( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :881/2023
मंजू यादव, आयु लगभग 34 वर्ष, पत्नी नंद कुमार यादव, निवासी ग्राम औका, थाना बक्शा, जिला जौनपुर।
अपीलार्थी/परिवादिनी
1-प्रभारी चिकित्साधिकारी , प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बक्शा, जौनपुर।
2-मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका, उमा नाथ सिंह, जिला महिला चिकित्सालय, जौनपुर।
3-मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जौनपुर।
दिनांक : 30-05-2023
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-141/2019 मंजू यादव बनाम प्रभारी चिकित्साधिकारी, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बक्शा जौनपुर व दो अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, जौनपुर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 25-04-2023 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
विद्धान जिला आयोग द्वारा परिवादिनी का परिवाद खारिज कर दिया है।
जिला आयोग के निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद की परिवादिनी की ओर से यह अपील योजित की गयी है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री इकबाल अहमद उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
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अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादिनी एक ग्रामीण परिवेश की कम पढ़ी-लिखी घरेलू महिला है। परिवादिनी ने अपनी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए भविष्य में और कोई बच्चा पैदा न हो, नसबंदी कराने का निर्णय लिया। दिनांक 18-12-2015 को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, बक्शा, जौनपुर में योजना अनुसार चिकित्साधिकारी द्वारा परिवादिनी की शल्य क्रिया द्वारा नसबंदी की गयी और नसबंदी प्रमाण पत्र भी विपक्षी संख्या-2 द्वारा परिवादिनी के पक्ष में जारी किया गया। परिवादिनी द्वारा कोई लापरवाही नहीं बरती गयी, बावजूद नसबंदी परिवादिनी गर्भवती हो गयी। जिला चिकित्सालय जौनपुर में दिनांक 26-05-2019 को परिवादिनी भर्ती हुई और उसी दिन बच्चे को जन्म दिया जिसका नाम योगेश कुमार यादव है। परिवादिनी के गर्भ में बच्चा आने से परिवादिनी मानसिक रूप से काफी परेशान रही और अन्तत: इच्छा के विरूद्ध बच्चे को जन्म दिया। विपक्षी संख्या-2 द्वारा चिकित्सा मानको की अनदेखी करके तथा सेवाओं में कमी करते हुए परिवादिनी की नसबंदी की गयी जिसके कारण परिवादिनी गर्भवती हो गयी और विपक्षी द्वारा सेवा में घोर लापरवाही बरती गयी। अत: विवश होकर परिवादिनी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।
विपक्षी संख्या-3 ने लिखित कथन दाखिल करते हुए परिवाद पत्र के पैरा-1 ता 5 के कथनों को जानकारी के अभाव में अस्वीकार किया तथा विपक्षी संख्या-3 ने परिवादिनी द्वारा वांछित अनुतोष को अस्वीकार किया तथा कथन किया कि परिवादिनी ने जिला महिला चिकित्सालय, जौनपुर में स्वेच्छा से नसबंदी का आपरेशन कराया है। परिवादिनी ने नि:शुल्क नसबंदी आपरेशन कराने हेतु कन्सेन्ट प्रार्थना पत्र भरा था और जिसमें यह स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि यदि नसबंदी के पश्चात गर्भ धारण होता है तो दो सप्ताह के अंदर राज्य सरकार के सामुदायिक
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स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्साधिकारी जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी को अवगत कराने की स्थिति में राज्य सरकार अनचाहे गर्भावस्था से छुटकारा पाने के लिए सुरक्षित गर्भ समापन नि:शुल्क करायेगी जैसाकि परिवादिनी द्वारा भरे गये कन्सेन्ट प्रार्थना पत्र से स्पष्ट है, उसके पश्चात परिवादिनी ने हस्ताक्षर भी बनाया है जिसके एवज में राज्य सरकार की ओर से परिवादिनी को प्रोत्साहन धनराशि रू0 600/- भी उसी दिन प्रदान कर दी गयी। नसबंदी आपरेशन के बाद यदि कोई अनिच्छित गर्भ से छुटकारा पाने के लिए सभी राजकीय चिकित्सालय में नियत अवधि में गर्भ को नि:शुल्क गर्भपात का प्राविधान चिकित्सीय परिसमापन एम0टी0पी0 अर्थात Medical Termination of Pregnancy Act 1971 के अन्तर्गत मान्यता अनुज्ञेय है, लेकिन परिवादिनी आपरेशन के बाद भी विपक्षी के यहॉं नहीं आयी और न गर्भवती होने की बात ही कही है। मा0 शीर्ष न्यायालयों के निर्णयों से भी यह स्पष्ट रूप से सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि नसबंदी आपरेशन 100 प्रतिशत सफल नहीं होता है बल्कि उसमें से 03 से 07 प्रतिशत तक असफल होने की भी सम्भावना बनी रहती है, जो विभिन्न प्रकार के कारणों से उत्पन्न होता है जैसा कि चिकित्सीय किताबों में भी लिखा हुआ है। परिवादिनी ने अपने परिवाद में कोई चिकित्सीय विशेषज्ञ की रिपोर्ट भी प्रस्तुत नहीं की है, न ही यह तथ्य उल्लिखित है कि विपक्षी संख्या-3 द्वारा कोई लापरवाही की गयी है। परिवादिनी का नसबंदी आपरेशन परिवार कल्याण कार्यक्रम के अन्तर्गत नि:शुल्क किया गया था, जिसके एवज में कोई धनराशि जमा नहीं करायी गयी है बल्कि राज्य सरकार द्वारा नसबंदी कराने वाले को प्रोत्साहन धनराशि रू0 600/-रू0 प्रदान की गयी थी, जिस कारण परिवादिनी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-2(1) के अन्तर्गत
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उपभोक्ता की परिधि में नहीं आती है। विपक्षी संख्या-3 को गलत पक्षकार बनाया गया है।
विपक्षी संख्या-1 व 2 नोटिस तामीला होने के बावजूद भी उपस्थित नहीं हुए। अत: विपक्षी संख्या-1 व 2 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गई।
विद्धान जिला आयोग द्वारा अपीलार्थी एवं विपक्षी संख्या-3 को सुनने के पश्चात विपवक्षीगण की सेवा में कमी न पाते हुए परिवाद खारिज कर दिया है।
अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री इकबाल अहमद उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है अत: अपील स्वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का अपास्त किया जावे।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन एवं परीक्षण करने के पश्चात यह पीठ इस मत की है कि परिवादिनी ने मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेन्सी का विकल्प नहीं अपनाया, अपितु इच्छापूर्वक गर्भधारण किया। किसी भी डाक्टर के द्वारा किये गये नसबंदी के आपरेशन शत-प्रतिशत सफल नहीं होते हैं और लगभग 05 प्रतिशत आपरेशन असफल होने की सम्भावना निरंतर बनी रहती है। परिवादिनी द्वारा परिवार कल्याण कार्यक्रम के अन्तर्गत नि:शुल्क नसबंदी आपरेशन कराया गया था जिसके एवज में कोई धनराशि परिवादी से जमा नहीं करायी गयी थी बल्कि राज्य सरकार द्वारा नसबंदी कराने वाले को प्रोत्साहन धनराशि भी प्रदान की गयी थी। अत: परिवादिनी यह साबित करने में असफल रही है कि विपक्षीगण द्वारा आपरेशन में किसी प्रकार की कोई चिकित्सीय लापरवाही बरती गयी है। अत: विद्धान जिला
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आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के पश्चात विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1