Uttar Pradesh

StateCommission

A/2003/1188

Smt. Pushpa Devi - Complainant(s)

Versus

Medical Hospital and Research Centre - Opp.Party(s)

V. P. Sharma

07 Jul 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2003/1188
( Date of Filing : 09 May 2003 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Smt. Pushpa Devi
Rampur
...........Appellant(s)
Versus
1. Medical Hospital and Research Centre
Moradabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 07 Jul 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-1188/2003

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, द्वितीय मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-138/99 में पारित निर्णय दिनांक 21.03.2003 के विरूद्ध)

श्रीमती पुष्‍पा देवी पत्‍नी स्‍व0 हरि सिंह निवासी मोहल्‍ला इमामबाड़ा

कस्‍बा टान्‍डा, तहसील स्‍वार जिला रामपुर। ...........अपीलार्थी@परिवादिनी

बनाम

मेडिकल हास्पिटल एण्‍ड रिसर्च सेन्‍टर, द्वारा मैनेजर डा0 आर0बी0 सिंह

सिविल लाइन्‍स, मुरादाबाद, जिला मुरादाबाद।        .......प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री वी0पी0 शर्मा के सहयोगी श्री  

                           सत्‍येन्‍द्र सिंह, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : श्री अरूण टंडन, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक 14.07.2021

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   परिवाद संख्‍या 138/99 श्रीमती पुष्‍पा देवी बनाम मेडिकल हास्पिटल एण्‍ड रिसर्च सेन्‍टर में पारित निर्णय/आदेश दि. 21.03.2003 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। इस निर्णय व आदेश द्वारा हास्पिटल के विरूद्ध मरीज के प्रति लापरवाही के कारण क्षतिपूर्ति के लिए प्रस्‍तुत किया गया परिवाद खारिज कर दिया गया है।

2.   परिवादिनी के पति ब्‍लड प्रेशर के मरीज हरि सिंह को दि. 06.09.99 को विपक्षी अस्‍पताल में भर्ती कराया गया। रू. 2000/- फीस के जमा कराए गए। विपक्षी डाक्‍टर द्वारा परिवादिनी के पति को अपने कम्‍पाउन्‍डर गजब सिंह की देखरेख में छोड़ गया और चला गया। दि. 07.09.99 को गजब सिंह द्वारा लिखे गए पर्चे के आधार पर परिवादिनी द्वारा दवाएं क्रय की गईं, जिनमें 6 डोपामिन के इंजेक्‍शन थे। दवाओं के प्रयोग के पश्‍चात

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परिवादिनी के पति तड़पने लगे। विपक्षी डाक्‍टर के तलाश किया, परन्‍तु वे नहीं मिले और दि. 07.09.99 को ही प्रात: 9 बजे परिवादिनी के पति ने प्राण त्‍याग दिए। इस प्रकार विपक्षी हास्पिटल के डाक्‍टर आर0बी0 सिंह की लापरवाही के कारण परिवादिनी के पति की मृत्‍यु हुई है। डाक्‍टर द्वारा भर्ती के कागजात देने से मना कर दिया और दि. 07.09.99 को एक कागज पर लिखकर दिया कि परिवादिनी की मृत्‍यु हार्ट अटैक से हुई है, जबकि वह कभी भी हार्ट के मरीज नहीं थे। ई.सी.जी. दि. 06.09.99 को 11 बजे रात्रि में कराई गई थी तब भी हार्ट अटैक के लक्षण थे, अत: स्‍पष्‍ट है कि डाक्‍टर की लापरवाही के कारण परिवादिनी के पति की मृत्‍यु हुई है। थाने में रिपोर्ट नहीं लिखाई गई। मृतक रू. 5000/- की दुकान से आय करता था। परिवादिनी द्वारा अंकन रू. 450000/- क्षतिपूर्ति की मांग की गई है।

3.   विपक्षी द्वारा परिवादिनी के पति का उनके अस्‍पताल में भर्ती होना स्‍वीकार किया गया है। अंकन रू. 2000/- बतौर पेशगी जमा करने से इंकार किया गया है। यह उल्‍लेख किया गया है कि दि. 06.09.99 की रात्रि करीब 11 बजे मरणासन्‍न स्थिति में रोगी को भर्ती किया गया था, तुरंत ई.सी.जी. किया गया और आवश्‍यक दवाएं दी गईं। रोगी का ब्‍लड प्रेशर अत्‍यंत कम था। भर्ती करने से पूर्व वह झोला छाप डाक्‍टर के इलाज में था। भर्ती करने से पूर्व सहमति पत्र रोगी के पुत्र द्वारा लिखा गया था। रोगी का पुन: परीक्षण किया गया था और डोपामिन इंजेक्‍शन ड्रिप में लगाकर दिया गया। रोगी को देखने के बाद स्‍पष्‍ट रूप से कहा गया कि हालत गंभीर है, इसलिए दिल्‍ली या अन्‍यत्र ले जाएं। नर्सिंग होम का खर्चा 6700/- हुआ था और जब परिवादिनी से धन की मांग की गई तब धन देने के बजाय परिवाद योजित

 

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कर दिया। हरि सिंह की मृत्‍यु हृदय रोग के कारण हुई है और उसे कोई भी गलत इलाज नहीं दिया गया है।

4.   दोनों पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया है कि डाक्‍टर द्वारा हरि सिंह के इलाज में कोई असावधानी नहीं बरती गई, बल्कि योग्‍यता के अनुसार ही इलाज किया गया, तदनुसार परिवाद खारिज कर दिया गया।

5.   इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा साक्ष्‍य के विपरीत जाकर निर्णय पारित किया गया है। विपक्षी द्वारा इस तथ्‍य से इंकार नहीं किया गया कि भर्ती के पश्‍चात डाक्‍टर अस्‍पताल में मौजूद रहे या नहीं रहे, इस बिन्‍दु पर भी विचार नहीं किया है कि डाक्‍टर द्वारा परिपूर्ण सेवाएं प्रदान नहीं की गईं और विपक्षी डाक्‍टर का कथन अवैधानिकता से स्‍वीकार कर लिया गया।

6.   दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ताओं की बहस सुनी गई। प्रश्‍नगत निर्णय व पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.   पत्रावली पर इस आशय का कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं है कि डाक्‍टर द्वारा रोगी का गलत इलाज किया गया और गलत दवाएं दी गई। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने बहस के दौरान यह कहा कि दवाओं का पर्चा डाक्‍टर द्वारा नहीं अपितु कम्‍पाउन्‍डर द्वारा लिखा गया, परन्‍तु ऐसा कोई पर्चा पत्रावली पर मौजूद नहीं है। परिवादिनी के पुत्र को मेडिकल उपचार से संबंधित कोई ज्ञान प्राप्‍त नहीं है, इसलिए उसके द्वारा यह नहीं कहा जा सकता कि गलत उपचार किया गया है। असावधानी एवं लापरवाही का केवल एक कारण परिवाद पत्र में अंकित किया गया है कि भर्ती कराने के पश्‍चात डाक्‍टर अस्‍पताल से चले गए। यदि डाक्‍टर द्वारा भर्ती कराने के पश्‍चात

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मरीज का परीक्षण कर लिया गया, इलाज प्रारंभ कर दिया गया तब निश्चित रूप से हास्पिटल का कोई भी डाक्‍टर लगातार एवं नियमित रूप से मरीज के पास उपलब्‍ध नहीं रह सकता। डाक्‍टर समय पर क्रमबद्ध रूप से मरीज के परीक्षण के लिए उपस्थित होते हैं और तदनुसार उपचार प्रदान किया जाना सुनिश्चित करते हैं, किसी भी दृष्टि से हर समय डाक्‍टर की मौजूदगी न आवश्‍यक है और न संभव है। इस एक स्थिति के अलावा परिवाद में लापरवाही को दर्शित नहीं किया गया है। इस आयोग का निश्चित मत है कि अस्‍पताल में मरीज के भर्ती होने के पश्‍चात निरंतरता में किसी डाक्‍टर की उपस्थिति मरीज के साथ नहीं हो सकती है तथा कम्‍पाउन्‍डर द्वारा लिखा गया पर्चा प्रस्‍तुत नहीं किया गया है, अत: यह तथ्‍य स्‍थापित नहीं है। मेडिकल उपचार से संबंधित लापरवाही की पुष्टि के लिए परिवादिनी की ओर से परिवाद पर विचारण के दौरान या अपीलीय स्‍तर पर विशेषज्ञ साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है, अत: लापरवाही का कोई दायित्‍व स्‍थापित नहीं है।

8.   परिवादिनी द्वारा अग्रिम जमा राशि का कोई सबूत भी पत्रावली पर मौजूद नहीं है, फिर यह भी अग्रिम धनराशि देने मात्र से यह जाहिर नहीं होता कि डाक्‍टर द्वारा कोई लापरवाही बरती गई है। किसी भी रोगी के भर्ती होने पर हर अस्‍पताल में रोगी के इलाज पर होने वाले खर्च की धनराशि जमा कराई जाती है, अत: इस प्रक्रिया में कोई अनियमितता नहीं है।

9.   उपरोक्‍त विवेचन का निष्‍कर्ष है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय में किसी प्रकार का हस्‍तक्षेप अपेक्षित नहीं है। तदनुसार अपील खारिज किए जाने योग्‍य है।  

 

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आदेश

10.  अपील खारिज की जाती है।

          उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय भार स्‍वयं वहन करेंगे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

         

       (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                 सदस्‍य                             सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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