राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1984/2023
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता आयोग, द्वितीय, आगरा द्वारा परिवाद संख्या 142/2022 में पारित आदेश दिनांक 24.02.2023 के विरूद्ध)
1. श्री भगवान सिंह डायरेक्टर मै0 मॉं अम्बे गौरी शीतगृह प्रा0लि0 ग्राम-चितौरा शमसाबाद जिला-आगरा
2. श्री लखन सिंह पुत्र श्री फतेह सिंह, निवासी ग्राम-चितौरा शमसाबाद जिला-आगरा
3. श्री दिनेश सिंह पुत्र श्री फतेह सिंह, निवासी ग्राम-चितौरा शमसाबाद जिला-आगरा
..................अपीलार्थीगण/विपक्षी सं01,3,4
बनाम
मेघ सिंह पुत्र स्व0 श्री रामजी लाल, ग्राम-लक्खू रानी, तहसील-फतेहाबाद, जिला-आगरा
............प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री अजय उपाध्याय,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री नवीन कुमार तिवारी,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 28.10.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, द्वितीय, आगरा द्वारा परिवाद संख्या-142/2022 मेघ सिंह बनाम श्री भगवान सिंह डाइरेक्टर मैसर्स मॉं अम्बे गौरी शीतगृह प्राइवेट लिमिटेड व तीन अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.02.2023 के विरूद्ध योजित की गयी।
अपील की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री अजय उपाध्याय एवं प्रत्यर्थी
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की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री नवीन कुमार तिवारी को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परीक्षण व परिशीलन किया गया।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी आलू की फसल उगाता है और दूसरे से कृषि भूमि संविदा पर लेता है। परिवादी ने अपने बहनोई श्री लोकेन्द्र सिंह की पैत्रक कृषि भूमि ग्राम बांगुरू में ली थी तथा श्री लोकेन्द्र सिंह द्वारा ग्राम मीरपुरा में खरीदी गयी कुछ अन्य भूमि भी संविदा पर ली थी और लिखित अनुबन्ध दिनांक 30.04.2019 को परिवादी व श्री लोकेन्द्र सिंह के मध्य निष्पादित हुआ। समझौते की अवधि दिनांक 01.05.2019 से दिनांक 30.11.2023 तक वैध थी। उक्त समझौते में यह भी तय हुआ था कि परिवादी उक्त भूमि में उपज के आलू को कोल्ड स्टोरेज में अपने नाम से या श्री लोकेन्द्र सिंह के नाम से रखेगा और परिवादी को फसल उगाने से लेकर सभी कार्यों का प्रबंध करने का भी पूर्ण अधिकार होगा। परिवादी को 10 प्रतिशत आलू की कुल उपज से अतिरिक्त प्राप्त होगा।
परिवादी का यह भी कथन है कि उसने अपने कृषि क्षेत्र में आलू की फसल उगाई तथा 713 बोरी आलू एवं 1018 बोरी आलू विपक्षीगण के शीतगृह में भण्डारित किया। परिवादी द्वारा श्री लोकेन्द्र सिंह के नाम से दिनांक 06.03.2020 से 23.03.2020 तक विभिन्न तिथियों में कुल 1018 बोरी आलू भण्डारित किया गया, जिसकी विपक्षीगण ने रसीद जारी की। जब परिवादी मई 2020 में विपक्षीगण के शीतगृह में मूल रसीदों के साथ उक्त आलू की डिलीवरी लेने के लिए गया तो विपक्षी संख्या-1 द्वारा आलू देने से इन्कार कर दिया। तब परिवादी ने जिलाधिकारी आगरा से शिकायत की और जिलाधिकारी ने जांच कमेटी गठित की। परिवादी के कथनानुसार जांच कमेटी ने बताया कि विपक्षी संख्या-1 ने
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परिवादी के आलू बेचे नहीं हैं और यह भी आश्वासन दिया गया कि परिवादी के आलू के 1018 पैकेट विपक्षीगण के पास सुरक्षित रखे हैं और बेचे नहीं जायेंगे, यदि 1018 बोरी आलू बेचा जाता है तो इसकी पूर्ण जिम्मेदारी संचालक श्री भगवान सिंह की होगी। तत्पश्चात् विपक्षी संख्या-2 श्री सचिन पुत्र श्री भगवान सिंह ने अपने बयान में कहा कि उसने 1018 बोरी आलू में से 500 बोरी आलू बेच दिया है तथा आश्वासन दिया कि शेष आलू नहीं बेचा जाएगा। उपरोक्त गठित टीम ने जिलाधिकारी को दी गयी जांच रिपोर्ट में विपक्षी संख्या-2 के कथन की पुष्टि की।
परिवादी के कथनानुसार इस मामले में प्राथिमिकी भी दर्ज करायी गयी। परिवादी के बार-बार मांगे जाने पर भी विपक्षीगण ने 1018 पैकेट आलू के मूल्य के रूप में किसी धनराशि का भुगतान नहीं किया और न ही आलू वापस किया। प्रासंगिक समय में आलू की दर 1965/-रू0 प्रति बोरी आलू थी। इस प्रकार परिवादी को कुल 20,00,370/-रू0 का भुगतान विपक्षीगण द्वारा नहीं किया गया। अत: क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा विपक्षीगण को दिनांक 02.05.2022 के लिए नोटिस जारी किए गए, परन्तु दिनांक 20.06.2022 तक विपक्षीगण द्वारा किसी प्रकार का कोई लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया, जिसके कारण परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से विपक्षीगण के विरूद्ध अग्रसारित की गयी।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवादी के कथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों के आधार पर बिन्दुवार समस्त तथ्यों की विस्तृत विवेचन करते हुए यह पाया गया कि परिवादी ने विपक्षीगण के शीतगृह में आलू की बोरियॉं भण्डारित की थी, जिसके परिप्रेक्ष्य में विपक्षीगण ने परिवादी को कोल्ड स्टोरेज की रसीदें
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जारी की। परिवादी जब अपना आलू लेने के लिए शीतगृह पर गया तो विपक्षीगण ने उसका आलू वापस नहीं किया। तब परिवादी ने जिलाधिकारी आगरा के सम्मुख इस संबंध में शिकायत की तो जिलाधिकारी ने जांच कमेटी गठित की। विपक्षी संख्या-2 ने लिखित में पुष्टि की कि उसने 1018 बोरी आलू में से 500 बोरी आलू बेच दिए। परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट भी दर्ज करायी गयी फिर भी परिवादी को न तो भण्डारित आलू वापस किया गया तथा न ही उसके मूल्य का भुगतान किया। इस प्रकार विपक्षीगण ने अनुचित व्यापार व्यवहार किया तथा परिवादी की अनुमति या सहमति के बिना आलू बेचकर विपक्षीगण ने परिवादी के प्रति सेवा में कमी की है।
तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद निर्णीत करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया:-
''परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवादी को आदेश की तिथि से 30 दिन के अन्दर अंकन 20,00,370/-रू0 संयुक्त: अथवा पृथक्त: भुगतान करना सुनिश्चित करें। अन्यथा की स्थिति में उक्त धनराशि पर आदेश की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 6 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज अतिरिक्त रूप से देय होगा।''
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने तथा समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्ता
आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार समस्त तथ्यों को विस्तार से उल्लिखित करते हुए निर्णय पारित किया, जिसमें मेरे विचार से किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
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तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थीगण द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
कार्यालय द्वारा परिवाद संख्या-142/2022 की मूल पत्रावली जिला उपभोक्ता आयोग, द्वितीय, आगरा को तत्काल वापस प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1