(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 2507/2012
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय, बरेली द्वारा परिवाद सं0- 57/2008 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 26.09.2012 के विरुद्ध)
1. Regional Manager Life insurance corporation of India Uttar Madhya chetriya karyalay 16/98, Mahatma Gandhi marg, Kanpur. 208001.
2. Sr. Divisional Manager Life insurance corporation of India, Izzat nagar Branch, Pilibhit road, Bareilly.
……Appellants
Versus
1. Smt. Maya devi W/o Late Sri Rajendra Prasad R/o Village, Mauzam, nagla Thakurdas Post and PS, Kyoladia, Tahsil Nawabganj, District Bareilly.
2. Parmeshwari dayal, agent, Life insurance corporation, Branch, Izzat nagar, Bareilly, Agent no. 63922U.
………Respondents
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से : श्री इसार हुसैन,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 1 की ओर से : श्री आर0के0 मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 2 की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक:- 22.09.2021
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 57/2008 श्रीमती माया देवी बनाम क्षेत्रीय प्रबंधक भारतीय जीवन बीमा निगम तथा दो अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग द्वितीय, बरेली द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 26.09.2012 के विरुद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
2. अपील केवल इस बिन्दु तक सीमित की गई है कि ब्याज की राशि कम कर दी जाए, क्योंकि उच्च दर से ब्याज राशि अदा करने का आदेश दिया गया है तथा मानसिक प्रताड़ना हेतु प्रदत्त की गई राशि को भी कम किया जाए।
3. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन एवं प्रत्यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0 मिश्रा को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
4. पत्रावली के अवलोकन से ज्ञात होता है कि बीमा कम्पनी द्वारा समय पर बीमे क्लेम का भुगतान नहीं किया गया जिसके कारण प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी को परिवाद प्रस्तुत करने के लिए बाध्य होना पड़ा तथा बीमा क्लेम प्राप्त करने के अनेक वर्ष व्यतीत हुए, इसलिए मानसिक प्रताड़ना के मद में दी गई राशि विधिसम्मत है, परन्तु ब्याज दर 10 प्रतिशत की दर से लगायी गई है जो उच्च श्रेणी की है। इसलिए ब्याज दर 08 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से अदा करने का आदेश देना विधिसम्मत है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
5. अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय व आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि अपीलार्थीगण/विपक्षीगण सं0- 1 व 2 द्वारा प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादिनी को देय धनराशि पर 10 प्रतिशत के स्थान पर 08 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्याज देना होगा।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपीलार्थीगण द्वारा अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय/आदेश के अनुसार निस्तारण हेतु जिला उपभोक्ता आयोग को प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0-2