Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/04

M/s Computer Shopes - Complainant(s)

Versus

Mohan Lal Daryani - Opp.Party(s)

Vikas Agarwal

25 Oct 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/04
( Date of Filing : 02 Jan 2006 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/s Computer Shopes
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Mohan Lal Daryani
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 25 Oct 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-04/2006

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्‍या 780/2000 में पारित निर्णय दिनांक 26.11.05 के विरूद्ध)

मै0 कंप्‍यूटर शापी द्वारा प्रोपेराइटर पुनीत मिनोचा 224 सिटी सेन्‍टर

63/2, माल, कानपुर नगर।                       .......अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्

1.मै0 मोहन लाल दरयानी पुत्र स्‍व0 राम चंद्र निवासी ईडबल्‍यूएस-150

ब्‍लाक ए गुजैनी, कानपुर नगर।

2.मै0 एचसीएल इन्‍फो सिस्‍टम लि0(फ्रंट लाइन डिवीजन) कस्‍टमर

केयर सेन्‍टर, ए-10-11, सेक्‍टर-3, नोएडा।        ........प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण

समक्ष:-

1. मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, पीठासीन सदस्‍य।

2. मा0 श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित    : श्री विकास अग्रवाल, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं 1 की ओर से उपस्थित :श्री सुशील कुमार शर्मा, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं 2 की ओर से उपस्थित :श्री अजय कुमार शर्मा, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक 18.12.2018

मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

     प्रस्‍तुत अपील जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्‍या 780/2000 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दि. 26.11.2005 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है। जिला मंच ने निम्‍न आदेश पारित किया है:-

     ‘’ परिवादी का उपभोक्‍ता परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्‍या 2 को आदेश दिया जाता है‍ कि परिवादी से उक्‍त कंप्‍यूटर वापस लेकर उसका मूल्‍य रू. 47500/- क्रय के दिनांक 14.01.2000 से भुगतान की तिथि तक 8 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज सहित निर्णय के दो माह के अंदर रू. 1000/- परिवाद व्‍यय के साथ भुगतान करें।‘’

 

 

-2-

     संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी संख्‍या 2 से एक कंप्‍यूटर एचसीएल कंपनी का रू. 47000/- में प्रिन्‍टर सहित दि. 14.01.2000 को क्रय किया। कंप्‍यूटर की वारंटी 1 वर्ष की थी। परिवादी के अनुसार कंप्‍यूटर प्रारंभ से ही खराब था। विपक्षीगण से इसके संबंध में शिकायत की, परन्‍तु उन्‍होंने पुराने सेट को बदलकर नहीं दिया जिससे परिवादी का व्‍यवसाय प्रभावित हुआ।

     जिला मंच के समक्ष विपक्षी संख्‍या 2 ने अपना प्रतिवाद प्रस्‍तुत किया और यह अभिकथन किया कि परिवादी को कंप्‍यूटर चलाने का सही ज्ञान नहीं था। हैंगिंग की शिकायत साफ्टवेयर से संबंधित है और वारंटी की पद्धति में नहीं आता है। परिवादी के प्रार्थना पत्र पर दि. 29.09.2000 को कंप्‍यूटर अपलोड किया गया था। विपक्षी ने परिवादी की सभी शिकायतों को सुनकर उनका निवारण किया।

     पीठ ने अपीलार्थी व प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 व 2 के विद्वान अधिवक्‍ताओं की बहस सुनी एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों एवं साक्ष्‍यों का भलीभांति परिशीलन किया गया।

अपीलार्थी ने अपने अपील आधार में यह अभिकथन किया है कि जिला मंच का निर्णय एवं आदेश साक्ष्‍यों पर आधारित नहीं है। उपभोक्‍ता को स्‍पेयर पार्ट्स की वारंटी दी गई थी और कोई गारंटी नहीं दी गई थी। विद्वान जिला मंच ने कंप्‍यूटर का मूल्‍य 8 प्रतिशत ब्‍याज सहित भुगतान हेतु आदेशित किया है जो त्रुटिपूर्ण है। विपक्षी संख्‍या 1 इस कंप्‍यूटर का निर्माणकर्ता है और यदि कोई कंप्‍यूटर में कमी है तो निर्माता और डीलर दोनों की ही जिम्‍मेदारी है। कंप्‍यूटर में जो त्रुटियां आई वह परिवादी द्वारा कंप्‍यूटर को गलत तरीके से

 

 

-3-

इस्‍तेमाल करने के कारण हुई। अपीलार्थी द्वारा परिवादी द्वारा की गई शिकायतों को तत्‍परता और गंभीरता से देखा गया।

यह तथ्‍य निर्विवाद है कि परिवादी ने विपक्षी संख्‍या 1 एचसीएल कंपनी का एक कंप्‍यूटर विपक्षी संख्‍या 2 डीलर से क्रय किया। अपीलार्थी ने अपने अपील के प्रस्‍तर 14 में स्‍वयं कहा है कि परिवादी ने दि. 14.01.2000 को कंप्‍यूटर क्रय किया और 6 माह तक वह इसका उपयोग करता रहा, जुलाई 2000 से परिवादी ने शिकायतें की हैं। इस प्रकार अपीलार्थी के स्‍वयं के कथन से उसका यह आरोप गलत सिद्ध होता है कि परिवादी को कंप्‍यूटर चलाने का सही ज्ञान नहीं था, क्‍योंकि अपीलार्थी के स्‍वयं के कथनानुसार परिवादी ने 6 माह तक कंप्‍यूटर का सही ढंग से उपयोग किया और 6 माह बाद कंप्‍यूटर में शिकायतें आने लगी, जिसका परिवादी ने अपीलार्थी से शिकायत की। अपीलार्थी ने जिला मंच के समक्ष अपने लिखित कथन में प्रस्‍तर-7 में यह स्‍वयं कहा है कि कंप्‍यूटर की समस्‍त समस्‍याओं को बिना किसी विलम्‍ब के दूर कर दिया गया और परिवादी के अनुरोध पर शुभ तारीख पर उसको उपलब्‍घ कराया। परिवादी का यह भी कथन है कि कंप्‍यूटर में हैंगिंग की समस्‍या साफ्टवेयर से थी न कि हार्डवेयर से, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी के स्‍वयं के कथन से स्‍पष्‍ट है कि कंप्‍यूटर वारंटी अवधि जो कि 1 साल की थी, के मध्‍य ही खराब होना प्रारंभ हो गया और विपक्षी संख्‍या 2 की स्‍वीकारोक्ति के अनुसार उसके द्वारा स्‍वयं कंप्‍यूटर के पार्ट्स बदले गए और ठीक करके दिया गया था। इससे यह स्‍पष्‍ट है कि वारंटी अवधि में ही कंप्‍यूटर खराब होना प्रारंभ हो गया था। अपीलार्थी का यह कथन स्‍वीकार योग्‍य नहीं है कि साफ्टवेयर की वजह से हैंगिंग की समस्‍या उत्‍पन्‍न हुई, क्‍योंकि यह सर्वविदित है कि हैंगिंग की समस्‍या

 

 

-4-

हार्डवेयर में त्रुटि के कारण भी होती है। उपरोक्‍त विवेचना से यह स्‍पष्‍ट है कि जिला मंच का यह निष्‍कर्ष उचित है कि परिवादी का कंप्‍यूटर क्रय करने के प्रारंभ से ही दोषपूर्ण रहा, निश्चित रूप से कंप्‍यूटर में निर्माण दोष था, जिसके लिए विपक्षी संख्‍या 1 और 2 दोनों ही जिम्‍मेदार हैं। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

                             आदेश

     प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच का आदेश इस रूप में संशोधित किया जाता है कि विपक्षी संख्‍या 1 व 2/अपीलार्थी व प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 पृथक-पृथक व संयुक्‍त रूप से रू. 47500/- धनराशि का कंप्‍यूटर वर्तमान में प्रचलित माडल के अनुसार परिवादी को उपलब्‍ध कराएंगे। परिवादी मानसिक कष्‍ट के लिए रू. 10000/- प्राप्‍त करने के भी अधिकारी होंगे। यदि परिवादी कंप्‍यूटर लेने का इच्‍छुक नहीं है तो वह अपीलार्थी व प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 से रू. 47500/- की धनराशि 6 प्रतिशत ब्‍याज सहित प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा। परिवाद व्‍यय के रूप में रू. 1000/- परिवादी प्राप्‍त करेगा। 

     निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्‍ध कराई जाए।

 

 

        (राज कमल गुप्‍ता)                              (महेश चन्‍द )

         पीठासीन सदस्‍य                                 सदस्‍य

राकेश, पी0ए0-2

      कोर्ट-3 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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