Rajasthan

Jaipur-I

CC/1428/2013

MOH. RAHIS MANSOORI - Complainant(s)

Versus

MOBILE BAZAR - Opp.Party(s)

SAKIL KHAN

07 Aug 2014

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर

समक्ष:    श्री महेन्द्र कुमार अग्रवाल - अध्यक्ष
          श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
          श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य
परिवाद सॅंख्या: 1428/2013
मोहम्मद रहीस मंसूरी पुत्र मोहम्मद रमजान खां, आयु 34 वर्ष, जाति मुसलमान, निवासी मकान नंबर ए-2 जयन्ती काॅलोनी, फकीरो की छोटी डंुगरी, गंगापोल बाजार, जयपुर 302002 Û

                                              परिवादी
               ं     बनाम

1.   मोबाईल बाजार - शाॅप नंबर 1, सालासर प्लाजा, रायसर प्लाजा के सामने, इंदिरा बाजार, जयपुर जरिए प्रोपराईटर/मैनेजर/अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता Û
2.    मनु टेलीलिंक - एफ-5, सालासर प्लाजा, रायसर प्लाजा के सामने, इंदिरा बाजार, जयपुर जरिए प्रोपराईटर/मैनेजर/अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता Û
3.    सनस्ट्रीके टेलीेकोम प्राईवेट लि0 ए-6, द्वितीय मंजिल, शुभम एन्कलेव, पश्चिम विहार, न्यू देहली 110087 जरिए मैनेजर/प्रबंधक निदेशक/ अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता Û

              विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री शकील खान - परिवादी

                             परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 10.12.13

                      आदेश     दिनांक:09.01.2015

यह परिवाद मोहम्मद रहीस मंसूरी ने विपक्षीगण मोबाईल बाजार शाॅप नंबर 1 विपक्षी सॅंख्या 1, मनु टेलीलिंग विपक्षी सॅंख्या 2 एवं सनस्ट्रीके विपक्षी सॅंख्या 3  जरिए प्रोपराईटर/मैनेजर/ अधिकृत हस्ताक्षरर्ता के विरूद्ध अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पेश किया है । परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक 28.12.12 को विपक्षी सॅंख्या 1 से एक मोबाईल रेज कम्पनी का पर्ल माॅडल  1010/- रूपए में क्रय किया था । विपक्षी सॅंख्या 1 ने एक साल के अंदर आने वाली कोई भी खराबी को नि: शुल्क ठीक करने का आश्वासन दिया गया था ।  परिवादी का कथन है कि खरीद के तीन माह बाद मोबाईल ने ढंग से काम करन बंद कर दिया । दिनांक 22.04.2013 को विपक्षी को मोबाईल ठीक करने हेतु विपक्षी सॅंख्या 1 के कहने पर विपक्षी सॅंख्या 2 को दिया जिसने काफी चक्कर काटने के बाद दिनांक 02.05.2013 को मोबाईल ठीक करके वापिस दिया परन्तु यह पहले से अधिक खराब हो गया था इसमें इनकमिंग व आउटगोइंग वाॅईस नहीं आ रही थी । पुन: विपक्षी सॅंख्या 2 से सम्पर्क किया  तो उसने हैण्डसेट अपने पास रख लिया जो 01.07.2013 को वापिस दिया और ठीक करने के 200/- रूपए प्राप्त कर लिए जबकि मोबाईल वांरटी पीरियड में था । परिवादी का कथन है कि मोबाईल जिस बिल के जरिए विक्रय किया गया उस बिल पर अंकित आई.एम.ई.आई. नंबर व मोबाईल के अंदर आई.एम.ई.आई. नंबर की चिट पर अंकित नंबर तथा मोबाईल पर ’रु6रु डायल करने पर जो आई.एम.ई.आई. नंबर प्रदर्शित हो रहे थे वह भिन्न थे जो यह दर्शाता है कि विपक्षी ने खराब व ग्रे मार्केट का नकली मोबाईल विक्रय किया है जो प्रारम्भ से ही खराब रहा है और बार-बार ठीक करवाने के बावजूद भी ठीक नहीं हुआ है ।  विपक्षीगण को विधिक नोटिस भी भेजा गया परन्तु फिर भी परिवादी का समस्या का समाधान नहीं किया गया । परिवादी का कथन है कि इस प्रकार विपक्षीगण ने अनुचित व्यापार प्रथा अपनाई एवं सेवादोष कारित किया है । परिवादी ने वांरटी पीरियड में वसूली गई राशि 200/- रूपए, मोबाईल की कीमत खरीदने की दिनांक से 24 प्रतिशत ब्याज सहित, शारीरिक, मानसिक वेदना तथा आर्थिक क्षति के 60,000/- रूपए, परिवाद व्यय 30,000/- रूपए, अधिवक्ता फीस 5500/- रूपए दिलवाए जाने का निवेदन किया है ।
विपक्षी की ओर से परिवाद का कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है ना ही कोई मंच के समक्ष उपस्थित आया है । दिनंाक 20.03.2014 को विपक्षी को तामिल प्राप्त होना माना जाकर उनके विरूद्ध एक तरफा कार्यवाही अमल में लाई गई है ।
मंच द्वारा परिवादी अधिवक्ता की बहस सुनी गई एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया । 
परिवादी के अधिवक्ता की ओर से बहस की गई है कि परिवादी ने दिनांक 28.12.12 को विपक्षी सॅंख्या 1 से एक मोबाईल रेज कम्पनी का पर्ल माॅडल  1010/- रूपए में क्रय किया था । विपक्षी सॅंख्या 1 ने एक साल के अंदर आने वाली कोई भी खराबी को नि: शुल्क ठीक करने का आश्वासन दिया गया था । जो मोबाईल खरीद के तीन माह बाद खराब हो गया जिसे विपक्षी सॅंख्या 1 के कहने पर विपक्षी सॅंख्या 2 के यहां दिनांक 22.04.2013 को ठीक करने हेतु दिया जो 02.05.2013 को ठीक करके दिया गया परन्तु पहले से अधिक खराब हो गया और फिर 01.07.2013 को ठीक करने हेतु वापिस दिया तो वांरटी में होतेे हुए भी परिवादी से 200/- रूपए वसूल किए गए । परिवादी के अधिवक्ता का कथन है कि प्रश्नगत मोबाईल ग्रे माकेट का व खराब परिवादी को विक्रय किया गया क्योंकि मोबाईल जिस बिल के जरिए विक्रय किया गया उस बिल पर अंकित आई.एम.ई.आई. नंबर व मोबाईल के अंदर आई.एम.ई.आई. नंबर की चिट पर अंकित नंबर तथा मोबाईल पर ’रु6रु डायल करने पर जो आई.एम.ई.आई. नंबर प्रदर्शित हो रहे थे वह भिन्न थे । इस प्रकार विपक्षीगण ने अनुचित व्यापार प्रथा अपनाई व सेवादेाष कारित किया है इसलिए वांरटी पीरियड में वसूली गई राशि 200/- रूपए, मोबाईल की कीमत खरीदने की दिनांक से 24 प्रतिशत ब्याज सहित, शारीरिक, मानसिक वेदना तथा आर्थिक क्षति के 60,000/- रूपए, परिवाद व्यय 30,000/- रूपए, अधिवक्ता फीस 5500/- रूपए दिलवाए जावें ।
परिवादी ने विपक्षी द्वारा दिया गया बिल दिनांक 28.12.12, विपक्षी सॅंख्या 2 द्वारा प्राप्त की गई राशि 200/- रूपए का बिल दिनांक 01.07.2013, मोबाईल के डिब्बे की फोटोकाॅपी, दूसरा मोबाईल क्रय किया उसकी काॅपी, अधिवक्ता के नोटिस की काॅपी पेश की है ।
 विपक्षी की ओर से परिवाद के कथन व प्रस्तुत साक्ष्य का कोई खण्डन नहीं किया गया है ऐसी स्थिति में इन पर अविश्वास किए जाने का कोई आधार मंच के समक्ष उपलब्ध नहीं है।
इस प्रकार परिवादी के सशपथ कथन व प्रस्तुत साक्ष्य से खण्डन के अभाव में यह प्रमाणित है कि परिवादी द्वारा दिनांक 28.12.12 को एक मोबाईल हैण्डसेट विपक्षी कम्पनी का 1010/- रूपए में खरीद किया गया था जिसमें खरीदने के 3 माह पश्चात खराबी आ गई और विपक्षी ने मोबाईल हैण्डसेट को ना तो ठीक करके दिया ना ही बदला ना ही उसकी कीमत अदा की है बल्कि दिनांक 01.07.2013 को वांरटी अवधि में होते हुए भी मोबाईल ठीक करने के 200/- रूपए प्राप्त कर लिए। इस प्रकार से विपक्षीगण का यह कृत्य अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस के अन्तर्गत आता है परिणामस्वरूप यह परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है ।
    आदेश
अत: परिवादी का यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह संयुक्त व पृथक-पृथक रूप से उत्तरदायी होते हुए परिवादी के मोबाईल को एक माह की अवधि में निः शुल्क ठीक करके  वापिस लौटाएगा अन्यथा उसे मोबाईल की कीमत 1010/- रूपए अक्षरे एक हजार दस रूपए परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक से अदायगी तक 12 प्रतिशत ब्याज सहित अदा करेगा । इसके अलावा विपक्षी परिवादी को कारित मानसिक संताप व आर्थिक हानि की क्षतिपूर्ति के लिए उसे 5000/- रूपए अक्षरे पाॅच हजार पाॅंच सौ रूपए एवं परिवाद व्यय 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करेेेगा। परिवादी का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                  
निर्णय आज दिनांक 09.01.2015 को लिखाकर सुनाया गया।


( ओ.पी.राजौरिया )   (श्रीमती सीमा शर्मा)  (महेन्द्र कुमार अग्रवाल)    
     सदस्य              सदस्य          अध्यक्ष      

 

 

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