Uttar Pradesh

StateCommission

A/3087/2017

Station Superintdent Railway - Complainant(s)

Versus

Mithles Tarsaulia - Opp.Party(s)

Vinay Kumar Verma

28 Mar 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/3087/2017
( Date of Filing : 13 Nov 2017 )
(Arisen out of Order Dated 10/10/2017 in Case No. C/66/2017 of District Jalaun)
 
1. Station Superintdent Railway
Jalaun
...........Appellant(s)
Versus
1. Mithles Tarsaulia
Jalaun
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 28 Mar 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील सं0- 3087/2017

                                                                                                                                                                                  (सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, जालौन स्‍थान उरई द्वारा परिवाद सं0- 66/2017 में पारित निर्णय व आदेश दि0 10.10.2017 के विरूद्ध)

  1. Station Superintendent, Railway Station Orai, District Jalaun U.P.
  2. General Manager, North Central Railway, Allahabad, U.P.
  3. Union of India through Rail Minister, Central Secretariat, New Delhi.                                                                                

                                                                        ……….Appellants

                                                         Versus

Smt. Mithlesh Tarsaulia aged about 58 years W/o Shri Shankar Lal Tarsaulia, Advocate r/o House No.-204, Tulsi Nagar Orai, Behind Government Girls Inter College, Pargana- Orai, District Jalaun.  

                                                                        …………Respondent

समक्ष:-                       

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष   

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित   : श्री विनय कुमार वर्मा के सहयोगी 

                                श्री प्रशांत कुमार तिवारी,

                                विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित          : श्री शंकर लाल तरसौलिया,

                                 विद्वान अधिवक्‍ता। 

दिनांक:- 14.05.2019

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

          परिवाद सं0- 66/2017 श्रीमती मिथलेश तरसौलिया बनाम स्‍टेशन अधीक्षक रेलवे स्‍टेशन उरई व दो अन्‍य में जिला फोरम, जालौन स्‍थान उरई द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 10.10.2017 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

          आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद अंशत: स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

          ‘’परिवाद अंशत: स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदे‍श दिया जाता है कि वे परि‍वादिनी को कुल मु0 70,000/- क्षतिपूर्ति की धनराशि 30 दिन के भीतर अदा करें। यदि 30 दिन के भीतर धनराशि अदा नहीं की जायेगी तो विपक्षीगण को परिवाद पत्र प्रस्‍तुत किये जाने की तिथि 26.04.2017 से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज भी देय होगा।‘’

          जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षीगण ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

          अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री विनय कुमार वर्मा के सहयोगी श्री प्रशांत कुमार तिवारी और प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री शंकर लाल तरसौलिया उपस्थित आये हैं।

          मैंने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

          मैंने अपीलार्थी की ओर से प्रस्‍तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।  

          अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने उपरोक्‍त परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने टिकट नं0- 9266556 पी0एन0आर0 सं0- बी0 34-9101949 से गाड़ी सं0- 114409 से अपने परिवार के साथ यात्रा करने हेतु टिकट दि0 08.07.2016 को रेलवे के आरक्षित टिकट बुकिंग खिड़की उरई से खरीदा। टिकट पर यात्रा की तिथि दि0 04.10.2016 थी। उपरोक्‍त टिकट के साथ ही प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने दूसरा टिकट भी पी0एन0आर0 सं0- बी0 74-8925769 पर खरीदा। दोनों टिकट पर प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के परिवार के सभी सदस्‍यों को गाड़ी के कोच एस-4 के लिए टिकट बर्थ आरक्षित की गई थी और दि0 04.10.2016 को जब प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी अपने सम्‍पूर्ण परिवार के साथ रेलवे स्‍टेशन झांसी से कटरा जम्‍मू कश्‍मीर के लिए यात्रा प्रारम्‍भ की तो उसके पौत्र उम्र लगभग 01 वर्ष को दस्‍त लगने के कारण सुविधा की दृष्टि से उसने बर्थ नं0- 71 अन्‍य यात्री से बदल ली। रास्‍ते में झांसी रेलवे स्‍टेशन से नई दिल्‍ली तक कोई भी रेलवे चेकर अथवा रेलवे सुरक्षा से सम्‍बन्धित आर0पी0एफ0 अथवा जी0आर0पी0 का कर्मचारी एस-4 कोच में नहीं आया और जब गाड़ी तुगलकाबाद के समीप चलकर रुकी तब दरवाजे के पास खड़े दो व्‍यक्ति जो कोच में पहले से मौजूद थे ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के गले में पहनी हुई डेढ़ से दो तोला सोने की जंजीर खींचकर ट्रेन से कूद कर भाग गये। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी व उसके परिवार वालों के शोर मचाने पर न तो रेलवे का कोई कर्मचारी आया और न ही जी0आर0पी0 व आर0पी0एफ0 का कोई कर्मचारी आया। उसने मोबाइल द्वारा घटना की सूचना दिया फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई तब उसने दिल्‍ली के 100 नम्‍बर पर फोन किया तब भी कोई कार्यवाही नहीं हुई तब उसके सहयात्रीगण द्वारा रेल मंत्री को व्‍हाटसअप पर सूचना दी गई, परन्‍तु निजामुद्दीन रेलवे स्‍टेशन पर रेलवे के कर्मचारी व सुरक्षा कर्मचारी ट्रेन छूटने तक नहीं आये और जब ट्रेन रोहतक रेलवे स्‍टेशन पर पहुंची तब जी0आर0पी का कर्मचारी आया और उसने कहा कि रोहतक रेलवे स्‍टेशन पर उतर कर अपनी रिपोर्ट दर्ज करायें अथवा कटरा रेलवे स्‍टेशन जहां यात्रा समाप्‍त हो रही है वहां रिपोर्ट दर्ज करायें तब प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने कटरा जाने का निर्णय लिया और कटरा स्‍टेशन पर जी0आर0पी0 थाने में जाकर अपनी रिपार्ट दर्ज करायी। उसके गले पर चोट थी जिसका मुआयना कर प्रभारी थाना जी0आर0पी0 ने चोटों की फोटो उतारी और कटरा जाने की सलाह दी। कटरा वहां से 4 – 5 किलोमीटर दूर था और रात में डॉक्‍टर वहां नहीं मिले। अत: वैष्‍णों देवी के दर्शन कर दि0 08.10.2016 को प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी उरई वापस आयी और जिला अस्‍पताल उरई में 5:30 बजे शाम को अपना डॉक्‍टरी मुआयना कराया।

          परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का कथन है कि उसे टिकट रेलवे विभाग द्वारा आरक्षण शुल्‍क व सुरक्षा शुल्‍क लेने के बाद जारी किया गया था, फिर भी सुरक्षा की कोई व्‍यवस्‍था नहीं की गई थी।

          परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से विपक्षीगण को नोटिस भेजा, फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई तो उसने विवश होकर परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है और चेन की कीमत 66,000/-रू0 एवं मानसिक व शारीरिक कष्‍ट हेतु 15,000/-रू0 तथा शरीर व गले में आयी चोटों के लिए क्षतिपूर्ति 10,000/-रू0 मांगा है।

          जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है और कहा गया है कि यूनियन ऑफ इंडिया को परिवाद में गलत पक्षकार बनाया गया है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि चोरी की घटना आपराधिक मामला है जिसके लिए राज्‍य सरकार उत्‍तरदायी है। लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि रेल प्रशासन पर रेल पुलिस का कोई नियंत्रण नहीं होता है।

          लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि घटना तुगलकाबाद स्‍टेशन के समीप होना बताया जाता है। तुगलकाबाद स्‍टेशन दिल्‍ली केन्‍द्र शासित प्रदेश के अंतर्गत आता है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि वर्तमान परिवाद में धारा 100 रेल अधिनियम 1989 बाधक है और परिवाद जिला फोरम के क्षे‍त्राधिकार से परे है।

          लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवादिनी से टिकट के लिए जो शुक्‍ल लिया गया है उसमें यात्रा व्‍यय और आरक्षण शुल्‍क शामिल है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी/विपक्षीगण की उपभोक्‍ता नहीं है।

          जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत यह माना है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने रेलवे टिकट खरीद कर वैध यात्री के रूप में यात्रा की है। अत: सुरक्षित यात्रा के लिए रेलवे जिम्‍मेदार है और यदि किसी प्रकार की कोई दुर्घटना आदि घटित होती है तो रेलवे क्षतिपूर्ति के भुगतान हेतु उत्‍तरदायी है।

          जिला फोरम ने अपने निर्णय में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की छीनी गई 1.5 से 02 तोला सोने की जंजीर का मूल्‍य 60,000/-रू0 निर्धारित किया है और साथ ही 10,000/-रू0 उसे पीड़ा व मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रदान किया है। इस प्रकार जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए आदेश पारित किया है जो ऊपर अंकित है।

          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य एवं विधि के विरुद्ध है।

          जिला फोरम उरई को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है। जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की चेन का वजन बिना किसी साक्ष्‍य के माना है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा कथित घटना स्‍वयं उसकी लापरवाही से हुई है। अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश अपास्‍त कर परिवाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

          प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य एवं विधि के अनुकूल है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने प्रश्‍नगत टिकट रेलवे (अपीलार्थी/विपक्षीगण) की उरई स्‍टेशन की बुकिंग खिड़की से खरीदा था। अत: वाद हेतुक आंशिक रूप से उरई में उत्‍पन्‍न हुआ है। अत: जिला फोरम, उरई ने परिवाद का संज्ञान लेकर जो आक्षपित निर्णय और आदेश पारित किया है वह अधिकार युक्‍त और विधि सम्‍मत है।

          प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की चेन छीनने की घटना से इंकार नहीं किया है और परिवाद पत्र के कथन से यह स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी जब भारतीय रेलवे से वैध आरक्षित टिकट से यात्रा कर रही थी तो उसी समय यह घटना तुगलकाबाद में घटित हुई है और प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की सहायता हेतु न तो कोई रेलवे कर्मचारी आया न ही आर0पी0एफ0 या जी0आर0पी0 का कोई कर्मचारी आया। अत: अपीलार्थी/विपक्षीगण की सेवा में कमी मानते हुए जो आक्षेपित निर्णय व आदेश जिला फोरम ने पारित किया है और जो क्षतिपूर्ति प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को दिलायी है वह उचित है इसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

          मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

          प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने अपनी प्रश्‍नगत यात्रा के लिए टिकट भारतीय रेलवे की आरक्षित टिकट बुकिंग खिड़की उरई से खरीदा है। इस तथ्‍य से अपीलार्थी/विपक्षीगण ने इंकार नहीं किया है। अपीलार्थी/विपक्षीगण का यह कथन नहीं है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी प्रश्‍नगत ट्रेन से अपनी प्रश्‍नगत यात्रा बिना टिकट के कर रही थी। अत: उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों के आधार पर यह मानने हेतु उचित आधार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी भारतीय रेलवे के वैध टिकट से प्रश्‍नगत कथित घटना के समय यात्रा कर रही थी और वह टिकट उसने उरई से भारतीय रेलवे की बुकिंग खिड़की से खरीदा था। अत: वाद हेतुक आंशिक रूप से उरई में उत्‍पन्‍न हुआ है और जिला फोरम जालौन (उरई) को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार है।

           अपीलार्थी/विपक्षीगण ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा कथित चेन छीनने की घटना से स्‍पष्‍ट इंकार नहीं किया है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा चेन छीनने की कथित घटना पर अविश्‍वास करने हेतु उचित आधार नहीं है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी भारतीय ट्रेन से वैध ढंग से यात्रा कर रही थी और उसकी इस यात्रा के मध्‍य उसकी चेन छीनी गई है, फिर भी उसकी सहायता के लिए रेलवे कर्मचारी अथवा जी0आर0पी0 या आर0पी0एफ0 का कर्मचारी नहीं आया है।

          ऐसी स्थिति में यह मानने हेतु उचित आधार है कि भारतीय रेलवे ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को सुरक्षित यात्रा उपलब्‍ध नहीं करायी है। रेलवे ने आरक्षित टिकट देकर प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को यात्रा की सुविधा प्रदान की है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि रेलवे ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को सुरक्षित यात्रा हेतु टिकट दिया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को प्रश्‍नगत घटना में चोट भी आना बताया गया है। अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हूं कि जिला फोरम ने जो 60,000/-रू0 चेन की कीमत प्रदान किया है वह अधिक है। इसे कम कर 45,000/-रू0 किया जाना उचित है। जिला फोरम ने जो और 10,000/-रू0 मानसिक व शारीरिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को प्रदान किया है वह उचित है, इसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

          जिला फोरम ने जो ब्‍याज परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से दिया है वह उचित है, परन्‍तु ब्‍याज दर अधिक है, ब्‍याज दर 06 प्रतिशत वार्षिक किया जाना उचित है।  

          उपरोक्‍त विवेचना एवं ऊपर निकाले गये निष्‍कर्ष के आधार पर मैं इस मत का हूं कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय व आदेश उपरोक्‍त प्रकार से संशोधित किये जाने योग्‍य है। अत: अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम का निर्णय व आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थी/विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को 55,000/-रू0 क्षतिपूर्ति परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज के साथ अदा करें।  

          अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा अपील में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जमा धनराशि 25,000/-रू0 अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जायेगी।      

 

               (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                                               

                                     अध्‍यक्ष                                   

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.