Uttar Pradesh

StateCommission

A/355/2020

M/S Ansal Housing and Construction Ltd - Complainant(s)

Versus

Mayank Parashar - Opp.Party(s)

Smt. Suchita Singh

25 Jun 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/355/2020
( Date of Filing : 19 Oct 2020 )
(Arisen out of Order Dated 10/01/2020 in Case No. C/2017/104 of District Jhansi)
 
1. M/S Ansal Housing and Construction Ltd
Through it's Authorised Signatory Regd. Office 15 U.G.F. Indra Prakash 21 Barahkharmba Road New Delhi
...........Appellant(s)
Versus
1. Mayank Parashar
S/O Shri mahendra Kumar R/O A-22 Adaas Vikas Colony Shivaji Nagar Distt. Jhansi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 HON'BLE MR. Rajendra Singh JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 25 Jun 2021
Final Order / Judgement

                                                               

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                                                     अपील संख्‍या- 355/2020

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, झांसी द्वारा परिवाद संख्‍या- 104/2017 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10-01-2020 के विरूद्ध)

 

1- मैसर्स अंसल हाउसिंग एण्‍ड कंस्‍ट्रक्‍शन लि0, द्वारा अर्थराइज्‍ड सिग्‍नेचरी रजिस्‍टर्ड आफिस 15 यू.जी.एफ. इन्‍द्र प्रकाश 21, बाराखम्‍बा रोड, नई दिल्‍ली।

2- मैसर्स अंसल हाउसिंग एण्‍ड कंस्‍ट्रक्‍शन लि0, साइट आफिस अंसल पाम कोर्ट सखी के हनुमानजी के सामने कानपुर बाई पास झांसी द्वारा अर्थराइज्‍ड सिग्‍नेचरी।

                                                                                                                            अपीलार्थी/विपक्षीगण

बनाम

1-श्री मयंक पाराशर, पुत्र श्री महेन्‍द्र कुमार, निवासी ए-22 आवास विकास कालोनी शिवाजीनगर, झांसी (उ०प्र०)

                                                                                                                     प्रत्‍यर्थी/परिवादी

2- झांसी डेवलपमेंट अथारिटी, जिला झांसी, द्वारा इट्स सेक्रेटरी।

 

मक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य

 माननीय श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्‍ता श्रीमती सुचिता सिंह

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्‍ता श्री एम०के० पाराशर

 

दिनांक- 16-08-2021

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित 

निर्णय

     प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी मैसर्स अंसल हाउसिंग एण्‍ड कंस्‍ट्रक्‍शन लि0, व एक अन्‍य की ओर से जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, झांसी द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10-01-2020 मयंक पाराशर बनाम मैसर्स अंसल

 

 

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हाउसिंग एण्‍ड कंस्‍ट्रक्‍शन लि0, व अन्‍य के विरूद्ध धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986, के अन्‍तर्गत प्रस्‍तुत की गयी है।

       अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्रीमती सुचिता सिंह उपस्थित हुयीं। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री एम०के० पराशर उपस्थित हुए। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

     प्रस्‍तुत अपील विलम्‍ब क्षमा प्रार्थना-पत्र के साथ प्रस्‍तुत की गयी जिसका उत्‍तर प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 द्वारा प्रस्‍तुत किया गया।  अनेकों तिथियों पर प्रस्‍तुत अपील की सुनवाई पीठ द्वारा हुयी। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 की ओर से उपस्थित हुए विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि अन्‍तरिम आदेश दिनांक 21-10-2020 इस न्‍यायालय द्वारा सशर्त प्रदान किया गया, परन्‍तु अपीलार्थी ने अन्‍तरिम आदेश की शर्त का अनुपालन अब तक नहीं किया।

       प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता को अपीलार्थी द्वारा दिया गया स्‍टेटमेंट आफ एकाउंट दिनांक 02 अप्रैल 2017 जो पृष्‍ठ संख्‍या-15 पर उपलब्‍ध है, की ओर हमारा ध्‍यान आकृषित किया गया। अपीलार्थी की विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अपील मेमों के साथ संलग्‍नक-2 के पृष्‍ठ 74 की ओर हमारा ध्‍यान आकृषित किया गया जो कि अपीलार्थी द्वारा प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 को दिये गये निवासीय फ्लैट के आवंटन का आवंटन-पत्र दिनांकित 13-08-2014 है जिसमें प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 द्वारा कुल देय धनराशि की गणना 33,05,800/-रू० अंकित है जिसके विरूद्ध प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 द्वारा कुल धनराशि 32,95,010.37 पैसे अपीलार्थी कम्‍पनी को दिनांक 01 मार्च 2017 तक दिया जा चुका था अर्थात उक्‍त दोनों धनराशियों में देय धनराशि से संबंधित कुल 10810/-रू० प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 द्वारा और देय है, जबकि उपरोक्‍त स्‍टेटमेंट आफ एकांउट दिनांक 02 अप्रैल 2017 में जो अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 को जारी किया गया है, में कुल देय/बाकी धनराशि की गणना 50474.84 दर्शित की गयी है।

    

 

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    यहां यह कहना समीचीन होगा कि जो धनराशि की गणना व विवरण अपीलार्थी द्वारा आवंटन पत्र में इंगित किया गया है जिसमें उपरोक्‍त आवंटन पत्र में वर्णित अंतिम पैराग्राफ से संबंधित देय धनराशि का विवरण नहीं दिया गया है। गणना करते हुए अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा देय धनराशि 29,66,374.99 पैसे जो अपीलार्थी द्वारा प्राप्‍त किये गये हैं उसमें एक्‍सटर्नल डेवलपमेंट चार्जेज के रूप में वर्णित देय धनराशि भी अपीलार्थी द्वारा कुल 12,690/- रू० प्राप्‍त की गयी। क्‍लब फीस के रूप में 17,500/-रू० प्राप्‍त किया गया। पार्क फेसिंग/एडजोइनिंग के अन्‍तर्गत देय धनराशि 40,185/-रू० भी प्राप्‍त की गयी है। फ्लोर PLC के मद में 1,33,950/-रू० प्राप्‍त किये गये। लेबर सेस चार्जेज के मद में 14,100/-रू० प्राप्‍त किये गये। सर्विस टैक्‍स ऑन बेसिक के मद में 96,604.46 के विरूद्ध कुल देय धनराशि 89,579.09  पैसे प्राप्‍त की गयी। अर्थात कुल रूपये 7025.37 की कमी देयता धनराशि के रूप में दर्शित की गयी। सर्विस टैक्‍स ऑन PLC व अन्‍य के मद में 22007.00 रू० के विरूद्ध 20631.29 की प्राप्ति की गयी तथा बाकी रूपये 1375.71 पैसे की देयता दर्शित की गयी। ब्‍याज के मद में कुल धनराशि 42073.76 पैसे के विरूद्ध प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 द्वारा कोई धनराशि देना नहीं दर्शाया गया है। अर्थात उपरोक्‍त 42073.76 पैसे की धनराशि अपीलार्थी ने प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 के ऊपर देयता मानी है। कुल देय धनराशि की गणना रू० 50474.84 उल्लिखित है।

     प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता ने कथन किया उनके द्वारा माह दिसम्‍बर 2014 से माह 02 मार्च 2015 के मध्‍य उपरोक्‍त वर्णित कुल देय धनराशि के विरूद्ध लगभग 90 प्रतिशत धनराशि अपीलार्थी के पक्ष में जमा की जा चुकी है जिसके लिए प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 द्वारा बैंक से लोन लेकर अपीलार्थी के पक्ष में धनराशि जमा की गयी। यद्यपि अपीलार्थी द्वारा प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 को उपरोक्‍त फ्लैट की देयता के सम्‍बन्‍ध में कोई निश्चित तिथि नहीं बतायी गयी थी परन्‍तु वस्‍तुस्थिति यह है कि ज्‍यादातर इस तरह के आवंटित फ्लैट/भवनों का पजेशन/हस्‍तांतरण आवंटी पक्ष को तीन वर्ष की अवधि में किया जाना आपेक्षित होता

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है जैसा कि लगभग सभी वादों में पाया भी जाता है। उस स्थिति में अपीलार्थी द्वारा प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 को आवंटित फ्लैट का कब्‍जा/हस्‍तांतरण वर्ष, 2017 के अंत तक होना था। अपीलार्थी की विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 को उपरोक्‍त फ्लैट का आफर आफ पजेशन हेतु सूचना दिनांक 24-09-2018 को रजिस्‍टर्ड डाक द्वारा प्रेषित की गयी थी जिसके अनुसार अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 से कुल देय धनराशि की गणना 4,60,498.47 रूपये दर्शित की गयी है।

     संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 ने अपीलार्थी/विपक्षीगण संख्‍या-1 व 2 से प्‍लान-सी में एक फ्लैट सं० सी.एफ.एफ.81 यूनिट टाइप जी+2, सुपर एरिया 1410 वर्गफुट, 2250/-रू० की रेट से बेसिक कीमत 31,72,500/-रू०‍ जिसमें डिस्‍काउंट 50,000/-रू० एवं टोटल पी.एल.सी. 1,83,300/-रू० मिलाकर टोटल 33,05,800/-रू० देने के लिए एग्रीमेंट दिनांक 13-08-2014 को हुआ था, जबकि फरवरी 2017 तक 32,95,010.37 पैसे जमा करा लिये, जो कि एग्रीमेंट का 97 प्रतिशत से ज्‍यादा है जो अपीलार्थी/विपक्षीगण संख्‍या-1 एवं 2 की 01 मार्च 2017 की खाता विवरणी से स्‍पष्‍ट है।

     परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 को अपीलार्थी/विपक्षीगण संख्‍या-1 एवं 2 ने दो प्‍लान दिखाए जिसमें प्‍लान-बी में टाइम लिंक्‍ड प्‍लान था जिसको पूरा करने का समय 23 माह था, एवं प्‍लान-सी जो परिवादी ने लिया है, कंस्‍ट्रक्‍शन लिंक्‍ड प्‍लान था, जिसमें 60 दिन में 25 प्रतिशत धनराशि उक्‍त टोटल धनराशि में से जमा करना था। अत: निश्चित रूप से एक से दो साल के अन्‍दर उक्‍त यूनिट/फ्लैट का पजेशन दिया जाना था। परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 ने अपीलार्थी/विपक्षीगण संख्‍या-1 व 2 के झांसी स्थित आफिस एवं नई दिल्‍ली आफिस में एक नोटिस दिनांक 11-10-2014 को ई-मेल एवं रजिस्‍टर्ड डाक से इस बाबत प्रेषित किया था कि वह कोई भी काल नोटिस में 15 दिन का समय देगा, ताकि परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 बैंक से या किसी अन्‍य तरह से अपीलार्थी/विपक्षीगण संख्‍या-1 एवं 2 की काल नोटिस की सम्‍पूर्ण धनराशि जमा कर

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सके, और दिनांक 11-10-2014 तक परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 से 17,12,460/-रू० अवैध तरह से जमा कर लिये थे जबकि दो माह की अवधि में कुल 25 प्रतिशत ही जमा करना था। अतएव उस पर कोई ब्‍याज देय नहीं है। अपीलार्थी/विपक्षीगण संख्‍या-1 एवं 2 ने दिनांक 27-09-2014 तक के काल नोटिस के अनुसार रू० 22,33,264.91 पैसे जमा बताए, जो फ्लैट की टोटल कास्‍ट का 67 प्रतिशत है, यानि 60 दिन के अन्‍दर 42 प्रतिशत अधिक धनराशि अपीलार्थीगण द्वारा जमा करा लिया था जिसमें 27.46 पैसे को ब्‍याज देना बताया और इसी काल नोटिस में दिनांक 13-10-2014 तक रूपये 22,33,292.37 परिवादी द्वारा भुगतान दिखाया गया। परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 से विपक्षी संख्‍या-1 एवं 2 ने दो माह में 67 प्रतिशत फ्लैट का टोटल कास्‍ट का जमा करा लिया, इस वजह से परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 ने दिनांक 21-10-2014 को नोटिस अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के आफिस में एवं विपक्षी संख्‍या-2 के मुख्‍यालय नई दिल्‍ली में दिया। उक्‍त नोटिस ई-मेल के जरिये एवं रजिस्‍टर्ड पोस्‍ट से भी दिया।

      परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 का दिनांक 14-11-2014 को 11 लाख रूपये का लोन पंजाब नेशनल बैंक की शाखा झोकनबाग, झांसी ने स्‍वीकृत किया तथा जैसे ही काल नोटिस मिला उसके अनुसार 15 दिन की अवधि में भुगतान किया गया । परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 अपीलार्थी/विपक्षी के झांसी आफिस से अपने उक्‍त यूनिट का खाते का विवरण निकलवाया तो अपीलार्थी/विपक्षी ने 26,167,44 पैसे अवैध तरीके से ब्‍याज/पेनाल्‍टी के रूप में दिखा दिये और खाते में 22,33,293/-रू० जमा दिखाए। परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 को जब ज्ञात हुआ कि ब्‍याज के रूप में अपीलार्थी/विपक्षीगण संख्‍या-1 एवं 2 ने अनाधिकृत 23,788/-रू० की पेनाल्‍टी काल नोटिस में लगाए हैं तो परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 ने दिनांक 10-11-2014  को ब्‍याज निरस्‍त करने के लिए एक हस्‍तलिखित पत्र लिखा जो अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को प्राप्‍त कराया जिसमें दिनांक 06-11-2014 को अवैध रूप से अपीलार्थी/विपक्षीगण संख्‍या-1 एवं 2 द्वारा ब्‍याज पेनाल्‍टी लगायी गयी है, उसे तुरन्‍त निरस्‍त किया जाए

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जिसका अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 झांसी आफिस ने पत्र तो रिसीव कर लिया ले‍किन पेनाल्‍टी निरस्‍त नहीं की। इसलिए दिनांक  03-11-2014 को दोबारा रजिस्‍टर्ड नोटिस भेजा, लेकिन फिर भी अपीलार्थी/विपक्षीगण संख्‍या-1 एवं 2 के न तो झांसी आफिस और न ही दिल्‍ली आफिस ने कोई जवाब भेजा, जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 ने परिवाद दायर किया है।

     जिला फोरम के सम्‍मुख अपीलार्थी/विपक्षीगण संख्‍या-1 एवं 2 की ओर से  अपना जवाबदावा दाखिल करते हुए कथन किया गया है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 एवं अपीलार्थी/विपक्षीगण संख्‍या-1 एवं 2 के मध्‍य निष्‍पादित एलाटमेंट लेटर की धारा 65 के तहत यह शर्त तय हुयी थी, कि यदि पक्षकारों के मध्‍य कोई विवाद होता है, तो उक्‍त विवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार दिल्‍ली स्थित न्‍यायालय को होगा। अपीलार्थी/विपक्षीगण संख्‍या-1 एवं 2 की ओर से  कथन किया गया है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 ने फ्लैट बुक करते समय एलाटमेंट लेटर का पढ़ कर एवं अपनी पूर्ण स्‍वेच्‍छा एवं रजामंदी से हस्‍ताक्षर किये थे और उक्‍त एलाटमेंट लेटर पर अंकित शर्तों से प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1/परिवादी एवं अपीलार्थी/विपक्षीगण पूरी तरह से बाध्‍य एवं पाबंद है और उक्‍त एलाटमेंट लेटर में प्रश्‍नगत बिलों कि किस्‍तों के भुगतान का विवरण दिया गया है कि किस तरह से क्रेता को किस्‍तों की अदायगी करना है।

     विपक्षी संख्‍या-3 की ओर से जवाबदावा दाखिल करते हुए कथन किया गया है कि प्रश्‍नगत फ्लैट की कीमत बीस लाख से अधिक है, इसलिए फोरम न्‍यायालय को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है।

     परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में सूची सहित प्रपत्र संख्‍या-6/1 लगायत 6/13 तथा दिनांक 08-11-2019 को सूची सहित प्रपत्र संख्‍या-33/1 लगायत 33/3 एवं अतिरिक्‍त लिखित बहस के समय प्रपत्र संख्‍या- 34 से 34/1 की प्रतियां प्रस्‍तुत की हैं।

      प्रस्‍तुत परिवाद में यह तथ्‍य निर्विवाद है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण संख्‍या-1 एवं 2 से एक फ्लैट क्रय करने हेतु मुबलिग

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3305800/-रू० में एग्रीमेंट दिनांक 13-08-2014 के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 से फरवरी 2017 तक मुबलिग 3295010.37 प्राप्‍त कर लिये। परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 द्वारा बुक कराए गये फ्लैट का सम्‍पूर्ण निर्माण एग्रीमेंट के अनुसार 23 माह में होना था। परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 पर मात्र 10,000/-रू० शेष बकाया था परन्‍तु पक्षकारों के मध्‍य एग्रीमेंट के अनुसार नियत समय में अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट का निर्माण कराकर उपलब्‍ध नहीं कराया गया, जिससे अपीलार्थी/विपक्षी से तत्‍काल बुक कराए गये फ्लैट का कब्‍जा दिलाए जाने के साथ ही एक लाख रूपये एक मुश्‍त एवं वाद व्‍यय एवं मानसिक क्षति के रूप में 50,000/-रू० दिलाए जाने के साथ ही अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा दर्शित बकाया 50474/-रू० एवं ब्‍याज के 42073/-रू० निरस्‍त करने का कथन किया है।

   परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण संख्‍या-1 एवं 2 से बुक कराए गये फ्लैट संख्‍या-सी.एफ.एफ.81 यूनिट टाइप जी प्‍लस टू सुपर एरिया 1410 वर्ग फुट मु० 3305800/-रू० में दिनांक 13-08-2014 को एग्रीमेंट निष्‍पादिन कर कराया, जिसके एवज में प्‍लान पेमेण्‍ट के हिसाब से परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 द्वारा मुब. 329510.37 पैसे का भुगतान किये जाने के बाद भी अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा फ्लैट का निर्माण पूर्ण नहीं कराते हुए परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या—1 को कब्‍जा देते हुए उपलब्‍ध नहीं कराया। अपीलार्थी/विपक्षीगण ने अपने प्रतिवाद पत्र में यह कहीं कथन नहीं किया है कि, परिवादी द्वारा भुगतान में कोई विलम्‍ब किया गया है, बल्कि सभी विपक्षीगण ने क्षेत्राधिकार से बाधित होने से वाद खारिज होने योग्‍य ही कथन किया है।

     परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह कथन किया गया कि अपीलार्थीगण द्वारा न सिर्फ एग्रीमेंट की शर्तों व अधिनियम के प्रावधानों का खुला उल्‍लंघन किया गया है वरन परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 द्वारा दर्ज की गयी शिकायतों का भी संज्ञान नहीं लिया गया तथा यह कि अपीलार्थीगण द्वारा परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 से अनाधिकृत रूप से एवं अवैध तरीके से मनमाने ढंग से

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रूपये जमा कराए जाते रहे जो कि वास्‍तविक रूप में कांस्‍ट्रैक्‍टेड लिंक्‍ड प्‍लान-सी के अन्‍तर्गत एक वर्ष से दो वर्ष की अवधि में देय था तथा यह कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 द्वारा लगभग 99 प्रतिशत धनराशि उक्‍त एग्रीमेंट के परिप्रेक्ष्‍य में अपीलार्थीगण को दी जा चुकी है। परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता  द्वारा कथन किया गया कि अपीलार्थी/विपक्षीगण कम्‍पनी द्वारा अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस करके न सिर्फ एग्रीमेंट में वर्णित तथ्‍यों का पालन किया गया वरन परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 द्वारा अर्जित मेहनत की कमाई व ब्‍याज पर लिये गये रूपये का अवैध रूप से इस्‍तेमाल किया गया। अंत में परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि यद्यपि जिला आयोग द्वारा आदेश दिनांक 10 जनवरी 2020 को पारित किया गया है जिसमें आदेश के अनुसार अपीलार्थीगण को यह निर्देशित किया गया है कि वह परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 को निर्णय की तिथि से 30 दिन की अवधि में एग्रीमेंट के अनुसार फ्लैट का निर्माण सम्‍पूर्ण कर कब्‍जा प्राप्‍त कराएं तथा परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 को परिवाद व्‍यय के रूप में 10,000/-रू० अदा करें। साथ ही परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 अपीलार्थीगण से प्रतिमाह 10,000/-रू० बतौर क्षतिपूर्ति फ्लैट का कब्‍जा दिलाए जाने की तिथि तक पाने का अधिकारी होगा। उसका अनुपालन अपीलार्थीगण द्वारा आज तक नहीं किया गया।

     प्रस्‍तुत अपील आदेश दिनांक 10-01-2020 के विरूद्ध विलम्‍ब क्षमा प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्‍तुत की गयी है जिस पर दिनांक 21-10-2020 को अपीलार्थी/विपक्षीगण को नोटिस जारी करते हुए विपक्षीगण को उत्‍तर शपथ-पत्र  हेतु

आदेशित किया गया तथा अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध किसी प्रकार की कोई उत्‍पीड़नात्‍मक कार्यवाही करने से निरूद्ध किया गया।

     अन्‍तरिम आदेश दिनांक 21-10-2020 का अक्षरश: पालन अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा आज दिनांक तक सुनिश्चित नहीं किया गया है। अर्थात परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 को आवंटित फ्लैट का हस्‍तांतरण अपीलार्थीगण द्वारा नहीं

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किया गया है न ही देय धनराशि से संबंधित निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया गया।

     हमारे द्वारा समस्‍त तथ्‍यों एवं उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को विस्‍तृत रूप से सुना गया एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक परिशीलन किया गया। हमने इस अपील में पारित अन्‍तरिम आदेश दिनांक       21-10-2020 का परिशीलन किया  और यह पाया कि वस्‍तुत: परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 श्री मयंक पाराशर द्वारा आवंटित फ्लैट के लिए देय धनराशि का भुगतान इंगित व निश्चित समयावधि में किया गया। यह भी निर्विवाद है कि अपीलार्थीगण द्वारा परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 से प्रथम वर्ष में देय धनराशि को निश्चित धनराशि से अधिक की मात्रा में वसूल किया गया। तदोपरान्‍त अपीलार्थीगण द्वारा परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 से पुन: देर से धनराशि जमा करने के एवज में ब्‍याज की मांग की गयी जो न तो पक्षकारों के मध्‍य किये गये समझौते के अनुसार सही है और न ही वास्‍तव में परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1  द्वारा देय है।

     अन्‍ततोगत्‍वा हम विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 10-01-2020 का समर्थन करते हैं, साथ ही प्रस्‍तुत अपील को निरस्‍त करते हुए अपीलार्थीगण को आदेशित करते हैं कि वे जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 10-01-2020 (परिवाद संख्‍या- 104/2017) का अक्षरश: अनुपालन 30 दिन की अवधि में सुनिश्चित करें, साथ ही अपीलार्थीगण, परिवादी/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 श्री मयंक पाराशर को हर्जाने के रूप में 5,00,000/-रू० (पांच लाख रूपये) की धनराशि 30 दिन की अवधि में प्राप्‍त कराना सुनिश्चित करें। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

       प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

 

(राजेन्‍द्र सिंह)             (गोवर्धन यादव)               (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

  सदस्‍य                    सदस्‍य                         अध्‍यक्ष

 

कृष्‍णा, आशु0 कोर्ट नं01

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
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Consumer Court Lawyer

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Bhanu Pratap

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Bhanu Pratap

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Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

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