Uttar Pradesh

StateCommission

A/1997/496

Union Of India - Complainant(s)

Versus

Mehboob Husain - Opp.Party(s)

K K Nigam

02 Feb 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1997/496
( Date of Filing : 23 Nov 1997 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District Muradabad-I)
 
1. Union Of India
Moradabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Mehboob Husain
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 02 Feb 2021
Final Order / Judgement

(मौखिक)

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-496/1997

यूनियन आफ इण्डिया द्वारा दि डिवीजनल रेलवे मैनेजर, नार्दन रेलवे, मुरादाबाद।

अपीलार्थी/विपक्षी

                                               बनाम        

महबूब हुसैन, मैनेजर (फाइनेन्‍स) क्रास ब्रीडिंग प्रोजेक्‍ट, दलपतपुर, मुरादाबाद।

                                                   प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सद्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से      : श्री पी0पी0 श्रीवास्‍तव, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से        : कोई नहीं।

दिनां:  02.02.2021 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-306/1994, महबूब हुसैन बनाम यूनियन आफ इण्डिया में विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग, मुरादाबाद द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 03.01.1997 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने परिवादी के पक्ष में विपक्षी को निर्देशित किया है कि वह परिवादी को टिकट राशि अंकन 441/- रूपये तथा अंकन 5,000/- रूपये मानसिक हा्स एवं कष्‍ट के लिए अदा करे।

2.         परिवाद पत्र में वर्णित तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ने वैध टिकट क्रय करने के पश्‍चात् दिनांक 20.02.1994 को ट्रेन संख्‍या-4012 में यात्रा प्रारम्‍भ की, उसे सीट संख्‍या-38 आरक्षित हुई थी, जिसे किसी अन्‍य व्‍यक्ति द्वारा अधिकृत कर लिया गया था। परिवादी द्वारा कंडक्‍टर को इस तथ्‍य की  शिकायत की गई, परन्‍तु कंडक्‍टर द्वारा भी सीट खाली कराकर परिवादी

-2-

को उपलब्‍ध नहीं कराई गई, इसलिए परिवादी को बगैर सीट के ही यात्रा करने में बाध्‍य होना पड़ा, इस घटना के कारण परिवादी को अत्‍यधिक मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना कारित हुई।

3.         लिखित कथन में विपक्षी ने इस तथ्‍य को स्‍वीकार किया है कि परिवादी द्वारा एक वैध टिकट बुक कराया गया था, उसे एक सीट आरक्षित की गई थी। यह भी स्‍वीकार किया गया कि इस सीट पर किसी एमएलए द्वारा कब्‍जा कर लिया गया था और उनके अंगरक्षकों द्वारा किसी को बैठने नहीं दिया गया। यह भी उल्‍लेख किया गया कि कंडक्‍टर ने सीट खाली कराने के उद्देश्‍य से एक टेलीग्राफ किया गया और स्‍टेशन पर ट्रेन आई, परन्‍तु पुलिस भी सीट खाली नहीं करा सकी, इसलिए विभाग का कोई दोष नहीं है।

4.         दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात् विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया है, जिसे इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि यह निर्णय/आदेश विधि विरूद्ध है, क्‍योंकि कोच कंडक्‍टर द्वारा सीट दिलाने का प्रयास किया गया। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा अवैध और मनमाना निर्णय पारित किया गया है।

5.         अपीलार्थी विभाग के विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी0पी0 श्रीवास्‍तव उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की मौखिक बहस सुनी गई एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

6.         स्‍वंय अपीलार्थी को यह तथ्‍य स्‍वीकार है क‍ि परिवादी एक वैध टिकट पर यात्रा कर रहा था। यह तथ्‍य भी स्‍वीकार है कि उन्‍हें एक सीट आरक्षित की गई थी, जिस पर कोई एमएलए अपने सुरक्षा गार्डों के साथ बैठ गया और कोच कंडक्‍टर के प्रयास के बाद भी सीट खाली नहीं हो सकी।

 

-3-

7.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि एमएलए से वसूली का आदेश दिया जाना चाहिए था, जिसके द्वारा सीट कब्‍जाई गई थी। यह तर्क किसी भी दृष्टि से विधि सम्‍मत नहीं है, क्‍योंकि परिवादी अपीलार्थी का उपभोक्‍ता है न कि उस एमएलए का, जो अनाधिकृत रूप से परिवादी को आरक्षित की गई सीट पर काबिज हो गए थे, इसलिए परिवादी को जो मानसिक और शारीरिक संताप हुआ है, उसके लिए केवल अपीलार्थी ही उत्‍तरदाई है। अत: विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधि सम्‍मत है। अपील खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

8.         प्रस्‍तुत अपील खारिज की जाती है।

9.         अपील में उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

 

                     

     (विकास सक्‍सेना)                           (सुशील कुमार)

            सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

 

 

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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