जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 150/2014
जब्बरसिंह पुत्र श्री भैरूसिंह, जाति-राजपुत, निवासी-जिन्दास, तहसील व जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. मालिक/प्रबंधक, श्री नाकोडा आॅटोमोबाईल्स, बासनी रोड, नागौर (राज.)।
2. कोसलाईट इण्डिया टेलिकाॅम प्रा. लि., 122 सेक्टर 4, आई.एम.टी. मेनसर, हरियाणा।
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री करणसिंह राठौड, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री राजेश रावल, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थीगण संख्या 1, अप्रार्थी संख्या 2 के विरूद्ध एकतरफा कार्यवाही।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दिनांक 12.05.2015
1. परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 2 के यहां निर्मित विवादित वाहन अप्रार्थी संख्या 1 अधिकृत विक्रेता से 33,000/- रूपये में दिनांक 26.08.2013 को क्रय किया। वाहन की अलग- अलग वारंटी दी गई। बैटरी की एक साल की वारंटी दी गई। मैन्यूफैक्चरिंग की भी वारंटी दी गई। छह घंटे चार्ज करने पर वाहन के 40 किलोमीटर चलने की बैटरी की वारंटी थी। परन्तु वाहन खरीदने के तीन माह पश्चात् ही बैटरी ने सेवा देना बंद कर दिया। चार्ज भी बहुत कम होती। उससे वाहन नहीं चलता। परिवादी ने अप्रार्थीगण को कई बार शिकायत की, परन्तु टालते रहे। दो-तीन महीने बाद बैटरी नम्बर 11563 दिनांक 06.01.2014 को दी गई, जो कि विनिर्माण दोष से ग्रसित थी क्योंकि दो माह पश्चात ही चार्ज होना बंद हो गई। परिवादी ने उक्त वाहन बच्चों को स्कूल पहुंचाने व अपने अन्य कार्य हेतु लिया था परन्तु उक्त दोष के कारण परिवादी अपना उपरोक्त कार्य नहीं कर पा रहा है। बच्चों को भी अन्य किराये के वाहन से स्कूल पहुंचाना पड रहा है। परिवादी ने अप्रार्थीगण को अपने अधिवक्ता के मार्फत रजिस्टर्ड नोटिस दिया परन्तु कोई कार्यवाही नहीं की। इस प्रकार से अप्रार्थीगण की सेवा में कमी है, पूर्णतः सेवा दोष है। अतः परिवादी को अप्रार्थीगण से बाईक की कीमत 33,000/- रूपये मय ब्याज एवं मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति बाबत 25,000/- रूपये व परिवाद-व्यय के रूप में 5,000/- रूपये दिलाये जाये।
2. अप्रार्थी संख्या 2 बावजूद बाद तामिल अनुपस्थित रहने के कारण उसके विरूद्ध एकतरफा कार्रवाई की गई। अप्रार्थी संख्या 1 का संक्षेप में जवाब इस प्रकार है कि अप्रार्थी संख्या 1, अप्रार्थी संख्या 2 का अधिकृत विक्रेता है। वाहन में किसी प्रकार की खराबी होना, कमी होने अथवा विनिर्माण सम्बन्धी दोष होन पर उसका सम्पूर्ण दायित्व वाहन निर्माता कम्पनी का होता है। बैटरी की वारंटी वाहन क्रय करने की तारीख से छह माह तक की होती है। दोष होने पर बैटरी को बदल दिया जाता है। सात माह से 12 माह के मध्य बैटरी खराब होने पर नई बैटरी लगाने पर बैटरी की कीमत 60 प्रतिशत राशि ग्राहक को अदा करनी होती है। पुरानी बैटरी कम्पनी में जमा करानी होती है। परिवादी ने वाहन की तीन फ्री सर्विस करवाई थी। उस समय वाहन की बैटरी बिल्कुल सही थी। इसके बाद प्रार्थी ने अप्रार्थी सख्या 1 के यहां दिनांक 20.01.2014 को शिकायत की। जिसकी सूचना 21.01.2014 को अप्रार्थी संख्या 2 को बैटरी रिप्लेश करने बाबत ई-मेल से सूचना भेज दी गई। कम्पनी से बैटरी नहीं आने पर अप्रार्थी संख्या 1 ने अपने पास से परिवादी के वाहन में नई बैटरी लगा दी। परिवादी ने वाहन के रख-रखाव में लापरवाही बरती है, जिसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार है।
3. बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का अवलोकन किया। पत्रावली से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने विवादित मोटरसाइकिल अप्रार्थी संख्या 1 से क्रय की। अप्रार्थी संख्या 2 उक्त मोटरसाइकिल का निर्माता है। अप्रार्थी संख्या 1, अप्रार्थी संख्या 2 का अधिकृत डीलर है। जहां तक उक्त वाहन की खराबी का प्रश्न है प्रार्थी ने अप्रार्थी संख्या 1 के यहां बार-बार बैटरी व इंजन खराब होने की शिकायत की। बैटरी का रिप्लेसमेंट भी हुआ परन्तु उक्त वाहन अभी भी सही प्रकार से काम नहीं कर रहा है। प्रार्थी ने सशपथ यह भी बताया है कि उक्त वाहन विनिर्मित दोष से ग्रस्त है चूंकि अप्रार्थी संख्या 2 ने प्रार्थी के उक्त सशपथ कथन का कोई खण्डन नहीं किया है। बल्कि अप्रार्थी संख्या 1 का यह कहना है कि यदि उक्त वाहन में कोई निर्माण सम्बन्धी दोष है तो उसके लिए अप्रार्थी संख्या 2 ही जिम्मेदार है अर्थात् अप्रार्थी संख्या 1 ने भी प्रार्थी के इस सशपथ कथन का कोई खण्डन नहीं किया है कि उक्त वाहन विनिर्मित दोष से ग्रसित हो। यहां यह भी उल्लेख करना उचित होगा कि उक्त वाहन में खराबी वारंटी पीरियड में हुई है। अप्रार्थी संख्या 1 का यह कथन भी सही नहीं है कि प्रार्थी ने छह माह बाद आकर पुनः बैटरी बदलने के लिए कहा हो। क्योंकि उक्त वाहन 26.08.2013 को क्रय किया गया। बैटरी 6.1.2014 को रिप्लेस की गई है जिसका सबूत प्रदर्श 2 है। इस संदर्भ में अप्रार्थी संख्या 1 का यह कहना कि प्रार्थी को छह माह पश्चात् बैटरी रिप्लेसमेंट पर कीमत की 60 प्रतिशत राशि चुकानी थी। अतः हम यह पाते हैं कि वारंटी पीरियड में उक्त वाहन विनिर्मित दोष से ग्रसित है जिसका परिवादी सदुपयोग नहीं कर पाया है। परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
4. आदेश दिया जाता है कि अप्रार्थी संख्या 2 परिवाद-पत्र के पैरा संख्या 1 में वर्णित माॅडल नम्बरी वाहन मोटरसाइकिल के स्थान पर उक्त माॅडल का नया वाहन एक माह के अंदर परिवादी को सुपुर्द करें अन्यथा 33,000/- रूपये परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी प्रार्थी को अदा करें। अप्रार्थी संख्या 1 को आदेश दिया जाता है कि अप्रार्थी संख्या 2 से उक्त विवादित वाहन का रिप्लेसमेंट करवाए। पूर्ण सहयोग करें अन्यथा अप्रार्थी संख्या 1 भी उक्त दायित्व के लिए जिम्मेदार होगा। अप्रार्थीगण, परिवादी को 2500/- परिवाद व्यय एवं 2500/- रूपये परिवाद व्यय के भी अदा करें।
आदेश आज दिनांक 12.05.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में
सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या