Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/17/2011

JHARPHALLI - Complainant(s)

Versus

METLIFE INDIA INSURANCE CO.LTD. - Opp.Party(s)

VIJAY PRAKASH YADAV

12 Jul 2021

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 17 सन् 2011

प्रस्तुति दिनांक 22.06.2011

                                                                                                 निर्णय दिनांक 12.07.2021

  1. मृतक झरफल्ली पुत्र अलगू ग्राम/पोस्ट- भुजही, परगना व तहसील- सदर, जिला- आजमगढ़।
  2. उषा पुत्री स्वo झरफल्ली ग्राम+पोस्ट- भुजही, तहसील- सदर    आजमगढ़ स्त्री हरेन्द्र ग्राम- बेलहाडीह, पोस्ट- टंडवा, तहसील- मेंहनगर, जिला- आजमगढ़।      

     ....................................................................................परिवादीगण।

बनाम

  1. अध्यक्ष कलेम्स कमीटी मेट लाइफ इंडिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड ब्रीगेड शेष महल, 5, वानी विलास रोड बसवाना गुडी- बंगलौर 560004।
  2. एक्सिस बैंक लिमिटेड आजमगढ़ द्वारा शाखा प्रबन्धक एक्सिस बैंक लिमिटेड आजमगढ़ ( निकट बी.ओ. 2 एल.आई.सी.)
  3.  

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि झरफल्ली ग्राम व पोस्ट- भुजही, जिला- आजमगढ़ का निवासी था और तारा देवी उनकी पत्नी थी, जिनकी मृत्यु 01.11.2008 को हो गयी। तारा देवी ने अपने जीवनकाल में विपक्षीगण से बीमा पॉलिसी कराया था। जिसकी धनराशि 2,25,000/- रुपए परिपक्वता की तिथि पर मिलना था और बीमा में परिवादी का डेथ रिकवर होना था। तारा देवी ने प्रथम किस्त 15,000/- रुपए जमा किया था। परिवादी, तारा देवी की मृत्यु के पश्चात् बीमा पॉलिसी की समुचित धनराशि पाने के लिए एक मात्र उत्तराधिकारी है। उसने यह धनराशि प्राप्त करने यह आवेदन पत्र दिया था। विपक्षी ने पॉलिसी संख्या 1200,800,693052 के विरुद्ध परिवादी को मात्र फण्ड वैल्यू मुo 8,138/- रुपए का चेक प्रदान किया जो कि एक्सिस बैंक का बना हुआ था। परिवादी इससे संतुष्ट नहीं था तो उन्होंने विपक्षी को नोटिस दिया तो विपक्षी ने उसके निवेदन को अन्तिम रूप से इन्कार कर दिया अतः परिवादी को विपक्षी संख्या 01 से 2,25,000/- रुपया बीमा की परिपक्वता की धनराशि दिलवायी जाए और 50,000/- रुपए मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु दिलवाया जाए। प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 8/1 पी.एस. संकरन द्वारा जारी पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 8/2 बीमा की धनराशि न देने के विषय में जारी पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 8/3व8/4 मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 8/5 बीमा कम्पनी को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 8/6 मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 8/7 मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 8/8 फण्ड वैल्यू 8138/- रुपए के भुगतान के पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 8/9 एक्सिस बैंक के चेक की छायाप्रति तथा कागज संख्या 8/10 चेक की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।

कागज संख्या 17क जवाबदावा द्वारा विपक्षी प्रस्तुत किया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। उसके आगे उसने यह कहा है कि बीमा कम्पनी से तारादेवी ने यह सोच समझकर के इन्श्योरेन्स कराया गया था और दिनांक 30.07.2008 को उसने इन्श्योरेन्स के लिए प्रार्थना पत्र दिया था और उसके लिए 15,000/- रुपए का भुगतान भी किया था। बाद में सूचना के आधार पर जब स्टैण्डर्ड रिस्क का अध्ययन किया गया तो कवर बींग का टर्म पुनः सुनिश्चित किया गया और इसकी सूचना बीमाकर्ता को दिनांक 20.08.2008 को दी गयी और उससे कहा गया कि वह 23 सितम्बर, 2008 तक अपनी सहमति दें। बीमा कम्पनी ने काउन्टर ऑफर नोटिस दिनांक 02.09.2008 का जो हस्ताक्षरित कर प्राप्त किया। डी.एल.आई. का काउन्टर ऑफर साइन अनेक्जर ओ.जी.2 है। डी.एल.आई. ने कभी भी इस पर आपत्ति नहीं किया। डी.एल.आई. इन्श्योरेन्स कम्पनी ने दिनांक 25.02.2009 को बीमाकर्ता की मृत्यु की सूचना प्राप्त किया जो अनेक्जर ओ.जी.4 है। अन्वेषण के दौरान यह पाया गया कि बीमाकर्ता कैन्सर और हाईपरटेन्शन से पीड़ित थी जो कि बीमा लेने के पहले से था। यह तथ्य बीमा कम्पनी के सामने नहीं रखा गया। मृत्यु प्रमाण पत्र दिनांकित 12.02.2009 जो डॉक्टर अबरार अहमद, जर्का हास्पिटल आजमगढ़ द्वारा जारी किया गया था। उसमें यह कहा गया था कि तारादेवी दिनांक 01.11.2008 को 11 बजे सुबह कैन्सर व हाइपरटेन्शन के कारण मरी थी। बीमा कम्पनी ने बीमाकर्ता के वारिसान के पास 8138/- रुपए भेज दिया। अतः परिवाद पत्र निरस्त किया जाए।

विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी द्वारा कागज संख्या 21/1 इन्श्योरेन्स पॉलिसी की छायाप्रति, कागज संख्या 22ग बीमा करवाने के पश्चात् मैनेजिंग डायरेक्टर द्वारा तारादेवी को भेजे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 23ग तारादेवी को भेजे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 24ग ए होल लाइफ यूनिट लिंक्ड इन्श्योरेन्स पॉलिसी की छायाप्रति, कागज संख्या 24/6 तारा देवी को भेजे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 25/2 तारा देवी द्वारा भेजे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 25/6 इन्श्योरेन्स रेग्यूलेटरी की छायाप्रति, कागज संख्या 25/27 ग्राम पंचायत भुजही के द्वारा जारी प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 25/28 प्रधान द्वारा जारी निवास प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 25/29 जर्का हास्पिटल द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र जिसमें मृत्यु का कारण डॉक्टर द्वारा हृदय गति के रुकने के कारण दर्शायी गयी है, कागज संख्या 25/31ता25/33 बीमा कम्पनी द्वारा की गयी अन्वेषण रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 25/34 इस आशय के अन्वेषण में यह पाया गया कि तारा देवी कैन्सर व हाइपरटेन्शन से पीड़ित थी, कागज संख्या 25/36 चेक की छायाप्रति तथा कागज संख्या 25/37ता25/39 क्लेम अफसर द्वारा जारी पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।

बहस के दौरान परिवादी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए व विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता अनुपस्थित पाए गाए। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया। पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट हो रहा है कि तारादेवी ने विपक्षीगण से बीमा करवाया था। उन्होंने जर्का हास्पिटल के डॉक्टर द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र जो दिनांक 12.02.2009 को जारी किया गया था, प्रस्तुत की गयी जिसमें मृत्यु का कारण हृदय की गति रुक जाना दर्शाया गया है। विपक्षी द्वारा जवाबदावा में जो कथन किया गया है उसके अनुसार मृत्यु का कारण संदिग्ध था अतः उसकी जाँच करायी गयी। कागज संख्या 25/38 जो बीमा कम्पनी द्वारा जारी झरफल्ली को पत्र है उसमें यह कहा गया है कि क्लेम के एसेसमेन्ट के समय जर्का हास्पिटल द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार तारा देवी चार माह से कैन्सर एवं हाईपरटेन्शन से पीड़ित थीं जो इन्श्योरेन्स लेने के पहले की थी और इसी आधार पर उसका बीमाकर्ता का क्लेम खारिज कर दिया गया था, लेकिन इस अन्वेषण रिपोर्ट में बीमाकर्ता के वारिसान को जर्का हास्पिटल द्वारा जारी मेडिकल सर्टिफिकेट का ही सहारा लिया गया है। जर्का हास्पिटल द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र में मृत्यु का कारण हर्ट हटैक था जबकि कागज संख्या 25/39 में यह कहा गया है कि तारा देवी के वारिसान द्वारा प्रस्तुत मेडिकल सर्रटिफेकेट में तारादेवी की मृत्यु कैन्सर व हाईपरटेन्शन के कारण हुई थी। जो बीमा कराने के चार माह पूर्व की थी। बीमा कम्पनी ने अपने अन्वेषण में क्या किया इस सन्दर्भ में उसके द्वारा कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। यदि इन्श्योरेन्स एक्ट की धारा-45 का अवलोकन करें तो उसके अनुसार यदि बीमाकर्ता की मृत्यु बीमा कराने के दो वर्ष के अन्दर हो जाती है तो उसका अन्वेषण कराया जाएगा और अन्वेषण के आधार पर ही बीमा का क्लेम निस्तारित किया जाएगा। यद्यपि बीमा कम्पनी ने अन्वेषण के सम्बन्ध में कागजात प्रस्तुत किए हैं, लेकिन उस कागजात में केवल तारा देवी के वारिसान द्वारा प्रस्तुत जर्का हास्पिटल के प्रमाण पत्र का ही सहारा लिया गया है जिसमें यह कहा गया है कि जर्का हास्पिटल ने तारादेवी की मृत्यु कैंसर व हाईपरटेन्शन से मृत्यु होने का कारण बताया गया है जो कि बीमा कराने के चार माह पूर्व था। लेकिन इसके बारे में कोई भी आधार प्रस्तुत नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है। 

आदेश

    परिवाद पत्र स्वीकार किया जाता है और विपक्षी संख्या 01 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण को अन्दर 30 दिन बीमा की परिपक्वता धनराशि 2,25,000/- (रु. दो लाख पच्चीस हजार मात्र) रुपया अदा करे, जिस पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अन्तिम भुगतान तक 9% वार्षिक ब्याज देय होगा। परिवादीगण को 10,000/- (रु. दस हजार मात्र) रुपया मानसिक कष्ट देने के लिए भी विपक्षी संख्या 01 को आदेशित किया जाता है।  

 

 

 

 

                                                                         गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह 

                                                       (सदस्य)                            (अध्यक्ष)

 

        दिनांक  12.07.2021

 

                                          यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

                                               गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण कुमार सिंह

                                                                 (सदस्य)                               (अध्यक्ष)

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