Rajasthan

Jhunjhunun

36/2014

MANOJ KUMAR - Complainant(s)

Versus

MITAL BOMBAY COMPLEX - Opp.Party(s)

DWARKA PRASAD VERMA

11 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 36/2014
 
1. MANOJ KUMAR
JHUNJHUNU
...........Complainant(s)
Versus
1. MITAL BOMBAY COMPLEX
JHUNJHUNU
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

 परिवाद संख्या 36/14
तारीख
हुक्म
                                
हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
मनोज कुमार शर्मा बनाम मितल्स, बोम्बे काम्पलेक्स, स्टेषन रोड झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू
                     जरिये प्रोपराईटर श्री सौरभ पुत्र उमेष मित्तल।
    न्ू
09.04.2015          
    परिवादी की ओर से वकील श्री द्वारका प्रसाद उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री मनोज कुमार शर्मा उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
    विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि  परिवादी के पास एक लेपटाप लेनवों बी 570 है जो डिसप्ले आन न होने के कारण विपक्षी की दुकान पर दिनांक        19.09.2013 को लेकर गया तो विपक्षी ने परिवादी से 550/-रूपये लेकर लेपटाप ठीक करके देने का आष्वासन दिया परन्तु जब परिवादी दूसरे दिन विपक्षी की दुकान पर गया तो विपक्षी प्रोपराईटर सौरभ मित्तल ने कहा कि लेपटाप जयपुर भेजना होगा तथा 950/-रूपये और लगेगे तो परिवादी ने विपक्षी को 950/-रूपये दे दिये तथा तीन दिन बाद लेपटाप ले जाने के लिये कहा लेकिन विपक्षी ने छः दिन बाद परिवादी को लेपटाप वापिस दिया। परिवादी ने विपक्षी के सामने ही लेपटाप स्टार्ट करके देखा तो उसकी की पैड के कुछ बटन काम नहीं कर रहे थे तो विपक्षी ने लेपटाप छोडकर जाने के लिये कहा । परिवादी जब दूसरे दिन लेपटाप लेने के लिये गया तो विपक्षी ने चिल्लाते हुए परिवादी को यह कहकर लेपटाप वापिस कर दिया कि वह परिवादी का लेपटाप ठीक नहीं करेगा तथा जहां षिकायत कर सकते हो वहां करदो। परिवादी ने दिनांक 03.10.2013 को विपक्षी को एक पत्र भेजकर लिखा कि उसका लेपटाप या तो ठीक करके देवे अन्यथा उसके द्वारा दी गई रकम व की पैड जो खराब कर दिया है उसकी कीमत अदा करे ।

अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार किया जाकर निवेदन किया है कि परिवादी द्वारा लेपटाप ठीक करने के एवज में विपक्षी को दी गई राषि वापिस दिलाई जावे तथा लेपटाप का की बोर्ड खराब कर दिया है उसकी कीमत 5000/-रूपये विपक्षी से दिलवाई जावे या परिवादी का लेपटाप पूर्ण रूप से ठीक करने का आदेष दिया जावे ।
  विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी की ओर से ऐसा कोई सबूत पत्रावली में पेष नहीं किया है जिससे परिवादी को विपक्षी का उपभोक्ता माना जा सके। परिवादी व विपक्षी के मध्य उपभोक्ता एवं सर्विस प्रोवाईडर का कोई संबंध स्थापित नहीं हुआ है। ऐसी सूरत में परिवाद चलने योग्य नहीं है। 

विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी ने अपनी बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी विपक्षी के पास आया हो तथा उसका लेपटाप ठीक कराया हो, इस संबंध में लेषमात्र भी साक्ष्य पेष नहीं की है। परिवादी का परिवाद पत्र काबिले दर्ज नहीं होने के कारण खारिज किए जाने योग्य है। 
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी ने अपनी बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी द्वारा लेपटाप ठीक कराने की एवज में विपक्षी को 550/- व 950/- कुल 1500/-रूपये अदा किए गये हों, सरासर गलत है। विपक्षी परिवादी को जानता तक नहीं है तथा परिवादी विपक्षी की दुकान पर आज तक नहीं आया न लेपटाप ठीक करवाया न कोई रकम अदा की । वास्तविकता यह है कि परिवादी ने रंजिष व दुर्भावनापूर्ण मिथ्या परिवाद पत्र पेष किया है।
       अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया है। 
      उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 

पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ है कि परिवादी द्वारा विपक्षी को लेपटाप ठीक कराने की एवज में 550 व 950/- कुल 1500/-रूपये अदा किए गए हों, इस संबंध में कोई रसीद, फोटो चित्र व विष्वसनीय दस्तावेज पेष नही किया गया है। परिवादी किस आधार पर यह कहता है कि विपक्षी को लेपटाप ठीक कराने की एवज में 1500/-रूपये दिये तथा विपक्षी ने ही परिवादी का लेपटाप की बोर्ड खराब किया हो, इस संबंध में परिवादी की ओर से कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पत्रावली में पेष नहीं किया है।  
       अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र सारहीन होने से खारिज किए जाने योग्य है जो एतद्द्वारा खारिज किया जाता है।
       खर्चा मुकदमा पक्षकारान स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे।
       पत्रावली फैसल शुमार होकर वाद तकमील दाखिल दफ्तर हो। 
आदेश आज दिनांक 09.04.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 

 

 

    

 

 

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