(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
संख्या-1433/2009
Munit Kumar Singh adult, son of Shri Dinesh Kumar Singh
Versus
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समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री राजेश चड्ढा
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित:- कोई नहीं
दिनांक :01.08.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद संख्या-02/2004, मुनीत कुमार बनाम मेडिकल ट्रान्सक्रिप्शन एण्ड काल सेन्टर व अन्य में विद्वान जिला आयोग, वाराणसी द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 24.07.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग वाराणसी के अध्यक्ष एवं एक सदस्य द्वारा अलग-अलग निर्णय पारित किया गया है। इस स्थिति में प्रकरण तृतीय सदस्य के सामने प्रेषित किया जाना चाहिए था और यदि तृतीय सदस्य जिला उपभोक्ता आयोग वाराणसी में तैनात नहीं थे तब प्रकरण इस आयोग के अध्यक्ष को संदर्भित किया जाना चाहिए था, ताकि तीसरे सदस्य के समक्ष प्रकरण प्रेषित किया जा सके। अध्यक्ष तथा सदस्य द्वारा पारित भिन्न-भिन्न निर्णय, निर्णय की श्रेणी में नहीं आते हैं। अत: यह निर्णय अपास्त होने योग्य है। अत: यह प्रकरण जिला उपभोक्ता आयोग को इस आशय से प्रतिप्रेषित किया जाना चाहिए कि गुणदोष पर एकमत/बहुमत के आधार पर पुन: निर्णय पारित किया जाए।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद सं0-02/2004 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.07.2009 अपास्त जाता है तथा प्रकरण सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को इस आग्रह के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग उपरोक्त परिवाद सं0-02/2004 को अपने पुराने नम्बर पर पुनर्स्थापित कर उभय पक्ष को साक्ष्य एवं सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए एकमत/बहुमत के आधार पर परिवाद का गुणदोष के आधार पर निस्तारण करना सुनिश्चित करें।
पक्षकार दिनांक 15.10.2024 को जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष उपस्थित हों।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2