जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 73/2015
श्रीमती सविता पत्नी स्व. श्री केशव कुमार, जाति- त्रिवेदी, निवासी- ब्रहम्पुरी, नागौर, तहसील व जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. मैक्स न्यूयाॅर्क लाईफ इंश्योरेन्स कम्पनी लि., द्वारा अध्यक्ष/प्रबन्ध निदेशक, रजिस्ट्रड आफिस - मैक्स हाउस, तिसरा तल,1 डाॅ झा मार्ग,ओखला,न्यू दिल्ली 110020
2. शाखा प्रबन्धक, मैक्स न्यूयाॅर्क लाईफ इंश्योरेन्स कम्पनी लि., जोधपुर ब्रांच, 27ध्20ए एल.एम टावरए शास्त्रीनगर, दैनिक भास्कर के सामने, आई.टी.आई. सर्किल, जोधपुर (राजस्थान)।
3. मैक्स न्यूयाॅर्क लाईफ इंश्योरेन्स कम्पनी लि.,माडी देवी मिर्धा राजकीय महिला महाविधालय,नागौर(राजस्थान)।
-अप्रार्थी
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री राजेश जैन, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री मामराज गुणपाल, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दिनांक 15.07.2015
1. परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिया के पति ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से एक पाॅलिसी अगस्त, 2009 में ली हुई थी। परिवादिया के पति की मृत्यु दिनांक 15.01.2015 को हो गई। इस पाॅलिसी के तहत वार्षिक प्रीमियम राशि 5221/- रूपये अदा की जाती रही। अगस्त, 2013 तक 26,185/- रूपये प्रीमियम राशि जमा करवाई गई। दिनांक 10.03.2014 से परिवादिया के पति बीमार पड गये । लम्बे समय तक गंभीर रूप से अस्वस्थ रहे। इस दौरान उनका उपचार नागौर, जोधपुर एवं अहमदाबाद के चिकित्सकों द्वारा किया गया। अप्रार्थीगण के यहां क्लेम प्रस्तुत किया गया। अप्रार्थीगण ने परिवादिया के बचत खाते में केवल 12601.08 रूपये जमा कराये। जबकि 1,00000/- रूपये बीमा राशि जमा करानी चाहिए थी। जब अप्रार्थी से इसका कारण पूछा तो बताया गया कि अगस्त, 2014 की वार्षिक प्रीमियम राशि जमा नहीं करवाने के कारण पाॅलिसी लेप्स हो गई। जबकि परिवादिया के उसके पति की गंभीर बीमारी की मजबूरी व भूलवश प्रीमियम राशि जमा नहीं हो पाई। ना ही अप्रार्थीगण ने एवं उसके अभिकर्ता ने कोई प्रीमियम जमा कराने बाबत् या बीमा पाॅलिसी निरस्त किये जाने के सम्बन्ध में परिवादिया को सूचना दी गई जो कि अप्रार्थीगण के भाग पर सेवा में कमी एवं सेवा दोष की श्रेणी में आता हैं। अतः उसे सम्पूर्ण बीमा राशि मय ब्याज हर्जा-खर्चा सहित दिलाया जावे।
2. अप्रार्थीगण की ओर से परिवादिया के परिवाद-पत्र के खण्डन में कोई जवाब प्रस्तुत नहीं हुआ है। यद्यपि बीमा कम्पनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मामराज गुणपाल उपस्थित हुए हैं।
3. बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का गहनता पूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया। यह स्पष्ट है कि परिवादिया के पति की ओर से उक्त बीमा पाॅलिसी की प्रीमियम राशि अगस्त, 2013 तक अर्थात् पांच साल लगातार समय पर जमा कराई गई। अगस्त, 2014 की प्रीमियम राशि जमा नहीं हुई। परिवादिया के पति की मृत्यु 15.01.2015 को हो गई। जिसका बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया। परन्तु परिवादिया के खाते में केवल 12601.08 रूपये बीमा पेटे जमा कराये गये। बीमा कम्पनी का यह एतराज रहा कि अगस्त, 2014 मे किश्त जमा नहीं कराई इसलिए बीमा पाॅलिसी निरस्त कर दी गई। परन्तु हम यहां बीमा कम्पनी के इस तर्क से सहमत नहीं है क्योंकि बीमा कम्पनी ने बीमा धारक को इस आशय की कोई सूचना नहीं भेजी कि आपकी प्रीमियम राशि जमा नहीं हुई है, जमा कराई जाये, अन्यथा बीमा पाॅलिसी निरस्त कर दी जावेगी। अगस्त, 2014 में प्रीमियम राशि जमा नहीं करवा पाने का परिवादिया की ओर से समुचित कारण बताया गया है जिस पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है। परिवादिया की ओर से उसके पति केशव कुमार वर्ष, 2014 के प्रारम्भ से पूर्व ही गंभीर रूप से बीमार रहे। उनका उपचार नागौर, जोधपुर व अहमदाबाद समेत कई स्थानों पर करवाया। जिसकी पुष्टि पत्रावली पर उपलब्ध दस्तावेजात प्रदर्श 7 लगायत 11 से होती है। उक्त दस्तावेजात से परिवादिया के इस कथन की भलीभांति पुष्टि होती है कि उसके पति की गंभीर बीमारी के उपचार में व्यस्त रहने के कारण उसे ना तो प्रीमियम का ध्यान रहा, जो कि स्वाभाविक है, ना ही बीमा कम्पनी ने परिवादिया का ध्यान आकर्षित किया। इस प्रकार से परिवादिया का कोई दोष नहीं रहा है। अपितु बीमा राशि का भुगतान नहीं करने के सम्बन्ध में अप्रार्थी बीमा कम्पनी का पूर्णतः सेवा दोष है। इस प्रकार से परिवादिया अपना परिवाद-पत्र अप्रार्थीगण के विरूद्ध साबित करने में सफल रही है। अतः परिवादिया का परिवाद-पत्र अप्रार्थीगण के विरूद्ध निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता हैः-
आदेश
4. आदेश दिया जाता है कि अप्रार्थीगण, परिवादिया को 1,00000/- रूपये ( अक्षरे एक लाख रूपये) बीमा राशि दावा दायरी से तारकम वसूली 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याजदर से अदा करें। चूंकि उक्त बीमा रकम में से अप्रार्थीगण द्वारा 12601.08 रूपये जमा करा दिये गये हैं, यह राशि एक लाख रूपये में से घटाकर समायोजित की जावे। अप्रार्थीगण परिवादिया को 2500/- रूपये परिवाद-व्यय के एवं 2500/- रूपये मानसिक संताप के भी अदा करें।
आदेश आज दिनांक 15.07.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या