न्यायालय-जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, रायपुर (छ.ग.)
समक्ष :-
सदस्य - श्रीमती अंजू अग्रवाल
सदस्य - श्रीमती प्रिया अग्रवाल
प्रकरण क्रमांक:-348/2014
संस्थित दिनांक:-26.06.2014
नेमीचंद मैरिषा, उम्र 39 वर्ष,
पिता-श्री मोहर सिंह मैरिषा,
निवासी-तिल्दा, पोस्ट एवं थाना
नेवरा, जिला-रायपुर (छ.ग.) परिवादी
विरूद्ध
1. मेसर्स डाटा सेल,
द्वारा-प्राधिक व्यक्ति अफसर नवाज
एवं प्रोपराईटर, पता-शाॅप नं.5,
पगारिया काम्पलेक्स, सहारा समय
के सामने, पण्डरी, रायपुर (छ.ग.)
2. मोबाईल जोन, द्वारा-प्रोपराईटर,
शाप नं.10, नगर पालिका व्यवसायिक
परिसर, पं.दीनदयाल चैक, तिल्दा,
जिला-रायपुर (छ.ग.)
3. प्रबंध निर्देशक/सक्षम प्राधिकारी,
माइक्रोमेक्स हाऊस नं.90 बी, सेक्टर-8,
गुड़गांव (हरियाणा)122015 अनावेदकगण
परिवादी की ओर से श्री डी.डी.ढगे अधिवक्ता।
अनावेदक क्र.1 की ओर से कोई नहीं, अनुपस्थित।
अनावेदक क्र.2 की ओर से श्री रितेश तिवारी अधिवक्ता।
अनावेदक क्र.3 की ओर से श्री एस.पण्ड्या अधिवक्ता।
// आदेश //
आज दिनांक:- 19 फरवरी 2015 को पारित
श्रीमती प्रिया अग्रवाल - सदस्य
1. परिवादी, अनावेदकगण से मोबाइल की राशि 6700/-तथा खर्च की राशि 200/-दिलाने, शारीरिक व मानसिक परेशानी के एवज में 20000/-, वादव्यय 2000/-व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है ।
परिवाद:-
2. परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी दि0 03.11.2013 को अनावेदक क्र.2 से एक माईक्रोमैक्स ए-72 मोबाइल 6700/-में क्रय किया था । उक्त मोबाईल की निर्माता कंपनी अनावेदक क्र.1 है, जिसका रायपुर में प्राधिकृत सर्विस सेंटर डाॅट सेल के नाम पर है। उक्त मोबाईल कुछ समय तक ठीक से चलता रहा किन्तु कुछ समय बाद मोबाईल में समस्या आने लगी । मोबाईल में ठीक से बात नहीं होती थी और मोबाईल बार-बार हैंग हो जाता था । इस पर अनावेदक क्र.2 द्वारा परिवादी को बताया गया कि उपरोक्त मोबाईल कंपनी का अधिकृत सर्विस सेंटर, रायपुर में हैं । परिवादी अनावेदक क्र.1 के पास गया तो उन्होंने उक्त मोबाईल जो बहुत दिनों से लाॅक हो गया था, को दि0 05.04.2014 को प्राप्त किया तथा 200/-लेकर कहा कि मोबाईल ठीक हो गया है। परिवादी जब पुनः मोबाईल लेकर घर गया तो कैमरा बंद हो गया और इंटरनेट ठीक से नहीं चल रहा था, बातचीत ठीक से नहीं हो पा रही थी, मोबाईल बार-बार बंद हो जाता था। परिवादी पुनः अनावेदक क्र.1 के पास मोबाईल लेकर गया जिसने मोबाईल मरम्मत हेतु रख लिया और दि0 17.04.2014 को जाॅबशीट खोला एवं कहा कि 48 दिन बाद मोबाईल ठीक करके देंगे । दि0 17.04.2014 से 48 दिनों के बाद परिवादी जब मोबाईल लेने गया तो अनावेदक क्र.1 एवं उनके स्टाफ द्वारा बताया गया कि मोबाईल नहीं आया है इसके बाद परिवादी द्वारा अनावेदक क्र.1 के पास कई चक्कर लगाया गया लेकिन उसे मोबाईल नहीं दिया गया और बदतमीजीपूर्वक बात करके भगा दिया गया तथा कहा गया कि जहां जाना है जाओ, शिकायत करों या कुछ भी करो । परिवादी को मोबाईल ना होने के कारण उसके कार्यो में बाधा पहॅुची है तथा उसे मानसिक व शारीरिक कष्ट हुआ है । अतः परिवादी ने यह परिवाद पेश कर अनावेदकगण से मोबाइल की राशि 6700/-तथा खर्च की राशि 200/-दिलाने, शारीरिक व मानसिक परेशानी के एवज में 20000/-दिलाये जाने की याचना कर परिवादी ने परिवाद पत्र में किये अभिकथन के समर्थन में स्वयं का शपथपत्र तथा सूची अनुसार दस्तावेजों की फोटोप्रति पेश किया है ।
जवाबदावा (अनावेदक क्र.2):-
3. अनावेदक क्र.2 का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि परिवादी द्वारा मोबाईल में आयी त्रुटि के संबंध में इस पक्षकार से व्यक्तिगत रूप से कभी भी संपर्क नहीं किया गया है । केवल एक बार परिवादी द्वारा इस अनावेदक के मोबाईल पर फोन करके माइक्रोमैक्स कंपनी के सर्विस सेंटर का पता पूछा गया था, जिसे इस अनावेदक ने परिवादी को बता दिया था । परिवादी तथा अनावेदक क्र.1 के मध्य घटित तथ्यात्मक अभिकथन के संबंध में अनावेदक क्र.1 ही उचित जवाब दे सकता है। इस अनावेदक द्वारा परिवादी के साथ किसी भी प्रकार की सेवा में कमी या व्यवसायिक कदाचार नहीं किया गया है ।
अनावेदक क्र.2 द्वारा यह अतिरिक्त कथन किया गया है कि अनावेदक क्र.2 ने अनावेदक क्र.3 द्वारा उत्पादित मोबाईल सेट का सील बंद विक्रय परिवादी को किया था तथा उक्त मोबाइल सेट परिवादी के कथनानुसार क्रय दिनांक से लगभग 6 माह तक ठीक से चलता रहा इस दरमियान उक्त सेट में कोई त्रुटि उत्पन्न नहीं हुई है । मोबाईल में आने वाली किसी भी त्रुटि को सर्विस सेंटर द्वारा सुधार कर दिये जाते हैं। सुधार कार्य हेतु इस अनावेदक का कोई भी योगदान नहीं होता है । मोबाईल में तथाकथित त्रुटि के संबंध में किसी भी विशेषज्ञ की रिपोर्ट प्रकरण में संलग्न नहीं की गई है जिसके अभाव में मोबाइल की त्रुटि के संबंध में उचित आदेश पारित किया जाना संभव नहीं हैं । यदि परिवादी द्वारा अनावेदक क्र.1 के पास मोबाईल सुधार हेतु दिया गया है और यदि अनावेदक क्र.1 उक्त मोबाईल को सुधार कर परिवादी को वापस नहीं कर रहा है तो इसके लिये अनावेदक क्र.2 किसी भी प्रकार से जिम्मेदार या दायित्वाधीन नहीं हैं । इसके लिये केवल अनावेदक क्र.1 एवं अनावेदक क्र.3 दायित्वाधीन होंगे । मोबाईल के बिल में यह स्पष्ट उल्लेखित है कि मोबाईल को सर्विस सेंटर तक लाने ले जाने की जिम्मेदारी ग्राहक की होगी । इस प्रकार स्पष्ट है कि मोबाईल के लिये दी गई वारंटी कंपनी सर्विस सेंटर द्वारा आच्छादित होने तथा विक्रेता की कोई जिम्मेदारी इस बाबत् न होने का स्पष्ट उल्लेख बिल में किया गया है जिसे स्वीकार करते हुए परिवादी द्वारा इस अनावेदक से मोबाईल क्रय किया गया है । इसलिये मोबाईल में आयी किसी भी त्रुटि के लिये या त्रुटि के सुधार के लिये यह अनावेदक किसी भी प्रकार से दायित्वाधीन नहीं होने के कारण परिवाद पत्र इस अनावेदक के विरूद्ध निरस्त करने योग्य है । इस अनावेदक को अनावश्यक रूप से पक्षकार के रूप में संयोजित किया गया है । अतः पेश परिवाद निरस्त किये जाने की प्रार्थना कर गुलशन वाधवा ने जवाब के समर्थन में स्वयं का शपथपत्र तथा सूची अनुसार दस्तावेजों की फोटोप्रति पेश किया है ।
4. अनावेदक क्र.1 को इस अधिकरण द्वारा पेशी दि0 26.08.2014 हेतु पंजीकृत सूचना पत्र जारी किया गया था जिसे अनावेदक क्र.1 द्वारा लेने से इंकार किया गया है । अतः प्रकरण में अनावेदक क्र.1 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गई है । अनावेदक क्र.3 की ओर से प्रकरण में उनके अधिवक्ता उपस्थित हुए लेकिन उनके द्वारा प्रकरण में जवाबदावा, शपथपत्र, दस्तावेज आदि पेश नहीं किये गये हैं ।
5. उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण में निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं कि:-
(1) क्या परिवादी, अनावेदकगण से मोबाइल की राशि मोबाइल की राशि 6700/-
6700/-तथा खर्च की राशि 200/- प्राप्त प्राप्त करने का अधिकारी है।
करने का अधिकारी है ?
(2) क्या परिवादी, अनावेदकगण से शारीरिक व मानसिक 5000/-प्राप्त करने का
परेशानी के एवज में 20000/-प्राप्त करने का अधिकारी है।
अधिकारी है ?
(3) अन्य सहायता एवं वादव्यय ? परिवाद अंशतः स्वीकृत।
:: विचारणीय बिन्दुओं के निष्कर्ष के आधार ::
6. प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है ।
फोरम का निष्कर्ष:-
7. प्रकरण के अवलोकन से हम यह पाते हैं कि परिवादी ने अनावेदक क्र.1 से दि0 03.11.2013 को एक माईक्रोमैक्स मोबाईल ए-72 मोबाईल 6700/-में क्रय किया था । उक्त मोबाईल में कुछ समय पश्चात् खराबी आने लगी और मोबाईल बार-बार हैंग हो जाता था । इस पर परिवादी ने अनावेदक क्र.2 से मोबाईल खराब होने एवं सर्विस सेंटर का पता पूछा था, तब अनावेदक क्र.2 ने परिवादी को सर्विस सेंटर जाने की सलाह दी थी । जिस पर परिवादी अनावेदक क्र.1 के पास गया और अनावेदक क्र.1 उक्त मोबाईल 05.04.2014 को 200/-चार्ज लेकर मोबाईल ठीक हो गया है यह कहकर परिवादी को उक्त मोबाईल दे दिया किन्तु परिवादी द्वारा उक्त मोबाईल को घर ले जाकर चेक किया तो उक्त मोबाईल का कैमरा बंद हो गया था, इंटरनेट ठीक से नहीं चल रहा था एवं मोबाईल में बात ठीक से नहीं हो पा रही थी। इस पर परिवादी पुनः अनावेदक क्र.1 के सर्विस सेंटर गया तब अनावेदक क्र.1 के द्वारा दि0 17.04.2014 को जाबशीट खोला और परिवादी को 48 दिन में आने को कहा गया । 48 दिन बाद जब परिवादी अपने उक्त मोबाईल को लेने अनावेदक क्र.1 के पास गया तो उनके कर्मचारियों ने कहा कि मोबाईल कंपनी में हैं अभी नहीं आया है । इसके बाद परिवादी कई बार अनावेदक क्र.1 की शाॅप में गया किन्तु अनावेदक क्र.1 के द्वारा आज दिनांक तक परिवादी को उक्त मोबाईल सुधार कर नहीं दिया है। इस प्रकार अनावेदकगण का उपरोक्त कृत्य निश्चित रूप से सेवा में निम्नता एवं व्यवसायिक दुराचरण की श्रेणी में आता है।
8. प्रकरण की परिस्थितियों को देखते हुए हम परिवादी का दावा अस्वीकार करने का कोई कारण नहीं पाते हैं। निश्चित तौर पर परिवादी ने 6700/-देकर अभिकथित मोबाईल प्राप्त किया था और कुछ समय पश्चात् ही उक्त मोबाईल में समस्यायें आ गई जबकि उक्त समस्याओं का निराकरण अनावेदकगण ने उच्च शिष्टाचार अपनाते हुए और उच्चतम सेवायें देते हुए त्वरित कार्यवाही न कर परिवादी को अभिकथित उपकरण से वंचित रखा जो कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज के प्रति से सिद्ध होता है जिससे निश्चित रूप से अनावेदकगण की घोर व्यवसायिक दुराचरण एवं निम्न सेवा की स्तर सिद्ध होता है ।
9. फलस्वरूप हम उपरोक्त परिस्थितियों में परिवादी का दावा स्वीकार करते हैं और यह निष्कर्षित करते हैं कि अनावेदकगण संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से परिवादी के संबंध में सेवा में निम्नता एवं व्यवसायिक कदाचरण के दोषी हैं । अतः परिवादी, अनावेदकगण से संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से अभिकथित मोबाईल की राशि 6700/-दावा दायरी दिनांक से रकम अदायगी दिनांक तक 6 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से ब्याज सहित वापस प्राप्त करने की अधिकारी है । परिवादी, अनावेदकगण से संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 5000/-तथा वादव्यय के रूप में 2000/-भी प्राप्त करने की अधिकारी है ।
10. अतः उपरोक्त संपूर्ण विवेचना के आधार पर हम परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हैं और आदेशित करते हैं कि आदेश दिनांक से एक माह के अवधि के भीतर:-
(अ) अनावेदकगण संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से परिवादिनी को मोबाईल की कीमत 6700/- (छः हजार सात सौरूपये) परिवाद दिनांक-26.06.2014 से अदायगी दिनांक तक 6 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित अदा करेंगे ।
(ब) अनावेदकगण संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से परिवादिनी को उपरोक्त कृत्य के कारण हुई मानसिक कष्ट के लिए 5000/- (पांच हजार रूपये) अदा करेंगे।
(स) अनावेदकगण संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से परिवादिनी को अधिवक्ता शुल्क तथा वादव्यय के रूप में 2000/- (दो हजार रूपये) भी अदा करेंगे ।
(श्रीमती अंजू अग्रवाल) (श्रीमती प्रिया अग्रवाल)
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