(राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)
सुरक्षित
अपील संख्या 3328/1999
(जिला मंच प्रथम, लखनऊ द्वारा परिवाद सं0 419/1994 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 11/10/1999 के विरूद्ध)
यूनाइटेड इंडिया इन्श्योरेन्स कंपनी लि0, डिवीजनल आफिस- 4, 4-ई, राम तीर्थ मार्ग, लखनऊ, द्वारा डिवीजनल मैनेजर।
…अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
मेसर्स मोहन होटल एनेक्सी चारबाग, लखनऊ द्वारा श्रीमती रेखा पत्नी श्री ए0के0 अग्रवाल पार्टनर।
.........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:
1. मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठा0 सदस्य ।
2. मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य ।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री वी0पी0 शर्मा।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 17-10-2014
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
प्रस्तुत अपील परिवाद सं0 419/94 मोहन होटल बनाम यूनाइटेड इंडिया इन्श्योरेन्स कंपनी लि0, निर्णय/आदेश दिनांक 11/10/99 से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत की गई है।
प्रश्नगत परिवाद में जिला पीठ ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया कि 30 दिन के अंदर 12,125/ रूपये तथा 1,000/ रूपये क्षतिपूर्ति भी अदा करें। भुगतान की धनराशि 11 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी अदा करे। शेष-अनुतोष निरस्त किया जाता है।
परिवाद का कथन इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी से 16 टी0वी0 सेट मु0 1,94,000/ रूपये का बीमा पालिसी के अंतर्गत लिया था। जिसकी वैधता दिनांक 18/03/93 से 18/08/94 तक थी। दिनांक 24/08/93 को एक टी0वी0 सेट चोरी हो गई जिसकी सूचना थाने पर दिया गया। दिनांक 24/08/93 को आबिद अली खान पुत्र राशिद अली खान निवासी 64 विंग 285, मेन गार्ड रूप इंडियन एयर पोर्ट (ग्राहक) गाजियाबाद द्वारा चोरी करके ले जाया गया तथा उसके द्वारा कमरे के बिल आदि का भुगतान नहीं किया गया। जिसकी सूचना थाना हुसैनगंज लखनऊ को दिया गया, तत्पश्चात बीमा कंपनी को दिनांक 25/08/93 को दिया गया।
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विपक्षी जिला पीठ के समक्ष उपस्िथत होकर अपना प्रतिवाद पत्र दिया। बीमा कंपनी द्वारा बीमा दावा यह कहते हुए खारिज किया गया कि यह घटना चोरी से संबंधित है। चोरी के संबंध में बीमा पालिसी नहीं किया गया था। बीमा कंपनी द्वारा दिनांक 17/11/93 को बीमा दावा अस्वीकार किया गया था जो बीमा के शर्ते एवं नियम के अनुसार सही हैं।
जिला पीठ ने दोनों पक्षों के बहस सुनने के बाद निर्णय दिया जिसके खिलाफ अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क दिया कि परिवादी/प्रत्यर्थी ने 16 टी0वी0 सेट खरीदा था जिसकी बीमा पालिसी अपीलार्थी/विपक्षी से कराया था। बीमा पालिसी इस आशय Bargalery and House Breaking के लिए था। परिवादी के होटल में चोरी हो गई जिसमें एक सेट चोर द्वारा चुराई गई तथा एफ.आई.आर. भी दर्ज कराया गया तथा इसकी सूचना अपीलार्थी को दिनांक 25/08/91 को दिया गया। अपीलार्थी ने बीमा पालिसी के अंतर्गत चोरी का प्रकरण पाते हुए बीमा दावा निरस्त कर दिया जो उचित है। परिवादी ने टी0वी0 का प्रयोग होटल में व्यापारिक उद्देश्य से इस्तेमाल कर रहा था, जो उपभोक्ता विवाद के श्रेणी में नहीं आता है। इस आधार पर परिवाद खारिज करने योग्य है।
प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
आधार अपील एवं संपूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया गया जिससे यह प्रतीत होता है कि परिवादी ने 16 टी0वी0 सेट अपीलार्थी/विपक्षी से बीमित कराया था। पालिसी की शर्तों के अंतर्गत पालिसी Bargalery and House Breaking के लिए जारी किया गया था। प्रस्तुत प्रकरण में चोरी की घटना पायी जाती है। Bargalery and House Breaking से संबंधित कोई घटना नहीं पायी जाती है, जिसके कारण अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा बीमा दावा पालिसी के शर्तों के अधीन उचित रूप से निरस्त किया गया है। बीमा पालिसी की कवर नोट अपील के साथ प्रस्तुत की गई है जो हिन्दी में चोरी एवं सेंधमारी बीमा पालिसी के अंतर्गत लिखा हुआ है, परन्तु परिवादी अपने परिवाद पत्र की धारा- 3 में यह कहा है कि ‘’ परिवादी ने 16 टी0वी0 जिसका मूल्य 1,94,000/ रूपये था। विपक्षी बीमा कंपनी से बीमित कराया था जिसमें Bargalery and House Breaking (चोरी एवं सेंधमारी) के लिए जारी किया गया था। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि परिवादी स्वयं यह अपने परिवाद पत्र में कहा है कि बीमा पालिसी Bargalery and House Breaking के लिए बीमा पालिसी कराई गई थी। इस प्रकार यह नहीं कहा जा सकता है कि
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बीमा पालिसी Bargalery and House Breaking के अंतर्गत चोरी भी शामिल था। इस आधार पर भी परिवाद जिला पीठ के समक्ष खारिज होने योग्य था। अपीलार्थी के तर्क में बल पाया जाता है। अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच प्रथम, लखनऊ द्वारा परिवाद सं0 419/1994 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 11/10/1999 अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध कराई जाय।
(जितेन्द्र नाथ सिन्हा)
पीठासीन सदस्य
(संजय कुमार)
सदस्य
सुभाष चन्द्र आशु0 ग्रेड 2
कोर्ट नं0 4