Rajasthan

Ajmer

CC/318/2011

BANSAL MARBLE - Complainant(s)

Versus

MESS. SHRI NARAYAN ROAD CARRIER - Opp.Party(s)

ADV A.S OBEROI

04 Aug 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/318/2011
 
1. BANSAL MARBLE
KISHANGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. MESS. SHRI NARAYAN ROAD CARRIER
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 04 Aug 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

1. मैसर्स बंसल मार्बल जरिए प्रोपराईटर श्री प्रदीप बसंल, एच-7, रीको मार्बल मण्डी, इण्डस्ट्रीयल एरिया, मदनगंज-किषनगढ़, जरिए पाॅवर आफ अटार्नी धारक व लेटर आफॅ सेबरोगेषन धारक मैसर्स यूनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए उप प्रबन्धक श्रीमति गीता राय । 

2. मैसर्स यूनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड,क्षेत्रीय कार्यालय, टोंक रोड, जयपुर व मण्डलीय कार्यालय लोहागल रोड़, अजमेर   जरिए उप प्रबन्धक श्रीमति गीता राय । 


                                                -         प्रार्थीगण

                            बनाम

मैसर्स श्री नारायण रोड़ केरियर, दुकान सं. ए-14, मार्बल मण्डी, पेट्रोल पम्प के पास, इण्डस्ट्रीयल एरिया, मदनगंज-किषनगढ जरिए प्रोपराईटर 

                                                -       अप्रार्थी 
                 परिवाद संख्या 318/2011  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री ए.एस.ओबराय, अधिवक्ता, प्रार्थीगण
                  2.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः-04.08.2016
 
1.       प्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि प्रार्थी संख्या 1 मार्बल का व्यवसाय करता है  इसी क्रम में उसने अप्रार्थी के माध्यम से  मार्बल स्लेब्स  मैसर्स जय मां संतोषी मार्बल्स, पटोदी रोड के पास, गुडगांव को डिलीवर किए जाने के एक कन्साईनमेंट  दिनंाक 13.8.2007 को  बुक कराया ।  जिसकी अप्रार्थी ने बिल्टी संख्या 1375 जारी की । उक्त माल का प्रार्थी संख्या 2 से  मेरीन बीमा पाॅलिसी  संख्या 141282/21/06/02/0000002 के तहत  बीमा करवाया गया था ।  किन्तु अप्रार्थी ने  बुक किए गए माल को गन्तव्य स्थान पर नहीं पहुंचाया ।  चूंकि उक्त माल का बीमा प्रार्थी संख्या 2  से करवाया गया था इसलिए उसने  माल की क्षतिपूर्ति हेतु क्लेम प्रार्थी संख्या 2 के समक्ष पेष किया । तत्पष्चात् प्रार्थी संख्या 2 ने  सर्वेयर नियुक्त कर जांच करवाते हुए  क्लेम राषि रू. 1,26,800/- का भुगतान जरिए चैक  संख्या 48678 के दिनंाक 25.3.2008 को कर दिया ।  चूंकि माल का बीमा मरीन इन्ष्योेरेंस एक्ट के तहत  मरीन बीमा एक क्षतिपूर्ति संविदा अनुबन्ध के तहत  माल से संबंधित समस्त कागजात  क्षतिपूर्ति की राषि तक सबरोगेषन के आधार पर प्रार्थी संख्या 2 में निहित हो गए  ।  अतः प्रार्थी संख्या 1 ने माल के नुकसान की क्षतिपूर्ति हेतु  जरिए पत्र  दिनंाक 21.8.2007 के  अप्रार्थी को निवेदन किया किन्तु  अप्रार्थी ने क्षतिपूर्ति की रााषि अदा नहीं कर सेवा में कमी कारित की है । प्रार्थीगण ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।   
2.       अप्रार्थी  ने जवाब प्रस्तुत कर  स्वीकार किया है कि  प्रार्थी संख्या 1 द्वारा मैसर्स जय मां संतोषी मार्बल्स, गुड़गांव डिलीवर करने के लिए मार्बल स्लेब्स बुक कराए थे ।  जिसके तहत  बिल्टी संख्या 1375 जारी की गई थी ।  आगे कथन किया है कि  उक्त माल जिस  ट्रक संख्या आर.जे.14.2जी. 7147 के द्वारा  भिजवाया जा रहा था । वह रोड़ पर अचानक नीलगाय के आ जाने व उसे बचाने के चक्कर में वाहन असंतुलित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया । चूंकि प्रार्थी ने उक्त माल का बीमा  प्रार्थी संख्या 2 यूनाईटेड इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी से करवा  रखा था  और  प्रार्थी संख्या 1 ने  प्रार्थी संख्या 2 से  माल की क्षतिपूर्ति क्लेम प्राप्त कर लिया  है  । इसलिए  अप्रार्थी से कोई क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है ।  अपने अतिरिक्त कथन में दर्षाया है कि लेटर आफ सेबरोगेषन एक प्रकार का एसाईनमेंट है  इसलिए बीमा कम्पनी  उनकी उपभोक्ता नहीं है और उसे यह परिवाद लाने का कोई अधिकार नहीं है ।  बीमा कम्पनी व बीमित के बीच किसी प्रकार का प्रिविटी आफ कान्ट्रेक्ट नहीं  होने के कारण भी परिवाद चलने योग्य नहीं है ।  प्रार्थीगण को यह परिवाद प्रस्तुत करने के लिए कोई लोकस स्टेण्डाई नहीं है ।  अन्त में परिवाद खारिज किए जाने की प्रार्थना की है ।  जवाब के समर्थन में श्री लक्ष्मीनारायण षर्मा, मालिक का षपथपत्र पेष किया है । 
3.       प्रार्थी पक्ष का  तर्क रहा है कि प्रार्थी संख्या 1 ने प्रार्थी संख्या 2 के पक्ष में सेबरोगषन  तथा पाॅवर आफ अटार्नी निष्पादित कर दिए जाने के बाद अप्रार्थी के माध्यम से  माल बुक करवाया था । यह माल प्रार्थी संख्या 2 के मार्फत बीमित था । अप्रार्थी द्वारा माल को गन्तव्य स्थान पर सुरक्षित  नहीं पहुंचाया व नुकसान होने के फलस्वरूप प्रार्थी संख्या 1 ने   प्रार्थी संख्या 2 से ली गई पालिसी के तहत माल की राषि व दावे की राषि हेतु   प्रार्थी संख्या 2 के यहां दावा प्रस्तुत किया व  प्रार्थी संख्या 2 ने आवष्यक औपचारिकताओं के बाद बीमा पाॅलिसी की ष्षर्तो  के  अनुसार अप्रार्थी संख्या 1 को  भुगतान कर दिया । चूंकि मरीन इन्ष्योरेंस एक्ट के तहत मरीन बीमा  एक क्षतिपूर्ति अनुबन्ध है । इस कारण प्रार्थी संख्या 1 के माल से संबंधित समस्त कागजात  को देखते हुए क्षतिपूर्ति की राषि  तथा सेबरोगेषन के आधार पर प्रार्थी संख्या 2   में निहित हो गए है व प्रार्थी संख्या 2 प्रार्थी संख्या 1 को अदा की गई राषि अप्रार्थी से वसूल करने का अधिकारी है । विनिष्चय प्;2010द्धब्च्श्रण्4;ैब्द्ध म्बवदवउपब ज्तंदेचवतज व्तहंदप्रंजपवद टे ब्ींतंद ैचपददपदह डपससे ;च्द्धस्जक ंदक ।दतण् पर अवलम्ब लिया । 
4.    अप्रार्थी की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया है कि बीमा कम्पनी को परिवाद प्रस्तुत करने का कोई अधिकार नहीं है । क्योंकि वह अप्रार्थी का उपभोक्ता नहीं है । लेटर आफ सेबरोगेषन एक प्रकार का एसाईनमेंट है इसलिए बीमा कम्पनी को परिवाद प्रस्तुत करने का कोई अधिकार नहीं है । बीमा कम्पनी व बीमित के बीच किसी प्रकार का कोई प्रिविटी आफ कान्ट्रेंक्ट नहीं होने के कारण कोई उपभोक्ता विवाद नहीं है एवं परिवाद खारिज होने योग्य है । कम्पनी के पक्ष में पावर आफ अटार्नी जारी नहीं की जा सकती । विधिक प्रावधानों के प्रकाष में परिवाद चलने योग्य नहीं है । परिवाद खारिज किया जाना चाहिए । विनिष्चय प्;2000द्धब्च्श्रण्7;ैब्द्ध व्इमतंप थ्वतूंतकपदह ।हमदबल  टे छमू प्दकपं ।ेेनतंदबम ब्व स्जक ंदक ।दतण् पर अवलम्ब लिया । 
5.    हमने परस्पर तर्क सुने हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों  के साथ साथ प्रस्तुत विनिष्चियों में प्रतिपादित न्यायिक दृष्टान्तों का भी आदरपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
6.    परिवाद का तत्थ्यात्मक विवेचन आवष्यक नहीं है अपितु विचारणीय बिन्दु  मात्र यह है कि  क्या बीमा कम्पनी उपभोक्ता की श्रेणी में आती है ? व सेबरोगेषन के आधार पर वह वांछित अनुतोष प्राप्त करने की हकदार है ?
7.    जो विनिष्चय प्;2010द्धब्च्श्रण्4;ैब्द्ध म्बवदवउपब ज्तंदेचवतज व्तहंदप्रंजपवद टे ब्ींतंद ैचपददपदह डपससे ;च्द्धस्जक ंदक ।दतण् प्राथी पक्ष की ओर से प्रस्तुत हुआ है, में लेटर आफ सेबरोगेषन के आधार पर इन्ष्योंरर द्वारा  प्रस्तुत परिवाद को पोषणीय माना गया है व सेबरोगेषन को उचित पाया है । इस विनिष्चय में अप्रार्थी द्वारा प्रस्तुत विनिष्चय पर विचार करते हुए यह सिद्वान्त अभिनिर्धारित किया गया है ।  अतः प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत विनिष्चय के प्रकाष में जो राषि नुकसान की भरपाई के रूप में प्रार्थी संख्या 2 द्वारा प्रार्थी संख्या 1 को पूर्व में अदा की गई है, को  प्रार्थी संख्या 2 अप्रार्थी से वसूल करने की हकदार है । जहां तक पावर आफ अटार्नी  बाबत् विवाद का प्रष्न है, यह बिन्दु उपरोक्त विवेचन में भी उठाया गया था तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने स्थिति स्पष्ट करते हुए लेटर आफ सेबरोगेषन के आधार पर इन्ष्योरर द्वारा दायर किए गए परिवाद को पोषणीय माना है । 
8.    सार यह है कि परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है  एवं प्रार्थी संख्या 2  अप्रार्थी से पूर्व में  उसके द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 को अदा की गई राषि वसूल करने का अधिकारी है ।  अतः परिवाद स्वीकार किया जाकर आदेष है कि
                             :ः- आदेष:ः-
9.    (1)    प्रार्थी संख्या 2 अप्रार्थी से  अप्रार्थी संख्या 1 को अदा की गई राषि रू. 1,26,800/-  मय 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक से तदायगी प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
                 (2)       प्रार्थी  संख्या 2 अप्रार्थी से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू.     5000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/- भी प्राप्त करने का  अधिकारी होगा । 
            (3)    क्रम संख्या 1  लगायत 2  में वर्णित राषि अप्रार्थी प्रार्थी संख्या 2 को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
          आदेष दिनांक 04.08.2016  को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    

 

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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