राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या:-122/2016
(जिला मंच, इटावा द्धारा परिवाद सं0-17/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.12.2015 के विरूद्ध)
Shriram General Insurance Company Limited, E-8, EPIP, RIICO Industrial Area, Sitapura, Jaipur (Rajasthan)-302022 Branch Office 16, Chintal House, Station Road, Lucknow through its Manager.
........... Appellant/Opp. Party
Versus
1- Mohd. Aneesh, S/o Shri Ismail Khan, R/o 68, Shahhganj, Thana-Kotwali, District-Etawa.
…….. Respondent/ Complainant
2- Chola Mandalam Finance Co. Ltd. through Branch Manager, Branch near Hotel Maltash Tiraha Bus Stand, Panjabi Colony, District- Etawa (Financer of Truck No. UP75/M-3177)
…….. Respondent/ Opp. Party
समक्ष :-
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य
मा0 गोवर्धन यादव, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री दिनेश कुमार
प्रत्यर्थी सं0-1 के अधिवक्ता : श्री ए0के0 पाण्डेय
प्रत्यर्थी सं0-2 के अधिवक्ता : श्री बृजेन्द्र चौधरी के सहयोगी
श्री नीरज सिंह
दिनांक :- 04-02-2019
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील परिवाद संख्या-17/2015 में जिला मंच, इटावा द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांकित 18.12.2015 के विरूद्ध योजित की गई है।
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संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार वह ट्रक नं0-यू0पी075/एम-3177 का पंजीकृत स्वामी है। उक्त ट्रक ए.आर.टी.ओ. इटावा के यहॉ परिवादी के नाम पंजीकृत है। यह ट्रक परिवादी ने प्रत्यर्थी सं0-2 से 19,50,000.00 रू0 ऋण लेकर क्रय किया था तथा यह ट्रक अपीलार्थी बीमा कम्पनी से दिनांक 26.12.2012 से 25.12.2013 तक के लिए असीमित दायित्व हेतु बीमित था। परिवादी के ट्रक का फाइनेंस तथा बीमा इटावा में ही किया गया था। परिवादी का उपरोक्त ट्रक दिनांक 06.4.2013 को सरसों का तेल लादकर आगरा से दूबड़ी आसाम जा रहा था कि दिनांक 7/8.4.2013 को समय करीब 1.00 बजे रात गोपालगंज बिहार से 2-3 किमी0 आगे परिवादी के चालक मनोज कुमार एवं क्लीनर अनिल कुमार को लुटेरों ने जहरीला पदार्थ खिलाकर मरणासन्न अवस्था में बाहर फेंक दिया और माल व ट्रक गायब कर दिया। परिवादी द्वारा उक्त घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट जीरो अपराध संख्या पर दिनांक 09.4.2013 को थाना-कोतवाली सदर में अंकित करायी गई थी। विवेचना के पश्चात उक्त विवेचना गोपालगंज थाना मंझागंढ (बिहार) के लिए स्थानांतरित कर दी गई थी। परिवादी को ट्रक के क्लीनर व ड्राईवर द्वारा होश आने पर सूचना मिलने के बाद रिपोर्ट दर्ज करायी गई। विवेचना के दौरान परिवादी के ट्रक व उस पर लदे माल का कोई
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पता नहीं चला। परिवादी द्वारा अपने ट्रक की लूट के सम्बन्ध में समस्त प्रपत्र अपीलार्थी के यहॉ प्रेषित कर दिये गये थे। अपीलार्थी के द्वारा क्षतिपूर्ति के भुगतान का आश्वासन देने के बावजूद भी कोई भुगतान नहीं किया गया। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष क्षतिपूर्ति मय ब्याज की अदायगी हेतु योजित किया गया।
अपीलार्थी बीमा कम्पनी की ओर से प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अपीलार्थी के कथनानुसार लूट तथा चोरी की घटना झूठी है। पुलिस ने आरोप पत्र दिया है, किन्तु ट्रक का कोई पता नहीं चला है। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि परिवादी से निरंतर कागजात मॉगे गये, जो उन्होंने नहीं दिये। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि चोरी की कथित घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट आत्यधिक विलम्ब से कथित घटना के 35 दिन बाद दर्ज करायी गयी तथा कथित घटना के 54 दिन बाद अपीलार्थी बीमा कम्पनी को कथित घटना की सूचना दी गई। इस प्रकार बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन बीमाधारक प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा किया गया। अत: बीमा दावा स्वीकार न करके अपीलार्थी द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई।
प्रत्यर्थी सं0-2 द्वारा भी आपत्ति जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत की गई तथा यह अभिकथित किया गया कि विवाचक ने 17,72,345.00 रू0 का अवार्ड किया है, जिसका निष्पादन चालू है।
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जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय द्वारा परिवाद अपीलार्थी के विरूद्ध 19,46,500.00 रू0 की वसूली हेतु स्वीकार किया तथा इस धनराशि पर परिवाद योजित करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज अदा करने हेतु भी निर्देशित किया। उपरोक्त धनराशि निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर अदा किए जाने हेतु निर्देशित किया। यह भी आदेशित किया कि यदि भविष्य में ट्रक मिल जाता है तो उस पर स्वामित्व बीमा कम्पनी का होगा।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर अपील योजित की गई है।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार तथा प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता श्री ए0के0 पाण्डेय एवं प्रत्यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्ता श्री बृजेन्द्र चौधरी के सहयोगी श्री नीरज सिंह के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रस्तुत प्रकरण में बीमित वाहन की चोरी/लूट दिनांक 7/8.4.2013 की होना बतायी गई है। उक्त घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट 35 दिन विलम्ब से दिनांक 12.5.2013 को दर्ज करायी गई तथा कथित घटना की सूचना अपीलार्थी बीमा कम्पनी को 54 दिन बाद दिनांक 10.5.2013 को दी गई, इस प्रकार उक्त घटना की जॉच किए जाने का अपीलार्थी बीमा कम्पनी का अधिकार प्रभावित
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हुआ। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत बीमा पालिसी की शर्त सं0-1 के अनुसार चोरी की कथित घटना की सूचना बीमाधारक/परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी को अविलम्ब प्रेषित की जानी चाहिए थी। अत: बीमा पालिसी की शर्त के उल्लंघन के कारण बीमाधारक क्षतिपूर्ति की अदायगी का अधिकारी नहीं माना जा सकता। ऐसी परिस्थिति में अपीलार्थी बीमा कम्पनी द्वारा बीमा दावा अस्वीकार करके सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि चोरी की कथित घटना गोपालगंज बिहार में घटित होना बतायी गयी, जबकि कथित घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट घटनास्थल से लगभग 150 किमी0 दूर जनपद गोरखपुर में दर्ज करायी गयी। प्रथम सूचना रिपोर्ट में कथित घटना के संदर्भ में अंकित तथ्य एवं परिवाद के अभिकथनों में भिन्नता है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि कथित घटना मंनगढंत और प्रश्नगत वाहन के संदर्भ में लिए गये ऋण की अदायगी से बचने तथा अनाधिकृत रूप से अपीलार्थी बीमा कम्पनी से धनराशि प्राप्त करने हेतु रची गई है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि अपीलार्थी द्वारा अनेक पत्र परिवादी बीमाधारक को वॉछित अभिलेख उपलब्ध कराने हेतु भेजे गये, किन्तु कोई अभिलेख प्रत्यर्थी/परिवादी बीमाधारक द्वारा उपलब्ध
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नहीं कराया गया। अत: परिवादी/बीमाधारक द्वारा सहयोग न किए जाने के कारण बीमा दावा अस्वीकार किया गया। अपीलार्थी की ओर से यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत वाहन बिना परमिट के जनपद बिहार में अनाधिकृत रूप से चलाया जा रहा था।
अपने तर्कों के समर्थन में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने Sonell Clocks and Gifts Ltd. Vs. New India Assurance Co. Ltd. IV (2018) CPJ 1 (SC) के मामले में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गये निर्णय तथा Sukhbir Kaur Vs. Bajaj Allianz Insurance Company & Anr. I (2018) CPJ 98 (NC) के मामले में मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिए गये निर्णय एवं पुनरीक्षण याचिका सं0-724/2018 P. Khamar Pasha Vs. Branch Manager, Oriental Insurance Co. Ltd. के मामले में मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिए गये निर्णयों पर विश्वास व्यक्ति किया गया।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि अपीलार्थी का यह तर्क कि लूट की कथित घटना के सम्बन्ध में प्रथम सूचना रिपोर्ट 35 दिन बाद दर्ज करायी गई असत्य है, बल्कि दिनांक 7/8.4.2013 की कथित घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना कोतवाली गोरखपुर में दर्ज करायी गई। दिनांक 09.4.2013 को थानाध्यक्ष कोतवाली गोरखपुर ने मुख्य
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चिकित्साधिकारी को पत्र लिखकर डॉक्टरी परीक्षण हेतु मनोज कुमार को भेजा एवं दिनांक 09.4.2013 को मृत्युजय पाठक उपनिरीक्षक उ0प्र0 पुलिस थाना कोतवाली गोरखपुर ने एक पत्र वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गोरखपुर को इस आशय का लिखा कि उक्त घटना की विवेचना सम्बन्धित थाने से कराये जाने हेतु सम्पूर्ण कागजात थाना मंझागढ़ जनपद गोपालगंज बिहार भेजे जा रहे है। प्रत्यर्थी की ओर से यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि अपीलार्थी का यह कथन भी असत्य है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा सभी आवश्यक कागजात अपीलार्थी बीमा कम्पनी को प्राप्त नहीं कराये गये, बल्कि जो भी कागजात मॉगे गये वह प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी को उपलब्ध कराये गये, पुलिस ने कथित घटना की जॉच करके आरोप पत्र प्रस्तुत किया, किन्तु प्रश्नगत वाहन का कोई पता नहीं चला। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया गया, बल्कि बीमा कम्पनी द्वारा अवैध रूप से प्रत्यर्थी/परिवादी को बीमा दावा स्वीकार नहीं किया गया।
उल्लेखनीय है कि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा मुख्य रूप से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि कथित घटना की सूचना अपीलार्थी बीमा कम्पनी को कथित घटना के 54 दिन बाद उपलब्ध करायी गई तथा प्रथम सूचना रिपोर्ट 35 दिन बाद दर्ज
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करायी गई, जबकि प्रश्नगत बीमा पालिसी की शर्त सं0-1 के अन्तर्गत कथित घटना की सूचना बीमाधारक द्वारा अपीलार्थी बीमा कम्पनी को अविलम्ब दी जानी आवश्यक थी। कथित घटना की अविलम्ब सूचना अपीलार्थी बीमा कम्पनी को न दिए जाने के कारण अपीलार्थी बीमा कम्पनी का जॉच का अधिकार प्रभावित हुआ, साथ ही बीमा पालिसी की शर्त सं0-1 उल्लंघन हुआ। अपीलार्थी की ओर से अपील मेमो के साथ प्रश्नगत बीमा दावा निरस्त किए जाने के सम्बन्ध में जारी पत्र दिनांकित 05.10.2013 की फोटोप्रति दाखिल की गई है, जिसमें प्रश्नगत बीमा पालिसी के अन्तर्गत उल्लिखित शर्त का उल्लेख किया गया है, जो निम्न प्रकार से वर्णित है:-
"Notice shall be given in writing to the Company immediately upon the occurrence of any accidental loss or damage in the event of any claim and thereafter the insured shall give all such information and assistance as the Company shall require. Every letter claim writ summons and/or process or copy thereof shall be forwarded to the Company immediately on receipt by the insured. Notice shall also be given in writing to the Company immediately the Insured shall have knowledge of any impending prosecution, inquest or fatal inquiry in respect of any occurrence which may give raise to a claim under this Policy. In case of theft or criminal act which may be the subject of a claim under this policy the insured shall give
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immediate notice to the police and co-operate with the company in securing the conviction of the offender."
उपरोक्त शर्त के अवलोकन से विविद होता है कि चोरी की दशा में तुरन्त सूचना पुलिस को दी जायेगी। बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम अब्दुल सत्तार व एक अन्य 2016 (1) सी0पी0आर0 541 एन0सी0 के मामले में मा0 राष्ट्रीय आयोग ने बीमा पालिसी में उल्लिखित उपरोक्त शर्त पर विचार करते हुए यह निर्णीत किया कि, “On reading of the above, it is clear that in the event of the theft of the vehicle, only requirement on the part of the insured was to intimate the police immediately and cooperate in securing the conviction of the offender.”
मा0 राष्ट्रीय आयोग ने नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी बनाम कुलवंत सिंह 2014 (4) सी0पी0जे0 62 के वाद में यह माना है कि यदि पुलिस को तत्काल सूचना दे दी गई है तो बीमा कम्पनी को विलम्ब से सूचना दिए जाने के आधार पर बीमा दावा नकारा नहीं जा सकता।
युनाइटेड इण्डिया इंश्योरेस कम्पनी बनाम पुष्पालया प्रिंटर्स (2004) 3 एस.सी.सी. 694 के मामले में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि, “It is also settled position in law that if there is any ambiguity or a term is capable of two possible interpretations one beneficial to the insured should be accepted consistent with the
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purpose for which the policy is taken, namely, to cover the risk on the happening of certain event.”
जहॉ तक प्रस्तुत प्रकरण में कथित घटना की सूचना पुलिस को दिए जाने का प्रश्न है। निर्विवाद रूप से कथित घटना गोपालगंज बिहार में दिनांक 07/8.4.2013 की रात 1.00 बजे घटित होना बतायी गई। इस घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 09.4.2018 को दोपहर लगभग 1.30 बजे थाना कोतवाली गोरखपुर में लिखायी गई। परिवादी का यह कथन है कि कथित घटना में प्रश्नगत वाहन के चालक मनोज कुमार को भी चोटें आयी थी और चालक मनोज कुमार का मेडिकल परीक्षण थाना कोतवाली गोरखपुर की पुलिस द्वारा कराया गया। अपील मेमो के साथ संलग्न अभिलेखों के अवलोकन से यह भी विदित होता है कि कथित घटना गोपालगंज बिहार से सम्बन्धित होने के कारण विवेचना थाना मंझागंढ बिहार को स्थानांतरित की गई। अपील के आधारों में अपीलार्थी द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि प्रश्नगत प्रकरण में कुछ अभियुक्तों के विरूद्ध भी आरोप पत्र प्रेषित किये गये हैं। किन्तु प्रश्नगत वाहन की बरामदगी नहीं हुई है, मात्र प्रश्नगत वाहन की बरामदगी न हो पाने के कारण कथित घटना संदेहास्पद नही मानी जा सकती।
परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत साक्ष्य के आलोक में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क स्वीकार किए
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जाने योग्य नहीं है कि कथित घटना के संदर्भ में प्रथम सूचना रिपोर्ट 35 दिन विलम्ब से लिखायी गयी। बल्कि जिला मंच का यह निष्कर्ष कि कथित घटना के सम्बन्ध में प्रथम सूचना रिपोर्ट विलम्ब से नहीं लिखायी गई, हमारे विचार से त्रुटि पूर्ण नहीं है।
अपील के आधारों में अपीलार्थी द्वारा यह भी अभिकथित किया गया है कि प्रश्नगत वाहन बिना वैध परमिट के बिहार प्रांत में कथित घटना के समय चलाया जा रहा था। किन्तु उल्लेखनीय है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने प्रश्नगत वाहन के परमिट की प्रति जिला मंच में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की थी। अपील के आधारों में अपीलार्थी द्वारा इस तथ्य से इंकार नहीं किया गया है और न ही अपीलार्थी का यह कथन है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जिला मंच में परमिट के सम्बन्ध में प्रस्तुत किया गया अभिलेख वैध नहीं था। ऐसी परिस्थिति में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है कि कथित घटना के समय प्रश्नगत वाहन बिना वैध परमिट के चलाया जा रहा था। क्योंकि प्रस्तुत प्रकरण में कथित घटना की सूचना पुलिस को विलम्ब से दिया जाना प्रमाणित नहीं है। अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा सदर्भित निर्णयों का लाभ अपीलार्थी को प्राप्त नहीं कराया जा सकता है। यह तथ्य निर्विवाद है कि प्रश्नगत बीमित ट्रक की आई0डी0वी0 19,21,500.00 रू0 निर्धारित की गई
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थी। जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय द्वारा यह धनराशि 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज सहित दिये जाने हेतु आदेशित किया है किन्तु इसके अतिरिक्त 20,000.00 रू0 मानसिक कष्ट के रूप में भी दिये जाने हेतु भी निर्देशित किया है। बीमित ट्रक का मूल्य मय ब्याज भुगतान हेतु आदेशित किए जाने के उपरांत अलग से क्षतिपूर्ति के रूप में धनराशि की अदायगी हेतु आदेशित किए जाने का कोई औचित्य नहीं होगा। अत: 20,000.00 रू0 मानसिक कष्ट के रूप में अदायगी के संदर्भ में पारित आदेश अपास्त किए जाने योग्य है। 5,000.00 रू0 वाद व्यय के रूप में दिए जाने हेतु पारित आदेश हमारे विचार से त्रुटि पूर्ण नहीं है। अत: अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला मंच द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश में 19,46,500.00 रू0 के स्थान पर 19,21,500.00 रू0 संशोधित किया जाता है और इसी धनराशि पर 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देय होगा। इसके अतिरिक्त 5,000.00 रू0 वाद व्यय भी देय होगा।
उभय पक्ष अपीलीय व्यय भार स्वयं वहन करेंगे।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु., कोर्ट सं0-1