Rajasthan

Ajmer

CC/151//2013

MUNNA SINGH - Complainant(s)

Versus

MEGMA FINCORP LTD - Opp.Party(s)

ADV SAWARLAL SHARMA

05 Aug 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/151//2013
 
1. MUNNA SINGH
NASIRABAD
...........Complainant(s)
Versus
1. MEGMA FINCORP LTD
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 05 Aug 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

श्री मुन्ना सिंह  पुत्र श्री सायर सिंह, जाति- रावत, उम्र- 30 वर्ष, निवासी-ग्राम-खापरी, पोस्ट-भवानीखेडा, तहसील- नसीराबाद, जिला-अजमेर । 

                                                             प्रार्थी

                            बनाम

प्रबन्धक, मेग्मा फिन काॅर्प लिमिटेड, दुकान नम्बर-6, द्वितीय फलाूर, अजमेर टावर, कचहरी रोड, अजमेर । 

                                                           अप्रार्थी 
                    परिवाद संख्या 151/2013
                           
                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री सांवर लाल षर्मा, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री अनिल षर्मा,  अधिवक्ता अप्रार्थी 
                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 16.08.2016
 
1.       प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि प्रार्थी ने  अप्रार्थी कम्पनी से वित्त पोषित करवा कर जुलाई, 2011 में एक वाहन टैक्चर मैसर्स नवीन एक्ैार्ट, परबतपुरा बाईपास, जयपुर रोड, अजमेर  से क्रय किया जिसका पंजीयन संख्या आर.जे.01-आर.ए. 4632 है । वाहन वित्त पोषित करवाते समय अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा यह षर्त लगाई थी कि जब तक वाहन का लोन पूरा नही ंहो जाता तब तक  प्रार्थी के वाहन का बीमा अप्रार्थी कम्पनी द्वारा ही करवाया जावेगा  और बीमा प्रीमियम की राषि  बीमा किष्त में समायोजित कर दी जावेगी । अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने उसके वाहन का बीमा दिनांक 23.7.2011 से 22.7.2012 की अवधि के लिए करवाया और  उसने किष्त राषि रू. 4632/- समय पर अदा की ।  बीमा कवर नोट प्राप्त होने पर उसकी जानकारी में आया कि वाहन की बीमा पाॅलिसी में नाम तो प्रार्थी का ही है लेकिन उपर वर्णित  वाहन संख्या के स्थान पर वाहन संख्या आर.जे.36 आर.ए. 1022 अंकित किया हुआ है तथा वाहन के चैसिस नम्बर में परिवाद की चरण संख्या  1 में वर्णित अनुसार भिन्न है तथा बीमा  अवधि दिनंाक 27.7.2012 से 26.7.2012 तक की है। इस संबंध में उसने अप्रार्थी कम्पनी से सम्पर्क किया तो उसे आष्वासन दिया गया कि बीमा कवर नोट में वाहन संख्या का सही अंकन कर कवर नोट षीघ्र ही जारी कर दिया जावेगा ।  किन्तु उसे सही वाहन संख्या अंकित किया हुआ बीमा कवर नोट प्राप्त नही ंहुआ ।  जिससे वह वाहन का संचालन नही ंकर पा रहा है इस कारण  उसे मानसिक परेशानी के साथ साथ आर्थिक  हानि भी हो रही है । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
2.    अप्रार्थी कम्पनी ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत किया जिसमें दर्षाया है कि वरवक्त फाईनेंस वाहन का रजिस्ट्रेषन नहीं हुआ था  केवल वाहन के चैसिस नम्बर व  इंजन नम्बर ही बतलाए गए थे । प्रार्थी को वाहन का बीमा उत्तरदाता अप्रार्थी  द्वारा ही करवाया जाएगा , ऐसी कोई ष्षर्त नहीं बतलाई गई थी । उत्तरदाता अप्रार्थी अपने द्वारा फाईनेंस की गई राषि की सुरक्षा एवं अपने ग्राहकों की सहूलियत के लिए ही बीमा करवाया जाता है और इसी क्रम में प्रार्थी के वाहनं का बीमा राॅयल सुन्दरम  फाईनेंस एलाएन्स इंष्योरेंस कम्पनी लि. के द्वारा दिनंाक 27.07.2012 से 26.7.2013 तक के लिए करवाया गया था और उत्तरदाता अप्रार्थी का दायित्व  बीमा कम्पनी को केवल वाहन के दस्तावेजात  एवं बीमा प्रीमियम दिए जाने तक की सीमित है ।  इसके अतिरिक्त अप्रार्थी कम्पनी का कोई हस्तक्षेप बीमा कराने में नही ंथा । प्रार्थी ने  बीमा पाॅलिसी में परिवर्तन कराने हेतु कभी सम्पर्क नहीं किया । । आगे दर्षाया हैै कि  बीमा कम्पनी राॅयल सुन्दरम  परिवाद में आवष्यक पक्षकार है जिसे पक्षकार नहीं बनाया है ।  परिवाद खारिज किए जाने की प्रार्थना की है । 
3.    प्रार्थी पक्ष का तर्क रहा है कि उसने क्रयषुदा वाहन को वित्त पोषित करवाते समय अप्रार्थी द्वारा यह षर्त लगाई गई थी कि जब तक वाहन का लोन पूरा नहीं हो जाता उसके वाहन का बीमा अप्रार्थी द्वारा स्वयं कराया जाएगा  तथा बीमा प्रीमियम की राषि वाहन की किष्तों में  समायेाजित कर दी जाएगी । प्रार्थी द्वारा अपने वाहन की किष्तें समय पर अप्रार्थी को दे दी  गई, इसमें  बीमा प्रीमियम की राषि भी षामिल थी । उसका वाहन दिनंाक  23.7.2011 से 22.7.2012  तक बीमित था । इसके बाद की अवधि का बीमा अप्रार्थी द्वारा  करवाया जाना था । अप्रार्थी ने  प्रार्थी के वाहन का बीमा करवाकर बीमा पाॅलिसी प्रार्थी को भिजवाई  । जिसका अवलोकन  करने पर ज्ञात हुआ कि प्रार्थी के वाहन संख्या  आर.जे.01. आर.ए. 4632  के स्थान पर वाहन संख्या  आर.जे.01. आर.ए. 1022  लिखा गया तथा पाॅलिसी में  वाहन के इंजन नं. ई- 2201214 तथा चैसिस नम्बर   टी- 72197963 लिखा गया है  जो कि दिनंाक  27.7.2012 से 26.7.2013  तक की अवधि के लिए बीमित था । प्रार्थी द्वारा उक्त पाॅलिसी को लेकर अप्रार्थी के कार्यालय में सम्पर्क कर वाहन के नम्बर में गडबढी  की षिकायत की गई, किन्तु  आष्वासन देने के बाद भी प्रार्थी की बीमा पाॅलिसी  नहीं भिजवाई गई है । बीमा दिनंाक 22.7.2012  तक था ।  इसके बाद की अवधि का बीमा अप्रार्थी द्वारा नहीं करवाया गया है , इस कारण प्रार्थी को कार  का संचालन  बन्द करना पडा़ है । उसे  करीब ढाई लाख रूपयों का नुकसान हुआ है । परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए । 
4.    अप्रार्थी ने इन तर्को का खण्डन किया है व प्रष्नगत वाहन का बीमा  रायल सुन्दरम इंष्योंरेंस कम्पनी  के द्वारा करवाया जाना बताया है  । उक्त इंष्योरेंस कम्पनी  जो कि आवष्यक पक्षकार थी, को पक्षकार नहीं बनाया है ।  उत्तरदाता अप्रार्थी की जिम्मेदारी मात्र दस्तावेजों के संग्रहण कर रायल सुन्दरम फाईनेंस  कम्पनी को हस्तान्तरित करने तक सीमिति थी ।  जिसमें उत्तरदाता की ओर से कोई चूक नहीं की गई । परिवाद अस्वीकार किया जाना चाहिए।
5.    हमने  परस्पर तर्क सुने हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों  का ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
6.    यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रार्थी द्वारा एक वाहन टैक्चर  जुलाई, 2011 में मैसर्स नवीन एस्कोर्ट, परबतपुरा बाईपास,जयपुर रोड, अजमेर  से क्रय किया गया। जिसका पंजीयन संख्या आर.जे.01. आर.ए. 4632  तथा इंजन नं.  2212498व चैसिस नम्बर टी-2209163  है ।  प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी से अपने वाहन को वित्त पोेषित  करवाने हेतु सम्पर्क किया गया  तथा अप्रार्थी ने प्रार्थी के उक्त वाहन को वित्त पोषित करने हेतु स्वीकृति प्रदान की है । हालांकि प्रार्थी ने तत्समय  अप्रार्थी द्वारा यह ष्षर्त लगाना बताया है कि वाहन को वित्त पोषित करवाते समय जब तक वाहन का लोन पूरा नहीं हो जाता तब तक प्रार्थी के वाहन का बीमा अप्रार्थी द्वारा  ही करवाया जाएगा तथा बीमा प्रीमियम की राषि  किष्तों में समायाजित कर दी जाएगी  किन्तु जब अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी के उक्त वाहन को वित्त पोषित  करते हुए दिनंाक 23.7.2011 से 22.7.2012 तक तथा 27.7.2012 से 26.7.20143 तक की अवधि के लिए अपने माध्यम से बीमा करवाया गया है  तो इन हालात में प्रार्थी पक्ष का यह तर्क स्वीकार किए जाने योग्य है कि अप्रार्थी ने प्रार्थी द्वारा उक्त वाहन को अप्रार्थी द्वारा वित्त पोषित करवाते समय षर्त लगाई गई  कि जब तक वाहन का लोन पूरा नहीं हो जाता, वाहन का बीमा अप्रार्थी द्वारा ही करवाया जाएगा तथा बीमा प्रीमियम की राषि वाहन की किष्तों में समायोजित कर दी जाएगी ।  जो प्रष्नगत वाहन का बीमा अप्रार्थी के माध्यम से करवाया गया है, में प्रार्थी के वाहन संख्या संख्या आर.जे.01. आर.ए. 4632 की जगह  वाहन संख्या आर.जे.36. आर.ए.1022  तथा तथा इंजन नं.  2212498 के स्थान पर  ई- 2201214  व चैसिस नम्बर टी-2209163  के स्थान पर टी-2197963 का अंकन सामने आया है , को देखते हुए  इस गडबडी की  सीधी जिम्मेदारी अप्रार्थी की ही बनती है क्योंकि उसी के द्वारा प्रार्थी के उक्त वाहन का बीमा करवाया गया है । उसका यह प्रतिवाद कतई स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है कि वाहन के उक्त वर्णित रजिस्ट्रेषन संख्या आर.जे.10.आर.ए.  4632 के विषय में  कोई दस्तावेज अप्रार्थी को पूर्व में उपलब्ध नहीं करवाए गए । 
7.    सार यह है कि जिस प्रकार वाहन के बीमा में वाहन नम्बर, चैसिस नम्बर व इंजन न.ं में गलतियां सामने आई है वह अप्रार्थी के कृत्य का सीधा परिणाम है तथा  उसका यह कृत्य  सेवाओं में कमी व अनुचित व्यापार व्यवहार  कहा जा सकता है । मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है  एवं आदेष है कि 
                 :ः- आदेष:ः-
8.    (1)   प्रार्थी अप्रार्थी से उसे हुई मानसिक क्षति, आर्थिक क्षति व षारीरिक क्षतिपूर्ति व वाद व्यय के पेटे रू. 2,50,000/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
            (2)   क्रम संख्या 1 में वर्णित राषि अप्रार्थी  प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
          आदेष दिनांक 16.08.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    

       


 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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