जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जशपुर (छ0ग0)
प्रकरण क्रमांक :-CC/24/2016
प्रस्तुति दिनांक :-07/06/2016
अजीत एक्का पिता बसील एक्का,
उम्र लगभग 35 वर्ष,
जाति उरॉव, निवासी ग्राम-कुर्रोग,
महादेवडांड, तहसील बगीचा,
जिला जशपुर छ.ग.
पिन कोड-496226, मो.नं.-09406436218 ..................परिवादी/आवेदक
( विरूद्ध )
1. मेसर्स टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड,
डी.पी.जी. हाउस 4 फ्लोर, ओल्ड प्रभादेवी रोड
मुम्बई 400025, थाने वेस्ट-40061
2. शिवम मोटर्स (पी) लिमिटेड,
शाखा न्यू गवर्मेंट हॉस्पीटल जशपुर रोड,
पत्थलगांव, जिला-जशपुर (छ.ग.) ...... ... विरोधी पक्षकार/अनावेदकगण
///आदेश///
( आज दिनांक 25/11/2016 को पारित)
1. परिवादी/आवेदक ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद एग्रीमेंट कुल राशि 6,82,000/-रू. पर कुल 9,94,888/-रू. भुगतान के विरूद्ध पक्षकार/अनावेदक के विरूद्ध सेवा में कमी करने के आधार पर अतिरिक्त पुनः 38,400/-रू. के अनुचित व्यापार से उन्मोचित करते हुए परिवादी का वाहन मॉडल एल.पी. 407 के पंजीयन (आर.सी.बुक) एवं वाहन बीमा कागजातों के साथ अनापत्ति प्रमाण पत्र (एन.ओ.सी.) दिलाए जाने, मानसिक त्रास हेतु 40,000/-रू., अधिक भुगतान राशि 3,12,888/-रू., यात्रा भत्ता 3,000/-रू. तथा परिवाद खर्च 10,000/-रू. दिलाए जाने हेतु दिनांक 07/06/2016 को प्रस्तुत किया है।
2. पक्षकारों के मध्य स्वीकृत तथ्य है कि :-
1. परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 2 से वाहन मॉडल एल.पी.407 पंजीयन क्रमांक सी.जी. 14 जी.ओ. 117 क्रय किया है।
2. उक्त वाहन क्रय करने के लिए परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 1 से 6,82,000/-रू. की ऋण सुविधा प्राप्त किया था।
3. उक्त ऋण सुविधा प्राप्त करने के लिए परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 1 से एक इकरारनामा क्रमांक 5000635672 निष्पादित किया था। अनावेदक क्रमांक 1 से किए अनुबंध अनुसार 21,300/-रू. की कुल 47 किश्त में ऋण राशि की अदायगी किया जाना था।
4. परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 1 से लिए ऋण राशि का कुल 9,94,888/-रू. का भुगतान कर दिया है।
3. परिवाद के निराकरण के लिए आवश्यक तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 2 से वाहन मॉडल एल.पी.407 क्रय किया था, जिसके लिए अनावेदक क्रमांक 1 से 6,82,000/-रू. की ऋण सहायता अनुबंध क्रमांक 5000635672 अनुसार किया था। 21,300/-रू. मासिक किश्त 47 किश्तों में अदा करना था। दिनांक 04.04.2016 तक परिवादी ने 9,94,888/-रू. जमा कर दिया था। ऋण लिए राशि से अतिरिक्त 3,12,888/-रू. जमा कर दिया है। अनावेदक क्रमांक 1 ने दिनांक 07.09.2015 को नोटिस देकर 38,400/-रू. राशि की मांग की है, जिसका परिवादी ने दिनांक 12.03.2016 को नोटिस देकर भुगतान किए गए राशि का रसीद प्रस्तुत किया था। ली गई ऋण राशि से अधिक राशि परिवादी जमा कर चुका है। इस प्रकार अतिरिक्त राशि 38,400/-रू. अनुचित व्यापार का होकर परिवादी के विरूद्ध सेवा में कमी किया गया है तथा परिवादी को उन्मोचित अनापत्ति प्रमाण पत्र भी प्रदान नहीं किया गया है। तद्नुसार परिवादी ने वाहन मॉडल एल.पी. 407 का पंजीयन (आर.सी.बुक) तथा वाहन का बीमा के कागजात तथा अनापत्ति प्रमाण पत्र दिए जाने का एवं मानसिक त्रास हेतु 40,000/-रू. एवं अतिरिक्त भुगतान की राशि 3,12,888/-रू., यात्रा भत्ता 3,000/-रू. तथा परिवाद खर्च 10,000/-रू. दिलाए जाने की प्रार्थना किया है।
4. अनावेदक क्रमांक 1 ने जवाबदावा प्रस्तुत कर स्वीकृत तथ्य को छोड़ शेष तथ्य को इंकार करते हुए अभिकथन किया है कि परिवादी द्वारा उसे 6,82,000/-रू. की अदायगी हेतु किए इकरानामा अनुसार कुल 10,02,413/-रू. का भुगतान 47 मासिक किश्तों में नियमित एवं निर्धारित शर्तों पर करना था । विलंब से भुगतान करने पर विलंब शुल्क भी दिया जाना था। दिनांक 04.04.2016 तक परिवादी ने उक्त ऋण खाते में कुल 9,94,888/-रू. का भुगतान किया है। अनेक अवसर पर मासिक किश्तों का भुगतान विलंब से किया है, जिसके कारण ऋण खाते में 29,873.50/-रू. देय है। इस प्रकार कुल 38,400/-रू. बकाया होने की परिवादी को पंजीकृत नोटिस दिनांक 07.04.2016 अनावेदक क्रमांक 1 की ओर से भेजा गया है। लिए गए ऋण राशि की समस्त किश्तों का भुगतान किए जाने के पश्चात परिवादी को एन.ओ.सी. (अनापत्ति प्रमाण पत्र) अनावेदक क्रमांक 1 जारी कर सकती है। अनावेदक क्रमांक 1 ने परिवादी के विरूद्ध कोई सेवा में कमी नहीं की है, फलस्वरूप उसके विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करने योग्य नहीं है। अतः सव्यय निरस्त किए जाने योग्य है। तद्नुसार परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त करने का निवेदन किया है।
5. अ. अनावेदक क्रमांक 2 ने जवाबदावा प्रस्तुत कर स्वीकृत तथ्य को छोड़ शेष तथ्य को इंकार करते हुए अभिकथन किया है कि अनावेदक क्रमांक 2 केवल टाटा मोटर्स द्वारा निर्मित व्यवसायिक वाहनों का अधिकृत विक्रेता है, इसके अतिरिक्त उक्त वाहनों के स्पेयर पार्ट्स का विक्रय एवं उक्त वाहनों की सर्विसिंग एंव रिपेयरिंग का कार्य करता है। अनावेदक क्रमांक 2 का फायनेंस संबंधी कार्य से कोई संबंध नहीं है। उक्त कार्य केवल बारोअर एवं फायनेंसर के मध्य का है। ऋण अनुबंध के अनुसार फायनेंस राशि पर अंतिम देय तिथि तक ब्याज राशि जोड़कर उसे मासिक किश्त में विभाजित किया जाता है। फायनेंस राशि 6,82,000/-रू. पर 47 माह का ब्याज एवं इंश्योरेंस राशि जोड़कर कुल देय राशि 10,02,413/-रू. है। जिसे प्रत्येक माह की निश्चित तारीख तक परिवादी के फायनेंसर अनावेदक क्रमांक 1 के पास जमा करना होता है, निश्चित दिनांक पर अदायगी न होने से विलंब शुल्क सहित भुगतान करना होता है। क्रय की गई वाहन में किसी प्रकार की त्रुटि अथवा रिपेयरिंग, सर्विसिंग में सेवा में कमी से संबंधित यह मामला नहीं है।
ब. किश्त अदायगी ऋण ग्रहिता की सुविधा के लिए अनावेदक क्रमांक 2 के कार्यालय में अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा संग्रहित की जाती है, परंतु ऋण उन्मोचन अनापत्ति प्रमाण पत्र अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा ही समस्त ऋण राशि प्राप्त करने के बाद प्रदान की जाती है। परिवादी का परिवाद अवधि बाधित है। प्रस्तुत परिवाद केवल परिवादी एवं अनावेदक क्रमांक 1 के मध्य का है, जिसमें अनावेदक क्रमांक 2 को अनावश्यक पक्षकार बनाया गया है। परिवादी अनावेदक क्रमांक 2 से किसी भी प्रकार का अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। फलतः अनावेदक क्रमांक 2 ने आवेदक द्वारा प्रस्तुत आवेदन 10,000/-रू. परिव्यय के साथ खारिज किए जाने का निवेदन किया है।
6. परिवाद पर उभय पक्ष के अधिवक्ता को विस्तार से सुना गया। अभिलेखगत सामग्री का परिशीलन किया गया है ।
7. विचारणीय प्रश्न यह है कि :-
1. क्या प्रस्तुत परिवाद अवधि बाधित है ?
2. क्या अनावेदक क्रमांक 2 को अनावश्यक पक्षकार बनाया गया है ?
3. क्या अनावेदक/विरूद्ध पक्षकारगण ने परिवादी/आवेदक के विरूद्ध सेवा में कमी किया है ?
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रश्न क्रमांक 1 का सकारण निष्कर्ष :-
8. परिवादी ने परिवाद के समर्थन में अपना शपथ पत्र एवं सूची अनुसार दस्तावेज अनावेदक क्रमांक 1 का विधिक नोटिस दिनांक 07.09.2015 दस्तावेज क्रमांक 1, परिवादी का विधिक नोटिस मय रजिस्टर्ड डाक रसीद दस्तावेज क्रमांक 2, टाटा मोटर्स लिमिटेड रसीद नं. सी.एन. 210493 दस्तावेज क्रमांक 3, अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा परिवादी से प्राप्त राशि का इंद्राज अस्पष्ट चस्पा 8 (माह)पन्नों में क्रमांक 1 से 24 रसीदे ंदस्तावेज क्रमांक 4,अनावेदक क्रमांक 1 का विधिक जवाबी नोटिस रजिस्टर्ड डाक द्वारा प्राप्त दस्तावेज क्रमांक 5, जवाबी नोटिस के साथ संलग्न अनावेदक क्रमांक 4 का कान्ट्रेक्ट डिटेल 9 पृष्ठों में दस्तावेज क्रमांक 6, परिवादी का अधिवक्ता को अनावेदक क्रमांक 1 की ओर से प्रेषित रजिस्टर्ड लिफाफा दस्तावेज क्रमांक 7, रसीदें दस्तावेज क्रमांक 8 से 33 प्रस्तुत किया है।
9. अनावेदक क्रमांक 2 ने जवाब दावा के समर्थन में एस.एस.बिष्ट का शपथ पत्र तथा सूची अनुसार दस्तावेज कारडोर (कान्ट्रेक्ट डिटेल) दस्तावेज क्रमांक 1 प्रस्तुत किया है।
10.अनाववेदकगण के विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद में परिवादी ने क्रय किए गए वाहन एल.पी.407 का पंजीयन प्रमाण पत्र एवं बीमा पालिसी तथा अनापत्ति प्रमाण पत्र परिवादी को दिये जाने तथा मानसिक त्रास का 40,000/-रू., अधिक भुगतान की राशि 3,12,888/-रू., यात्रा भत्ता 3,000/-रू. एवं परिवाद व्यय 10,000/-रू. दिलाए जाने की प्रार्थना किया है।
11. अनावेदक क्रमांक 2 ने जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद के तथ्यों से अंतिम किश्त अदायगी रसीद क्रमांक 210493 दिनांक 30.09.2011 द्वारा अदा कर दी गई है, से वादकारण अक्टूबर 2011 में प्राप्त हो गया था। ऐसी स्थिति में सितम्बर 2013 तक परिवादी प्रस्तुत किया जाना था जो नहीं किया गया है, से परिवाद अवधि बाधित होना बताया गया है, जबकि परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा उसे दिनांक 07.09.2015 को पत्र भेज कर 50,763.55/-रू. ऋण खाते की अदायगी शेष होना जिसे भुगतान करने के लिए नोटिस दिया गया था के आधार पर दिनांक 07.06.2016 को प्रस्तुत परिवाद 2 वर्ष के भीतर होकर समयावधि में होना बताया है।
12. परिवाद पत्र के तथ्यों से परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा दिनांक 07.09.2015 को परिवादी को उसे लिए गए ऋण की शेष राशि की अदायगी करने का नोटिस दिए जाने से वादकारण उत्पन्न होना बताते हुए यह परिवाद दिनांक 07.06.2016 को प्रस्तुत किया गया है। इस प्रकार उत्पन्न वाद कारण से प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 24 (क) के अनुसार वादकारण उत्पन्न होने से 2 वर्ष के भीतर प्रस्तुत किया गया होना स्पष्ट है, से अनावेदकगण के विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद समयावधि में है। प्रथम दृष्टया परिवाद समयावधि में होना पाते हुए परिवाद अंतिम सुनवाई के लिए स्वीकार किया गया था। इस प्रकार अनावेदकगण के विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद समयावधि में होना हम पाते हैं।
विचारणीय प्रश्न क्रमांक 2 का सकारण निष्कर्ष :-
13. अनावेदक क्रमांक 2 ने जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 1 से ऋण सुविधा प्राप्त किया था से संबंधित विवाद है, से अनावेदक क्रमांक 2 को अनावश्यक पक्षकार बनाया गया है बताते हुए अनावेदक क्रमांक 2 का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष संबंध परिवादी से नहीं होना प्रगट करते हुए उससे कोई अनुतोष प्राप्त नहीं होना प्रगट कर परिव्यय सहित परिवाद निरस्त करने का निवेदन किया है।
14. परिवादी ने शपथ पत्र से समर्थित परिवाद के तथ्य से बताया है कि उसने अनावेदक क्रमांक 2 से वाहन एल.पी.407 पंजीयन क्रमांक सी.जी. 14 जी.ओ. 117 किया था, जिसके लिए अनावेदक क्रमांक 1 फायनेंस कंपनी से ऋण सुविधा प्राप्त किया था, अनावेदकगण से वाहन का पंजीयन प्रमाण पत्र, अनापत्ति प्रमाण पत्र दिए जाने की प्रार्थना किया है, फलस्वरूप उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 11 के अनुसार अनावेदक क्रमांक 2 पक्षकारों के मध्य विवाद के निराकरण के लिए एक आवश्यक पक्षकार होना पाते है, फलस्वरूप परिवाद में अनावेदक क्रमांक 2 आवश्यक पक्षकार होना निष्कर्षित करते हैं।
विचारणीय प्रश्न क्रमांक 3 का सकारण निष्कर्ष :-
15. स्वीकृत तथ्य अनुसार परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 2 से एल.पी.407 पंजीयन क्रमांक सी.जी. 14 जी.ओ. 117 क्रय किया था जिसके लिए अनावेदक क्रमांक 2 से 6,82,000/-रू. की ऋण सुविधा प्राप्त किया था, जिसके लिए अनावेदक क्रमांक 1 से अनुबंध क्रमांक 5000635672 दिनांक 30.11.2010 निष्पादित किया था।
16. परिवादी ने अनावेदक क्रमांम 1 से ली गई ऋण राशि का भुगतान कुल 9,94,888/-रू. कर दिया है। अनावेदक क्रमांक 1 ने परिवादी के ऋण खाते के स्टेटमेंट दस्तावेज क्रमांक 1 प्रस्तुत करते हुए बतलाया है कि परिवादी को लिए गए ऋण का भुगतान 47 नियमित किश्तों में कुल 10,02,413/-रू. भुगतान किया जाना था, जिसके विरूद्ध परिवादी ने 9,94,888/-रू. का भुगतान किया है। उसने ऋण की अंतिम किश्त समय पर भुगतान नहीं किया जिससे विलंब का ब्याज 7,525/-रू. सहित राशि भुगतान किया जाना है। परिवादी द्वारा उसे पंजीकृत नोटिस भेजा गया था, जिसका उसने दिनांक 07.04.2016 को जवाब देते हुए ऋण खाते का विवरण भेजा था।
17. उपरोक्तानुसार उभय पक्ष के दस्तावेजों से स्पष्ट है कि अनावेदक क्रमांक 1 से वाहन क्रय करने के लिए गए ऋण सुविधा में ऋण खाते की राशि की संपूर्ण राशि की अदायगी नहीं होने पर अनावेदक क्रमांक 1 ने दिनांक 07.09.2015 को परिवादी द्वारा उसके दोनां जमानतदारों बसील एक्का तथा रामकुमार गुप्ता को अनुबंध अनुसार राशि जमा करने हेतु पत्र लिखा था। परिवादी की ओर से अधिवक्ता ने पंजीकृत नोटिस दिनांक 12.03.2016 दस्तावेज क्रमांक 2 भेजा था, जिसका अनावेदक क्रमांक 1 ने जवाबी नोटिस पंजीकृत डाक से दस्तावेज क्रमांक 5 भेजा था।
18. उपरोक्तानुसार पक्षकारों की ओर से किए अभिवचन एवं प्रस्तुत दस्तावेजी प्रमाण से स्पष्ट है कि परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 1 से वाहन क्रय करने के लिए 6,82,000/-रू. का ऋण प्राप्त किया था । जिसकी अदायगी के संबंध में उक्त पक्षकारों ने इकरानामा निष्पादित किया था, जिसकी नियम एवं शर्तों के अनुसार ली गई ऋण राशि को वापस करना था। पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत ऋण खाता अनुसार परिवादी को ली गई ऋण की इकरानामा अनुसार कुल 10,02,413/-रू. का भुगतान 47 मासिक नियमित किश्तों में करना था, जिसके विरूद्ध परिवादी ने कुल 9,94,888/-रू. दिनांक 04.04.2016 की स्थिति में जमा किया है। कुछ किश्तों का भुगतान विलंब से करने से विलंब शुल्क सहित शेष राशि का भुगतान परिवादी को अभी करना शेष है। उपरोक्त तथ्यों से अनावेदकगण ने परिवादी के विरूद्ध सेवा में कमी किया है स्थापित, प्रमाणित होना हम नहीं पाते हैं तथा परिवादी एवं अनावेदक क्रमांक 1 के मध्य निष्पादित इकरारनामा के अनुसार ऋण के संपूर्ण राशि की अदायगी नहीं किए जाने पर अनावेदक क्रमांक 1 ने परिवादी को दिनांक 07.09.2015 को नोटिस भेजा था, जिससे परिवादी के विरूद्ध सेवा में कमी किए जाने का तथ्य होना हम नहीं पाते हैं, तद्नुसार विचारणीय प्रश्न क्रमांक 3 प्रमाणित नहीं हुआ है। फलस्वरूप निष्कर्ष ’’प्रमाणित नहीं’’ में हम देते हैं।
19. परिवादी द्वारा अनावेदकगण के विरूद्ध सेवा में कमी किए जाने के आधार पर प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करने योग्य प्रमाणित नहीं हुआ है, फलस्वरूप निरस्त किए जाने योग्य होना हम पाते हैं तथा निरस्त करते हैं।
20. प्रकरण की तथ्य तथा परिस्थिति में पक्षकार अपना-अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे।
(श्रीमती अनामिका नन्दे) (संजय कुमार सोनी) (बी0पी0पाण्डेय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रति. जिला उपभोक्ता विवाद प्रति. जिला उपभोक्ता विवाद प्रति.
फोरम जशपुर (छ0ग0) फोरम जशपुर ़(छ.ग.) फोरम जशपुर (छ0ग0)