जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः श्रीमती सुधा यादव........................................सदस्या
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
उपभोक्ता वाद संख्या-65/2016
सौरभ षुक्ला (एडवोकेट) पुत्र श्री चन्द्र भूशण षुक्ला निवासी मकान नं0-डी 665 विष्वबैंक कालोनी बर्रा, कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
1. प्रबन्ध निदेषक/सक्षम अधिकारी, माईक्रोमैक्स इन्फोर मैटिक लि0 21/14ए फेस-द्वितीय नारायना इण्डस्ट्रियल एरिया दिल्ली-110028
2. संचालक/सक्षम अधिकारी एस0पी0 मोबाइल सर्विस प्वाइंट 26/79 कराचीखाना बिहाइन्ड सागर मार्केट कानपुर नगर।
3. मेसर्स यूनिसेफ मार्केटिंग 42-43 सागर मार्केट नवरंग गली, कराची खाना, कानपुर नगर।
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 25.01.2016
निर्णय की तिथिः 20.02.2017
श्री पुरूशोत्तम सिंह वरि0 सदस्य द्वारा उद्घोशितः-
ःःः एकपक्षीय-निर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षीगण से प्रष्नगत मोबाइल के स्थान पर नया क्रियाषील मोबाइल दिलाया जाये, प्रष्नगत मोबाइल जितनी अवधि के लिए मरम्मत के निमित्त विपक्षीगण के पास रहने के कारण वारंटी अवधि समाप्त हुई, को यथोचित विस्तारित कराने, मानसिक, षारीरिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 90,000.00 तथा परिवाद व्यय दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी ने एक मोबाइल मे0 यूनिसेफ मार्केटिंग स्थित 42-43 सागर मार्केट कराची खाना कानपुर नगर से विपक्षी सं0-1 की कंपनी जो कि कैनवास एलेन जो-2 जिसाका आई.एम.ई.आई.-1- 911367153279768 व आई.एम.ई.आई.-2- 911367153409769 थी-को दिनांक 27.10.14 को बिल सं0-17856 बावत रू0 8000.00 क्रय किया था। परिवादी द्वारा उपरोक्त मोबाइल प्रयोग किये जाने पर गारंटी अवधि में उक्त मोबाइल में चार्ज न
..........2
...2...
होने की खराबी आने पर परिवादी ने अधिकृत सर्विस सेंटर विपक्षी सं0-2 के यहां बनवाने हेतु दिनांक 29.07.15 को गया। विपक्षी सं0-2 के कार्यालय में परिवादी को तीन दिन बाद आने को कहकर उक्त मोबाइल जमा कर लिया गया। मोबाइल जमा करके परिवादी को जमा रसीद सं0- 40680-0715-18234586 प्रदान की गयी। परिवादी जब तीन दिन बाद विपक्षी सं0-2 के यहां मोबाइल लेने गया तो उन्होंने यह कहकर परिवादी को लौटा दिया कि उक्त मोबाइल विपक्षी सं0-1 को कंपनी भेजा गया है अभी कुछ समय और लगेगा। परिवादी विपक्षी सं0-2 के कार्यालय कई बार विभिन्न तिथियों पर गया, किन्तु विपक्षी सं0-2 के कर्मचारियों ने यह कहकर लौटा दिया कि अभी अपका मोबाइल कंपनी से वापस नहीं आया है। परिवादी को लगातार 25 कार्य दिनों तक कल आइये, परसो आइये कहकर दौड़ाया गया तथा उक्त मोबाइल 25 कार्य दिवस के पष्चात परिवादी को लौटाया गया। जिससे परिवादी जो कि पेषे से अधिवक्ता है, को काफी आर्थिक हानि उठानी पड़ी। कुछ समय पष्चात उक्त मोबाइल में पुनः चार्ज न होने की खराबी आने लगी, जिससे परिवादी काफी परेषान हो गया और उसके कार्य में बाधा आने लगी, परिवादी का संपर्क लोगों से कट गया। परिवादी पुनः विपक्षी सं0-2 के कार्यालय गया और मोबाइल में आई हुई समस्या के बारे में बताया तो विपक्षी सं0-2 ने बताया कि उक्त मोबाइल मेरे पास जमा कर दो मैं उक्त मोबाइल को ठीक कर देता हूॅ। थोड़ी देर पर विपक्षी सं0-2 ने यह कहकर मोबाइल वापस कर दिया कि आपका मोबाइल अब ठीक हो गया है। पुनः उक्त मोबाइल चार्ज न होने की खराबी आने लगी तो परिवादी विपक्षी सं0-2 के कार्यालय पुनः गया। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-2 से को बताया गया कि आपका उक्त मोबाइल बार-बार खराब हो रहा है तथा मेरा काफी नुकसान हो रहा है तो विपक्षी सं0-2 के कर्मचारी ने मोबाइल बनाने हेतु जमा कर देने हेतु कहा। परिवादी ने पुनः दिनांक 23.10.15 को विपक्षी सं0-2 के कार्यालय में उक्त मोबाइल जमा कर दिया और परिवादी को मोबाइल की जमा प्राप्ति की रसीद सं0-40680-1015-1989160 प्रदान की गयी और 7 दिन बाद आने
...........3
..3...
को कहा गया। परिवादी दिनांक 30.10.15 को विपक्षी सं0-2 के कार्यालय गया तो विपक्षी सं0-2 के कर्मचारी ने परिवादी को यह सूचना दी कि अभी आपका उक्त मोबाइल कंपनी भेजा गया है अभी तक वापस नहीं आया है, कुछ दिन बाद पुनः आने को कहा गया। परिवादी का मोबाइल बन्द होने से उसे लगभग डेढ़ माह में 30-40 हजार रूपये की आर्थिक क्षति पहुॅचाई गयी है। परिवादी का मोबाइल विपक्षी सं0-2 के पास होने से निरन्तर उसकी गारंटी अवधि भी समाप्त होती रही। विपक्षी सं0-1 द्वारा उत्पादित प्रष्नगत मोबाइल को पूर्णतया चेक न करके उक्त मोबाइल परिवादी को जरिये विपक्षी सं0-3 के माध्यम से बेंच दिया, जिससे परिवादी को परेषानी हो रही है। परिवादी परेषान होकर दिनांक 05.11.15 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षीगण को नोटिस जरिये स्पीड पोस्ट भेजी, जो विपक्षी सं0-1 व 2 पर तामील हुई तथा विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादी के अधिवक्ता के मोबाइल पर दिनांक 23.12.15 को समय लगभग सुबह 11 बजकर 26 मिनट पर एक मैसेज प्राप्त हुआ। तदोपरांत परिवादी दिनांक 08.01.16 को विपक्षी सं0-2 के कार्यालय गया, जहां पर अमित षुक्ला ने कहा कि मुझे उक्त नोटिस की प्रति नहीं मिली, मुझे दूसरी प्रति दे दो, मैं उक्त विवाद का दो कार्य दिवसों के अंदर निस्तारण कर दूंगा। उनके आष्वासन पर परिवादी ने दिनांक 08.01.16 को अमित षुक्ला को विधिक नोटिस की छायाप्रति प्रदत्त कर दी, जिसकी प्रति प्राप्त कर उक्त व्यक्ति ने नोटिस पर अपने हस्ताक्षर बनाकर प्राप्त करना स्वीकृत किया। दो दिवस के उपरान्त भी आज तक परिवादी को कोई भी संतोशजनक उत्तर नहीं मिला और न ही उसका मोबाइल बनाकर दिया। फलस्वरूप विवष होकर परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षीगण को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी, लेकिन पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद भी विपक्षीगण फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आये। अतः विपक्षीगण पर पर्याप्त तामीला मानते हुए दिनांक 31.03.16 को विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही किये जाने का आदेष पारित किया गया।
........4
...4...
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 25.01.16 एवं 07.06.2016 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-4/1 के साथ संलग्न कागज सं0-4/2 लगायत् 4/12 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
5. फोरम द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की एकपक्षीय बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
6. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को एकपक्षीय रूप से सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र तथा अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये है विपक्षीगण बावजूद नोटिस तलब तकाजा कोई उपस्थित नहीं आया और न ही तो परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र व परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये षपथपत्र तथा प्रस्तुत उपरोक्त प्रलेखीय साक्ष्यों का खण्डन किया गया है। अतः ऐसी दषा में प्रस्तुत षपथपत्र व प्रलेखीय साक्ष्यों पर अविष्वास किये जाने का कोई आधार नहीं है। परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये साक्ष्य अखण्डनीय हैं।
अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार दिये गये कारणों से फोरम इस निश्कर्श पर पहुॅचता है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से परिवादी को विपक्षीगण से प्रष्नगत मोबाइल सेट की कीमत रू0 8000.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से तायूम वसूली तक दिलाये जाने हेतु अथवा प्रष्नगत मोबाइल सेट के बदले उसी मॉडल का नया मोबाइल सेट परिवादी को दिलाये जाने तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय के लिए स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम
..........5
...5...
का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
7. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंषिक एवं एकपक्षीय रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी, परिवादी को प्रष्नगत मोबाइल सेट की कीमत रू0 8000.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से तायूम वसूली अदा करे अथवा प्रष्नगत मोबाइल सेट के बदले उसी मॉडल का नया मोबाइल सेट परिवादी को प्राप्त करायें तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करें।
(सुधा यादव) ( पुरूशोत्तम सिंह )
सदस्या वरि0सदस्य
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर। फोरम कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(सुधा यादव) ( पुरूशोत्तम सिंह )
सदस्या वरि0सदस्य
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर। फोरम कानपुर नगर।