( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या : 382/2012
लाइफ इंश्योरेंसकार्पोरेशन आफ इण्डिया व एक अन्य
बनाम्
श्रीमती मृदुला गोयल पत्नी स्व0 श्री शिव कुमार गोयल
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री वी0 एस0 बिसारिया।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- श्री अनिल कुमार मिश्रा।
दिनांक : 11-01-2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
प्रस्तुत अपील अत्यन्त पुरानी है और वर्ष 2012 से इस न्यायालय के सम्मुख सुनवाई हेतु लम्बित है। आज अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री वी0 एस0 बिसारिया उपस्थित हैं जब कि प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री अनिल कुमार मिश्रा उपस्थित हैं। उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त अपील का निस्तारण गुणदोष के आधार पर किया जा रहा है।
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परिवाद संख्या-261/2011 श्रीमती मृदुला गोयल बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम व एक अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, प्रथम, बरेली द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 27-01-2012 के विरूद्ध प्रस्तुत अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न लिखित निर्णय एवं आदेश पारित किया है:-
‘’ परिवादीगण का यह उपभोक्ता परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध बीमा पालिसी संख्या-221481010 की बीमित धनराशि मु0 70,000/-रू0 और पालिसी संख्या-221595982 की बीमा धनराशि मु0 2,00,000/-रूपये तथा उक्त दोनों बीमा पालिसियों पर अर्जित ब्याज व बोनस की वसूलयाबी हेतु आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। परिवादीगण वाद व्यय के रूप में मु0 5,000/-रू0 भी प्राप्त करने के अधिकारी होंगे। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वह उपरोक्त ध्नराशि का भुगतान परिवादीगण को 30 दिन के अंदर करें, अन्यथा परिवादीगण उक्त धनराशि पर परिवाद दायर करने की दिनांक 24-05-2003 से 07 प्रतिशत का वार्षिक ब्याज प्राप्त करने के अधिकारी होंगे।‘’
विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षीगण की ओर से यह अपील इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है।
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विद्धान जिला आयोग द्वारा उभयपक्ष को विस्तारपूर्वक सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त विपक्षीगण के स्तर पर सेवा में कमी पाते हुए परिवाद स्वीकार करते हुए निर्णय एवं आदेश पारित किया है जिसका उल्लेख ऊपर किया जा चुका है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है अत: अपील स्वीकार करते हुए विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्त किया जावे।
प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के अनुसार है अत: अपील निरस्त करते हुए विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जावे।
मेरे द्वारा उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध
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समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है, किन्तु विद्धान जिला आयोग द्वारा जो बीमित धनराशि पर 07 प्रतिशत ब्याज की देयता निर्धारित की गयी है उसे न्यायहित में संशोधित करते हुए ब्याज का प्रतिशत 07 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को संशोधित करते हुए बीमित धनराशि पर ब्याज का प्रतिशत 07 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत किया जाता है। निर्णय का शेष भाग यथावत कायम रहेगा।
इस निर्णय एवं आदेश का अनुपालन निर्णय से 02 माह की अवधि में सुनिश्चित किया जावे।
अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1