राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
पुनरीक्षण संख्या:-41/2022
(जिला उपभोक्ता आयोग, मेरठ द्धारा परिवाद सं0-243/2021 एवं प्रर्कीण वाद सं0-246/2021 में पारित आदेश दिनांक 21.10.2021 के विरूद्ध)
श्रीमती माधवी रस्तोगी पत्नी श्री सुशील कुमार, निवासी 45/7 शास्त्रीनगर, मेरठ द्वारा मुख्त्यारेखास/अधिकृत व्यक्ति श्री राजेश्वर पुत्र स्व0 श्री देवदत्त निवासी म0नं0 700, लक्ष्मणपुरी, मेरठ।
........... पुनरीक्षणकर्ता/परिवादिनी
बनाम
मेरठ विकास प्राधिकरण, मेरठ द्वारा सचिव।
…….. प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
पुनरीक्षणकर्ता के अधिवक्ता : श्री वी0एस0 बिसारिया
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री पीयूष मणि त्रिपाठी
दिनांक :- 02-8-2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत पुनरीक्षण आवेदन जिला उपभोक्ता आयोग, मेरठ द्वारा प्रर्कीण वाद सं0-246/2021 (परिवाद सं0-243/2021) श्रीमती माधवी रस्तोगी बनाम मेरठ विकास प्राधिकरण में प्रस्तुत किये गये अंतरिम आवेदन पर पारित आदेश दिनांक 21.10.2021 के विरूद्ध योजित किया गया है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष मूल परिवाद इस अनुतोष के लिए प्रस्तुत किया गया कि परिवादिनी को मूल रूप से आवंटित प्लॉट सं0-एफ 12, सेक्टर-4 सी शाताब्दीनगर आवासीय योजना, मेरठ के स्थान पर प्लॉट सं0-बी 99 का आवंटन कराते हुए विक्रय पत्र परिवादिनी के पक्ष में निष्पादित कराया जावे, साथ ही अंतरिम आवेदन इस आशय का प्रस्तुत किया गया कि प्लॉट सं0-बी 99 का विक्रय पत्र द्वारा इस परिवाद के निस्तारण तक न किया जाये।
-2-
जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा आवेदन पर यह आदेश पारित किया गया है कि जिस सम्पत्ति के सम्बन्ध में निषेधाज्ञा चाही गई है वह विवाद की विषय वस्तु नहीं है, इसलिए इस प्लॉट के सम्बन्ध में कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा सकता है।
इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध पुनरीक्षण आवेदन इन आधारों पर प्रस्तुत किया गया है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने विधि विरूद्ध आदेश पारित किया है।
दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना तथा प्रश्नगत आदेश एवं पत्रावली का परिशीलन किया।
चूंकि प्लॉट सं0-बी 99 विपक्षी ने आज की तिथि पर परिवादिनी को आवंटित नहीं किया है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि इस प्लॉट के सम्बन्ध में परिवादिनी को किसी प्रकार का अधिकार उत्पन्न हो सकता है। अत: जिला उपभोक्ता आयोग का यह निर्णय विधि सम्मत है कि प्लॉट सं0-बी 99 विवाद की विषय वस्तु नहीं है, इसलिए जो सम्पत्ति विवाद की वस्तु नहीं है, उस सम्पत्ति के सम्बन्ध में कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा सकता है, अत: पुनरीक्षण आवेदन खारिज होने योग्य है।
आदेश
पुनरीक्षण आवेदन खारिज किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट नं0-1