जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद।
उपस्थित - (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-42/2012
डा0 उदयचन्द्र तिवारी आयु लगभग 52 वर्श पुत्र स्व0 यज्ञानन्द तिवारी निवासी म0नं0 4/5/105/1 निकट गुजराती धर्मषाला, अयोध्या रेलवे स्टेषन रोड, जलवानपुर अयोध्या, जनपद फैजाबाद उ0प्र0। .............. परिवादी
बनाम
1. मेट लाइफ इण्डिया इन्योरेन्स कं0प्रा0लि0, कार्यालय बिग्रेड षेश महल 5 वानी विलास रोड, वासावानागुडी, बंगलौर 560084 (कर्नाटक) द्वारा प्रबन्ध निदेषक।
2. मेट लाइफ इण्डिया इन्योरेन्स कं0प्रा0लि0, रतन स्कावायर यूनिट संख्या 2078, द्वितीय तल 20 ए विधानसभा मार्ग, लखनऊ द्वारा प्रबन्धक। .......... विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 02.01.2016
उद्घोशित द्वारा: श्री विश्णु उपाध्याय, सदस्य।
निर्णय
परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षीगण की कम्पनी से ‘‘मेट ईजी’’ जीवन बीमा पालिसी फैजाबाद में कम्पनी के अधिकृत एजेन्ट श्री विषाल श्रीवास्तव निवासी सिविल लाइन, पेट्रोल पम्प के सामने फैजाबाद से जिनका मोबाइल संख्या 9838792524 है से दिसम्बर 2007 में ली थी तथा श्री विषाल श्रीवास्तव विपक्षीगण के एजेन्ट हैं। एजेन्ट ने पालिसी की खूबियां बता कर परिवादी से बीमा प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करवाये और एजेन्ट ने ही परिवादी की पहचान की और प्रथम किष्त की धनराषि रुपये 30,000/- का चेक विपक्षीगण के नाम लिया तथा रसीद प्रदान की जिसकी रसीद संख्या एफ पी आर/2007/0166568 दिनांक 12.12.2007 है। प्रीमियम अदा करने के बाद विपक्षीगण ने परिवादी को बीमा पालिसी संख्या 1200700429526 जारी की। बीमा पालिसी के अनुसार परिवादी को रुपये 30,000/- वार्शिक प्रीमियम देना था। परिवादी ने बीमा पालिसी की दूसरी किष्त चेक संख्या 752594 से दिनांक 18.02.2009 को भारतीय स्टेट बैंक फैजाबाद के खाता संख्या 10294089669 में भुगतान किया जो विपक्षीगण की कम्पनी के नाम एकाउन्ट पेई चेक द्वारा किया गया था। जिसे विपक्षीगण ने एक्सिस बैंक फैजाबाद में दिनांक 07-03-2009 को जमा कर के भुगतान प्राप्त किया और परिवादी को रसीद संख्या 7013917 दिनांक 12.10.2009 प्रदान की। तीसरी किष्त परिवादी ने दिनंाक 31.12.2009 को चेक संख्या 764345 द्वारा रुपये 30,000/- का भुगतान विपक्षीगण को किया। जिसे विपक्षीगण ने दिनांक 28.01.2010 को प्राप्त कर के दिनांक 22.02.2010 को रसीद संख्या सी 7122408 जारी की। कुछ समय बाद परिवादी ने विपक्षीगण के कस्टमर केयर से संपर्क कर जमा धनराष के बारे में पता किया तो कस्टमर केयर ने बताया कि परिवादी की दूसरी किष्त जमा नहीं हुई है। तब परिवादी ने विपक्षीगण को पत्रों के माध्यम से बताया कि उसकी दूसरी किष्त जमा है और विपक्षीगण ने परिवादी से जमा धनराषि के साक्ष्यों की मंाग की जिसे परिवादी ने पंजीकृत पत्र द्वारा विपक्षीगण के लखनऊ कार्यालय को दिनांक 07.09.2011 को भेज दिया। जब कि विपक्षीगण ने परिवादी के नोटिस दिनांक 15.11.2011 का कोई उत्तर नहीं दिया और परिवादी का निराकरण न होने पर परिवादी को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। परिवादी को विपक्षीगण से उसकी जमा धनराषि रुपये 90,000/-, उस पर ब्याज, क्षतिपूर्ति रुपये 1,50,000/- तथा परिवाद व्यय दिलाया जाय।
विपक्षीगण ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा कथित किया है कि विपक्षीगण 1 व 2 के बीच कोई मत भेद नहीं है। विपक्षीगण ने परिवादी के परिवाद के तथ्यों से इन्कार किया है। विपक्षीगण का कहना है कि परिवादी का परिवाद झूठा, गलत व दूशित मानसिकता के कारण दाखिल किया गया है जो कि निरस्त किये जाने योग्य है। परिवादी के आरोप निराधार हैं तथा परिवादी का परिवाद उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। विपक्षीगण ने अपनी सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी ने बीमा पालिसी की षर्तों को जानते हुए आई आर डी ए के क्लाज 6(2) का उल्लंघन किया है। परिवादी यदि अपनी बीमा पालिसी नहीं चलाना चाहता था तो उसके लिये 15 दिन की फ्री लुक अवधि दी गयी थी वह अवधि भी बीत चुकी है। परिवादी अगर अपनी जमा धनराषि वापस चाहता है तो उसमंे से अनुपातिक जोखिम कवर के प्रीमियम की धनराषि की कटौती, मेडिकल जांच तथा अन्य खर्चों की कटौती की जायेगी। परिवादी को पालिसी दिनांक 02.12.2007 को जारी की गयी है और दिल्ली कार्यालय से दिनांक 20.12.2007 को भेजी गयी है। उस समय परिवादी ने अपनी कोई आपत्ति दर्ज नहीं करायी थी। परिवादी ने बीमा पालिसी के लिये दिनांक 27.11.207 को आवेदन किया था। परिवादी ने बाद के प्रीमियम डिमाण्ड ड्राफ्ट संख्या 009655 एवं 764345 द्वारा दिनांक 12.08.2009 व दिनांक 18.01.2010 को जमा किया है, उक्त प्रीमियम दिसम्बर 2008 व दिसम्बर 2009 के थे। उत्तरदातागण ने एक अन्य षिकायत उपभोक्ता नवल जायसवाल के द्वारा प्राप्त की थी जिनकी बीमा पालिसी संख्या 00512456 है तथा डिमाण्ड ड्राफ्ट संख्या 009655 तथा प्रीमियम रुपये 30,000/- है, जो वास्तव में रामजी जायसवाल के खाते से भुगतान की गयी है। जिसके बारे में सर्पोटिंग कागजात नवल जायसवाल ने दाखिल किये हैं, जो पालिसी संख्या 00429526 से सम्बन्धित हैं। परिवादी द्वारा ली गयी पालिसी रिवर्स हो गयी है जो कि अब नवल जायसवाल के नाम है, जिसके साक्ष्य नवल जायसवाल ने दाखिल किये हैं तथा उसका भुगतान उनके पिता श्री रामजी जायसवाल के खाते से किया गया है, जिसकी जानकारी परिवादी को दे दी गयी थी। परिवादी और नवल जायसवाल की पालिसी लैप्स हो गयी है। उसके बाद विपक्षीगण को परिवादी की षिकायत दिनांक 20.04.2011 को प्राप्त हुई है जिसका उत्तर विपक्षीगण ने परिवादी को ई मेल के द्वारा दे दिया था। परिवादी ने उत्तरदातागण को चेक संख्या 752594 दिनांक 18.02.2009 रुपये 30,000/- कभी नहीं भेजा, जिसके लिये परिवादी को पुख्ता प्रमाण देना चाहिए। उत्तरदातागण ने अपनी सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी द्वारा मांगे गये अनुतोश का कोई आधार नहीं है। परिवादी फोरम के समक्ष स्वच्छ हाथों से नहीं आया है। परिवादी का परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 26 के अनुसार निरस्त किये जाने योग्य है। परिवादी को परिवाद दाखिल करने का कोई कार्य कारण उत्पन्न नहीं हुआ है। परिवादी ने अपना परिवाद विपक्षीगण को बदनाम करने के उद्देष्य से दाखिल किया है। इस प्रकार परिवादी का परिवाद मय हर्जे खर्चे के निरस्त किये जाने योग्य है।
पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया। परिवादी एवं विपक्षीगण द्वारा दाखिल साक्ष्यों व प्रपत्रों का अवलोकन किया। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन मंे विपक्षीगण को भेजे गये नोटिस दिनांक 12.11.2011 की छाया प्रति, विपक्षीगण के पत्र दिनांक 12.12.2007 की छाया प्रति, बीमा पालिसी षड्यूल की छाया प्रति, बीमा प्रीमियम की प्रथम रसीद की छाया प्रति दिनांकित 12.12.2007, बीमा प्रीमियम रसीद दिनांक 12.10.2009 की छाया प्रति, बीमा प्रीमियम की रसीद दिनांक 26.02.2010 की छाया प्रति, परिवादी के पंजीकृत पत्र दिनांक 12.04.2011 की छाया प्रति जो विपक्षीगण को दिनांक 15.04.2011 को भेजा गया, परिवादी के चेक संख्या 752594 दिनांक 18.02.2009 की छाया प्रति, परिवादी की पास बुक की अपठनीय छाया प्रति, बीमा प्रस्ताव की छाया प्रति, परिवादी द्वारा विपक्षीगण को किये गये मेल पत्र दिनांक 26.07.2011 की छाया प्रति, विपक्षीगण के मेल पत्र दिनांक 26-07-2011 की छाया प्रति, विपक्षीगण के मेल पत्र दिनांक 01.08.2011 की छाया प्रति, विपक्षीगण के मेल पत्र दिनंाक 04.08.2011 की छाया प्रति, परिवादी के मेल पत्र दिनांक 07-08-2011 की छाया प्रति, विपक्षीगण के मेल पत्र दिनांक 10.08.2011 की छाया प्रति, परिवादी के बैंक स्टेटमेंट दिनांक 25.08.2011 की छाया प्रति, परिवादी के मेल पत्र दिनांक 31.08.2011 की छाया प्रति, परिवादी के मेल पत्र दिनांक 15.09.2011 की छाया प्रति, परिवादी का साक्ष्य में षपथ पत्र, परिवादी की लिखित बहस तथा परिवादी ने स्टेट बैंक द्वारा जारी प्रमाण पत्र की मूल प्रति दाखिल की है जिसमें चेक संख्या 752594 का भुगतान विपक्षीगण के खाते में जमा होने की बात कही गयी है, जो षामिल पत्रावली है। विपक्षीगण ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना लिखित कथन, बीमा प्रस्ताव की छाया प्रति, परिवादी के पेन कार्ड की छाया प्रति, डिमाण्ड ड्राफ्ट संख्या 005592 दिनांक अपठनीय की छाया प्रति, विपक्षीगण के पत्र दिनांक 30.11.2011 की छाया प्रति, बीमा पालिसी षड्यूल की छाया प्रति, बीमा प्रीमियम की प्रथम रसीद की छाया प्रति, कस्टमर सर्वे रिपोर्ट की छाया प्रति, परिवादी के बीमा खाते के स्टेटमेंट की छाया प्रति, बीमा टेबल के कास्ट की छाया प्रति, बीमा पालिसी के नियम व षर्तों की छाया प्रति, विपक्षीगण के पत्र दिनांक 10.08.2011 की छाया प्रति तथा विपक्षीगण ने अपना षपथ पत्र दाखिल किया है जो षामिल पत्रावली है। परिवादी एवं विपक्षीगण द्वारा दाखिल प्रपत्रों से प्रमाणित है कि परिवादी ने किसी डिमाण्ड ड्राफ्ट के जरिए विपक्षीगण को प्रीमियम का भुगतान नहीं किया है। परिवादी ने अपने स्टेट बैंक द्वारा जारी प्रमाण पत्र की मूल प्रति दाखिल की है जिसमें स्पश्ट अंकित है कि परिवादी के चेक संख्या 752594 रुपये 30,000/- का भुगतान विपक्षीगण के खाता संख्या 10294089669 में दिनांक 07.03.2009 को कर दिया गया है। विपक्षीगण ने अपने मेल पत्र दिनांक 10.08.2011 में डिमाण्ड ड्राफ्ट संख्या 009655 द्वारा भुगतान प्राप्त करने की बात कही है और चेक संख्या 752594 के द्वारा भुगतान न मिलने की बात कही है। किन्तु परिवादी द्वारा दाखिल स्टेट बैंक के प्रमाण पत्र से प्रमाणित हो जाता है कि विपक्षीगण ने परिवादी के चेक संख्या 752594 से भुगतान रुपये 30,000/- प्राप्त कर लिया है। परिवादी ने अपने बैंक खाते का स्टेटमेंट भी दाखिल किया है जिसमें विपक्षीगण द्वारा उक्त भुगतान प्राप्त करने की बात प्रमाणित होती है जब कि विपक्षीगण परिवादी को हमेषा लिखते रहे हैं कि उन्हें परिवादी के चेक का भुगतान नहीं मिला है। विपक्षीगण ने अपने रिकार्ड को ठीक ढं़ग से नहीं देखा है। परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने में सफल रहा है। परिवादी तथा नवल जायसवाल की पालिसी व डिमाण्ड ड्राफ्ट में कोई ताल मेल नहीं है। विपक्षीगण ने फोरम को गुमराह करने के लिये तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेष किया है। विपक्षीगण की बीमा पालिसी की षर्तों में विदड्राल के कालम में अंकित है कि परिवादी तीन वर्श लगातार प्रीमियम जमा करने के बाद बीमा पालिसी जारी करने की तारीख से तीन वर्श बाद अपनी पालिसी का पैसा वापस ले सकता है। इस प्रकार परिवादी ने अपनी पालिसी का रुपया वापस मंाग कर कोई गलती नहीं की है, जब कि परिवादी ने तीन वर्श लगातार प्रीमियम जमा किया है। विपक्षीगण ने परिवादी को उसके जमा रुपये वापस न कर के अपनी सेवा में घोर कमी की है। परिवादी अपने रुपये ब्याज सहित वापस पाने का तथा क्षतिपूर्ति व परिवाद व्यय पाने का अधिकारी है। विपक्षीगण ने दिनांक 28.01.2010 को परिवादी से तीसरी किष्त का रुपया प्राप्त कर के दिनांक 22.02.2010 को रसीद जारी की है। इसलिये परिवादी दिनांक 22-02-2011 से ब्याज पाने का अधिकारी है। परिवादी का परिवाद आंषिक रुप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध आंषिक रुप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेषित किया जाता है कि वह परिवादी को उसकी जमा धनराषि रुपये 90,000/- का भुगतान आदेष की दिनांक से 30 दिन के अन्दर करंे। विपक्षीगण परिवादी को रुपये 90,000/- पर दिनांक 22.02.2011 से 12 प्रतिषत साधारण वार्शिक ब्याज का भुगतान तारोज वसूली की दिनांक तक करें। विपक्षीगण परिवादी को क्षतिपूर्ति के मद में रुपये 5,000/- तथा परिवाद व्यय के मद में रुपये 3,000/- का भी भुगतान करें।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 02.01.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष