करने के लिए उपलब्ध होगा और यदि दूसरा चेक जारी करना नियम के अंतर्गत अनुज्ञेय है तब सहारा इंडिया द्वारा दूसरा चेक जारी किया जायेगा।
सहारा इंडिया को यह अधिकार होगा कि वह अपने रिकार्ड से इस तथ्य की पुष्टि कर लें कि इस चेक की राशि का भुगतान कभी भी नहीं हुआ है और यदि भुगतान नहीं पाया जाता है तब इस राशि पर 06 प्रतिशत की दर से ब्याज भी देय होगा।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3