Uttar Pradesh

StateCommission

A/3028/2016

Tata Motors Finance Ltd - Complainant(s)

Versus

Modern Public School and Oth - Opp.Party(s)

Rajesh Chadha

05 Sep 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/3028/2016
(Arisen out of Order Dated 02/08/2016 in Case No. C/29/2015 of District Rae Bareli)
 
1. Tata Motors Finance Ltd
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Modern Public School and Oth
Rae Bareli
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 05 Sep 2017
Final Order / Judgement

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

मौखिक

अपील संख्‍या-3028/2016

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, रायबरेली द्वारा परिवाद संख्‍या- 29/2015 में पारित निर्णय और आदेश दिनांक 21-08-2016 के विरूद्ध)

 

टाटा मोटर्स फाइनेंस लि0, 5th फ्लोर रतन स्‍क्‍वायर बिल्डिंग, विधान सभा मार्ग, लखनऊ।

                                                                                                 अपीलार्थी/विपक्षी                                                                                                           

                                                                 बनाम

1- मार्डन पब्लिक स्‍कूल, कस्‍बा सलोन जिला रायबरेली, द्वारा मैनेजर चौधरी जहीर अहमद, निवासी जगतपुर रोड, कस्‍बा सलोन, रायबरेली।

 

2- मोटस एण्‍ड जनरल सेल्‍स प्राइवेट लि0, बरगद चौराहा, नियर सिविल लाइन्‍स, रायबरेली द्वारा मैनेजर।

3- टाटा कैपिटल फाइनेंसियल लि0, 4th फ्लोर, थिंक टेक्‍नो कैम्‍पस बिल्डिंग आफ पोखरन नं० 2, एडजेसेन्‍ट टू टी0सी0एस0 यंत्र पार्क थाने वेस्‍ट 400607 महाराष्‍ट्र।                                               

                                                                          प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

 

अपीलार्थी  की  ओर  से उपस्थित :   विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित  :    कोई उपस्थित नहीं।  

 

दिनांक – 09.01.2018

 

मा0 श्री न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

  परिवाद संख्‍या 29/2015 मार्डल पब्लिक स्‍कूल बनाम टाटा मोटर्स लि0 डी0जी0पी0 हाउस, चतुर्थ तल पुराना प्रभा देवी रोड मुम्‍बई व दो अन्‍य में जिला फोरम रायबरेली द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 21-08-2016 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता  सरंक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

     आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से  स्‍वीकार करते हुये निम्‍न आदेश पारित कि‍या है:-

    

2

 

"परिवादी का परिवाद एकपक्षीय आधार पर आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि‍ वह परिवादी के वाहन पंजीयन संख्‍या यू0पी0 33 ए 9624 वाहन संख्‍या यू0पी0 33 टी 1375 वाहन संख्‍या यू0पी0 33 टी0 2046 व वाहन संख्‍या यू0पी0 33 टी 2164 का आज से दो माह में अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर परिवादी को प्राप्‍त करावें। विपक्षीगण परिवादी को 10,000/- रू० क्षतिपूर्ति तथा 1000/- रू० वाद व्‍यय भी परिवादी को दो माह में अदा करेंगे। निर्धारित अवधि में क्षतिपूर्ति तथा वाद व्‍यय की कुल धनराशि 11,000/- रू० न अदा करने पर इस धनराशि पर भी अदायगी की तिथि तक आठ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज परिवादी प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा।"

      जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी, टाटा मोटर्स फाइनेंस लि0 ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

     अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से नोटिस का तामीला पर्याप्‍त माने जाने के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुनकर और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन कर अपील का निस्‍तारण किया जा रहा है।

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि‍ जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध है तथा अपीलार्थी पर नोटिस का तामीला हुए बिना पारित किया गया है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि‍ परिवाद में कथित तथ्‍यों के आधार पर परिवादी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आते हैं। इसके साथ ही परिवाद जिला फोरम की स्‍थानीय और आर्थिक क्षेत्राधिकारिता से भी परे है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के जिम्‍मा अपीलार्थी के ऋण की धनराशि अवशेष है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा नो ड्यूज सर्टिफिकेट न जारी करने का पर्याप्‍त कारण है।

3

 

मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क पर विचार किया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद मियाद बाधक है। अत: इस आधार पर भी जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश विधि विरूद्ध है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि‍ जिला फोरम ने जो क्षतिपूर्ति और वाद व्‍यय की धनराशि प्रदान की है वह भी बहुत अधिक है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि‍ अपील स्‍वीकार करते हुए जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त कर परिवाद निरस्‍त किया जाए।

मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क पर विचार किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवादी जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने विपक्षी संख्‍या 3 से वर्ष 2005 में स्‍कूल बस संख्‍या यू0पी0 33 ए/9624 क्रय कि‍या जिसका फाइनेंस विपक्षी संख्‍या 3 ने विपक्षी संख्‍या 1 से करवाया। उसके बाद से परिवादी द्वारा नियमित किस्‍तों का भुगतान किया जाता रहा और विद्याल में विद्यार्थियों की संख्‍या बढ़ने पर उसने विपक्षी संख्‍या 3 से दूसरी बस क्रय किया और उसका फाइनेंस भी विपक्षी संख्‍या 1 से कराया। इसका भुगतान भी वह नियमित करता रहा। इसी प्रकार वर्ष 2007 में उसने तीसरी बस विपक्षी संख्‍या 3 से विपक्षी संख्‍या 1 से फाइनेंस कराकर खरीदा और वर्ष 2008 में पुन: एक बस विपक्षी संख्‍या 2 से फाइनेंस कराकर खरीदा।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि‍ उसने वाहन संख्‍या यू0पी0 33 ए 9624 की सभी किश्‍तों का भुगतान नियत अवधि दिनांक 11-11-2009 को कर दिया। उसके पश्‍चात जब परिवादी ने विपक्षीगण से अनापत्ति प्रमाण पत्र की मांग की तो उन्‍होंने कहा कि अन्‍य वाहनों की किश्तें अभी चल रही हैं। अन्‍य तीनों

 

 

4

 

 

गाडि़यों की किश्‍तें समाप्‍त होने पर एक साथ अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा। परन्‍तु जब उसकी सभी गाडि़यों की किश्‍तों का भुगतान दिनांक 30-06-2014

तक हो गया तो उसने विपक्षीगण से पुन: अनापत्ति प्रमाण पत्र की मांग की तब विपक्षीगण ने अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के इन्‍कार कर दिया। अत: विवश होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

आक्षेपित निर्णय से स्‍पष्‍ट है कि‍ अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या 1 एवं अन्‍य विपक्षीगण जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुए हैं और उनके विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गयी है। विपक्षीगण ने लिखित कथन जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया है।

प्रश्‍नगत वाहनों की ऋण की धनराशि क्‍या है यह इस स्‍तर पर स्‍पष्‍ट नहीं है। अत: इस स्‍तर पर जिला फोरम की आर्थिक क्षेत्राधिकारिता के सम्‍बन्‍ध में इस न्‍यायालय द्वारा कोई मत व्‍यक्‍त किया जाना उचित नहीं है। अपीलार्थी/विपक्षी जिला फोरम की आर्थिक क्षेत्राधिकारिता के सम्‍बन्‍ध में अपनी आपत्ति जिला फोरम के समक्ष विधि के अनुसार प्रस्‍तुत कर सकते हैं।

इसी प्रकार अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की ओर से उठाए गये अन्‍य बिन्‍दुओं पर भी इस स्‍तर पर कोई निर्णय दिया जाना सम्‍भव नहीं है।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त उचित यही प्रतीत होता है कि‍ जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित की जाए की विपक्षीगण को अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का अवसर प्रदान किया जाए और उसके बाद जिला फोरम उभय पक्ष को साक्ष्‍य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: निर्णय विधि के अनुसार पारित करें।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम का निर्णय व आदेश अपास्‍त करते हुए पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ

5

प्रत्‍यावर्तित की जाती है कि‍ जिला फोरम इस निर्णय में हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से 30 दिन का समय विपक्षीगण को लिखित कथन प्रस्‍तुत करने हेतु देगा और उसके बाद उभय पक्ष को साक्ष्‍य व सुनवाई का अवसर देकर पुन: विधि के अनुसार निर्णय व आदेश पारित करेगा।

उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 26-03-2018 को उपस्थित हों।

अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को वापस की जाएगी।l

 

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

                                                                                                         अध्‍यक्ष

कृष्‍णा, आशु0

कोर्ट नं01

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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